18/09/2024
ज्योतिषी के चक्कर से कैसे मिलेगा छुटकारा?
कुंडली विश्लेषण के बाद मैं जातकों की समस्या का पता लगा, उन्हें सरल, सहज व प्रकृति से जुड़े उपाय बताने का भरसक प्रयास भी करता हूं। इसमें ज्यादातर विधियां ग्रहों से जुड़े उपाय, मन्त्रोच्चारण, सूर्य और हर-भरे पौधे को जल देने, कुत्ते या गऊ माता को रोटी खिलाने, कौवे या चिड़ियों को दाना देने और इष्ट की आराधना आदि से होती हैं। विधि सम्मत पालन करने पर जातक को इसका लाभ मिलते भी देखा गया है।
आश्चर्य तब होता है जब कोई कहता है कि उनके टू या थ्री बीएचके वाले फ्लैट में वैसी जगह ही नहीं, जहां से खड़े होकर सूर्य देव को जल दे सकें। हरे-भरे पौधे या तो हैं ही नहीं या उन्हें लगाने की सुविधा नहीं कि उस पर जल दे सकें। यहां तक पार्क की भी सुविधा नहीं, जिसकी हरी घास पर सुबह में टहल सकें। कमरे में एसी है, एयर व वाटर प्यूरीफाई मशीन है। फ्रिज, वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर, एक्वागार्ड का वैक्यूम क्लीनर है। फिर प्राकृतिक चीजों से क्या लेना-देना भला।
अधिकांश लोग इसी भ्रम में रहते हैं कि बाहर की कोई भी चीज शुद्ध नहीं। इसलिए कृत्रिम संसाधनों को अधिक से अधिक जुटाया जाए। तो इतना जान लीजिए पंच महाभूतों से बना यह शरीर, बिना पांचों तत्वों का सहारा लिए ज्यादा दिनों तक टिक भी नहीं सकता। और कृत्रिम चीजें कभी भी प्राकृतिक संसाधनों की जगह नहीं ले सकतीं।
मैं नहीं कहता कि महज सूर्य को जल देने के लिए, सभी कोई ग्राउंड फ्लोर या सबसे उपरी मंजिल पर ही रहे। या शहर में रहना ही छोड़ दें। लेकिन हमें आवास लेते समय क्या इन पहलुओं पर विचार नहीं करना चाहिए। या अपार्टमेंट के मालिक को बनवाते समय क्या इस पर विचार नहीं करना चाहिए। समस्या महज यहीं नहीं हैं। थोड़ा ध्यान दीजिए, अपार्टमेंट संस्कृति और ईएमआई पर टिकी शहरी ठाट ने हमें अपनी जड़ों से काटकर भले ही बहुत कुछ दिया है। बैंक बैलेंस, गाड़ी, मॉल, पब, मल्टीप्लेक्स, रेस्टोरेंट, मल्लब हाई टेक, सुविधाभोगी ज़िंदगी और जाने क्या-क्या।
लेकिन इस सबके बीच पिता (सूर्य), माता (चन्द्रमा), भाई-बहन (मंगल, बुध), दादा-दादी (राहु), पंडित, शिक्षक (गुरु), गाय, कुत्ते, कौए, जानवरों (केतु) के लिए दिल या घर के किसी कोने में कोई जगह बची है क्या। यदि नहीं तो शुक्रदेव (भोग-विलास) व तकनीकी की गुलामी कीजिए। अपनी परंपराओं, सनातन संस्कारों को तिलांजलि देकर, रिश्ते-मर्यादाओं को तार-तार कर, नीच कामों में संलिप्त होकर, भरपूर भौतिक संसाधन जुटाइए। और पाप व क्रूर ग्रह, केतु, राहु, सूर्य, मंगल के साथ न्याय के देवता (शनिदेव) के कोपभाजन का शिकार बनिए। दंड भोगिए।
कभी सोचा है, इतनी कम उम्र में डिप्रेशन, सुसाइड, एंग्जायटी, फैटी लिवर, अस्थमा, आईबीएस, हर्ट अटैक, सुगर, बीपी, व्यभिचार, तलाक आदि के बढ़े केसेज दंड नहीं तो और क्या हैं। यदि हम मर्यादाओं का पालन नहीं करेंगे तो इतना याद रखिए। इन लाइलाज समस्याओं के उपचार में किसी पंडित/ज्योतिषी के सुझाए गए उपायों का प्लेसिबो या चमत्कारिक असर कभी भी काम नहीं कर पाएगा।
श्रीकांत सौरभ