Ishwar Multispecality

Ishwar Multispecality Page gives information on parenting, also help in solving behavior, educational & developmental prob

02/08/2025

हसत-खेळत बालविकास

आपण सर्व पालक आपल्या बाळासाठी एकच स्वप्न पहातो ते म्हणजे मुल सर्वात हुशार, बुद्धीमंत, उत्कृष्ट व्यक्तीमत्वाचे असावे. यासाठी आपले आपल्या बाळाचे वय २ ते ६ वर्षे असतानाच खऱ्या प्रयत्नांची आवश्यकता असते. याच वयात बाळाच्या मेंदुची जास्तीत जास्त वेगात वाढ होत असते.
Remember- "There is only one child in the world who is beautiful & intelligent, every parent wants it."

ज्याप्रमाणे हातांच्या स्नायुंना रोज व्यायाम देऊन आपण ताकदवान बनवतो त्याचप्रमाणे या वयात बाळाच्या मेंदुला वारंवार उत्तेजना देऊन जास्तीत जास्त विकसीत करता येते. या प्रकारच्या मेंदुच्या विकासासाठी आवश्यकता असते फक्त आपल्या वेळेची. आपण आपला योग्य वेळ मुलांसाठी राखून ठेवावा. या वेळात मुलांसोबत खेळणे, खेळता खेळता शिकवणे करीत रहावे. मेंदुचा विकास जरी नैसर्गीकरित्या होत असला तरी पालकांच्या मदतीने हा विकास दोन किंवा तिन पटीने वाढवता येतो.
Remember- In this age a child needs your presence (Time), They never demand presents (gift)".

🔸 उपरोक्त कार्यासाठी लक्षात ठेवण्याचे मुद्दे
१. प्रथम मुला सोबत खेळतांना किंवा शिकविताना त्याची इच्छा आहे की नाही हे निश्चित करावे. आपण कितीही व्यस्त असाल तरीही मुलासाठी आपला वेळ राखून ठेवावा.
२. या कार्याला अभ्यासक्रमाचा एक भाग म्हणून पूर्ण करण्याचा प्रयत्न करु नये.
३. आपण दिलेली माहिती किंवा शिकविलेली एखादी कृती मुलाने जशीच्या तशी आत्मसात करावी अशी अपेक्षा करु नये. आपले काम फक्त मुलाला वारंवार माहिती देणे किंवा सांगणे आहे. त्यामुळे मेंदुच्या पेशीत वाढ होते.
४. ही सर्व कृती एक खेळ आहे. ती आपल्या मुला सोबत फक्त खेळायची आहे. ज्यामुळे त्याचा मानसिक, शारीरिक, सामाजिक विकास होईल.
५. सुरुवातीला सांगितल्याप्रमाणे मेंदुचा विकास हाच आपला सर्वात महत्वाचा उद्देश आहे. परंतु या सर्व कृतीत जर आपल्याला वाटत असेल की आपल्या मुलाला चिडचिड, उदासीनता, एकाकीपणा जानवत आहे तर हे सर्व प्रयत्न काही दिवसासाठी बंद करावेत. परत जेव्हा मुल आनंदी असेल किंवा सामान्य असेल त्यावेळेस थोड्या प्रयत्नाने सुरुवात करता येईल.
Remember- लक्ष्य न ओझल होने पाये, कदम मिलाकर चल । सफलता तेरे कदम चुमेगी, आज नही तो कल
- श्री मुरारी बापू आपण वारंवार प्रयत्न करत असताना बऱ्याचदा आपले मुल प्रतिसाद देत नाही. कोणतेही काम करत असताना फक्त संयम आवश्यक आहे.

🔸 मुलभुत आवश्यकता
खालील मुलभुत गोष्टींमध्ये जर उणीव (Error) असेल तर मुलाच्या विकासामध्ये अडथळा निर्माण होऊ शकतो. या मुद्यांकडे पालकांनी विशेष लक्ष देणे आवश्यक आहे.
1. पालकांनी सर्व गोष्टींचे पालन करुन आदर्श मुलांसमोर ठेवावा.
२. मुलाला पुर्ण झोप किमान ८ ते १० तास मिळावी. झोप जरी तासामध्ये कमी अधिक झाली तरी मुल शारीरिक रित्या थकलेले नसावे.
३. मुलाला खेळण्यासाठी भरपूर वेळ द्यावा.
४. मुलाच्या प्रत्येक भावना समजणे त्याने सांगितलेले सर्वकाही मनःपूर्वक ऐकणे आवश्यक आहे.
५. आपल्या घरातील वातावरण प्रसन्न असावे.
६. पालकांकडून मुलांना नेहमी भरपूर प्रेम, भावनीक स्थैर्य, स्तुती व प्रशंसा करत सकारात्मक प्रोत्साहन मिळावे.
७. मुलांना हे सर्व करताना योग्य शिस्त लावावी.
Remember- Your children are the most precious gift of the God

