
10/01/2023
केर के पेड़ पर बैठी चिड़ियायें DAP का छिड़काव कर जरूरी फास्फोरस की आपूर्ति पूरी कर रही हैं।
मैं लोगों को समझाते समझाते धक गया पर बिना सबूत मानते कहाँ है आधुनिक किसान। जिन्हें ये पेड़ कटाकर बस दुकान से यूरिया डीएपी लाकर डालना है । एक बात ओर दुकान से लाये गये ज़हरीले खादों से सूक्ष्म तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती लेकिन इन पक्षियों की बीट से फसलों के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व NPK की भी आपूर्ति हो जाती हैं। बारिश के पानी के साथ ये तत्व पूरे खेत मे रल जाते है। जो भोजन में नमक की तरह कार्य करते हैं ।
मित्रों खेत की मेड़ या बीच में खड़े खेजड़ी,बेर,केर या कूमट को कभी नहीं काटे। प्राकृतिक खेती जो बुजुर्ग करते थे उसे आजकल वैज्ञानिक ऑर्गेनिक खेती का नाम दे रहे हैं ओर लोग केमिकल छोड़कर जैविक खेती पर जोर दे रहे हैं ।कभी अपने खेत में पेड़ के नीचे जाकर देखना बिट्टो का अंबार लगा मिलेगा।इसलिए खेत में वन्यजीवों व पक्षियों को आने दें।
पिछले कुछ सालो से पश्चिमी राजस्थान में मूंग उत्पादन में कमी की मुख्य वजह भी ज़हरीली दवाईयो का छिड़काव है जो देखादेखी मे किया जा रहा है। बीमारी का कोई पता नहीं है किसान को बस पड़ोसी ने छिड़काव किया तो हम भी करेंगे अरे परागकण करने वाले लाभदायक कीटों को मार रहे हो।साथ ही उन लाभदायक कीटों को भी मार रहे जो रोगकारी किटों को खाते हैं।मधुमक्खियाँ अगर ख़त्म हो जाये तो परागकण बंद हो जायेगा फसलों के फूल फलों में परिवर्तन नहीं होंगे इसलिए अंधाधुंध केमिकल के छिड़काव से बचे ओर अपने खेत के प्राकृतिक संसाधनो को बनाये रखें ।मैं पिछले चार साल से किसानों को ये सबूत सहित दिखा रहा हूँ ओर सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं ।
साभार - Thar Desert Photography