अभय अध्यात्म अरण्य

ABHAY ADHYATMA ARANYA (आश्रम)
संस्थापक - मा सरोज दिव्यम एवं आचार्यश्री प्रेम प्रबुद्ध *अध्यात्म मर्मज्ञ* Prem Prabuddha (Spiritual Genius) इस आश्रम की जरूरत क्यों पड़ी ? आजकल के भाग दौड़ भरी दौर में मनुष्य अपने वास्तविक उद्देश्य से भटक गया है । A Mission of Individual REVOLUTION. वैयक्तिक क्रांति का एक अभियान।Father of Organic & SPIRITUAL Politics. जनक- जैविक राजनीति एवं आध्यात्मिक राजनीति। Purity of Life. शुद्धतम जीवन। क्या आप डिप्रेशन से एनजाइटी से तनाव से छुटकारा पाना चाहते हैं ? क्या आप अपने जीवन में सुख, शांति और आनंद पाना चाहते हैं ? क्या आप अपने जीवन को सफल और सुफल बनाना चाहते हैं ? क्या आप आध्यात्मिक रुप से उन्नति करना चाहते हैं। क्या आप अनंत की यात्रा करने की अभिप्सा रखते हैं ? ओंकार क्या है ? अनाहत नाद क्या है ? अनहद नाद क्या है ? एक हाथ की ताली क्या है ? नूर क्या है दिव्य ज्योति क्या है ? बिन बाती बिन तेल प्रकाश क्या है ? अमृत क्या है ? हम अमृत को कैसे अनुभव कर सकते हैं ? इस तरह के रहस्यों को जानना हो। विपस्यना ध्यान,त्रिनेत्र ध्यान कैसे करें ? अभय योग , अध्यात्म योग , अरण्य योग क्या है ? मैं कौन हूँ ? इत्यादी रहस्यों को अनुभव करने के लिये हमारे ध्यान केंद्र अभय अध्यात्म अरण्य से जुड़ीये ।
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13/09/2025

Ayurveda ki Shakti. Power of Ayurveda

21/02/2025

'कितना मुश्किल है तय करना, खुद से खुद की दूरी' एक कहावत है. इसका मतलब है कि अपने आप से जुड़ी दूरी तय करना कितना मुश्किल है. इस कहावत का इस्तेमाल इस तरह के संदर्भ में किया जा सकता है: जंगल-जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी, कितना मुश्किल है तय करना, खुद से खुद की दूरी.भीतर शून्य है बाहर शून्य है, है शून्य ही चारों ओर.मेरा कुछ नहीं मुझ में फिर भी, हर तरफ़ "मैं-मैं" का शोर.
जंगल जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को, कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी को.
कहावत का मतलब है कि अपने आप से जुड़ी दूरी तय करना कितना मुश्किल है. कबीर दास ने कस्तूरी मृग के उदाहरण का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि मनुष्य भी भगवान को बाहर की दुनिया में ढूंढता है जबकि ईश्वर उसके ही भीतर मौजूद है. कबीर दास कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार कस्तूरी, जो कि एक तरह का सुगंधित पदार्थ है, हिरण की नाभि में ही रहता है। लेकिन फिर भी वह उसकी खुशबू को तलाशते हुए जंगल में भागता रहता है, कुछ उसी तरह मनुष्य भी है जो भगवान को बाहर खोजता रहता है ।

17/02/2025
03/02/2025
02/02/2025
01/02/2025

एक बहुत बड़ा ज्ञानी वैध हुआ । कबीर !
दुनिया के सभी वैधों ने कबीर का गुणगान किया क्योंकि कबीर की दवा बेजोड़ थी , पर पता नही क्यों कबीर के द्वारा कोई भी रोगी ठीक नहीं हुआ ?
जांच करने पर पाया गया कि कबीर की दवा बहुत कड़वी थी ।
इसलिए लोग दवा लेकर तो जाते लेकिन एक दो पुड़िया खाने के बाद ही वो बची हुई दवा कड़वी कहकर फेंक देते थे । और ढूंढने लगते थे होम्योपैथी की वो मीठी गोलियां जिसके बारे में प्रचार है कि वो कोई साइड-इफेक्ट नहीं करती ।
लेकिन कहते है न कि ज्ञान बिना मुक्ति नहीं , और ज्ञान कहता है जिसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं ! उसका कोई इफेक्ट भी नही !! आचार्य प्रेम प्रबुद्ध संस्थापक- अभय अध्यात्म अरण्य (Revives Physically Mentally & Spiritually)

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Patkhauliya Road In Front Of Pax Office Sirsa Maal East Champaran Bihar Pin Code 845401
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