25/11/2022
इन वेगो को कभी भी धारण नहीं करना चाहिए अर्थात अगर शरीर में इनका वेग बने तो इनसे जल्द ही निवर्त हो जाना ही फायदेमंद रहता है |
➡️मूत्र :- पेशाब के वेग को रोकने से पेडू और लिंगेद्रिय में दर्द होता है | मूत्र रुक – रुक कर एवं पीड़ा के साथ होता है | साथ ही सरदर्द एवं आफरा की शिकायत होती है |
➡️मल :- मल के वेग को कभी भी नहीं रोकना चाहिए | माधवाचार्य के अनुसार इसे रोकने से पेट में दर्द, गैस, आफरा, गुदा में काटने जैसी पीड़ा एवं कब्ज जैसे रोग हो सकते है |
➡️अधोवायु (गैस) :- (गुदा मार्ग से निकलने वाली वायु) को रोकने से मल, मूत्र रुक जाते है | शरीर में अतिरिक्त वात की उपस्थिती हो जाती है | पेट में वायु के कारण दर्द रहता है | आफरा एवं गैस की समस्या बढ़ जातिक है |
➡️डकार :- इसको रोकने से कंठ एवं मुख का भारी होना, हिचकी, खांसी एवं अरुचि जैसे रोग हो सकते है |
➡️छींक :- छींक आने के वेग को रोकने से गर्दन के पीछे की मन्या नामक नस जकड़ जाती है, सिर में दर्द रहता है | मुंह टेढ़ा हो जाता है | इन्द्रियां दुर्बल हो जाती है | आधे शरीर में वात की व्रद्धी हो जाती है |
➡️च्छर्दि :- आयुर्वेद में उल्टी को च्छर्दि कहते है | अगर उल्टी की इच्छा हो तो इसे रोकना नहीं चाहिए स्वाभाविक आने वाली उल्टी को करना ही लाभप्रद रहता है | इसे रोकने से अजीर्ण, अरुचि, सुजन, पीलिया, विसर्प आदि रोग हो जाते है | स्वाभाविक आने वाली उल्टी अमाशय का शोधन करती है एवं वात – पित्त एवं कफ का शमन करती है |
➡️शुक्र :- शुक्र के वेग को रोकने से मूत्राशय में सुजन, गुदा एवं अंडकोष में पीड़ा, पत्थरी जैसे रोग हो सकते है |
➡️भूख :- इस वेग को रोकने से तन्द्रा, आलस, शरीर टूटना, अरुचि, थकान तथा नजर कमजोर हो जाती है | शरीर में निर्बलता, कमजोरी एवं रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है | अत: भूख लगते ही खाना खा लेना चाहिए |
➡️प्यास :- आयुर्वेद में प्यास को भी अधारणीय वेगों में गिना गया है | क्योंकि इसे रोकने से कंठ एवं मुंह सुख जाते है | हृदय में पीड़ा होती है, आचार्य चरक श्रम एवं श्वांस का होना भी बताते है |
➡️जम्भाई :- जम्भाई या उबासी को रोकने से गर्दन के पीछे की नस और गले का जकड़ जाना जैसी समस्या होती है | इसे रोकने से नासा रोग, नेत्र रोग, मुख रोग एवं कानों के रोग हो जाते है |
⏩आंसू :- आंसुओं के वेग को भी धारण नहीं करना चाहिए | आंसुओं को रोकने से दिमाग का भारीपन, आँखों के रोग, पीनस आदि रोग हो जाते है |
⏩साँस :- इस स्थिति में रोगी को आराम देना चाहिए |
⏩निद्रा :- निद्रा को रोकने से जम्भाई आना, अंग टूटना, नेत्रों व मस्तक का जड़ हो जाता है| इसलिए निंद आने पर सो लेना चाहिए|
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