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19/08/2023
 #ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ_ਦਰਸ਼ਨ  #ਭਾਗ_1   ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਕਈ ਸਥਾਨ ਹਨ।  ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਾਰਨਾਥ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍...
19/08/2023

#ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ_ਦਰਸ਼ਨ
#ਭਾਗ_1

ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਕਈ ਸਥਾਨ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਾਰਨਾਥ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹਨ। ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹਰੇਕ ਬੋਧੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਚਾਰ ਸਥਾਨਾਂ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।
1. ਲੁੰਬੀਨੀ - ਜਿੱਥੇ ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਇਹ ਸਥਾਨ ਨੇਪਾਲ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਹੈ।
2. ਬੋਧ ਗਯਾ - ਜਿੱਥੇ ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਨੇ ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ। ਇਹ ਸਥਾਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਿਹਾਰ ਰਾਜ ਵਿੱਚ ਹੈ।
3. ਸਾਰਨਾਥ - ਜਿੱਥੇ ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਨੇ ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਪਣਾ ਪਹਿਲਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਸੀ। ਇਹ ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵਾਰਾਣਸੀ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੈ।
4. ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ - ਜਿੱਥੇ ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਨੇ ਮਹਾਪਰਿਨਿਰਵਾਣ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਉਸ ਨੇ ਇਸ ਥਾਂ 'ਤੇ ਆਪਣਾ ਸਰੀਰ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ।
ਮੈਂ ਕੋਈ ਬੋਧੀ ਨਹੀਂ ਹਾਂ ਪਰ ਇੱਕ ਘੁਮੱਕੜ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮੈਂ ਇਹਨਾਂ ਚਾਰਾਂ ਥਾਵਾਂ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਕਰ ਲਈ ਹੈ। ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਜਾਣ ਲਈ ਮੈਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੋਰਖਪੁਰ ਪਹੁੰਚਿਆ। ਉਥੋਂ ਮੈਂ ਸਰਕਾਰੀ ਬੱਸ ਵਿਚ ਬੈਠ ਕੇ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਪਹੁੰਚ ਗਿਆ। ਮੈਂ ਬੱਸ ਡਰਾਈਵਰ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮੈਂ ਬੋਧੀ ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ਇਸ ਲਈ ਉਸਨੇ ਮੈਨੂੰ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਬੱਸ ਸਟੈਂਡ ਤੋਂ ਇੱਕ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਪਹਿਲਾਂ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਹਾਈਵੇਅ 'ਤੇ ਇੱਕ ਗੇਟ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ। ਮੈਂ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਦੇਖਣ ਲਈ ਪੈਦਲ ਹੀ ਚੱਲ ਪਿਆ| ਇਸ ਸੜਕ 'ਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਦੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਸਥਾਨ ਮਿਲਣਗੇ। ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਮੈਂ ਕੁਸ਼ੀਨਗਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਮਹਾਪਰਿਨਿਰਵਾਨ ਮੰਦਿਰ ਪਹੁੰਚ ਗਿਆ।
