Dr. Shashikant Sharma

Dr. Shashikant Sharma Homeopathic Physician, Psychiatrist, Spiritual teacher, Fitness Expert, Founder of 'Awakening Spirit

Dr. Shashikant Sharma is a conventionally trained, a Prominent Doctor who, in his medical career, has won over by the principles of homeopathy. From Beginning to ongoing he is an outspoken defender of homeopathy and a critic of the medical establishment of the time, which practised what is now termed as Heroic approach towards the Medical Profession.

30/05/2025
16/11/2023

विदेशी गायों के दूध से डायबिटीज,
[ चौंकाने वाला खुलासा ] देसी गायों और भैंसों का दूध ही सेहतमंद...
विदेशी नस्ल की गायें भी ऐसी गायों से दूध देती हो लेकिन इनका दूध सेहतमंद नहीं है। इनके दूध का लम्बे समय तक सेवन करने वाले सहित कई गंभीर रोगों के शिकार हो रहे है। यह खुलासा बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी (बिट्स पिलानी को एक टीम के शोध में हुआ है। इसके मुताबिक विदेशी गाय के दूध में यूटेडेड चीटा कैसिन प्रोटोन की मात्रा अधिक होती है। यह प्रोटीन पूर्ण रूप से पच नहीं पाता। इससे डायबिटीज, ओस्टियोपोरोसिस, अनिद्रा, मोटापा एवं दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों के होने का खतरा बहता है।

 #मेडिकल_किडनैपिंग_एन्ड_मर्डर(55लाख बिल इलाज का)अभिनव वर्मा की माँ ,जो सिर्फ 50 बरस की थीं , पेट में दर्द उठा ,नज़दीक ही ...
21/07/2023

#मेडिकल_किडनैपिंग_एन्ड_मर्डर(55लाख बिल इलाज का)
अभिनव वर्मा की माँ ,जो सिर्फ 50 बरस की थीं , पेट में दर्द उठा ,नज़दीक ही फोर्टिस अस्पताल बनेरघट्टा, बंगलौर है ! डा कनिराज ने माँ को देखा और अल्ट्रा साउंड कराने को कहा ! फोर्टिस में ही अल्ट्रा साउंड हुआ और डा कनिराज ने बताया कि गाल ब्लैडर में पथरी है ! एक छोटा सा ऑपरेशन होगा,माँ स्वस्थ हो जाएंगी ! अभिनव माँ को घर लेकर आ गए और पेन-किलर के उपयोग से दर्द खत्म भी हो गया !!
कुछ दिन बाद अभिनव वर्मा को फोर्टिस से फोन कर डा कनिराज ने हिदायत दी कि यूँ पथरी का गाल ब्लैडर में रहना खतरनाक होगा,अतः अभिनव को अपनी माँ का ऑपरेशन तुरंत करा लेना ज़रूरी है ! अभिनव जब अपनी माँ को फोर्टिस बंगलौर लेकर पहुचे तो एक दूसरे डॉक्टर मो शब्बीर अहमद ने अटेंड किया ,जो एंडोस्कोपी के एक्सपर्ट थे,उन्होंने बताया कि एहतियात के लिए ERCP करा ली जाय , डा अहमद को पैंक्रियास कैंसर का .05 % शक था !अभिनव मजबूर थे ,डॉक्टर भगवान होता है,झूठ तो नहीं बोलेगा , सो पैंक्रियास और गाल ब्लैडर की बायोप्सी की गई !! रिपोर्ट नेगेटिव आई मगर बॉयोप्सी और एंडोस्कोपी की प्रक्रिया के बाद माँ को भयंकर दर्द शुरू हो गया ! गाल ब्लैडर के ऑपरेशन को छोड़, माँ को पेट दर्द और इंटर्नल ब्लीडिंग के शक में ICU में पंहुचा दिया गया ! आगे पढ़ने के लिए धैर्य और मज़बूत दिल चाहिए !!
जब अभिनव की माँ अस्पताल में भर्ती हुई थीं तो लिवर,हार्ट,किडनी और सारे ब्लड रिपोर्ट पूरी तरह नार्मल थे ! डॉक्टरों ने बताना शुरू किया कि अब लिवर अफेक्टेड हो गया है, फिर किडनी के लिए कह दिया गया कि डायलिसिस होगा ! एक दिन कहा अब बीपी बहुत 'लो' जा रहा है तो पेस मेकर लगाना पड़ेगा, पेस मेकर लग गया मगर हालात बद से बदतर हो गए ! पेट का दर्द भी बढ़ता जा रहा था और शरीर के अंग एक-एक कर साथ छोड़ रहे थे ! अब तक अभिनव की माँ को फोर्टिस ICU में एक माह से ऊपर हो चुका था !
एक दिन डॉक्टर ने कहा कि बॉडी में शरीर के ऑक्सीजन सप्लाई में कुछ गड़बड़ हो गई अतः ऑपरेशन करना होगा ! ऑपरेशन टेबल पर लिटाने के बाद डॉक्टर, ऑपरेशन थिएटर के बाहर निकल कर तुरंत कई लाख की रकम जमा कराने को कहता है और उसके बाद ही ऑपरेशन करने की बात करता है ! अभिनव तुरंत दौड़ता है और अपने रिश्तेदारों ,मित्रों के सामने गिड़गिड़ाता है,रकम उसी दिन इकट्ठी कर फोर्टिस में जमा कराई गई,पैसे जमा होने के बाद भी डॉक्टर ऑपरेशन कैंसिल कर देते हैं !
हालात क्यों बिगड़ रहे हैं,इंफेक्शन क्यों होते जा रहे थे,डॉक्टर अभिनव को कुछ नहीं बताते ! सिर्फ दवा,ड्रिप,खून की बोतलें और माँ की बेहोशी में अभिनव स्वयं आर्थिक और मॉनसिक रूप से टूट चुका था ! डॉक्टरों को जब अभिनव से पैसा जमा कराना होता था तब ही वह अभिनव से बात करते थे !
माँ बेहोशी में कराहती थी ! अभिनव माँ को देख कर रोता था कि इस माँ को कभी -कभी हलके पेट दर्द के अलावा कोई तकलीफ न थी ! उसकी हॅसमुख और खूबसूरत माँ को फोर्टिस की नज़र लग गई थी ! 50 दिन ICU में रहने के बाद दर्द में कराहते हुए मां ने दुनिया से विदा ले ली ! खर्चा-अस्पताल का बिल रु 43 लाख ,दवाइयों का बिल 12 लाख और 50 यूनिट खून ! अभिनव की माँ की देह को शवग्रह में रखवा दिया गया और अभिनव को शेष भुगतान जमा कराने के लिए कहा गया और शव के इर्द गिर्द बाउंसर्स लगा दिए गए ! अभिनव ने सिर्फ एक छोटी सी शर्त रखी कि मेरी माँ की सारी रिपोर्ट्स और माँ के शरीर की जांच एक स्वतंत्र डॉक्टरों की टीम द्वारा कराइ जाए ! फोर्टिस ने बमुश्किल अनुमति दी !!!

