Aastha IVF Centre at Aastha Hospital

Aastha IVF Centre at Aastha Hospital A beam of hope for infertile couples

22/04/2025

National Infertility Awareness week
Theme: “You Are Not Alone”
Purpose: To spread awareness, provide education, and offer support to those affected by infertility.

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What is Infertility?

Infertility is defined as the inability to conceive after 12 months of regular unprotected in*******se.

Affects: 10–15% of couples globally

Both men and women can be affected equally

It’s not just a physical issue – emotional, psychological, and social factors are deeply involved

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Common Causes of Infertility:

In Women:

PCOS (Polycystic O***y Syndrome)

Endometriosis

Ovulation disorders

Tubal blockages

Age-related decline in egg quality

In Men:

Low s***m count or motility

Varicocele

Hormonal imbalances

Lifestyle factors (smoking, alcohol, stress)

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Why This Day Matters:

Raises awareness about infertility as a medical condition, not a personal failure

Encourages open conversations to reduce stigma and shame

Promotes timely diagnosis and access to fertility treatments

Supports emotional health of individuals and couples on their fertility journey

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How You Can Support:

Share stories and resources

Educate others with facts, not myths

Offer emotional support to those trying to conceive

Advocate for improved fertility healthcare and insurance coverage

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Let’s replace silence with support.
Let’s replace stigma with compassion.
Let’s give hope to the hearts that dream of parenthood.

"From a Single Cell to a Miracle: A Journey of Real Joy"In the world of fertility, the biggest stories often begin invis...
15/04/2025

"From a Single Cell to a Miracle: A Journey of Real Joy"

In the world of fertility, the biggest stories often begin invisibly—with a single microscopic cell. So small, yet carrying the weight of two hearts filled with hope.

It all starts quietly in the lab—just a tiny cell under the microscope. No eyes, no limbs, no heartbeat yet—just potential. A fragile beginning of something destined to become someone.

Days pass. That one cell divides, multiplies, and begins to form something extraordinary. A tiny flicker appears on the ultrasound screen: a heartbeat. Fast, steady, and full of promise. It is in that moment that science meets emotion, and hope turns into belief.

Weeks turn into months. The heartbeat grows stronger. The shape becomes a tiny human. And then, finally, a baby is born—crying, breathing, alive. A miracle delivered not just to the parents, but to every soul who walked that journey with them.

The embryologist who handled that first cell. The doctor who never gave up. The nurse who whispered encouragement. The lab that stayed glowing late into the night. Every moment, every effort, leads to this—real joy.

Because when a single cell becomes a heartbeat, and that heartbeat becomes a baby, it’s not just a success. It’s a celebration of life.

For everyone in the world of IVF and fertility, this is your purpose. This is your power. You don’t just make babies—you create families. You don’t just build hope—you bring it to life.

Never forget: real happiness is born when a single cell becomes someone’s whole world

11/01/2025

Here are some common myths about Intrauterine Insemination (IUI) in Hindi:

1. IUI का सफलता दर हमेशा 100% होता है

मिथक: बहुत से लोग मानते हैं कि IUI से गर्भवती होना निश्चित होता है।

सचाई: IUI गर्भवती होने के चांसेस बढ़ाता है, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं है। सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कारण, आयु, और क्या ओवुलेशन दवाइयाँ दी जाती हैं।

2. IUI केवल पुरुषों की समस्या (male infertility) के लिए है

मिथक: IUI केवल तब किया जाता है जब पुरुषों में किसी प्रकार की असमर्थता हो।

सचाई: IUI का उपयोग कई कारणों से किया जाता है, जैसे अनजान (unexplained) बांझपन, ओवुलेशन समस्या, और गर्भाशय (cervical) समस्या, न केवल पुरुषों की समस्या के लिए।

3. IUI और IVF एक जैसे होते हैं

मिथक: IUI और IVF (In Vitro Fertilization) समान प्रक्रियाएँ हैं।

सचाई: IUI में शुक्राणुओं को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है, जबकि IVF में अंडाणुओं को बाहर निषेचित किया जाता है और फिर भ्रूण को गर्भाशय में डाला जाता है। IVF जटिल समस्याओं के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे गंभीर पुरुष बांझपन या ट्यूब्स का ब्लॉकेज।

4. IUI दर्दनाक होता है

मिथक: IUI बहुत दर्दनाक प्रक्रिया है।

सचाई: IUI सामान्य रूप से एक सरल और त्वरित प्रक्रिया होती है, जिसमें अधिकांश महिलाएँ सिर्फ हल्का असहजता महसूस करती हैं, जो पीएपी स्मीयर या आंतरिक अल्ट्रासाउंड जैसी प्रक्रियाओं के समान होता है।

