Dr. Naseem Ahmed Thanvi Memorial Clinic

Dr. Naseem Ahmed Thanvi Memorial Clinic Ayurveda Doctor,
Muzaffarnagar, Uttar Pradesh, India
Cell Phone: +91-9837035794

बवासीर, Piles या Hemorrhoids एक प्रकार की तकलीफ़ ओर परेशानी देने वाली बीमारी होती है।जिसका उपचार समय पर ना कराने पर ये ब...
25/04/2024

बवासीर, Piles या Hemorrhoids एक प्रकार की तकलीफ़ ओर परेशानी देने वाली बीमारी होती है।
जिसका उपचार समय पर ना कराने पर ये बहुत भयानक बीमारी भगन्दर (Fistula) का रूप ले लेती है।
जिसका मुख्य कारण हमारी पाचन क्रिया (Digestive System) का बिगाड़ना, तेज़ तला भुना खाना, क़ब्ज़ रहना, धूम्रपान करना, अत्यधिक खड़े रहना आदि हैं
बवासीर दो प्रकार की होती है-
1- खूनी बवासीर
2- बादी बवासीर
हमारे यहाँ पुरानी से पुरानी बवासीर को मात्र एक से दो माह में आयुर्वेदिक दवाइयों द्वारा ठीक किया जाता है।
जिसमें रोगी को किसी प्रकार का कोई दर्द और पीढ़ा भी नहीं सहनी पड़ती है।
मात्र खाने ओर लगाने वाली दवाइयों द्वारा ही मरीज़ बिल्कुल ठीक हो जाता है।
Note-
दूर से आने वाले मरीज़ चाहें तो दवाई घर बेठे मंगा सकते हैं दवाई डाक द्वारा आपके दिए हुए Address पर पहुँच जाएगी।
Call या Whatsapp करें-
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जहां प्यार है वहीं तकरार भी है. लेकिन जब यही तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाती है तो रिश्ता बिखरने की कगार पर पहुंच जाता है...
30/04/2022

जहां प्यार है वहीं तकरार भी है. लेकिन जब यही तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाती है तो रिश्ता बिखरने की कगार पर पहुंच जाता है.

इन लड़ाई-झगड़ों की असली वजह हमारी शारिरिक असंतुष्टि है। जिसकी वजह से चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है. चिड़चिड़ापन बढ़ जाने से छोटी-छोटी बातें भी बुरी लगने लगती हैं. यही चिड़चिड़ापन तलाक की वजह बनता है. 

शरीर की अन्य समस्याओं की तरह ये समस्या भी आम हैं। इन्हें छिपाने के बजाय इनका समाधान ढूंढ़ना चाहिए। कई बार इसका परिणाम डिप्रेशन या आत्महत्या के रूप में भी सामने आता है। 

कारण-

यौन रोग की बीमारी के अलावा और भी वजहें हो सकती हैं.

बढ़ती उम्र तनाव, नशीली दवायें, शराब या तंबाकू का इस्तेमाल, मधुमेह (शूगर) होना या आपसी रिश्तों से जुड़ी परेशानियां इन वजहों में शामिल हैं.

इलाज- 

थानवी क्लीनिक पिछले 43 वर्षो से अनेको गंभीर से गंभीर बीमारीयों का आयुर्वेदिक दवाईयां खिलाकर सफल इलाज कर रहे है। इसी प्रकार थानवी क्लीनिक पर गुप्त रोगियों का भी सफलतापूर्वक इलाज करते आ रहे है। बचपन की गल्तियो के कारण रोगियों की नसे बंद हो जाती है, उन्हे अच्छे इलाज कर तिलो के द्वारा खोल दिया जाता है। ताकत की दवाईयों का कोर्स करने के बाद रोगी सारी उम्र के लिये जवां मर्द बन जाता है। जो रोगी किसी भी रोग के कारण शादी नही कराना चाहते वे थानवी क्लिनिक के इलाज से बिल्कुल ठीक हो सकते है। परन्तु नामर्दी कोई ऐसा रोग नही है, जिसका इलाज न किया जा सके, इसके लिये थानवी क्लिनिक पर कुश्तो व भस्मो द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक दवाईयों से इलाज किया जाता है, इस इलाज से हमारे कई रोगी लाभ प्राप्त कर चुके है। इसके लिये हमारे यहां कोई ज्यादा रकम भी नही ली जाती है। माऋ दवाईयों के खर्च व अपनी फीस पर ही हजारों लोगो का इलाज किया जा चुका है तथा वे रोगी ठीक हो चुके है। आयुर्वेदिक दवाईयों का कोई भी साइड इफैक्ट नही होता है।

