Modern Natural Products

Modern Natural Products Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Modern Natural Products, Alternative & holistic health service, 109/A, Mittal Chambers, Nariman Point, Mumbai.

09/08/2023

#भरोसा

साधुओं का एक टोल रेलवे लाइन वाला फाटक पार करके एक संत के आश्रम में पहुंचा।

आश्रम के नाम पर दो कमरे, एक बाथरूम और एक शौचालय बना हुआ था।

आंगन में एक हैंडपंप लगा हुआ था। एक तरफ छोटा सा बगीचा था। पंप का सारा पानी उसी बगीचे में बहता था।

रसोई खुले में आंगन में बनाई गई थी।
इस संत का नाम बाबा सीताराम था।

नमो नारायण करने के बाद संतों का टोल वहां बैठ गया। इस टोली में कुछ प्रौढ साधु थे और कुछ उनके शिष्य थे। कुल कोई आठ लोग थे।

"बाबा जी! दिन में आज भंडारा था। संत सम्मेलन का आज आखिरी दिन था। दिन में गरिष्ठ भोजन लिया। सोचा शाम को आपके पास हल्का फुल्का भोजन करेंगे।"

दूर पश्चिम में सूरज अस्त होने को था।
नजदीक रेलवे लाइनों से अलसाई धूप की किरणे सिमट रही थीं। पैसेंजर ट्रेनों के जाने की आवाज़े आ रही थी। शाम के समय एक ट्रेन बठिंडा, एक दिल्ली और एक धूरी और हिसार की तरफ जातीं ।

सबका क्रॉस जाखल जंक्शन पर होता था।

अब तो समय बदल गया है। ट्रेनों के रूटों का विस्तार हो गया है। उनके फेरे भी बढ़ा दिए गए हैं। अब शायद क्रोस की अनिवार्यता की प्रासंगिकता भी उतनी नहीं रही हैं।

एक-एक करके सभी संत महात्मा नहाने लगे। आंगन में बंधी तार पर अपने वस्त्र सूखने के लिए डाल दिए।

नहा धोकर रोटी की व्यवस्था की जाने लगी।

बाबा सीताराम जी कहने लगे कि भाई सब सामान है ।यह चूल्हा है । जो जी चाहे बना लो।

एक साधु जो उम्र में छोटा था। किसी प्रौढ साधु का शिष्य था। उसने आटे के कनस्तर को देख कर कहा ,
"इसमें तो आटा तो थोड़ा सा है। इतने लोगों की रोटी कैसे बनेगी?"

बाबा सीताराम जी मुस्कुराए और कहने लगे कि जो है उतने की तो बना लो। एक दो शिष्यों ने मिलकर आलू की सब्जी काट ली और रोटियां बनाने के लिए आटा गूंद कर रख दिया।

जितना आटा था । सारा आटा निकाल कर उस शिष्य ने कनस्तर को जोर से बजाया जिससे सबको पता लग जाए कि कनस्तर में और आटा नहीं है । कनस्तर खाली हो गया है।

सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनी। सभी साधुओं ने भरपेट खाना खाया। सबके खाना खाने के बाद भी चार पांच चपाती बच गई। कई साधुओं ने खाने के बाद डकार भी लिए। जो इस बात की सूचक थी कि भोजन के आनंद से उन्हें तृप्ति हो गई है।

अब उस शिष्य के गुरु ने कहा, "अरे कृपाराम ! तू तो कहता था , कि आटा कम है । कम है। चपातियां तो बची हैं। अब तू और खा।"

आवाज में गुस्सा बनावटी था।

कृपाराम चुपचाप सुनता रहा। गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह होता रहा। साधु परंपरा का एक अपना अलग उत्कृष्ट स्तर होता है।

बाबा सीताराम भी सुन रहे थे और मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।

भोजन ग्रहण करने के बाद कुछ देर तक सभी साधुओं की बाबा सीताराम जी के साथ धर्म चर्चा होती रही।

फिर सबको नींद आने लगी। सब सो गए।
‌०
जाखल के ही एक मोहल्ले में मास्टर राममूर्ति रहा करता था। उसकी नींद जैसे ही सुबह खुली। उसके अंदर से आवाज आई। उसने कनक का पीपा उठाया और चुलड वाली गली के कोने पर आटा चक्की पर चला गया।

इस आटा चक्की को रिटायर्ड फौजी चलाता था। फौज का अनुशासन कहिए। या उसका स्वभाव। वह समय का बड़ा पाबंद था। सुबह सवेरे ही चाय पीकर आटा चक्की पर आ जाता था। उसकी रिहाइश भी चक्की से ज्यादा दूर नहीं थी। बीच में वह नाश्ता करने के लिए अपने घर चला जाता था। तब तक चक्की पर कोई दूसरा व्यक्ति जो उसके साथ काम करता था ,संभालता।

