Tara's Kayashodhan Center

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07/05/2020

*मौसम पत्तियों को जाने किन किन पत्तियों का उपयोग किस हेतु उत्तम है।*

सृष्टि में यदि खाद्य पदार्थों की बात करें तो ईश्वर ने सर्वप्रथम पत्तियों का सृजन किया मानो ईश्वर मनुष्य को संकेत दे रहा हो कि मैंने तुम्हारे भोजन की पहली खुराक तुम्हें दे दी है।

वास्तविकता है कि हमारे भोजन में यदि पहली खुराक पत्तियों की हो सके तो स्वास्थ्य की ओर उठने वाला यह पहला कदम साबित हो सकता है।

विचारणीय है कि हमारे सभी देवताओं का पुजन भी पत्तियों से किया जाता है । क्यों ? क्योंकि यही उचित है। देवताओं में प्रथम पूज्य गणपति जी महाराज का पूजन दूर्वा से किया जाता है,दूर्वा के बिना गणेश जी मोदक का भोग स्वीकार नहीं करते।

इसी प्रकार विष्णु भगवान का भोग तुलसी पत्र तथा शिव जी का भोग बेल पत्र के बिना सम्भव नहीं है । ऐसा इसीलिए विधान बनाया गया जिससे मनुष्य भी इससे सीख ले और अपने भोजन में पत्तियों को प्रथम स्थान दे।

पत्तियों में क्लोरोफिल नामक तत्व पाया जाता है जो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है।

यदि आपके शरीर में यह तत्व रहेगा तो कोई भी संक्रामक रोग आप पर आसानी से आक्रमण नहीं कर सकेगा।

बात चाहे क्लोरोफिल की हो आयोडिन की अथवा अन्य खनिज लवणों की,ये सारे तत्व आग पर चढ़ने से नष्ट हो जाते हैं, अतः उत्तम है कि इसका उपयोग आग पर चढ़ाए बिना ही करना चाहिए।

व्यवहार में पहली खुराक के रूप में आसानी से उपलब्ध कुछ हरी पत्तियां जैसे - धनिया, पोदीना , पालक , मूली के पत्ते , कढ़ी पत्ता , बेल पत्र , तुलसी , दूर्वा आदि को धोकर , पानी मिलाकर सिलबट्टे या मिक्सी में पीसकर छान लें । इसी के साथ कुछ हरा आंवला , खीरा , लौकी आदि भी डाल लें। स्वाद के लिए मौसम के अनुसार कोई मीठा फल जैसे सेब या गाजर या टमाटर न उपलब्ध हो तो गुड़ या शहद या मिश्री आदि भी मिला स्वादिष्ट जूस सर्वोत्तम है । यह शोधक भी है और अनेक आवश्यक तत्वों की पूर्ति करता है।

मौसम होने के पर सस्ता भी होता हैं। दोपहर के अल्पाहार के साथ भी उपरोक्त वर्णित 3 - 4 तरह की पत्तियों को मिलाकर स्वादिष्ट चटनी का सेवन अति लाभकारी है।

जाड़ों सर्दी के मौसम में विशेष रूप से मूली,पालक , धनिया, मेथी, बथुआ आदि को पीसकर आटे के साथ मिलने का रिवाज भी इसीलिए बनाया गया है ताकि पत्तियों का पूरा लाभ मिल सके।

डाक्टर शरीर में कैल्शियम की पूर्ति हेतु दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं। यह सत्य है कि दूध में कैल्शियम तो है किंतु दूध में यूरिक एसिड तथा कोलेस्ट्रॉल शरीर को रोगी बनाते हैं। दूध की शुद्धता भी आज के युग में पूर्ण रूप से संदिग्ध ही है। जिस जानवर का दूध हम पीते हैं उसकी शारीरिक रुग्णता का प्रभाव भी उसके दूध के माध्यम से हमारे शरीर पर पड़ता है। यदि शरीर में कैल्शियम की कमी है तो हम आपको बताना चाहेंगे कि वैज्ञानिक शोधों में आश्चर्यजनक सत्य उजागर हुए हैं । जहां एक ओर मां के दूध में 28 कैल्शियम , गाय के दूध में 120 , भैंस के दूध में 210कैल्शियम पाया जाता है , वहीं शलजम की पत्ती में 710 , इमली की पत्ती 1485 तथा सरसों के पत्तों में 3095 कैल्शियम पाया जाता है । यदि हम कुछ पत्तियों का सेवन करने लगे तो कैल्शियम की पूर्ति भी हो जाएगी और यूरिक एसिड व कोलेस्ट्राल के दुष्प्रभावों से हम बच जाएंगे।

पत्तियों में शोधन का गुण होने के कारण यह अंदर संचित मल को साफ करने में मददगार हैं। पत्तियों के इसी गुण के कारण इनका सेवन करने से शरीर में मल का संचय रुक जाता है। शरीर के अंदर मल की सड़न के कारण बनने वाली गैस तथा एसिड्स से मुक्ति मिलने लगती है।

इसी कारण पत्तियों का सेवन करने वाले सभी जानवरों के मल में भी बदबू नहीं होती जैरो पत्तियों का सेवन करने वाला हाथी , बकरी , गाय , भैस , घोड़ा आदि। इन पशुओं से किसी प्रकार का संक्रामक रोग भी नहीं फैलता जबकि प्लेग जो चूहों से फैलता है, बर्ड फ्लू जो मुर्गियों से फैलता है तथा स्वाइन फ्लू जो सुअर से फैलता है, ये सभी जानवर पत्तियों का सेवन नहीं करते हैं । बिल्लियां और कुत्ते मांसाहारी होते हैं तथा दूध के शौकीन होते हैं । इनका मल अत्यंत दुर्गंधयुक्त तथा चिपकने वाला होता है । आश्चर्य की बात है सर्वश्रेष्ठ कहलाने का अधिकारी मनुष्य का मल सबसे अधिक दुर्गंध युक्त होता है क्योंकि यह अनाज , पक्वाहार , मांसाहार तथा दूध का सबसे अधिक शौकीन होता है।