ਮਹਾਪਰਿਨਿਰਵਾਣ ਮੰਦਿਰ - ਇਹ ਉਹ ਸਥਾਨ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਭਗਵਾਨ ਬੁੱਧ ਨੇ ਆਪਣਾ ਸਰੀਰ ਤਿਆਗ ਕੇ ਮਹਾਪਰਿਨਿਰਵਾਣ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਇਸ ਸਥਾਨ ਨੂੰ ਸਾਹਮਣੇ ਲਿਆਉਣ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਜਨਰਲ ਏ.ਕੇ. ਕਨਿੰਘਮ ਅਤੇ ਏ. ਸੀ.ਆਈ. ਕਾਰਲਾਈਲ ਜਿਸ ਨੇ ਇਸ ਸਥਾਨ ਦੀ ਖੁਦਾਈ 1861 ਈ. ਭਾਰਤ ਦੇ ਪੁਰਾਤੱਤਵ ਵਿਭਾਗ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਖੁਦਾਈ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੀ ਪਛਾਣ ਦੀ ਪੁਸ਼ਟੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਇਹ ਸੁੰਦਰ ਮੰਦਿਰ ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਬਾਗ ਵਿੱਚ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਮੰਦਰ ਵਿਚ ਭਗਵਾਨ ਬੁੱਧ ਦੀ ਮੂਰਤੀ ਪਈ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਮੰਦਰ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਨਿਰਵਾਣ ਸਤੂਪ ਨਾਂ ਦਾ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਸਤੂਪਾ ਹੈ। ਇਹ ਸਤੂਪਾ 2.74 ਮੀਟਰ ਦੀ ਉਚਾਈ 'ਤੇ ਬਣਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੰਦਰ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਕਈ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਵੀ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ। ਤੁਸੀਂ ਮੰਦਰ ਕੰਪਲੈਕਸ ਦੇ ਬਗੀਚੇ ਵਿੱਚ ਘੁੰਮ ਸਕਦੇ ਹੋ। ਇਸ ਸੁੰਦਰ ਮੰਦਰ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮੈਂ ਅੱਗੇ ਤੁਰ ਗਿਆ| ਜਿਸਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਮੈਂ ਅਗਲੀ ਪੋਸਟ ਵਿੱਚ ਦੇਵਾਂਗਾ। ਧੰਨਵਾਦ

बाली इंडोनेशिया में मैं अपनी फैमिली के साथ पांच रात और छह दिन के टूर पर गया था| इन पांच दिनों में बाली इंडोनेशिया के प्र...
07/12/2022

बाली इंडोनेशिया में मैं अपनी फैमिली के साथ पांच रात और छह दिन के टूर पर गया था| इन पांच दिनों में बाली इंडोनेशिया के प्रसिद्ध मंदिर देखने का मौका मिला जैसे तनाह लोट मंदिर, बेदुगुल मंदिर और उलुवातू मंदिर आदि| यह तीनों मंदिर बाली इंडोनेशिया के पवित्र मंदिरों में आते हैं| बाली इंडोनेशिया में टूर के आखिरी दिन की यात्रा पर शाम को हम उलुवातू मंदिर को देखने के लिए गए| उस दिन सुबह अपने 4 स्टार होटल रामा बीच रिसोर्ट में ब्रेकफास्ट करने के बाद हम गरुड़ स्टैच्यू देखने के बाद कौफी के बागानों को निहारते हुए शाम को उलुवातु मंदिर पहुंचे थे| उलुवातु मंदिर को देखने के लिए बहुत सारे टूरिस्ट आते हैं| कोई भी टूरिस्ट जो बाली इंडोनेशिया घूमने आता है उसकी लिस्ट में उलुवातु मंदिर जरूर होता है| जब हम उलुवातु मंदिर के बाहर बनी हुई दुकानों के सामने बनी हुई पार्किंग में गाड़ी लगाने