17/09/2025
इंदिरा
एकादशी का व्रत (उपवास)
♦️♦️महत्व
आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी इन्दिरा एकादशी कहलाती है।
👉जब कभी श्राद्ध, श्रद्धा से न करके दबाव से किया जाता है या अयोग्य व्यक्ति के द्वारा श्राद्ध होता है तो श्राद्ध के बावजूद भी मुक्ति नहीं होती है।
👉इस व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश होता है। ऐसे में इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों को सद्गति प्राप्त होती है। यह भटकते हुए पितरों की गति सुधारने वाला व्रत है। इस दिन भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम जी की उपासना की जाती है। व्रती को शालिग्राम जी को तुलसी पत्र यानि तुलसी का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों और वैष्णवों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एकादशी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। एकादशी का व्रत करने से विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होते है।
♦️♦️एकादशी व्रत की विधि
- यह व्रत दशमी अर्थात एकादशी से एक रात पहले आरम्भ हो जाता है। दशमी की रात को भोजन नहीं किया जाता है। फिर एकादशी के पूरा दिन अन्न नहीं खाना चाहिए। व्रत को निराहार या फलाहार लेकर करें। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर व्यक्ति को पूर्णरुप से स्वच्छ हो जाना चाहिए। सूर्यदेव को अर्घ्य दें। उसके बाद भगवान विष्णु के विग्रह के समक्ष घी का दीप प्रज्जवलित करें। ईश्वर का ध्यान लगाकर भजन, चालीसा और आरती कर पूजा करें।
- एकादशी के व्रत का पारण एकादशी के अगले दिन सुबह किया जाता है। लेकिन व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि में पारण न किया जाए तो व्रत का फल व्रती को प्राप्त नहीं होता है।
- एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को वैष्णव धर्म का पालन करना चाहिए। इस दिन व्रती को नामजप अवश्य करना चाहिए। गाय को हरा चारा खिलाएँ।
- भगवान विष्णु के समक्ष गीता का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। काँसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
- व्रती को अधिकांश समय भजन और प्रभु स्मरण में बिताना चाहिए।
- सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा लगाएँ।
- इस दिन विशेषतौर पर चावल नहीं खाने चाहिए।
- रात्रि में जागरण करना चाहिए।
- उपवास करने वाले व्यक्ति को प्याज, बैंगन, पान-सुपारी, लहसुन व मांस-मदिरा आदि नहीं खाने चाहिए।
♦️♦️ व्रत के लाभ
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।_*
👉जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।_*
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
♦️एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
👉महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए।
🙏।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।🙏
वैदिक ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड सेवा
#मोदीनगर_गाजियाबाद