यदि शरीर को रोगमुक्त बनाना है तथा साधना में प्रगति करनी है तो भोजन को भी सूक्ष्म बनाना अति आवश्यक है। भोजन के चार तत्व हैं वायु तत्व ( पत्तिया ) अग्नि तत्व ( फल ) जल तत्व ( सब्जियां ) पृथ्वी तत्व ( अनाज ) । इनमें सबसे सूक्ष्म वायु तत्व ही है जो पत्तेदार शाक भाजी में पाया जाता है। ये पत्तियां क्षारीय प्रकृति की होने के कारण रक्त में अम्लता को कम करती है।

कुछ पत्तियां जैसे – चाय, तम्बाकू आदि की पत्ती भयंकर अम्लीय होती हैं। जानवर भी इन पत्तियों को खाना पसंद नहीं करते इसी कारण जहां इन पत्तियों की खेती होती है वहां जानवरों से सुरक्षा हेतु कोई बाड़ा नहीं बनाना पड़ता।

अतः इन पशुओं से सीख लें और इन पत्तियों का त्याग कर देने में ही भलाई है। सामान्य रूप से सभी शाक भाजी की पत्तियां शरीर के लिए उत्तम है फिर भी किसी रोग विशेष की अवस्था में अनेक प्रकार की अलग - अलग पत्तियों का अपना विशेष महत्व है।

दूर्वा ( दूब घास ) की पत्ती आंतरिक अथवा वाह्य रक्तस्राव को रोकने व उदर रोगों में विशेष सहायक

तुलसी - सभी प्रकार के संक्रमण व दर्द में उपयोगी कढ़ी पत्ता - हाई बी.पी, रक्ताल्पता में प्रभावी।

पत्तागोभी - मूत्रल एवं किडनी रोग में विशेष उपयोगी , अल्सर ,नपुसंकता ,एलर्जी ,दुर्बलता में लाभकारी।

धनिया पत्ती - नेत्र रोग वाले विटामिन बी का अभाव व रक्ताल्पता में उपयोगी।

नीम की पत्ती - अस्थमा ,मधुमेह ,चर्मरोग ,खून की अशुद्धता में उपयोगी एवं प्रभावशाली एंटिबायटिक।

पपीते का पत्ता – रक्त में प्लेटलेट्स बढ़ाने में विशेष।

शरीफा ( सीताफल ) का पत्ता - मगुमेह में विशेष उपयोगी।

बेलपत्र - संक्रमण,टी.बी,कब्ज,बी.पी,बुखार,हृदय रोग व अस्थमा में लाभकारी।

आम के पत्ते - कब्ज , एसिडिटी में लाभकारी।

ज्वारे की पत्ती - कैंसर ,रक्तस्राव ,रक्ताल्पता ,रक्त शोधन कोलाइटिस में सहायक।

पीपल के पत्ते - पाइल्स ,फिशर ,फिश्च्युला ,स्त्री रोग मासिक धर्म में बहु उपयोगी।

जामुन के पत्ते - चर्म रोग ,थेलिसिमिया ,आयरन ,विटामिन सी ,कैल्शियम में आवश्यक।

अमलतास के पत्ते - पीलिया ,लीवर रोग ,एक्जीमा ,पेट कृमि ,सोराइसिस ,अपच व कब्ज में लाभकारी।

नींबू पत्ते - अतिरिक्त गर्मी ,रोग प्रति रोधकता बढ़ाने , कफ रोकने ,सिर दर्द ,गठिया ,रुसी में सहायक।

अमरूद के पत्ते - खांसी ,दंत रोग ,कफ में लाभकारी।

मूली के पत्ते - लीवर के रोगों में लाभकारी।

पालक - रक्ताल्पता को दूर कर खून बढ़ाने वाला आयरन का भंडारा।

एलोविरा - गुर्दे के रोगों को दूर कर नव यौवन देने वाला।

लहसुन - जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।

अदरक - जो रक्त को पतला बनाता है और हार्ट की पम्पिंग को बढ़ाता है।

नींबू - जो रक्त वाहिकाओं को कोमल और मुलायम बनाए रखता है।

एप्पल साइडर विनेगर - जो रक्त से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड, टॉक्सिन, और फैट को कम करता है।
शहद - जो हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के खतरों को कम करता है ।

क्लियर हार्ट लिक्विड प्राकृतिक तत्वों से बनाया जाता है जैसे लहसुन, अदरक, नींबू, ऐपल साइडर विनेगर और शहद ।

अर्जुन छाल - हृदय की धमनियों मजबूत रखता है और हृदय की धड़कन नियंत्रित रखता है ।

दालचीनी - हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को जमने से रोकती है और ब्लड में शुगर को कम करती है।

कुटकी - शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालकर लीवर, किडनी को हेल्दी रखते हैं।

पीप्पली - मोटापा, कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोगों में लाभकारी है।

अश्वगंधा - बीपी और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है।

मेथी - एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम करने और ब्लड के फ़्लो को नियमित करता है।

धन्यवाद

17/04/2020
Tara's kayashdhan prakartik chikitsa hospital(swargiya smt Tara Devi  charitable  trust regd.) Ki team ne village Nekpur...
08/09/2019

Tara's kayashdhan prakartik chikitsa hospital(swargiya smt Tara Devi charitable trust regd.) Ki team ne village Nekpur rawali Muradnagar mai prakartik chikitsa, acupressure , physiotherapy dwara bina dwa k free upchar camp kiya. Jisme 134 patient ne labh uthaya.