के लिए पहुंचे तो वहाँ गाड़ी पार्क करने के लिए जगह नहीं मिल रही थी| इतनी भीड़ थी उलुवातु मंदिर के बाहर | खैर ड्राइवर ने हमें बोल दिया आप मंदिर देखने के लिए जाईये मैं जगह देखकर गाड़ी लगा दूंगा| मैं अपनी वाईफ और दो साल की बेटी नव किरन के साथ उलुवातु मंदिर के टिकट काउंटर पर पहुँच गया| उलुवातु मंदिर में प्रवेश के लिए आपको 30,000 इंडोनेशियाई रुपया की टिकट लेनी पड़ेगी जो भारतीय करंसी में तकरीबन 142 रुपये के आसपास बनती है| मैंने 60,000 इंडोनेशियाई रुपया देकर दो टिकट खरीदी अपनी और वाईफ की | टिकट चैक करवाने के बाद हम उलुवातु मंदिर कंपलैकस में प्रवेश कर गए| पत्थर के बने हुए साफ सुधरे रास्ते पर चलते हुए हम आगे बढ़ने लगे| थोड़ी दूर चलने के बाद हमें सीढ़ियों के रास्ते के ऊपर कुछ मंदिर दिखाई देने लगे जो उलुवातु मंदिर है| सीढ़ियों को चढ़कर हम उलुवातु मंदिर में पहुँच गए| आप उलुवातु मंदिर के भीतर प्रवेश नहीं कर सकते | हमने भी बाहर से ही उलुवातु मंदिर को नमस्कार किया| बाली इंडोनेशिया में तनाह लोट, बेदुगुल और अब उलुवातु मंदिर के भीतर किसी भी टूरिस्ट को जाने की अनुमति नहीं| उलुवातु मंदिर बाहर से देखने से हिमाचल प्रदेश के दूर दराज ईलाके में बने लोकल देवी देवता के मंदिर जैसा लगता है| बाली इंडोनेशिया में उलुवातु मंदिर बहुत ही पवित्र जगह है| हमने उलुवातु मंदिर के बाहर से दर्शन करते हुए परिक्रमा करके फैमिली के साथ कुछ यादगार तसवीरें खिंचवाई | उलुवातु मंदिर समुद्र के किनारे पर 70 मीटर ऊंची चट्टान के ऊपर बना हुआ है| जैसे ही हम मंदिर की परिक्रमा करते हुए बाहर आए तो सामने जो दृश्य दिखाई दे रहा था वह मंत्रमुग्ध करने वाला था | शाम का समय था दूर दूर तक समुद्र दिखाई दे रहा था| हम ऊंचाई पर थे एक चट्टान के ऊपर जो 70 मीटर ऊंची है दूर नीचे समुद्र की लहरें तट के साथ टकरा रही थी|बाली इंडोनेशिया में मैं अपनी फैमिली के साथ पांच रात और छह दिन के टूर पर गया था| इन पांच दिनों में बाली इंडोनेशिया के प्रसिद्ध मंदिर देखने का मौका मिला जैसे तनाह लोट मंदिर, बेदुगुल मंदिर और उलुवातू मंदिर आदि| यह तीनों मंदिर बाली इंडोनेशिया के पवित्र मंदिरों में आते हैं| बाली इंडोनेशिया में टूर के आखिरी दिन की यात्रा पर शाम को हम उलुवातू मंदिर को देखने के लिए गए| उस दिन सुबह अपने 4 स्टार होटल रामा बीच रिसोर्ट में ब्रेकफास्ट करने के बाद हम गरुड़ स्टैच्यू देखने के बाद कौफी के बागानों को निहारते हुए शाम को उलुवातु मंदिर पहुंचे थे| उलुवातु मंदिर को देखने के लिए बहुत सारे टूरिस्ट आते हैं| कोई भी टूरिस्ट जो बाली इंडोनेशिया घूमने आता है उसकी लिस्ट में उलुवातु मंदिर जरूर होता है| जब हम उलुवातु मंदिर के बाहर बनी हुई दुकानों के सामने बनी हुई पार्किंग में गाड़ी लगाने के लिए पहुंचे तो वहाँ गाड़ी पार्क करने के लिए जगह नहीं मिल रही थी| इतनी भीड़ थी उलुवातु मंदिर के बाहर | खैर ड्राइवर ने हमें बोल दिया आप मंदिर देखने के लिए जाईये मैं जगह देखकर गाड़ी लगा दूंगा| मैं अपनी वाईफ और दो साल की