कुछ रोगी शर्म के कारण किसी से परामर्श करने में हिचखीचतें हैं। इसलिए अगर किसी को इस प्रकार की कोई दिक्कत है तो वो अपनी सारी परेशानी हमें व्हाट्सएप पर लिख कर अपने पते के साथ भेज सकता है। ओर दवा घर बैठे प्राप्त कर सकता है। कैश ऑन डिलेवरी (COD) की सुविधा उपलब्ध है।

संपर्क करें-

डॉ0 नसीम अहमद थानवी मेमोरियल क्लिनिक
शामली रोड, तांगा स्टैंड के सामने ऊपरी मंज़िल
मुज़फ्फरनगर (सिटी)
उत्तर प्रदेश

Dr. Naseem Ahmed Thanvi Memorial Clinic
Shamli Road, Near Tanga Stand
Muzaffarnagar (City)
Uttar Pradesh

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+91-8126-20-20-20 

    या  #रसौली ऐसी गांठें होती हैं जो कि महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास उभरती हैं। ये मांस-पेशियों और फाइब्रस उत्त...
23/01/2022

या #रसौली ऐसी गांठें होती हैं जो कि महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास उभरती हैं। ये मांस-पेशियों और फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं और इनका आकार कुछ भी हो सकता है। बहुत सी महिलाओं को पता ही नहीं होता है कि उन्हें रसौली है क्यों कि उनमें ऐसे कोई लक्षण ही नहीं होते हैं। कभी-कभार जांच के दौरान पता चल जाता है कि वे रसौली का शिकार हैं।

● गर्भाशय में रसौली (सिस्ट/Fibroids) के कारण-
अधिकतर देखने में ये आता है कि महिलाओं में हार्मोंस की गड़बड़ी (Harmonal Imbalance) के कारण, अनियमित खान पान व मोटापा बढ़ना इसका मुख्य कारण हो सकता है।

●क्या बिना ऑपरेशन रसोली (Cyst/Fabroid) का इलाज संभव है?

जी हाँ पूर्ण रूप से आयुर्वेद नुस्खे द्वारा गर्भाशय में गांठ की बीमारी होने पर इसका इलाज सम्भव है तथा गर्भधारण करना भी संभव है। एलोपैथी चिकित्सा के अनुसार गर्भाशय/बच्चेदानी में रसोली होने पर बिना ऑपरेशन के इलाज काफी मुश्किल है अतः ऑपरेशन के बाद भी इस बीमारी से पीडि़त महिला कभी मां नहीं बन सकती है। डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी में गर्भाशय व बच्चेदानी में रसोली के कारण गर्भधारण नहीं कर पाती है। लेकिन आयुर्वेद पद्धिति द्वारा गांठ, रसोली, पित्त की थैली की पथरी व गुर्दे की पथरी का बिना आपरेशन इलाज संभव है। जिसके लिए मरीज़ को सिर्फ खाने की हर्बल ओषधियों द्वारा अपना इलाज समय पर कराना पड़ता है और कुछ समय बाद मरीज़ को अपनी बीमारी से बिना किसी साइडइफेक्ट के छुटकारा मिल जाता है।

●रसोली नहीं है लाइलाज, आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज संभव:

आपको बता दें कि रसौली/सिस्ट अधिक गंभीर बीमारी नहीं है। इसका इलाज आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा संभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ़्फ़रनगर में कई दशकों से "थानवी क्लीनिक" स्थापित है। जहाँ पर इसका इलाज बिना ऑपरेशन, आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा किया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर बसे मुज़फ़्फ़रनगर शहर में शामली रोड़ पर तांगा स्टैंड के सामने थानवी क्लीनिक पर पूरे देशभर से मरीज़ आते हैं और बिना ऑपरेशन पित्त की थैली की पथरियां और बच्चेदानी की रसौलियां निकलवाते हैं। "थानवी क्लीनिक" द्वारा आयुर्वेद को बढ़ावा देने हेतु कई अभियान चलाये जाते हैं और लोगों को बताया जाता है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से हमारे शरीर की समस्त बीमारियों का इलाज संभव है। डॉ थानवी के क्लीनीक पर मरीज़ों को पित्त की थैली की पथरी की दवाई के लिए मात्र 13 दिन की दवाई दी जाती है। दवाई खाने के दौरान ही पित्त की थैली की पथरियां घुल घुल कर लैट्रीन के रास्ते बाहर निकल जाती है। जिसके कारण देश के हर राज्य के कोने कोने से "थानवी क्लीनिक" पर मरीज़ आकर दवाई लेते हैं। ये दवाई पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है और किसी भी दवाई का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। बहुत से मरीज़ अधिक या कम उम्र के कारण ऑपरेशन नहीं करा सकते। थानवी क्लीनिक पर 2 साल के बच्चे से लेकर अधिक उम्र के वृद्धों का इलाज भी किया जाता है।