20/07/2019

*किशमिश(द्राक्ष) से उपचार*

*1. पेट की गैस:* लगभग 30 से 40 ग्राम काली द्राक्ष को रात को ठण्डे पानी में भिगोकर सुबह के समय मसलकर छान लें। थोडे दिनों तक इस पानी को पीने से कब्ज (पेट की गैस) खत्म हो जाती है।

*2. मूत्राशय की पथरी :* कालीद्राक्ष का काढ़ा बनाकर पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब की जलन) का रोग खत्म होता है। इसका सेवन मूत्राशय की पथरी में लाभकारी होता है।

*3. खांसी :* बीज निकाली हुई द्राक्ष, शहद को एक साथ चाटने से क्षत कास (फेफड़ों में घाव उत्पन्न होने के कारण होने वाली खांसी) में लाभ होता है।

*4. बलवर्द्धक :* 20 ग्राम बीज निकाली हुई द्राक्ष को खाकर ऊपर से आधा किलो दूध पीने से भूख बढ़ती है, मल साफ होता है तथा यह बुखार के बाद की कमजोरी को दूर करता है और शरीर में ताकत पैदा करता है।

*5. कब्ज :* 10-10 ग्राम द्राक्ष, कालीमिर्च, पीपर और सैंधा नमक को लेकर पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 400 ग्राम काली द्राक्ष ( draksh /kishmish)मिला लें और चटनी की तरह पीसकर कांच के बर्तन में भरकर सुरक्षित रख लें। इसकी चटनी `पंचामृतावलेह´ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे आधा से 20 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से अरुचि, गैस, कब्जियत, दर्द, मुंह की लार, कफ आदि रोग दूर होते है।

*6. तृषा व क्षय रोग :* लगभग 1200 मिलीलीटर पानी में लगभर 1 किलो शक्कर डालकर आग पर रखें। उबलने के बाद इसमें 800 ग्राम हरी द्राक्ष डालकर डेढ़ तार की चासनी बनाकर शर्बत तैयार कर लें। यह शर्बत पीने से तृषा रोग, शरीर की गर्मी, क्षय (टी.बी) आदि रोगों में लाभ होता है।

*7. खांसी में खून आना :* 10 ग्राम धमासा और 10 ग्राम द्राक्ष को लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से उर:शूल के कारण खांसी में खून आना बंद हो जाता है।

*8. पेशाब का बार- बार आना :*
• अंगूर खाने से भी बहुमूत्रता पेशाब का बार- बार आने के रोग में पूरा लाभ होता है।
• बार-बार पेशाब जाने के रोग में 100 ग्राम अंगूर रोज खाने से आराम आता है।

*9. सूतिका ज्वर :* द्राक्षा, नागकेशर, काली मिर्च, तमाल पत्र, छोटी इलायची और चव्य का समान भाग चूर्ण बनाकर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा व पानी के साथ दिन में 2 बार खाने से सूतिका ज्वर ठीक हो जाता है।

*10. दिल का रोग :* द्राक्षाफल रस, परूषक एवं शहद के समान भार की 15 से 30 मिलीलीटर मात्रा, 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण के साथ दिन में दो बार सेवन करने से दिल के रोग मे लाभ होता है। काल शक्ति

*11. सिर की गर्मी :* 20 ग्राम द्राक्ष को गाय के दूध में उबालकर रात को सोने के समय पीने से सिर की गर्मी निकल जाती है।

*12. मूर्च्छा (बेहोशी) :* द्राक्ष को उबाले हुए आंवले और शहद में मिलाकर रोगी को देने से मूर्च्छा (बेहोशी) के रोग में लाभ मिलता है।

*13. सिर चकराना :* लगभग 20 ग्राम द्राक्ष पर घी लगाकर रोजाना सुबह इसको सेवन करने से वात प्रकोप दूर हो जाता है। यदि कमजोरी के कारण सिर चकराता हो तो वह भी ठीक हो जाता है।

*14. आंखों की गर्मी व जलन :* लगभग 10 ग्राम द्राक्ष को रात में पानी में भिगोकर रखे। इसे सुबह के समय मसलकर व छानकर और चीनी मिलाकर पीने से आंखों की गर्मी और जलन में लाभ मिलता है।

*15. अम्लपित :* 20 ग्राम सौंफ व 20 ग्राम द्राक्ष ( draksh /kishmish)को छानकर और 10 ग्राम चीनी मिलाकर थोड़े दिनों तक सेवन करने से अम्लपित, खट्टी डकारें, खट्टी उल्टी, उबकाई, आमाशय में जलन होना, पेट का भारीपन के रोग में लाभ पहुंचता हैl

