Homeopathy The Supreme Medicinal System

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Homeopathy The Supreme Medicinal System Purpose of this page to re-open the real fact of homeopathy to cure living beings.

31/05/2021

फिफ्टी मिलेसिमल स्केल से भी दवाई को उसी तरह लिया जा सकता है जिस तरह सेंटीमल स्केल से । फिफ्टी मिलिसिमल स्केल से दवाई लेने पर आरोग्य की गति तेज हो जाती है , हम बहुत से रोगी ऐसे देखते है जो hypo sensitive होते है अर्थात जिनमे सवेंदन शीलता की कमी होती है ऐसे रोगियों को सेंटीमल स्केल वाली दवाई बहुत धीमी गति से क्रिया करती है यह गति इतनी धीमी होती है कि दवाई की क्रिया का पता भी नही चलता इन्हें यदि फिफ्टी मिलेसिमल स्केल से दवाई दी जाए तो ये भी शीघ्रता से ठीक होते है

30/04/2021

कोरोना के फेफड़ो पर लक्षण व सांस लेने में समस्या के आधार पर होम्योपैथिक की निम्नलिखित में से किसी एक औषधि की एक खुराक देकर रोगी को आराम पहुँचाया जा सकता है
ANTIM TART 30 यदि बलगम सफेद हो
AMMON CARB 30 यदि बलगम पीला हो
ARSENIC ALB 30 यदि रोगी को कही भी जलन महसूस हो और उस जलन में गर्मी से या सेंकने से आराम हो

ये हमेशा ध्यान रहे कि केवल एक खुराक देनी है |

10/01/2021
02/06/2020

वर्तमान में जो उमस ( humidity )वाला मौसम चल रहा है इसमें कोरोना से बचाव के लिए होम्योपैथिक औषधि tuberculinum bovinum 200 में एक खुराक ले सकते हैं यह इस मौसम में जुकाम खांसी बुखार के लक्षणों को भी समाप्त करके आरोग्य प्रदान करने में सहायता करती है

10/06/2018

आयुर्वेद के अनुसार -

धी धृति स्मृति विभ्रष्ट: कर्मयत् कुरुतऽशुभम्।
प्रज्ञापराधं तं विद्यातं सर्वदोष प्रकोपणम्॥ -- (चरक संहिता; शरीर. 1/102)
अर्थात् धी (बुद्धि), धृति (धारण करने की क्रिया, गुण या शक्ति/धैर्य) और स्मृति (स्मरण शक्ति) के भ्रष्ट हो जाने पर मनुष्य जब अशुभ कर्म करता है तब सभी शारीरिक और मानसिक दोष प्रकुपित हो जाते हैं। इन अशुभ कर्मों को प्रज्ञापराध कहा जाता है। जो प्रज्ञापराध करेगा उसके शरीर और स्वास्थ्य की हानि होगी और वह रोगग्रस्त हो ही जाएगा।

स्वास्थ्य का आधुनिक दृष्टिकोण -

स्वास्थ्य की देखभाल का आधुनिक दृष्टिकोण आयुर्वेद के समग्र दृष्टिकोण के विपरीत है; अलग-अलग नियमों पर आधारित है और पूरी तरह से विभाजित है। इसमें मानव-शरीर की तुलना एक ऐसी मशीन के रूप में की गई है जिसके अलग-अलग भागों का विश्लेषण किया जा सकता है। रोग को शरीर रूपी मशीन के किसी पुरजे में खराबी के तौर पर देखा जाता है। देह की विभिन्न प्रक्रियाओं को जैविकीय और आणविक स्तरों पर समझा जाता है और उपचार के लिए, देह और मानस को दो अलग-अलग सत्ता के रूप में देखा जाता है।

25/05/2018

निपाह वायरस से फैलने वाले दिमागी बुखार के जो लक्षण सरकार की तरफ से जारी किये गये है उन लक्षणो पर होम्योपैथिक औषधि belladona 30 रोगी को आरोग्य प्रदान कर देगी
अधिक जानकारी के लिये मुझसे इनबॉक्स में सम्पर्क कर सकते है

10/01/2018

समस्त रोगों की जड़े मन मे होती है जिन्हें उखाड़ फैकने के लिये होम्योपैथिक चिकित्सा आवश्यक होती है ........

तीनो रोग बीज सोरा , सिफलिस तथा साइकोसिस मन की जमीन में ही आधार पाते है तथा वही से अंकुरित होकर मन पर प्रभाव डालते है उसके बाद शरीर पर प्रभाव डालते है किसी एक विशेष हिस्से को केंद्र बनाकर व्यक्ति पर रोग के रूप में दिखाई पड़ते है ........

यदि ये तीनो रोग बीज मन पर ही फैल जाए तो व्यक्ति में पागलपन या उन्माद के लक्षण आ जाते है इन तीनो रोग बीजो के आधार पर व्यक्ति में आने वाले पागलपन व उन्माद के लक्षणों का वर्णन आगे की पोस्ट में करूँगा.......

स्रोत - chronic diseases by Haniman

24/12/2017

समस्त रोगों की जड़े मन मे होती है जिनको उखाड़ फैकने के लिये होम्योपैथिक चिकित्सा आवश्यक है .........