🔸 असे करु नये
१. अति जास्त संरक्षण देऊ नये.
२. अति जास्त अपेक्षा ठेवू नये..
३. घरातील वाद विवाद, तणाव मुलांसमोर आणू नये.
Remember- ।। आपके होनहार बच्चे ही आपकी सर्वश्रेष्ठ संपत्ती है ।।

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26/07/2025

*Does teething causes loose motion? मेरे बच्चे को दांत निकलने के कारण दस्त हो रहे हैं, इसे कैसे रोकें?*

*भारत में एक आम मिथक है - दांत निकलने से दस्त होता है, यह बिल्कुल गलत है. यह वीडियो देखकर समझें कि शिशुओं को बार-बार दस्त क्यों होते हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है?*

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24/07/2025

*कड़ी मेहनत से प्रतिभा मात खा जाती है {Hard work beats talent}*

कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है; लेकिन कई छात्र कड़ी मेहनत के बावजूद सफल नहीं हो पाते। इसका एकमात्र कारण है - स्मार्ट हार्डवर्क। इस विषय पर मेरे YouTube चैनल - डॉ. आशीष अग्रवाल पर वीडियो देखें।

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19/07/2025

*Does eating sugar causes Worm problem in children; मेरे बच्चे को कृमि की समस्या है, क्या चीनी खाने से ऐसा होता है?*

*उत्तर है नहीं. बचपन में कृमि की समस्या एक आम समस्या है। कृमि संक्रमण को कैसे रोकें, यह समझने के लिए यह वीडियो देखें?*