●नोट- थानवी क्लिनिक पर मरीज़ को लाने की आवश्यकता नही है, अथार्त मरीज़ का अल्ट्रासाउंड दिखा कर दवाई ले जा सकते हैं या अपना पता व अल्ट्रासाउंड भेज कर दवाई कोरियर द्वारा घर बैठे भी मंगवा सकते हैं।

संपर्क करने के लिए हमें
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पता-
डॉ० नसीम अहमद थानवी मेमोरियल क्लीनिक
शामली रोड, बघरा तांगा स्टैंड के सामने
हनुमान चौक से आगे
मुज़फ्फरनगर सिटी (उत्तर प्रदेश)

23/09/2020
12/10/2019
We salute to wing Commander Abhinandanपथरी : अब नहीं बनेगी ऑपरेशन का कारणक्यों बनती है पित्त की थैली में पथरी (     )पाच...
02/03/2019

We salute to wing Commander Abhinandan

पथरी : अब नहीं बनेगी ऑपरेशन का कारण

क्यों बनती है पित्त की थैली में पथरी ( )
पाचन क्रिया बिगड़ने के कारण हमारे शरीर में पेट की कई तरह की बीमारियां उत्तपन्न हो जाती हैं। जिसमें पित्त की थैली में पथरी होने के मामले बहुत तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। अंग्रेजी उपचार ( ) में पित्त की थैली की पथरी निकालने का कोई उपचार नहीं है। जिसके कारण अत्यधिक चिकित्सक पित्त की थैली में पथरी के मरीजों को ऑपरेशन कराने के लिए सुझाव देते हैं। पित्त पथरी को लाइलाज समझ कर लोग ऑपरेशन करवा लेते हैं लेकिन ऑपरेशन के बाद मरीज़ की समस्या पहले से कई गुना बढ़ जाती है और कई प्रकार की बीमारियों के मामले सामने आते हैं। ऑपरेशन कराने के बाद मरीज़ की पूरी पित्त की थैली निकलने के कारण शरीर को उचित पित्तरस भी मिल नहीं पाता है जिसके कारण मरीज़ की पाचन क्रिया नष्ट हो जाती है। पित्त पथरी नहीं है लाइलाज :
आपको बता दें कि पित्त की थैली की पथरियां अधिक गंभीर बीमारी नहीं है। पथरी का इलाज आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा संभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ़्फ़रनगर में कई दशकों से "थानवी क्लीनिक" स्थापित है। जहाँ पर पित्त की थैली की पथरियां बिना ऑपरेशन, आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा निकाली जाती है। देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर बसे मुज़फ़्फ़रनगर शहर में शामली रोड़ पर तांगा स्टैंड के सामने थानवी क्लीनिक पर पूरे देशभर से मरीज़ आते हैं और बिना ऑपरेशन पित्त की थैली की पथरियां और बच्चेदानी की रसौलियां निकलवाते हैं। "थानवी क्लीनिक" द्वारा आयुर्वेद को बढ़ावा देने हेतु कई अभियान चलाये जाते हैं और लोगों को बताया जाता है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से हमारे शरीर की समस्त बीमारियों का इलाज संभव है। डॉ थानवी के क्लीनीक पर मरीज़ों को पित्त की थैली की पथरी की दवाई के लिए मात्र 13 दिन की दवाई दी जाती है। जिन मरीजों के पथरी काफी ज्यादा है उनको 13-13 दिन के दो कोर्स करने होते हैं। दवाई खाने के दौरान ही पित्त की थैली की पथरियां घुल घुल कर मल के रास्ते बाहर निकल जाती है। जिसके कारण देश के हर राज्य के कोने कोने से "थानवी क्लीनिक" पर मरीज़ आकर दवाई लेते हैं। ये दवाई पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है और किसी भी दवाई का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। बहुत से मरीज़ अधिक या कम उम्र के कारण ऑपरेशन नहीं करा सकते। थानवी क्लीनिक पर 2 साल के बच्चे से लेकर अधिक उम्र के वृद्धों का इलाज भी किया जाता है। Thanvi Clinic
Shamli Road
Muzaffarnagar (U.P)
9837035794
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25/02/2019