05/07/2019

*दूध के अलावा ये 10 चीजें भी करती हैं कैल्शियम की आपूर्ति...*

1 शरीर में कैल्शियम की पूर्ति के लिए सबसे अच्छा और आसान उपाय है दूध पीना। रोजाना सुबह नाश्ते के साथ दूध पीजिए और कैल्शियम लेवल चेक कीजिए।
2अगर आपको दूध पीना नहीं पसंद तो भी परेशान न हों, आप अंकुरित अनाज ले सकते हैं। अंकुरित अनाज में कैल्शियम प्रचूर मात्रा में होता है।
3 अगर आपको स्प्राउट्स यानि अंकुरित अनाज भी नहीं पसंद तो आप हफ्ते में कम से कम एक बार सोयाबीन ले सकते हैं। यह कैल्शियम आपूर्ति में मदद करेगा।
4 हरी सब्जियां भी कैल्शियम पाने का बहुत अच्छा जरिया है। फिर चाहे वह पालक, मेथी, ब्रोकली हो या कुछ और।
5 रागी का हफ्ते में एक बार किसी ना किसी रूप में सेवन करें। दलिया, हलवा या खीर बनाकर ले सकते हैं। किसी भी प्रकार से रागी कैल्शियम का विश्वसनीय स्त्रोत हैं।
6प्रति दिन 2 चम्मच तिल का सेवन करें। आप इसे लड्डू या चिक्की के रूप में भी ले सकते हैं।
7 एक अंजीर व दो बादाम रात में गलाएं और सुबह के समय इनका सेवन करें। शर्तिया फायदा होगा।
8 नींबू पानी दिन भर में एक बार अवश्य लें।
9 पानी में अदरक डाल कर उबालें। इस पानी में शहद और हल्का नींबू निचोड़ें। सुबह 20 दिन तक पिएं। कैल्शियम की आपूर्ति होगी।
10 फ्रूट्स का सेवन नियमित रूप से करें। कीवी, संतरा अवोकाडो जैसे फलों में कैल्श‍ियम भरपूर मात्रा में होता है।

International yoga day celebrate at ambedkar park ghaziabad
21/06/2019

International yoga day celebrate at ambedkar park ghaziabad

12/05/2019

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*बुखार उतारने के घरेलू नुस्खे*

आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय प्रस्तुत किए हैं, जिन्हें यदि इस्तेमाल किया जाए तो बाजारी दवाओं की तरह ही ये जल्दी असर करते हैं। यहां हम आपको 11 ऐसे घरेलू उपचार बताने जा रहे हैं, जो बुखार होने पर यदि उपयोग में लाए जाएं तो जल्द ही बुखार की छुट्टी कर देते हैं। साथ ही रोगी के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाते हैं।

*पहला उपाय :*
तुलसी में कई सारे रोगों से लड़ने की ताकत होती है, तो हमारा पहला उपाय उसी से जुड़ा है। इसके लिए आप थोड़े पानी में 3-4 काली मिर्च, एक चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक और तुलसी के कुछ पत्ते डालकर उबाल लें। अब इस पानी को थोड़ा ठंडा होने के बाद धीरे-धीरे पी लें, राहत मिलेगी।

*दूसरा उपाय :*
अदरक शरीर को अंदरूनी गर्माहट देता है और इसमें मौजूद तत्व कई सारे बैक्टीरिया को मारने का भी काम करते हैं। दूसरे उपाय में आप थोड़े पानी में अदरक और पुदीना डालें और उबालने के बाद ठंडा होने पर दवा की तरह पी लें।

*तीसरा उपाय :*
छोटे बच्चे काढ़ा पीने में नखरे करते हैं, क्योंकि वह कड़वा होता है इसलिए तीसरे उपाय में हम आपको मीठी दवा बताएंगे। इसके लिए थोड़े पानी में आप तुलसी, मुलेठी, शहद और शक्कर मिलाकर उबाल लें, यह मीठा बनेगा और बच्चे इसे पीने से मना भी नहीं करेंगे।

*चौथा उपाय :*
अब जो उपाय हम बताने जा रहे हैं यह बुखार को मिनटों में उतार भी देगा एवं यदि इन्हें बुखार उतर जाने के बाद भी 2-3 दिन और पीयेंगे तो शरीर मजबूत हो जाता है। इसके लिए आप शहद, अदरक और पान के रस को बराबर मिलाकर एक रस तैयार कर लें। इसे रोजाना सुबह-शाम पीने से फायदा होगा।

*पांचवां उपाय :*
यदि बुखार ज्यादा तेज हो तो आपको ये उपाय करना चाहिए – 8 काली मिर्च, 10 तुलसी की पत्तियां और स्वादानुसार अदरक और दालचीनी को पानी में उबाल लें। इसे थोड़े-थोड़े समय में पी लें और साथ ही आराम भी करें, बुखार जल्द ही कम हो जाएगा।

*छठा उपाय :*
यदि रोगी को आम बुखार ना हो, यानि कि टायफाइड जैसा बुखार हो तो उसके लिए भी एक उपाय है। इसके लिए रोगी को तुलसी और सूरजमुखी के रस को मिलाकर बना हुआ काढ़ा देना चाहिए। यह रस बड़े से बड़े बुखार को खत्म कर देता है।

*सातवां उपाय :*
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें हर दूसरे दिन शारीरिक कमजोरी महसूस होती है और ऐसा लगता है कि हल्का बुखार है। ऐसे व्यक्ति को रोजाना सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना चाहिए और फिर शौच जाना चाहिए। इससे शरीर के सारे बुरे तत्व बाहर निकल जाएंगे और कुछ ही दिनों में शारीरिक कमजोरी दूर हो जाएगी।

*आठवां उपाय :*
लेकिन अगर इससे भी आराम ना मिले, तो साथ में प्याज का एक उपाय कर सकते हैं। प्याज का रस यदि सुबह-शाम पीया जाए तो यह निरंतर होने वाले बुखार की छुट्टी कर देता है। साथ ही रोगी की पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है।

*नौवां उपाय :*
यदि बुखार के साथ सर्दी-जुखाम हो जाए, तो उसे दूर करने के लिए लहसुन का प्रयोग करें। 2-3 कच्चे लहसुन को एक कप पानी के साथ उबाल लें, ठंडा होने पर छानकर पी जाएं। जल्दी ही राहत मिलेगी।

*दसवां उपाय :*
बुखार कम करने के लिए लहसुन के एक अन्य उपाय के अनुसार आप इसे घी में पकाएं और सेंधा नमक के साथ खा लें। बुखार जल्द ही उतर जाता है।