5. IUI में कई प्रयासों की आवश्यकता होती है

मिथक: IUI हमेशा सफल होने के लिए कई चक्रों की आवश्यकता होती है।

सचाई: बहुत सी महिलाओं को पहले या दूसरे IUI चक्र में गर्भवती होने का मौका मिलता है। हालांकि, कुछ मामलों में अधिक चक्रों की आवश्यकता हो सकती है।

6. IUI बिना किसी दवा के किया जाता है

मिथक: IUI बिना दवाइयों के किया जाता है।

सचाई: IUI कभी-कभी बिना दवाइयों के किया जा सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में ओवुलेशन को उत्तेजित करने के लिए दवाइयों (जैसे Clomid या इंसुलेबल हार्मोन) का उपयोग किया जाता है, ताकि गर्भधारण की संभावना बढ़ सके।

7. IUI केवल उन्हीं महिलाओं के लिए है जो स्वाभाविक रूप से गर्भवती नहीं हो सकतीं

मिथक: IUI केवल उन महिलाओं के लिए है जिनके लिए स्वाभाविक गर्भधारण असंभव है।

सचाई: IUI उन महिलाओं के लिए भी उपयोगी है जो कुछ प्रकार की समस्याओं जैसे अनजान बांझपन, ओवुलेशन विकार, या हल्के पुरुष बांझपन का सामना कर रही हैं, भले ही उन्होंने पहले गर्भधारण किया हो।

8. IUI में जुड़वां या अधिक संतान होने का जोखिम अधिक होता है

मिथक: IUI से जुड़वां या तिहरे बच्चे होने का जोखिम बढ़ जाता है।

सचाई: यदि IUI के साथ ओवुलेशन दवाइयाँ दी जाती हैं, तो यह जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन यह IVF के मुकाबले बहुत कम होता है। जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर दवाओं और डोज़ को मॉनिटर करते हैं।

9. IUI कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते

मिथक: IUI में कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते।

सचाई: IUI एक मामूली प्रक्रिया होती है, लेकिन दवाइयों से कुछ हल्के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे सूजन, मूड स्विंग्स, और ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS)। संक्रमण का भी बहुत कम जोखिम होता है।

10. IUI केवल उन्हीं जोड़ों के लिए है जिनकी कोई और स्वास्थ्य समस्या नहीं है

मिथक: IUI केवल उन्हीं जोड़ों के लिए है जिनकी कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या नहीं है।

सचाई: IUI का उपयोग कई प्रकार की समस्याओं के लिए किया जा सकता है, जैसे ओवुलेशन विकार, हल्की एंडोमेट्रियोसिस, और अनजान बांझपन। हालांकि, गंभीर समस्याओं जैसे ट्यूब्स का ब्लॉकेज या गंभीर पुरुष बांझपन के लिए IVF अधिक उपयुक्त हो सकता है।

यह जानने के लिए कि IUI आपके लिए सही है या नहीं, आपके डॉक्टर से सही जानकारी प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है।

10/01/2025

बांझपन(infertility ) के लिए सामान्य मार्गदर्शिका

1. समस्या का पहचान

अनियमित माहवारी

गर्भधारण में विफलता

यौन संबंधों के दौरान दर्द

2. स्वास्थ्य इतिहास का मूल्यांकन

उम्र, जीवनशैली, चिकित्सा इतिहास

गर्भधारण में विफलता के कारण

3. परीक्षाएं और परीक्षण

महिला के लिए:

हार्मोनल परीक्षण (FSH, LH, टीएसएच, एसीटीएच, आदि)

अल्ट्रासाउंड, HSG (हिस्टोसेलिंगोग्राफी)

अंडाणु के विकास की जांच

पुरुष के लिए:

वीर्य परीक्षण (स्पर्म काउंट और गुणवत्ता)

हार्मोनल परीक्षण

4. कारण का पता लगाना

महिला में:

अंडाशय में समस्या

गर्भाशय और अंडाणु नलिका की समस्याएं

पुरुष में:

शुक्राणु की कमी

शुक्राणु की गति या गुणवत्ता में समस्या

5. उपचार विकल्प

जीवनशैली में बदलाव:

वजन नियंत्रित करना

धूम्रपान और शराब से बचाव

आहार और व्यायाम में सुधार

दवाएं:

हार्मोनल उपचार (जैसे, क्लोमिफिन, FSH इंजेक्शन आदि)

सहायक प्रजनन तकनीक:

आईवीएफ (IVF)

आईयूआई (IUI)

