14/01/2024
हिजामा (Cupping) थेरेपी हज़ारों वर्ष पुरानी यूनानी चिकित्सा पद्धति व सबसे पुरानी इलाज करने की प्रक्रिया है। "हिजामा" एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है - "खींच कर बाहर निकालना", यानी शरीर से दूषित रक्त को बाहर निकालना।
आमतौर पर इलाज कराने में मरीज़ को खून चढ़ाया जाता है लेकिन हिजामा थेरेपी में शरीर से गंदा खून निकाल कर बीमारी को दूर की जाती है। सालों पुरानी इस प्रक्रिया के माध्यम से ज्वाइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्न होना, झंझनाहट, माइग्रेन और सर में किसी भी बिमारी का इलाज मिनटों में संभव है, अगर मरीज़ को शारीरिक कमज़ोरी और पेट की दिक्कत ना हो तो इस इलाज में दवा की ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती। कमज़ोरी और पेट के लिये थिरेपीस्ट यूनानी दवा ही देगा क्योंकि यह इलाज पद्धति यूनानी है। हज़ारों साल पुरानी इस प्रक्रिया (हिजामा) से लोग अंजान हैं, यहां तक कि डाक्टर भी इसके बारे में कम जानते हैं। भारत के कुछ राज्यों में इस पद्धति के जरिये इलाज किया जा रहा और यूनानी डाक्टरों (BUMS) को इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती है।
आयुष मंत्रालय के अनुसंधान अधिकारी "डा. सैयद अहमद खान" ने कहा कि ये थेरेपी बहुत पुरानी है, हम इस माडीफाय (परिवर्तन) कर के लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसका उद्देश्य यह है कि शरीर में कई बिमारी की वजह से खून का असंतुलन (Disbalance) होता है, हम हिजामा थेरेपी की मदद से इस ब्लड (खून) को संतुलित (Balance) कर देते हैं जिससे बिमारी ठीक हो जाती है और मरीज को जल्द आराम मिल जाता है। डा. खान कहते हैं कि हिजामा थेरेपी से पहले मरीज के स्वास्थ्य (Health) सम्बन्धी जानकारी लेना आवश्यक है, जैसे - ब्लड इंफेक्शन, ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग, माइग्रेन और पार्किन्सन इत्यादि रोगों की कहीं से दवा तो नहीं चल रही। बिमारी के अनुसार तय किया जाता है कि मरीज के बाडी में कपिंग कहाँ की जाये और कपिंग के लिये एनाटामी व फीजियोलाजी की समझ होनी चाहिये। जिस प्वाइंट्स से बीमारी की पहचान होती है वहां कप लगाकर वैक्यूम पैदा किया जाता है और लगाने के 5 से 7 मिनट बाद असंतुलित खून जमा हो जाता है।
हाल ही में "जामिया नगर" के "यूनानी रिसर्च सेंटर" में 10 दिन तक हिजामा ट्रेनिंग दी गई उसके पश्चात "अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी" में दी गई। जामिया के डा. अब्दुल कवि फारूकी ने कहा कि - "जोड़ों के दर्द, ह्रदय रोग, डायबिटीज, सिर दर्द, चर्म रोग, ब्लड प्रेशर, रीढ़ की हड्डी, नसों से जुड़ी बीमारियों में होने वाले दर्द से 70% तक राहत मिल जाती है"।
खून से विषैले तत्त्वों की सफाई कर कई रोगों से मुक्त करती है हिजामा थेरेपी।
दुनिया के हर हिस्से में इस प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। इसे अरबी में "हिजामा", चीनी और अंग्रेजी में "कपिंग", मिश्र में "इलाज बिल कर्न", व भारत में "रक्त मोक्षण" के नाम से जाना जाता है। यह ज़्यादा प्रचलित इसलिये भी नहीं है क्योंकि एक तो इसके चिकित्सक कम और दुसरा जो जानता है वो करने से डरता है इसलिये इसके लिये लोगों को प्रोत्साहित नहीं कर पाता।
शरीर को निरोगी बनाये रखने का काम रक्त और पेट पर निर्भर है। रक्त संचार शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखता है। यह थेरेपी रक्त संचार के अवरोध को खत्म कर अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाती है। इस चिकित्सा के तहत रक्त में मौजूद विषैले पदार्थ, मृत कोशिकाओं व अन्य दूषित तत्वों को बाहर निकालकर रोगों से बचाव किया जाता है। नये खून के निर्माण के साथ कई बीमारियां दूर हो जाती हैं और मांसपेशियां व ऊतकों पर दबाव पड़ने से इनमें लचीलापन आता है और इसके कार्य में सुधार होता है।
♦️یہ مسلمانوں میں تب سے رائج ہے جب اللہ کے رسولﷺ معراج سے واپس آ رہے تھے تب فرشتوں کی جس جماعت کا بھی گزر ہوا سب نے کہا، "یا رسول اللہﷺ! حجامہ کو لازم پکڑیں اور اپنی امت کو بھی حجامہ سے علاج کا حکم فرما دیں."
♦️یہ چائنہ (Chinese) میں ١٩٥٠ء کے بعد وہاں کا قومی علاج قرار دیا گیا.
سچ بتاؤں تو یہ سوچ کر بہت افسوس ہوتا ہے کہ جس قوم کو اس سے علاج کرا کر فائدہ اٹھانا چاہیے اکثریت اس قوم کے لوگ اسکے بارے میں نہیں جانتے، وجہ جو بھی ہو. مگر چائنہ کے ساتھ کئی ملکوں میں حجامہ بہت زیادہ ہونے لگا ہے.
اللہ ہم سب ہر مرض سے محفوظ رکھے.
آمین ثم آمین