*ग्यारहवां उपाय :*
उपरोक्त बताए गए सभी उपाय यदि जल्द काम ना करें और बुखार काफी तेज हो, तो ठंडे पानी में भिगोई हुई पट्टियां माथे पर रखें। इससे भी बुखार काफी तेजी से गिरता है।
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*नमो बुद्धाय जय भीम साथियों* 🙏🏻💐*प्रबुद्ध सेवा संस्थान* की तरफ से आज 24 फरवरी 2019 को अम्बेडकर भवन, जटवाडा , दीनदयाल पूर...
25/02/2019

*नमो बुद्धाय जय भीम साथियों* 🙏🏻💐
*प्रबुद्ध सेवा संस्थान* की तरफ से आज 24 फरवरी 2019 को अम्बेडकर भवन, जटवाडा , दीनदयाल पूरी, नंदग्राम में चल रहे नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण तथा वाल्मीकि मंदिर, जटवाडा में मंहेंदी प्रशिक्षण लेने वाले सभी बच्चों, महिलाओं व उनकी अध्यापिकाओ को पुरुस्कार और सर्टिफिकेट व उपहार देकर समाज के सम्मानीय लोगो के द्वारा सम्मानित कराया गया
प्रोग्राम में अतिथि के रूप शामिल रहे l
*मुख्य अतिथि* :-
1. श्रद्धेय डॉ परमेन्दर सिंह जी
2. श्रद्धेय नरेश दाहपिया जी SSO
3. श्रद्धेय डॉ सजय त्यागी जी
*विशिष्ट अतिथि* :-
1. श्रद्धेय बाबा श्रीराम हितेशी जी
2. श्रद्धेय R.P. सिंह जी
*प्रबुद्ध सेवा संस्थान के सदस्य* :-
शकुन बौद्ध (संस्थापक व अध्यक्ष), अनिल कुमार (उपाध्यक्ष), रिछपाल सिंह (सचिव), ब्रज गौतम(सह सचिव), लक्ष्मी बौद्ध ( कोषाध्यक्ष), सुनील कुमार (सदस्य), अन्य सदस्य सरोज गौतम जी, शीला गौतम जी, मंजू सिंह जी, सुमन वर्मा जी, गुलशन कुमार जी शामिल रहे l

*मिडिया प्रभारी अनंत समाचार से जूगनु गौतम जी*

*अन्य सदस्य* :-
सोनिया जी,प्रीति, शोभा,निशा,अन्नू,हनी युवराज,गुडडू,अमित सतीशचन्द जी .... ,
*प्रबुद्ध सेवा संस्थान सभी अतिथियों का तहे दिल से साधुवाद करते है l और सभी विधार्थीयो के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

*प्रबुद्ध सेवा संस्थानNGO रजि0*
*उ0प्र0 गा0बाद0*

22/01/2019

👉 *आंवला*
किसी भी रूप में थोड़ा सा
आंवला हर रोज़ खाते रहे,
जीवन भर उच्च रक्तचाप
और हार्ट फेल नहीं होगा।

👉 *मेथी*
मेथीदाना पीसकर रख ले।
एक चम्मच एक गिलास
पानी में उबाल कर नित्य पिए।
मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले।
इस से आंव नहीं बनेगी,
शुगर कंट्रोल रहेगी और
जोड़ो के दर्द नहीं होंगे
और पेट ठीक रहेगा।

👉 *नेत्र स्नान*
मुंह में पानी का कुल्ला भर कर
नेत्र धोये।
ऐसा दिन में तीन बार करे।
जब भी पानी के पास जाए
मुंह में पानी का कुल्ला भर ले
और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये।
मुंह का पानी एक मिनट बाद
निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए
बार बार कुल्ला नया भरते रहे।

भोजन करने के बाद गीले हाथ
तौलिये से नहीं पोंछे।
आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर
चेहरा व कानो तक मले।
इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं।
नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।

👉 *शौच*
ऐसी आदत डाले के नित्य
शौच जाते समय दाँतो को
आपस में भींच कर रखे।
इस से दांत मज़बूत रहेंगे,
तथा लकवा नहीं होगा।

👉 *छाछ*
तेज और ओज बढ़ने के लिए
छाछ का निरंतर सेवन
बहुत हितकर हैं।
सुबह और दोपहर के भोजन में
नित्य छाछ का सेवन करे।
भोजन में पानी के स्थान पर
छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।

👉 *सरसों तेल*
सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल
और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल
तीन बूँद दोनों कान में
कभी कभी डालते रहे।
इस से कान स्वस्थ रहेंगे।

👉 *निद्रा*
दिन में जब भी विश्राम करे तो
दाहिनी करवट ले कर सोएं। और
रात में बायीं करवट ले कर सोये।
दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर
अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और
बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर
अर्थात सूर्य स्वर चलेगा।

👉 *ताम्बे का पानी*
रात को ताम्बे के बर्तन में
रखा पानी सुबह उठते बिना
कुल्ला किये ही पिए,
निरंतर ऐसा करने से आप
कई रोगो से बचे रहेंगे।
ताम्बे के बर्तन में रखा जल
गंगा जल से भी अधिक
शक्तिशाली माना गया हैं।

👉 *सौंठ*
सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम
और कफ से बचने के लिए
पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ
और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में
इतना उबाले के आधा पानी रह जाए।
रात को सोने से पहले यह पिए।
बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के
आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं।
सौंठ नहीं हो तो अदरक का
इस्तेमाल कीजिये।

👉 *टाइफाइड*
चुटकी भर दालचीनी की फंकी
चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ
दिन में दो बार लेने से
टाइफाईड नहीं होता।

👉 *ध्यान*
हर रोज़ कम से कम 15 से 20
मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे।