अंडाणु दान और शुक्राणु दान

6. गर्भधारण की निगरानी

गर्भावस्था के लक्षणों की जांच

अल्ट्रासाउंड और रक्त परीक्षण

7. समाप्ति या उपचार में सफलता

गर्भधारण का परीक्षण

आगे की उपचार की आवश्यकता

यह प्रक्रिया हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है, और उपचार योजना व्यक्तिगत आवश्यकता के आधार पर बनाई जाती है।

06/01/2025

Semen freezing (स्पर्म फ्रीजिंग) एक प्रजनन संरक्षण तकनीक है जिसमें पुरुष के वीर्य को भविष्य में उपयोग के लिए फ्रीज किया जाता है। यह प्रक्रिया कई व्यक्तियों और स्थितियों के लिए फायदेमंद हो सकती है।

स्पर्म फ्रीजिंग से किसे लाभ होता है?

1. कैंसर के मरीजों को:

कैंसर का इलाज, जैसे कि कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी, शुक्राणुओं की गुणवत्ता और उत्पादन को नुकसान पहुंचा सकता है।

उपचार से पहले शुक्राणु फ्रीज करने से भविष्य में परिवार बढ़ाने की संभावना बनी रहती है।

2. गंभीर सर्जरी के पहले:

यदि पुरुष को किसी ऐसी सर्जरी की आवश्यकता है जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है, तो स्पर्म फ्रीजिंग एक सुरक्षित विकल्प है।

जैसे: टेस्टिकुलर (वृषण) सर्जरी।

3. वृद्धावस्था के कारण:

उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो सकती है। युवा अवस्था में शुक्राणु फ्रीज करके भविष्य में इसका उपयोग किया जा सकता है।

4. व्यवसाय के कारण:

ऐसे पुरुष जिनका कार्य जोखिमपूर्ण है (जैसे सैनिक, पुलिसकर्मी, या खतरनाक वातावरण में काम करने वाले), वे प्रजनन क्षमता सुरक्षित रखने के लिए इसका लाभ उठा सकते हैं।

5. बांझपन उपचार में:

जिन पुरुषों को शुक्राणु संग्रह (S***m Collection) में कठिनाई होती है, वे फ्रीज किए गए वीर्य का उपयोग आईयूआई (IUI), आईवीएफ (IVF), या इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) में कर सकते हैं।

6. लंबे समय तक अनुपलब्धता:

जो पुरुष विदेश यात्रा, सैन्य सेवा, या अन्य कारणों से लंबे समय तक अपने साथी से दूर रहते हैं, वे स्पर्म फ्रीजिंग कर सकते हैं।

7. ट्रांसजेंडर व्यक्ति:

ट्रांसजेंडर पुरुष या महिला, जो जेंडर रीअसाइनमेंट प्रक्रिया के लिए जा रहे हैं, अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए यह प्रक्रिया अपनाते हैं।

8. अन्य चिकित्सा स्थितियाँ:

जिन पुरुषों को हॉर्मोनल या चिकित्सा उपचार के कारण शुक्राणु उत्पादन में समस्या हो सकती है।

स्पर्म फ्रीजिंग के फायदे:

दीर्घकालिक प्रजनन संरक्षण।

सरल और सुरक्षित प्रक्रिया।

वीर्य को दशकों तक संरक्षित रखा जा सकता है।

प्रजनन उपचार में लचीलापन।

स्पर्म फ्रीजिंग उन लोगों के लिए एक बड़ी मदद है, जो भविष्य में परिवार बढ़ाने की योजना बनाना चाहते हैं, भले ही वर्तमान में उनके लिए यह संभव न हो।

06/01/2025

आईवीएफ (In Vitro Fertilization) प्रक्रिया एक ऐसी तकनीक है जो उन दंपतियों की मदद करती है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। इसे "टेस्ट ट्यूब बेबी" प्रक्रिया भी कहा जाता है। नीचे इस प्रक्रिया को विस्तार से हिंदी में समझाया गया है:

आईवीएफ प्रक्रिया के चरण

1. अंडाणु उत्पादन को उत्तेजित करना (Ovarian Stimulation):
महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके अंडाशय (Ovaries) में एक से अधिक अंडाणु (Eggs) बन सकें। सामान्य रूप से एक महीने में केवल एक अंडाणु बनता है, लेकिन आईवीएफ के लिए कई अंडाणुओं की आवश्यकता होती है।

2. अंडाणु निकासी (Egg Retrieval):
जब अंडाणु पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं, तब उन्हें महिला के अंडाशय से निकाल लिया जाता है। यह प्रक्रिया अल्ट्रासाउंड गाइडेंस के तहत होती है और इसमें हल्की एनेस्थीसिया दी जाती है।