उन दिनों नाश्ते में चाय का बड़ा गिलास और तले हुए पंराठे ही हुआ करते थे। पंराठे की एक कौर के साथ चाय की घूंट भी पी जाती थी। चाय गडवी या गिलास में दी जाती और साथ में एक कटोरी भी दी जाती थी। दही अमूमन नहीं होती थी। आम का अचार बहुत खुश होकर नाश्ते में पंराठों के साथ खाया जाता था।


थोड़ी देर में मास्टर जी आटे का कनस्तर अपने कंधे पर उठा अपने घर से सैक्रेटरी वाली गली से तुलसी वाले मंदिर के आगे से होते हुए, बस स्टैंड के साथ लगती सड़क जो रेलवे स्टेशन को जाती थी , उस पर पहुंच गए।माल गोदाम से आगे कच्चा रास्ता था । जिसमें कोयले की राख मिली होने से उसका रंग हल्का काला रहता था।

स्टेशन मास्टर के क्वार्टर के सामने से होते हुए रेलवे पुल के नजदीक ड्राइवरों और गार्ड लोगों का रेस्ट रूम होता था । उसको क्रॉस करते हुए रेलवे सिग्नल के केबिन के नीचे से रेलवे लाइनों को क्रॉस करके बाबा सीताराम जी के आश्रम की तरफ मुड़े।

रेलवे लाइन के साथ लगती ढलान से उतरते हुए मास्टर जी को उस साधु महात्मा ने देखा कि कोई व्यक्ति कंधे पर कनस्तर लिए आ रहा है। वह साधु महात्मा स्नान करने के बाद अपना गीला शरीर पोंछ रहे थे।

सूरज निकल चुका था। हल्की हल्की धूप उतरने लगी थी। उस वक्त मास्टर जी ने आश्रम का चारदीवारी पर लगा छोटा सा लोहे का गेट खोला।


मास्टर जी ने बाबा सीताराम जी को व सभी साधुओं को नमो नारायण किया। कनस्तर रखा। हाथ जोड़े। विदा लिया।

बाबा सीताराम जी ने मुस्कुराकर मास्टर जी की तरफ देखा।
‌ ०

"अरे कृपाराम! देख, देख, बाबा सीताराम तो कहीं गया नहीं । कल रात को आटा खत्म हुआ है । आज सुबह कोई भक्त आटा दे भी गया है।"

"तू मुझे कल कह रहा था आटा तो थोड़ा है। थोड़ा है। आज फिर कनस्तर भर गया है।"

उन दिनों मोबाइल नहीं होते थे। लैंडलाइन भी लग्जरी आइटम की तरह मोहल्ले में एक आध घर में लगा होता था।

बात अचरज की तो थी।
बाबा सीताराम कहीं गया नहीं।
किसी को संदेश दिया नहीं।

फिर मास्टर जी को संदेश कैसे मिला?

उनके अंदर से कैसे आवाज आई कि मुझे बाबाजी के पास जाना है?
अभी जाना है।
आटा लेकर जाना है।

शिष्यों को परिपक्व बनाने की अद्भुत परंपरा हमारे संत महात्माओं के पास सदा से है। किस तरह से जीवंत उदाहरण, घटनाओं से गढ़ कर शिष्य को सब क्लियर किया जाता है। सोच साफ और स्पष्ट की जाती है। परिपक्वता और गंभीरता का रास्ता दिखाया जाता है।सारे कंसेप्ट क्लियर किए जाते हैं।

कुछ ना कुछ तो कनेक्टिविटी है। जो जोड़ती है। पर जोड़ती उन लोगों को है ।जिनमें श्रद्धा है ।जिनमें भक्ति का भा्व है।

यह संदेश सबके पास नहीं गया होगा। जाखल में सिर्फ एक ही मोहल्ला नहीं था। उस मोहल्ले में अकेला मास्टर जी ही नहीं रहता था। बाबा सीताराम जी के आश्रम में जाने वाले बहुत से लोग थे।

पर घंटी सिर्फ मास्टर जी के दिल में ही बजी थी।

मास्टर जी जब लौट रहे थे तो उनके कानों में उस प्रौढ साधु की आवाज आई।

देखा, कृपाराम!
संत महात्मा अपने शिष्य को संबोधित कर रहे थे। समझा रहे थे।

इसको कहते हैं भरोसा। बाबा सीताराम को तो सिर्फ एक पर भरोसा है। जिसको भी उस पर भरोसा है। उसको कल की चिंता नहीं होती।

रेलवे लाइन क्रॉस करते हुए मंडी की तरफ लौटते हुए मास्टर जी के कानों में मंदिर के लाउडस्पीकर से आवाज आ रही थी-

कल भी तेरा आसरा
आज भी तेरी आस
घड़ी घड़ी तेरा आसरा
छः ऋतु बारह मास

Address

109/A, Mittal Chambers, Nariman Point
Mumbai
400021

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Modern Natural Products posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram

Nearby clinics


Other Alternative & Holistic Health in Mumbai

Show All