साइकोसिस रोग बीज का मन पर प्रभाव -

यह रोग बीज मनुष्य को झूठा , दुष्ट एवं पापी बना देता है , छिपाने की प्रवर्ति , स्वार्थी , कुछ हो जाने के प्रति भयग्रस्त हो जाता है , संसार मे जितने पाप करने वाले एवं भृष्ट आचरण वाले व्यक्ति है उन सब मे साइकोसिस अवश्य पाया जाता है , इससे ग्रसित व्यक्ति के मन मे विचार धीरे धीरे बदलते है , व्यक्ति संदेही हो जाता है अपनी लिखी लिपि को बार बार पढ़ता है लगातार चिकित्सक बदलता है

हैनीमैन कहते है इस रोग बीज से ग्रसित व्यक्ति को किसी ऊँचे पद पर नही बैठाना चाहिये

स्रोत - chronic diseases by Haniman

20/12/2017

समस्त रोगों की जड़े मन मे होती है जिन्हें उखाड़ फेंकने के लिये होम्योपैथिक चिकित्सा आवश्यक है .......

सिफलिस रोग बीज द्वारा मन पर पड़ने वाले प्रभाव -

यह मन को स्थिर , जड़ तथा आलसी बना देता है , किसी विषय को गम्भीरता से सोचने की शक्ति का लोप कर देता है , रात को इसका प्रभाव ज्यादा आता है , आत्महत्या करने वाले सभी व्यक्तियों में सिफलिस रोग बीज पाया जाता है , इससे ग्रस्त व्यक्ति किसी की भी हत्या कर सकता है खुद की भी , उसके मन मे एक ही विचार लगातार रहता है , absent mind की अवस्था आती रहती है .........

श्रोत - chronic diseases by Haniman

18/12/2017

समस्त रोगों की जड़े मन मे होती है जिनको खोद निकालने के लिये होम्योपैथी चिकित्सा अति आवश्यक है

अब मैं आपको सोरा रोग बीज के कारण मन पर पड़ने वाले प्रभाव बताऊँगा

सोरा से ग्रसित मन जल्दबाज हो जाता है मन मे तेजी से विचारो का बदलना तेजी से पढ़ना तेजी से बोलना ये जल्दी बाजी का प्रभाव व्यक्ति के हर कार्य मे दिखाई पड़ने लगता है
दूसरे की बुराई करना ,ह्रदय में प्रेम का अभाव , कर्कश , क्रोधित, कामुक , मानसिक श्रम से थकान , बैचेनी , भय , अकेले में एव अंधेरे में भय , बिना कारण के ही उदासी व क्रोध , सोकर उठने पर बैचेनी व धड़कन , अपरिचित लोगो से मिलने में घबराहट , हीन भावना , हमेशा दूसरों में गलती निकालना , तरह तरह की भ्रांतिया, परिवर्तनशील मनोदशा ... ये सब सोरा के मन पर पड़ने वाले प्रमुख प्रभाव है
मन मे जल्दीबाजी से सोरा को आसानी से पहचाना जा सकता है
श्रोत - chronic diseases by Hahnemann

18/12/2017

आयुर्वेद के अनुसार भी और होम्योपैथी के अनुसार भी रोग पहले मन मे आता है उसके बाद यह शरीर को रोग ग्रस्त करता है
यदि मन प्रसन्न है तो ही व्यक्ति को स्वस्थ माना जाता है इसके अभाव में व्यक्ति रोगग्रस्त माना जाता है चाहे रोग शरीर पर प्रगट हो या नही
हैनीमैन ने रोग का कारण तीन दोष बताए है सोरा, सिफलिस तथा साइकोसिस
किसी का बुरा चाहने से मन मे जो विकृति उत्तपन्न होती है उसे मानसिक सोरा कहते है यदि बुरा कर भी दिया तो इससे उतपन्न कर्म बीज को सोरा कहते है हैनीमैन ने इस सोरा को ही समस्त रोगों का आधार कहा है इसी की उपस्थिति से अन्य दो रोग बीजो सिफलिस और साइकोसिस को हम आमन्त्रित करते है
दबे हुए उपदंश को सिफलिस और दबे हुए सुजाक को साइकोसिस कहते है
सोरा , सिफलिस तथा साइकोसिस से मन पर क्या क्या प्रभाव आते है ये आगे बताऊँगा
कृपया share करे

17/12/2017
12/09/2017

डॉ सैमुअल हैनीमैन ने अपनी पुस्तक organon of medicine में होम्योपैथी के मूल सिद्धांत दिए है ,जिनमे रोग की उत्तपत्ति के कारण , ओषधि का सही चुनाव और औषधि को दिए जाने के तरीके के बार मे बार बार समझाने की कोशिश की है। यह पुस्तक aphorism अर्थात सूत्रों के रूप में लिखी है जिसको समझ पाने के लिये व्यक्ति के अंदर गहरी समझ व खुद के ऊपर कुछ प्रयोग अनिवार्य है परन्तु वर्तमान में होम्योपैथिक कॉलेजेस में इसकी वास्तविक शिक्षा देने वाले शिक्षकों का अभाव है और इसको समझ पा सकने वाले शिक्षार्थी चिकित्सको का भी अभाव है

07/09/2017

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