24/10/2023
महाभारत में आता हैं कि-
"मातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुख:"
अर्थात- गौ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं...वे सभी को सुख देने वाली हैं... (महा.अनु.69.7)
वहीं वेदों में भी कहा हैः-
"गावो विश्वस्य मातरः"
भारतीय संस्कृति में गाय को माता मानकर पूजा जाता हैं...अनेक अवसरों पर गाय माता का दान किया जाता हैं...परसो हमारे परिवार में काकाश्री के दशाकर्म पर गौ का दान किया गया,जब यह दान दिया जा रहा था तब का दृश्य बहुत ही अद्भुत था,मातृशक्ति द्वारा गौ माता को मेहंदी कुमकुम लगाकर,उसकी परिक्रमा कर उसका आशीर्वाद लिया जा रहा था..।।
गौदान ब्राह्मण परिवार,बहन,बेटी या भानेज/भांजी को भारतीय समाज वर्षो से करते आया है..।
"गव्यं तु जीवनीयं रसायनम्।"
आचार्य वाग्भट्ट ने भी 'अष्टांगहृदय' में उल्लेख किया है कि सब पशुओं के दुग्धों में गाय का दुग्ध अत्यंत बलवर्धक और रसायन है...।
गाय को जितना हमारे ऋषि मुनियों ओर पूर्वजो ने जाना था,उसका सही उपयोग आज विदेशी ले रहे है.. ओर हम जर्सी ओर भैंस के दूध में फेंट ढूंढ रहे है... हमारी खेती रसायनिक खाद व कीटनाशक दवाइयों से जहरीली होकर केंसर सहित अनेक रोग पैदा कर रही हैं, वही कई देश गौआधारित खेती की ओर बढ़कर अपने परिवार और देश की जनता को अमृत रूपी धान पैदा कर दे रहे है...।।
इस सुंदर गीत का मनोभाव भी कुछ यही कहता हैं...
नयी सदी का शंख बज गया, अपना फर्ज निभाना है...।
गौपालन संवर्धन करके
उन्नत राष्ट्र बनाना है...।।
छोड़ दिया जब गौपालन तो,
दशा हमारी दीन हुई...।
गऊवन की भी दुर्गति हो गयी,
उर्वर धरती क्षीण हुई...।
हुआ प्रदूषित अन्न वायु जल, मिलकर उसे बचाना है..।
गौपालन संवर्धन करके
उन्नत राष्ट्र बनाना है...।।
कहते हैं गौमाता की जय,
पर विक्रय कर कत्ल किया
गोबर धन का मूल्य न समझा, केवल पय का लाभ लिया,
इसीलिए सूना हर आंगन,
फिर से उसे बसाना है
गौपालन संवर्धन करके
उन्नत राष्ट्र बनाना है...।।
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