रिपोर्ट आई ............... अभिनव वर्मा की माँ के गाल ब्लैडर में कभी कोई पथरी नहीं थी ..............

Pawan Saxena जी की पोस्ट से साभार।

🍃 होम्योपैथी: एक अद्भुत गहरी चिकित्सा 🍃होम्योपैथी चिकित्सा करने में और अधिक गहराई में जाती है। यह मनोमय कोष, मनस शरीर पर...
20/05/2023

🍃 होम्योपैथी: एक अद्भुत गहरी चिकित्सा 🍃

होम्योपैथी चिकित्सा करने में और अधिक गहराई में जाती है। यह मनोमय कोष, मनस शरीर पर कार्य करती है। होम्योपैथी के संस्थापक हैनिमैन ने सर्वकालिक महानतम खोजों में से एक खोज की और वह थी औषधि की मात्रा जितनी सूक्ष्मतर होती जाती है उतनी ही वह और गहराई में पहुंच जाती है। उन्होंने होम्योपैथी की औषधि को बनाने की इस विधि को 'शक्तिकरण', ‘गुणन’(potentization) कहा।

वे औषधि की मात्रा कम करते चले जाते हैं। वे इस ढंग से कार्य करेंगे: वे औषधि की एक निश्चित मात्रा लेगे और इसे दस गुना मिल्क शुगर या पानी के साथ मिश्रित करेगे। एक भाग औषधि और दस भाग पानी, वह इनको मिला देगे। फिर पुन: वह इस नये मिश्रण का एक भाग लेगे और पुन: वह इसको नौ गुने पानी या मिल्क शुगर के साथ मिला देगे। इसी ढंग से वह आगे बढ़ेगे; पुन: वह नये घोल से एक भाग लेगे और उसे नौ गुने पानी में मिला देगे। वह ऐसा करेगे और औषधि की शक्ति बढ़ेगी। धीरे-धीरे औषधि परमाणु के तल पर पहुंच जाएगी। यह इतनी सूक्ष्म हो जाएगी कि तुम विश्वास ही नहीं कर सकते कि यह कार्य कर सकती है; यह करीब-करीब मिट चुकी होती है। यही है जो होम्योपैथिक औषधियों पर लिखा होता है, पोटेंसी, दस पोटेंसी, बीस पोटेंसी, एक सौ पोटेंसी, एक हजार पोटेंसी। जितनी बड़ी पोटेंसी होगी औषधि की मात्रा उतनी ही कम होगी। दस लाख पोटेंसी का अर्थ है : मूल औषधि का दस लाखवां भाग ही शेष बचा है, लगभग ना— कुछ अंश है उसमें। वह करीब-करीब मिट चुकी है, लेकिन तब यह मनोमय की सर्वाधिक गहरी परत में प्रविष्ट हो जाती है। यह तुम्हारे मनस शरीर में प्रविष्ट हो जाती है। यह एक्यूपंक्चर से अधिक गहराई में जाती है। यह करीब-करीब ऐसा ही है जैसे कि तुम परमाणु के तल पर या परमाणु से भी सूक्ष्म स्तर पर पहुंच गए हो। तब यह तुम्हारे शरीर को स्पर्श नहीं करती है, तब यह तुम्हारे प्राण शरीर को स्पर्श नहीं करती, यह तो बस भीतर प्रविष्ट हो जाती है। यह इतनी सूक्ष्म है और इतनी छोटी कि इसके रास्ते में कोई अवरोध नहीं आता। यह तो बस मनोमय कोष, मनस शरीर में प्रविष्ट हो जाती है और वहां से यह कार्य करना आरंभ कर देती है। अब तुमको प्राणमय कोष से भी बड़ा अधिष्ठाता मिल गया है।

– ओशो

पतंजलि योग सूत्र (भाग: ०5)
प्रवचन - 17
साक्षी स्‍वप्रकाशित है
योगसूत्र – कैवल्‍यपाद

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