3. शुक्राणु संग्रह (S***m Collection):
पुरुष से उसके शुक्राणु (S***m) लिए जाते हैं। यदि पुरुष के शुक्राणु कमज़ोर या अनुपलब्ध हैं, तो अन्य तकनीकों से शुक्राणु निकाले जा सकते हैं।

4. निषेचन (Fertilization):
प्रयोगशाला में अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक निषेचन (Fertilization) का अनुकरण करती है। यदि आवश्यक हो, तो एकल शुक्राणु को अंडाणु के अंदर इंजेक्ट किया जाता है, जिसे इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) कहते हैं।

5. भ्रूण विकास (Embryo Development):
निषेचित अंडाणु भ्रूण (Embryo) में बदल जाते हैं। इन्हें 3-5 दिनों तक लैब में विकसित किया जाता है।

6. भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer):
विकसित भ्रूण को महिला के गर्भाशय (Uterus) में स्थानांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया दर्दरहित होती है और इसमें एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती।

7. गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test):
भ्रूण प्रत्यारोपण के 10-14 दिनों बाद महिला का ब्लड टेस्ट किया जाता है यह जानने के लिए कि वह गर्भवती है या नहीं।

आईवीएफ प्रक्रिया में ध्यान देने योग्य बातें:

महिला की आयु, स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता (Fertility) आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करती है।

भारत में आईवीएफ की लागत 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये तक हो सकती है, जो केंद्र और प्रक्रिया की जटिलता पर निर्भर करती है।

कुछ धार्मिक और नैतिक चिंताएँ भी हो सकती हैं, जिन्हें दंपति को समझना चाहिए।

आईवीएफ के लिए सही समय:

अगर शादी के बाद 1-2 साल तक गर्भधारण नहीं हो रहा है।

महिला की उम्र 35 से अधिक है।

पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या कम है।

फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक या डैमेज हैं।

आईवीएफ कई दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है और भारत में इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।

06/01/2025

आईयूआई (IUI - Intrauterine Insemination) प्रक्रिया एक साधारण और कम जटिल प्रजनन उपचार है। इसे "आर्टिफिशियल इंसिमिनेशन" भी कहा जाता है। यह उन दंपतियों के लिए फायदेमंद है जो गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।

आईयूआई प्रक्रिया के चरण:

1. अंडाणु उत्पादन को उत्तेजित करना (Ovarian Stimulation):

महिला को हल्के हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं ताकि उसका अंडाशय (O***y) स्वस्थ और परिपक्व अंडाणु (Eggs) बना सके।

कभी-कभी यह प्रक्रिया प्राकृतिक चक्र में बिना दवाओं के भी की जाती है।

2. शुक्राणु संग्रह (S***m Collection):

पुरुष का वीर्य (Semen) एकत्रित किया जाता है।

वीर्य को लैब में प्रोसेस किया जाता है ताकि सबसे स्वस्थ और गतिशील शुक्राणु (S***m) अलग किए जा सकें।

3. गर्भाशय में शुक्राणु डालना (Insemination):

प्रोसेस किए गए शुक्राणुओं को एक पतली ट्यूब (कैथेटर) की मदद से महिला के गर्भाशय (Uterus) में डाला जाता है।

यह प्रक्रिया ओवुलेशन (Egg Release) के समय पर की जाती है।

4. प्राकृतिक निषेचन (Fertilization):

शुक्राणु और अंडाणु प्राकृतिक रूप से महिला के शरीर के अंदर मिलते हैं।

यह प्रक्रिया सरल और दर्दरहित होती है।

5. गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test):

प्रक्रिया के 2 सप्ताह बाद यह जांच की जाती है कि महिला गर्भवती है या नहीं।

आईयूआई कब किया जाता है?

पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या कम हो।

शुक्राणुओं की गति धीमी हो।

गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) में कोई समस्या हो।

हल्के एंडोमेट्रियोसिस या अनजाने कारणों से गर्भधारण में समस्या हो।

आईयूआई के फायदे:

कम लागत और कम जटिल प्रक्रिया।

हार्मोनल दवाओं का सीमित उपयोग।

कई दंपतियों के लिए यह पहली पसंद होती है।

आईयूआई की सफलता:

महिला की आयु, अंडाणु की गुणवत्ता, और पुरुष के शुक्राणुओं की स्थिति पर निर्भर करता है।

सफलता दर औसतन 10-20% प्रति चक्र होती है।

यह प्रक्रिया सरल और सुरक्षित है, लेकिन किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही इसे अपनाना चाहिए।

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CHAKKAR, MANDI
Mandi
175029

Telephone

+911905243331

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