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हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल कीजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
07/09/2023

हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

30/03/2023
18/02/2023

शिव की बनी रहे आप पर छाया,
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया
मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में,
जो कभी किसी ने भी न पाया,
ॐ नमः शिवाय ! हर हर महादेव

आप सभी को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं बाबा महाकाल का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे🙏🏻🙏🏻

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं...
14/01/2023

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं...

29/10/2022

ये छठ जरुरी है |
धर्म के लिए नहीं..... समाज के लिए नहीं |
जरुरी है हम आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं |
उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है |
उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं उस परिवार के लिये जो टुकड़ो में बंट गया है |
ये छठ जरुरी है उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों से बड़ा भी घर होता है |
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है |
ये छठ जरुरी है उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है |
जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है |
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी सलाम करता है |
ये छठ जरुरी है #गागर, #निम्बू और #सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए | सूप और दउरा को बनाने वालों के
लिए |
ये बताने के लिए इस समाज में उनका भी महत्व है |
ये छठ जरुरी है उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमज़ोर समझते हैं |
ये छठ जरुरी है...... बेहद जरुरी |
अंत में आप सभी को आस्था के इस पावन पर्व छठ की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं।।
#छठ

धनवंतरी प्राकट्य दिवस की शुभकामनाएं । भगवान धनवंतरी आप सबों को आरोग्य प्रदान करें।
22/10/2022

धनवंतरी प्राकट्य दिवस की शुभकामनाएं । भगवान धनवंतरी आप सबों को आरोग्य प्रदान करें।

04/10/2022
छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं,..छठी मैया आप सबो को धन्य धान्य व आरोग्य प्रदान करे.....
10/11/2021

छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं,..
छठी मैया आप सबो को धन्य धान्य व आरोग्य प्रदान करे.....

 #नवरात्रि_नवम_दिवस #माँ_सिद्धिदात्रीमाँ दुर्गा की शक्ति का नौंवा रूपमाँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं...
14/10/2021

#नवरात्रि_नवम_दिवस
#माँ_सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा की शक्ति का नौंवा रूप

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।

#श्लोक

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि |
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ||

#सिद्धियां

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है। इनके नाम इस प्रकार हैं-

माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है।

प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह माँ सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करे। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो। इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।

#नवदुर्गाओं_में
नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री माँ के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से माँ भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। माँ भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। माँ के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए भक्त को निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करने का नियम कहा गया है। ऐसा माना गया है कि माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। विश्वास किया जाता है कि इनकी आराधना से भक्त को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा गया है कि यदि कोई इतना कठिन तप न कर सके तो अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर माँ की कृपा का पात्र बन सकता ही है। माँ की आराधना के लिए इस श्लोक का प्रयोग होता है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में नवमी के दिन इसका जाप करने का नियम है।

#स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

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