👉 *नाक*
रात को सोते समय नित्य
सरसों का तेल नाक में लगाये।
हर तीसरे दिन दो कली लहसुन
रात को भोजन के साथ ले।
प्रात: दस तुलसी के पत्ते और
पांच काली मिर्च नित्य चबाये।
सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा।
नाक स्वस्थ रहेगी।

👉 *मालिश*
स्नान करने से आधा घंटा पहले
सर के ऊपरी हिस्से में
सरसों के तेल से मालिश करे।
इस से सर हल्का रहेगा,
मस्तिष्क ताज़ा रहेगा।
रात को सोने से पहले
पैर के तलवो, नाभि,
कान के पीछे और
गर्दन पर सरसों के तेल की
मालिश कर के सोएं।
निद्रा अच्छी आएगी,
मानसिक तनाव दूर होगा।
त्वचा मुलायम रहेगी।
सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में
मालिश ज़रूर करे।

👉 *योग और प्राणायाम*
नित्य कम से कम आधा घंटा
योग और प्राणायाम का
अभ्यास ज़रूर करे।

👉 *हरड़*
हर रोज़ एक छोटी हरड़
भोजन के बाद दाँतो तले रखे
और इसका रस धीरे धीरे
पेट में जाने दे।
जब काफी देर बाद ये हरड़
बिलकुल नरम पड़ जाए
तो चबा चबा कर निगल ले।
इस से आपके बाल कभी
सफ़ेद नहीं होंगे,
दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे
और पेट के रोग नहीं होंगे।

👉 *सुबह की सैर*
सुबह सूर्य निकलने से पहले
पार्क या हरियाली वाली जगह पर
सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए
बहुत लाभदायक हैं।
इस समय हवा में प्राणवायु का
बहुत संचार रहता हैं।
जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर
रोग मुक्त रहता हैं और हमारी
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।

👉 घी खाये मांस बढ़े,
अलसी खाये खोपड़ी,
दूध पिये शक्ति बढ़े,
भुला दे सबकी हेकड़ी।

👉तेल तड़का छोड़ कर
नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो
जो जन अलसी खाय ।।
=====

🙏मानव सेवा को समर्पित उपक्रम🙏

19/01/2019

. 🇮🇳🇮
*लहसुन का इस्तेमाल
लहसुन दुनिया के हर हिस्से में अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए लोकप्रिय है। इसी मुख्य कारण से वर्षों से लोग इसे एक औषधि के रूप में जानते हैं। लहसुन एक जड़ी बूटी है।

बहुत सारे औषधिय गुणों से भरपूर है लहसुन। लहसुन हर प्रकार के भोजन में प्रयोग किया जाता है। आप सोच भी नहीं सकते कि लहसुन की एक कली हमारे अंदर पैदा होने वाले अनेको रोगों का नाश कर सकती है। यह कई बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार में प्रभावी है।

जब आप कुछ भी खाने या पीने से पहले लहसुन खाते हैं तो आपकी ताकत बढ़ती है, तथा यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है। खाली पेट सेवन से लहसुन के गुण बढ़ जाते है। डायरिया के इलाज के लिए कारगर होता है। लोग इसे एक औषधि के रूप में जानते हैं।
भोजन को स्वादिष्ट बनाने वाले मसाले के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह वास्तव में कई प्रकार की बीमारियों को रोकने और इलाज में काफी कारगर होता है। इसकी गंध बहुत ही तेज और स्वाद तीखा होता है।

लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है जो बहुत से रोगों के बचाव में लाभप्रद है। नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर कम या ज्यादा होने की बीमारी नहीं होती। एसिडिटी की समस्या में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है। इससे बैक्टीरिया ओवरएक्सपोज़्ड हो जाते हैं तथा लहसुन की शक्ति से वे अपनी रक्षा नहीं कर पाते। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों की सूची कभी ख़त्म न होने वाली है। लहसुन बवासीर, कब्ज़ और कान दर्द के उपचार में भी सहायक है।

