15/11/2025
मेरी जो मनःस्थिति होती है, नशे के पल में, और जो समाधि के पल में मन:स्थिति होती है - इन दोनों में एक गहरी समानता होती हैं। यह दोनों स्थितियां मुझे हर रोज, हर पल कि तनावपूर्ण मनःस्थिति से राहत देती हैं। इसलिए मुझे नशे या मनोरंजन कि लत गई हैं। नशा माने केवल शराब, सेक्स नहीं बल्कि वह जो हमेशा मेरे मन पर छाया रहता है। ज्ञान, पैसे, शोहरत, मनोरंजन इत्यादि के पीछे भागना भी नशा हि है।
जो मन से न उतरे, माया कहिए सोय -संत कबीर।