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पित्त की थैली में पथरी : अब नहीं बनेगी ऑपरेशन का कारणक्यों बनती है पित्त की थैली में पथरी (Gall Stones)पाचन क्रिया बिगड़न...
28/10/2018

पित्त की थैली में पथरी : अब नहीं बनेगी ऑपरेशन का कारण

क्यों बनती है पित्त की थैली में पथरी (Gall Stones)
पाचन क्रिया बिगड़ने के कारण हमारे शरीर में पेट की कई तरह की बीमारियां उत्तपन्न हो जाती हैं। जिसमें पित्त की थैली में पथरी होने के मामले बहुत तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। अंग्रेजी उपचार (एलोपैथिक ट्रीटमेंट) में पित्त की थैली की पथरी निकालने का कोई उपचार नहीं है। जिसके कारण अत्यधिक चिकित्सक पित्त की थैली में पथरी के मरीजों को ऑपरेशन कराने के लिए सुझाव देते हैं। पित्त पथरी को लाइलाज समझ कर लोग ऑपरेशन करवा लेते हैं लेकिन ऑपरेशन के बाद मरीज़ की समस्या पहले से कई गुना बढ़ जाती है और कई प्रकार की बीमारियों के मामले सामने आते हैं। ऑपरेशन कराने के बाद मरीज़ की पूरी पित्त की थैली निकलने के कारण शरीर को उचित पित्तरस भी मिल नहीं पाता है जिसके कारण मरीज़ की पाचन क्रिया नष्ट हो जाती है।

पित्त पथरी नहीं है लाइलाज, आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज संभव:
आपको बता दें कि पित्त की थैली की पथरियां अधिक गंभीर बीमारी नहीं है। पथरी का इलाज आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा संभव है। उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ़्फ़रनगर में कई दशकों से "थानवी क्लीनिक" स्थापित है। जहाँ पर पित्त की थैली की पथरियां बिना ऑपरेशन, आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा निकाली जाती है। देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर बसे मुज़फ़्फ़रनगर शहर में शामली रोड़ पर तांगा स्टैंड के सामने थानवी क्लीनिक पर पूरे देशभर से मरीज़ आते हैं और बिना ऑपरेशन पित्त की थैली की पथरियां और बच्चेदानी की रसौलियां निकलवाते हैं। "थानवी क्लीनिक" द्वारा आयुर्वेद को बढ़ावा देने हेतु कई अभियान चलाये जाते हैं और लोगों को बताया जाता है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से हमारे शरीर की समस्त बीमारियों का इलाज संभव है। डॉ थानवी के क्लीनीक पर मरीज़ों को पित्त की थैली की पथरी की दवाई के लिए मात्र 13 दिन की दवाई दी जाती है। जिन मरीजों के पथरी काफी ज्यादा है उनको 13-13 दिन के दो कोर्स करने होते हैं। दवाई खाने के दौरान ही पित्त की थैली की पथरियां घुल घुल कर मल के रास्ते बाहर निकल जाती है। जिसके कारण देश के हर राज्य के कोने कोने से "थानवी क्लीनिक" पर मरीज़ आकर दवाई लेते हैं। ये दवाई पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है और किसी भी दवाई का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। बहुत से मरीज़ अधिक या कम उम्र के कारण ऑपरेशन नहीं करा सकते। थानवी क्लीनिक पर 2 साल के बच्चे से लेकर अधिक उम्र के वृद्धों का इलाज भी किया जाता है।

थानवी क्लिनिक पर मरीज़ को लाने की आवश्यकता नही है, अथार्त मरीज़ का अल्ट्रासाउंड दिखा कर दवाई ले जा सकते हैं या अपना पता व अल्ट्रासाउंड भेज कर दवाई कोरियर द्वारा घर बैठे भी मंगवा सकते हैं।

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जहां प्यार है वहीं तकरार भी है. तकरार जब तक तकरार रहे तब तक तो ठीक है लेकिन जब यही तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाती है तो ...
02/07/2018

जहां प्यार है वहीं तकरार भी है. तकरार जब तक तकरार रहे तब तक तो ठीक है लेकिन जब यही तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाती है तो रिश्ता बिखरने की कगार पर पहुंच जाता है.

इन लड़ाई-झगड़ों की असली वजह हमारी शारिरिक असंतुष्टि या बच्चे ना होना है। जिसकी वजह से चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है. चिड़चिड़ापन बढ़ जाने से छोटी-छोटी बातें भी बुरी लगने लगती हैं. यही चिड़चिड़ापन तलाक की वजह बनता है.