🥦🥦🇮🇳🙏🇮🇳🥦🥦

16/01/2019

सोया खाने के फायदे

🌷🌷🌷🌷 --
🥀- इन दिनों हरी पत्तेदार सब्जियों की बहार है. अनेक ताज़ी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक , मेथी , सोया , बथुआ , सरसों मिल रही है
🍁
🥀- आज इनमे से सोया के बारे में जानते है. इससमंग्रेजी में Dill इस नाम से जाना जाता है.
🥀- इसके पत्ते सौंफ के पौधे की तरह दिखते है. इसके बीज भी सौंफ की तरह ही पर थोड़े बड़े होते है.
- इसके बीजों को बनसौंफ कहा जाता है. मराठी में इन्हें बाळंत सौंफ के नाम से जाना जाता है.
🌻- सद्य प्रसूता महिला को भोजन के बाद अजवाइन और कसे हुए नारियल के साथ बनसौंफ खूब चबा चबा कर खाने को कहा जाता है. इससे वात वृद्धि नहीं होती. दूध अच्छी तरह 🌸उतरता है.
-🌸 अजवाई-बनसौंफ खाने से डिलीवरी के बाद बहनों का शरीर नहीं फूलता. स्नेहा समुह
🌺- इसकी पत्तेदार हरी सब्जी भी प्रसुती के बाद खिलाई जाती है.
🍂- सर्दियों में मेथी सोया या पालक सोया , मूंग की दाल -सोया ऐसी सब्जियां बाजरे या मक्के की रोटी के साथ बड़े चाव से खाई जाती है.
🍂- कई लोग इसकी चटनी भी बनाते है.
🍂- बनसौंफ स्निग्ध,तीखी, भूख बढाने वाली ,उष्ण, मूत्ररोधक,बुद्धिवर्धक , कफ व वायूनाशक है.
-🍃 इसके सेवन से दाह, शूल, नेत्ररोग ,प्यास ,अतिसार आदि का नाश होता है.
- 🍃इसकी सब्जी को "आहारीय झाड़ू" कहा जाता है.पेट में रुकावट डालने वाली वायु के निष्कासन का काम यह सब्जी उत्तम प्रकार से करती है.
🌻- पेट में गॅस होना, अजीर्ण, क्षुधामांद्य, कृमी ऐसी अनेक पचन तंत्र की गड़बड़ियों पर यह भाजी गुणकारी होती है.
-🌻 उग्र गंध होने से यह कई बार नापसंद की जाती है पर यह बहुत गुणकारी और औषधीय है.
-🌻 इसमें अनेक औषधी तेल होते है जिसमे से युगेनॉल तेल रक्‍तशर्करा नियंत्रित करता है.इसलिए यह सब्जी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत अच्छी है.
🌻- इसमें मेथी व पालक की तरह "अ', "क' जीवनसत्त्व, फॉलिक ऍसिड व महत्त्वपूर्ण क्षार होते है.
🌻- जिनकी जीवनशैली बैठे बैठे कार्य करने की है उनके लिए यह बहुत अच्छी सब्जी है.कम शारीरिक श्रम के कारण पेट भारी लगना , भूख कम लगना , अफारा , अजीर्ण आदि अनेक समस्याओं का निश्‍चित निदान यह सब्जी है.
🌷- यह अनिद्रा के लिए उपयोगी है. स्नेहा समुह
-🌾 उच्च रक्तचाप,गुर्दा रोग, सिर दर्द ,हृदय आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है.
- 🌾 हिचकी, और खांसी के लिए इसका प्रयोग करें.यह बलगम हटाती है.
🌾- अंगराग प्रयोजनों के लिए सोआ लोशन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
- 🌾यह आँखों के आसपास की सूजन और जलन को कम करती है.
-🌾🌾 इसकी सौंफ को पीसकर कनपटी पर लगाने से लू लगने से होने वाला चक्कर और सिरदर्द शांत होता है.
- 🍃इसके पत्तें और जड़ को पीसकर लगाने से गठिया का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- 🍃इसके पत्तों पर तेल लगाकर गर्म कर बाँधने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है.
-🍃 इसके पत्तों का काढा गुड के साथ लेने से रुकी हुई या कम माहवारी खुलकर आती है.
-,🍃 इसकी सौंफ का ठंडा शरबत पिने से पित्त ज्वर शांत होता है.

15/01/2019

*🌻🍀एसिडिटी के कारण क्या हैं –*

👉🏻मसालेदार चटपटा खाना खाना

👉🏻स्मोकिंग, शराब और दूसरे नशे करना

👉🏻लम्बे समय तक ख़ाली पेट रखना

👉🏻रात का भोजन सही समय पर नही करना

👉🏻ख़ाली पेट चाय का सेवन करना

👉🏻शरीर में गर्मी बढ़ जाना

*🌻🍀एसिडिटी के लक्षण –*

👉🏻पेट में जलन महसूस होना

👉🏻कड़वी और खट्टी डकारें आना

👉🏻पेट में गैस बनना

👉🏻खाने के बाद पेट में दर्द

👉🏻कब्ज़ की शिक़ायत होना

👉🏻उल्टी आना या फिर
बार-बार उबाक आना

*🌻🍀एसिडिटी दूर करने का घरेलू इलाज*

🌻🍀एसिडिटी दूर करने के लिए सुबह शाम एक गिलास पानी के साथ *आँवले* का चूरन खायें। इसके बाद आधे घंटे तक कुछ और नहीं खाना है। अगर चूरन नहीं है तो इसकी जगह आप आँवले का जूस भी पी सकते हैं।

🍀🌻 *अदरक* को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में उबाल लें। फिर इस पानी को छानकर गुनगुना पियें। अदरक की चाय भी एसिडिटी से छुटकारा देती है।

🌻🍀हर दिन एलोवेरा जूस पीने वाले लोगों को पेट में एसिडिटी की समस्या नहीं होती है।

🌻🍀1-1 चम्मच जीरा, सौंफ, अजवाइन और सावा के बीज पानी में उबालें। इसे छानकर पानी को दिन में 2-3 बार पिएं। इस प्रयोग से पेट की समस्याओं से छुटकारा

🌻🍀यष्टि मधु और दालचीनी चूरन को शहद के साथ मिलाकर गोलियाँ बनायें। फिर इन्हें आवश्यकतानुसार चूसें।

🌻🍀एक गिलास दूध लीजिये और उसमे चुटकी भर अश्वगंधा मिलाकर पीने से एसिडिटी समाप्त होती है।

🌼🌼🌼🙏🌼🌼🌼

*🌱😊🙏

08/01/2019

होरारी पॉइंट्स।
सिर्फ 12 एक्यूप्रेशर से सभी बीमारियो के इलाज का तरीका।

हमारे सरीर में जीवनी ऊर्जा हमेसा प्रवाहित होती रहती है। इस ऊर्जा के प्रवाह में किसी भी तरह का असंतुलन रोग का कारक है। अगर किसी समय ऊर्जा के प्रवाह में असंतुलन आएगा तो होरारी पॉइंट्स दबाकर फिर से ऊर्जा प्रवाह संतुलित किया जाता है ।

इस पोस्ट में किसी खास समय मे ऊर्जा किस खास अंग में रहती है बताया जा रहा है। उस खास समय मे आपको कोई भी दिक्कत या बीमारी हो तो उस समय के अनुसार उस अंग के होरारी पॉइंट को दो मिनट तक दबाने या मसाज करने से आराम हो जाएगा।
सरीर के 12 प्रमुख अंग है और हर अंग में ऊर्जा 2 घंटे तक रहती है ।