बेटी नव किरन के साथ उलुवातु मंदिर के टिकट काउंटर पर पहुँच गया| उलुवातु मंदिर में प्रवेश के लिए आपको 30,000 इंडोनेशियाई रुपया की टिकट लेनी पड़ेगी जो भारतीय करंसी में तकरीबन 142 रुपये के आसपास बनती है| मैंने 60,000 इंडोनेशियाई रुपया देकर दो टिकट खरीदी अपनी और वाईफ की | टिकट चैक करवाने के बाद हम उलुवातु मंदिर कंपलैकस में प्रवेश कर गए| पत्थर के बने हुए साफ सुधरे रास्ते पर चलते हुए हम आगे बढ़ने लगे| थोड़ी दूर चलने के बाद हमें सीढ़ियों के रास्ते के ऊपर कुछ मंदिर दिखाई देने लगे जो उलुवातु मंदिर है| सीढ़ियों को चढ़कर हम उलुवातु मंदिर में पहुँच गए| आप उलुवातु मंदिर के भीतर प्रवेश नहीं कर सकते | हमने भी बाहर से ही उलुवातु मंदिर को नमस्कार किया| बाली इंडोनेशिया में तनाह लोट, बेदुगुल और अब उलुवातु मंदिर के भीतर किसी भी टूरिस्ट को जाने की अनुमति नहीं| उलुवातु मंदिर बाहर से देखने से हिमाचल प्रदेश के दूर दराज ईलाके में बने लोकल देवी देवता के मंदिर जैसा लगता है| बाली इंडोनेशिया में उलुवातु मंदिर बहुत ही पवित्र जगह है| हमने उलुवातु मंदिर के बाहर से दर्शन करते हुए परिक्रमा करके फैमिली के साथ कुछ यादगार तसवीरें खिंचवाई | उलुवातु मंदिर समुद्र के किनारे पर 70 मीटर ऊंची चट्टान के ऊपर बना हुआ है| जैसे ही हम मंदिर की परिक्रमा करते हुए बाहर आए तो सामने जो दृश्य दिखाई दे रहा था वह मंत्रमुग्ध करने वाला था | शाम का समय था दूर दूर तक समुद्र दिखाई दे रहा था| हम ऊंचाई पर थे एक चट्टान के ऊपर जो 70 मीटर ऊंची है दूर नीचे समुद्र की लहरें तट के साथ टकरा रही थी|उलुवातु मंदिर बाली इंडोनेशिया के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है| यह मंदिर बाली के दक्षिण पश्चिम दिशा में समुद्र के किनारे पर 70 फीट ऊंची चट्टान के ऊपर बना हुआ है| बाली की लोकल भाषा में वातु का अर्थ होता है- चट्टान और उलु का अर्थ होता है- किनारा| उलुवातु का अर्थ है चट्टान के किनारे पर बना हुआ मंदिर | आपको उलुवातु मंदिर कंपलैकस में बहुत सारे बंदर भी देखने के लिए मिलेगें| यहाँ के बंदर बहुत शरारती है जो आते जाते टूरिस्ट का सामान छीन लेते हैं| इनसे थोड़ा सावधान रहना चाहिए| वैसे अगर यह बंदर सामान छीन कर ले जाए तो उनको कोई खाने पीने वाली चीज देकर आप अपना सामान वापस ले सकते हो|
हम उलुवातु मंदिर के बाहर बहते हुए समुद्र को काफी देर तक निहारते रहे| समुद्र में दूर दूर तक जाहाज दिखाई दे रहे थे| ऊंचाई पर होने की वजह से आप वहाँ से समुद्र की लहरों को किनारे से टकराते हुए देख सकते हो| जब आप फुर्सत के कुछ पल निकाल कर कुदरत के अद्भुत नजारों का लुत्फ़ लेते हो तो जिंदगी कुछ समय के लिए एकदम थम जाती है| ऐसे ही खूबसूरत लम्हों के लिए घुमक्कड दूर दराज देश विदेश की यात्रा पर निकल पड़ता है| कुदरत के साथ एकमिक होने के लिए| कुछ समय कुदरत की गोद में बिताने के बाद हम मंदिर कंपलैकस से बाहर आ गए| अपनी गाड़ी में बैठ कर अगली मंजिल की ओर चल पड़े|

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