05/02/2024
चना:
1. चने की फसल में झुलसा रोग की रोकथाम के सलए ब्जंक मैग्नीस काबोनेट 2 ककलोग्राम
अथवा जीरम 90 प्रनतशत 2 ककलोग्राम प्रनत हेक्टेर्र की दर से नछडकाव करें।
2. चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाव के सलए फली बनना शुरू होते ही बैससलस
थ ररनब्जएब्न्सस (बी.टी.) 1.0 ककग्रा अथवा फे नवैलरेट 20 प्रनतशत ई.सी. 1.0 लीटर अथवा
क्र् नालफास 25 प्रनतशत ई.सी. 2.0 लीटर प्रनत हेक्टेर्र 500-600 लीटर पानी में घोलकर
नछडकाव करें।
मटर:
1. मटर में बुकनी रोग (पाउडरी समल््र् ) रोग की रोकथाम के सलए प्रनत हेक्टेर्र 2.0 ककग्रा
घुलनशील सल्फर र्ा काबेन्डाब्जम 500 ग्राम र्ा ट्राइडोमाफय 80 ई.सी. 500 समलीलीटर की
दर से 12-14 हदन के अन्तराल पर दो नछडकाव करें।
राई:
1. माह कीट की रोकथाम के सलए प्रनत हेक्टेर्र समथाइल-ओ- डडमेटान 25 ई.सी. 1.00 लीटर
र्ा मैलाधथर्ान 50 ई.सी. 1.50 लीटर का प्रर्ोग करना चाहहए।
मक्का:
1. रबी मक्का में तीसरी सस ंचाई, बोआई के 75-80 हदन पर तथा चौथी सस ंचाई 105-110 हदन
बाद कर दें।
2. बसन्तकालीन मक्का की बोआई प रे माह की जा सकती है।
3. मक्का की बोआई के सलए संकर प्रजानतर्ों 20 ककलोग्राम प्रनत हेक्टेर्र व संकुल प्रजानतर्ों के
सलए 20 से 25 ककलोग्राम प्रनत हेक्टेर्र बीज की आवश्र्कता होती है।
4. मक्का में प्रनत हेक्टेर्र 120 ककलोग्राम नाइट्रोजन, 60 ककलोग्राम फास्फे ट र्ा फास्फोरस तथा
40 ककलोग्राम पोटास में से नाइट्रोजन की नतहाई मात्रा व फास्फे ट एवं पोटाश की प री मात्रा
बुवाई के समर् प्रर्ोग करना चाहहए।
गन्ना:
1. बसन्तकालीन गन्ने की बोआई देर से काटे गर्े धान वाले खेत में और तोररर्ां/मटर /आल
की फसल से खाली हुए खेत में की जा सकती हैं।
2. गन्ने की मध्र्म एवं देर से पकने वाली प्रमुख ककस्में हैं – को.शा. 767, को.शा. 802,
को.शा. 7918 एवं को.शा. 8118 जल्दी तैर्ार होने वाली ककस्में हैं- को. पन्त 211, को.शा.
687 व को.शा. 8436 । जल-ननकास की समस्र्ा वाले क्षेत्रों के सलए बी.ओ. 54 व बी.ओ.
91 अच्छी ककस्में हैं।
3. गन्ना का बीज ब्जस खेत से लेना हो तो 2 सप्ताह पव य उसकी सस ंचाई कर दें।
4. उपचाररत बीज की बवु ाई 75 से 90 सेंटीमीटर की दर ी पर, कतारों में 10 सेंटीमीटर की