प्रातः 3am से 5am – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से फेफड़ो में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहनेवालो का जीवन निस्तेज हो जाता है ।
फेफड़े का होरारी पॉइंट lu8 है। अगर इस दौरान कोई भी बीमारी हो तो इस पॉइंट को दबाइये ठीक हो जाएगा।

प्रातः 5 amसे 7 am– इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल – त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।
होरारी पॉइंट-li1

प्रातः 7 amसे 9 am– इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच –बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार ) घूँट-घूँट पिये।
होरारी पॉइंट-st36

प्रातः 9 am से 11am-इस समय ऊर्जा तिल्ली में होती है। ये विचारों के उद्गम का समय है।
होरारी पॉइंट-sp3

प्रातः 11am से 1 pm– इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है। दोपहर 12 बजे के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम ) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसीलिए भोजन वर्जित है । इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है ।
होरारी पॉइंट-h8

दोपहर 1pm से 3 pm- इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है |
होरारी पॉइंट-si5

दोपहर 3pm से 5 pm- इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है । 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।
होरारी पॉइंट-ub66

शाम 5 pm से 7pm - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है । इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए । शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है । देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।
होरारी पॉइंट-k10

रात्रि 7pm से 9pm - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है । इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।
होरारी पॉइंट-P8

रात्रि 9 pm से 11 pm- इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है । यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।
होरारी पॉइंट-tw6

रात्रि 11pm से 1 am- इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है । इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा , नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएं बनती है ।
होरारी पॉइंट-gb41

रात्रि 1am से 3am - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है । अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है । इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।
होरारी पॉइंट-liv1

शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को लाइट बंद करके सोयें। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और लाइट चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं।

04/01/2019

*पंच-तत्व का शरीर क्या है और ये कैसे काम करते है।*

आज बात करते है शरीर के पंच तत्वों की जिनसे ये शरीर बना है। ये पंच तत्व ही भौतिक और अभौतिक रूप में शरीर का गि निर्माण करते है। कम ही लोगों को पता हो कि ये पंच तत्व क्या है और शरीर में कैसे काम करते है। आज इन्ही तत्वों को समझेगे। ये पंच तत्व है क्रम अनुसार-

1. पृथ्वी, 2. जल, 3. अग्नि, 4. वायु, 5. आकाश।

1. पृथ्वी तत्व- ये वो तत्व है जिससे हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्त्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी उन्ही से हमारे भौतिक शरीर की भी सरंचना हुई है। यही कारण है कि हमारे शरीर लौह धातु खून में, कैल्शियम हड्डियों में, कार्बन फाइबर रूप में, नाइट्रोजन प्रोटीनरि रूप में और भी कितने ही तत्व है जो शरीर में पाए जाते है। और यही कारण है कि आयुर्वेद में शरीर की निरोग और बलशाली बनाने के लिए धातु की भस्मो का प्रयोग किया जाता है।

2. जल तत्व- जल तत्व से मतलब है तरलता से। जितने भी तरल तत्व जो शरीर में बह रहे है वो सब जल तत्व ही है। चाहे वो पानी हो, खून हो, वसा हो, शरीर मे बनने वाले सभी तरह के रा रस और एंजाइम। वो सभी जल तत्व ही है। जो शरीर की ऊर्जा और पोषण तत्वों को पूरे शरीर मे पहुचाते है। इसे आयुर्वेद में कफ के नाम से जाना जाता हैं। इस जल तत्व की मात्रा में संतुलन बिगड़ते ही शरीर भी बिगड़ कर बीमार बना देगा।

3.अग्नि तत्व- अग्नि तत्व ऊर्जा, ऊष्मा, शक्ति और ताप का प्रतीक है। हमारे शरीर में जितनी भी गर्माहट है वो सब अग्नि तत्व ही है। यही अग्नि तत्व भोजन को पचाकर शरीर को निरोग रखता है। ये तत्व ही शरीर को बल और शक्ति वरदान करता है। इसे आयुर्वेद में पित्त के नाम से ज जाना जाता है। इस तत्व की ऊष्मा का भी एक स्तर होता है, उससे ऊपर या नीचे जाने से शरीर भी बीमार हो जाता है।

4. वायु तत्व- जितना भी प्राण है वो सब वायु तत्व है। जो हम सांस के रूप में हवा (ऑक्सीजन) लेते है, जिससे हमारा होना निश्चित है, जिससे हमारा जीवन है। वही वायु तत्व है। पतंजलि योग में जितने भी प्राण व उपप्राण बताये गए है वो सब वायु तत्व के कारण ही काम कर रहे है। इसको आयुर्वेद में वात के नाम से जानते है। इसका भी सन्तुलन बिगड़ने से शरीर का संतुलन बिगड़ कर शरीर बीमार पड़ जाता है।

5. आकाश तत्व- ये तत्व ऐसा जिसके बारे में कुछ साधक ही बता सकते है कि ये तत्व शरीर मे कैसे विद्यमान है और क्या काम करता है। ये आकाश तत्व अभौतिक रूप में मन है। जैसे आकाश अनन्त है वैसे ही मन की भी कोई सीमा नही है। जैसे आकाश आश्चर्यों से भरा पड़ा है वैसे ही मन के आश्चर्यो की कोई सीमा नही है। जैसे आकाश अनन्त ऊर्जाओं से भरा है वैसे ही मन की शक्ति की कोई सीमा नही है जो दबी या सोई हुई है। जैसे आकाश में कभी बादल, कभी धूल और कभी बिल्कुल साफ होता है वैसे ही मन में भी कभी ख़ुशी, कभी दुख और कभी तो बिल्कुल शांत रहता है। ये मन आकाश तत्व रूप है जो शरीर मे विद्यमान है।

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