शरीर की अन्य समस्याओं की तरह ये समस्या भी आम हैं। इन्हें छिपाने के बजाय इनका समाधान ढूंढ़ना चाहिए। उचित सलाह एवं चिकित्सा के अभाव में व्यक्ति हीन भावना और डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है। कई बार इसकी परिणति आत्महत्या के रूप में भी सामने आती है।

कारण-
यौन रोग की बीमारी के अलावा और भी वजहें हो सकती हैं. तनाव, नशीली दवाओं का इस्तेमाल, शराब पीना, तंबाकू का इस्तेमाल, साइकिल चलाना या आपसी रिश्तों से जुड़ी परेशानियां इन वजहों में शामिल हैं.

इलाज-कैसे सुखमय जीवन बिताए
थानवी क्लीनिक पिछले 39 वर्षो से अनेको गंभीर से गंभीर बीमारीयों का आयुर्वेदिक दवाईयां खिलाकर सफल इलाज कर रहे है। इसी प्रकार थानवी क्लीनिक पर गुप्त रोगियों का भी सफलतापूर्वक इलाज करते आ रहे है। नामर्दी, भी अनेक प्रकार की होती है, इसमे बहुत से जन्मजात नामर्द होते है, उनका कोई इलाज नही होता है, क्योकि उनकी इन्द्री नही होती है। इसी प्रकार मनुषय की खराब जीवनशीली होने जैसे फास्टफूड,नींद न पूरी होना, चोट लग जाना, शराब व सिगरेट का ज़्यादा सेवन करना और शुगर के रोगियों में अचानक कमजोरी आ जाती है, इससे उनकी मर्दाना ताकत एकदम शून्य हो जाती है तथा रोगी घबराकर आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाता है। परन्तु नामर्दी कोई ऐसा रोग नही है, जिसका इलाज न किया जा सके, इसके लिये थानवी क्लिनिक पर कुश्तो व भस्मो द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक दवाईयों से इलाज किया जाता है, इस इलाज से हमारे कई रोगी लाभ प्राप्त कर चुके है। इसके लिये हमारे यहां कोई ज्यादा रकम भी नही ली जाती है। माऋ दवाईयों के खर्च व अपनी फीस पर ही हजारों लोगो का इलाज किया जा चुका है तथा वे रोगी ठीक हो चुके है। आयुर्वेदिक दवाईयों का कोई भी साइड इफैक्ट नही होता है। बचपन की गल्तियो के कारण रोगियों की नसे बंद हो जाती है, उन्हे अच्छे इलाज कर तिलो के द्वारा खोल दिया जाता है। ताकत की दवाईयों का कोर्स करने के बाद रोगी सारी उम्र के लिये जवां मर्द बन जाता है। जो रोगी किसी भी रोग के कारण शादी नही कराना चाहते वे थानवी क्लिनिक के इलाज से बिल्कुल ठीक हो सकते है। थानवी क्लिनिक का दावा है कि अगर दुनिया में इस प्रकार का रोगी हो तो हमारी आयर्वेदिक दवाईयों से बिल्कुल ठीक हो सकता है। ये बीमारी कोई गंभीर बीमारी नही होती है, इसे थोडे समय में ही उचित इलाज से रोगी को पूरा फायदा हो जाएगा।

कुछ रोगी शर्म के कारण किसी से परामर्श करने में हिचखीचतें हैं। इसलिए अगर किसी को इस प्रकार की कोई दिक्कत है तो वो अपनी सारी परेशानी हमें व्हाट्सएप पर लिख कर अपने पते के साथ भेज सकता है।
ओर दवा घर बैठे प्राप्त कर सकता है।

बच्चे न होना या महिलाओं के बांझपन इलाज आयुर्वेद में
जिनके बच्चे नही होते है। इस प्रकार के रोगी ऐलौपैथीक डॉक्टरों के यहां चक्कर काट-काट कर थक जाते है। इस इलाज से रोगियों का काफी धन तो खर्च हो ही जाता है परन्तु फायदा भी नही होता। कुछ रोगि अपने रोगों का नलो का आपरेशन करवाते है परन्तु उसके बाद भी नाकामी ही मिलती है। थानवी क्लिनिक पिछले 39 वर्षों से इस बीमारी का सफल इलाज कर रहे है। इनके इलाज से जाने कितने निराश परिवार संतान की प्राप्ति कर चुके है। आयुर्वेदिक दवाई से संतानहीनता दूर हो जाती है तथा रोगी के घर में खुशियां लौट आती है।

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