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16/07/2025

*C)बच्चे को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करना।*
गणेश अंधेरे कमरे में बैठा गहरी साँसें ले रहा था। गणेश के पिता नरेश शाह ने उसे देखा और पूछा कि क्या उसे कोई परेशानी है। गणेश बैडमिंटन का अभ्यास करने के लिए प्रेरित महसूस नहीं कर रहा था, लेकिन उसे चिंता थी कि स्कूल बैडमिंटन टीम का चयन अगले सप्ताह है। नरेश ने कहा कि हम कल सुबह ट्रैकिंग करके पहाड़ की चोटी पर जाएंगे। योजनानुसार वे ट्रैकिंग के लिए चले गए। नरेश ने पहाड़ी की चोटी पर जानबूझकर चलते समय से नीचे गिर जाता है और जोर से चिल्लाया, भगवान मुझे बचाओ। वह आवाज वापस गूंजी। गणेश ने अपने पिता को उठने में मदद की। नरेश ने अपने बेटे से पूछा कि मेरी आवाज़ वापस कैसे आई। गणेश ने अपने पिता को बताया कि इस घटना को प्रतिध्वनि कहते हैं। नरेश ने अपने बेटे को गले लगाया और कहा कि प्रेरणा बाहर से नहीं बल्कि अंदर से आती है जैसा मेरा शब्द इको नामक घटना द्वारा वापस आया है।
Remember- Life is an Echo
1) सकारात्मक आत्म-चर्चा (Positive self talk)
नरेश- खुद को प्रेरित करने का सबसे अच्छा तरीका है सकारात्मक बातें करना। तुम बार-बार दोहराते रहो कि तुम स्कूल के सबसे अच्छे लॉन टेनिस खिलाड़ी बनोगे। यदि आप प्रतिदिन सकारात्मक कथन दोहराते रहते हैं तो यह आपके अवचेतन मस्तिष्क में चला जाता है। यह आपको कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करने में मदद करता. इसे पुष्टिकरण कहा जाता है. पुष्टिकरण या सकारात्मक आत्म-चर्चा करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या सोने से ठीक पहले का है।
गणेश- हाँ, कभी-कभी मुझे अपनी क्षमता पर संदेह होता है लेकिन मैं आज से सकारात्मक आत्म-चर्चा का अभ्यास अवश्य करूँगा। क्या आप मुझे आत्म-प्रेरणा के लिए कुछ और तकनीक बता सकते हैं?
*Remember* - Be mindful of your self talk, it will build or destroy you.
2)सकारात्मक कथन का दृश्यीकरण (Visualization)
नरेश - हाँ बेटा, दूसरी सबसे अच्छी तकनीक है सकारात्मक आत्म-चर्चा या सकारात्मक प्रतिज्ञान की कल्पना करना। आप कल्पना कर सकते हैं कि आप स्कूल टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेल रहे हैं।
3) प्रेरक चित्र
नरेश- आप अपने पसंदीदा खिलाड़ी रोजर फेडरर का पोस्टर भी अपने बेडरूम में चिपका सकते हैं।
गणेश- बहुत बढ़िया विचार है.
4) एक आदर्श बनाएं और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करें
आप रोजर फेडरर या सेरेना विलियम्स जैसे महान टेनिस खिलाड़ियों का इंटरव्यू देख सकते हैं जैसा आप उन्हें पसंद करते हैं। यह आपको उस स्तर तक पहुँचने के लिए प्रेरित करेगा।
गणेश- यह वास्तव में आपको प्रेरित करता है लेकिन थोड़े समय के लिए।
नरेश - सकारात्मक आत्म-चर्चा और अंतिम परिणाम की कल्पना आत्म-प्रेरणा देगी।
5) कड़ी मेहनत
गणेश- कभी-कभी मुझे मैच के लिए अभ्यास करने का मन नहीं करता। जब मैं लॉन टेनिस की प्रैक्टिस करने जाता हूँ तो ज़्यादातर दोस्त टीवी देखने या वीडियो गेम खेलने में मशगूल रहते हैं।
नरेश- मैं आपकी भावनाओं को समझ सकता हूँ। इससे उबरने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी पिछली कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता को याद रखें। तुम्हें याद है कि स्कूल के वार्षिकोत्सव में तुम्हें कलेक्टर से मेडल मिला था।
गणेश ने मुस्कुराते हुए कहा हां पापा।
नरेश- आपके सबसे अच्छे दोस्त के माता-पिता आपको बधाई देने के लिए हमारे पास आए थे। और आपके दोस्त ने सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करने के लिए अपने माता-पिता से माफ़ी मांगी। मैं आपको बताऊंगा कि कड़ी मेहनत आपको अपने सपने को पूरा करने में कैसे मदद करती है।
गणेश- कृपया मुझे कड़ी मेहनत की तकनीक के बारे में बताएं
नरेश- मुझे न्यूटन का गति का तीसरा नियम बताओ।
गणेश- प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
नरेश- हमारा जीवन न्यूटन के गति के तीसरे नियम की तरह है। जब आप अभ्यास कर रहे थे, तो आपको कभी-कभी दुख होता था, जबकि आपके दोस्त सोशल मीडिया का आनंद लेने में खुश थे। जब परिणाम आए तो आपके मित्र आपसे ईर्ष्या करने लगे और दुखी होने लगे, जबकि आप अपनी सफलता का आनंद ले रहे थे। अगर आपको शुरू में मोबाइल देखने में मज़ा आता है तो परिणाम आने के बाद आपको दुख होगा। इसलिए हर क्रिया के लिए आपको खुशी और दुख दोनों महसूस होंगे। आपको हमेशा शुरुआत में दुख वाली क्रिया जोड़नी चाहिए फिर उसी काम के लिए तुम्हें बाद में खुशी मिलेगी।
गणेश- तुम दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो।
Remember- Hard work beats talent.
कुछ दिनों बाद गणेश का चयन जिला टीम के लिए हो गया और वह राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चला गया। वह दूसरे राउंड में हार गया और बहुत निराश हुआ। सानिया मिर्जा, लॉन टेनिस में भारतीय आइकन पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल होने आए गणेश को अपने पिता के साथ सानिया मिर्जा से मिलने का मौका मिला।
गणेश- मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूँ मैडम और मैं एक दिन ग्रैंड स्लैम जीतना चाहता हूँ। क्या आप मुझे कुछ टिप्स दे सकती हैं।
सानिया- हां, तुम कर सकते हो। तुम कितने दिन अभ्यास करते हो?
गणेश- मैं चार से पांच दिन अभ्यास करता हूं.
सानिया- आप राज्य स्तर पर खेल सकते हैं या यदि आप स्वाभाविक रूप से प्रतिभाशाली हैं तो आप राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता तक खेल सकते हैं। यदि आप सचमुच सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं तो आपको सूर्य की तरह जलना होगा।
गणेश- क्या मैं हफ़्ते के सातों दिन खेलूं?
सानिया- मेहनत के दो सिद्धांत हैं ..... पहला नियम यह है कि जब तक आप खेल से संन्यास नहीं ले लेते तब तक निरंतर खेलते रहें और दूसरा नियम यह है कि एक बार जब आप अभ्यास में निरंतर बने रहें तो स्वयं को चुनौती दें।
गणेश- मुझे दूसरा नियम समझ में नहीं आया।
सानिया- इसका मतलब है कि अगर आप लगातार 1 महीने तक 4 घंटे खेल रहे हैं तो आप इसे 4 घंटे और 15 मिनट बढ़ाने की कोशिश करें।इसे कहते हैं खुद को चुनौती देना। संक्षेप में कहें तो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना। चलो अलविदा प्रिय, आपकी आगामी सफलता यात्रा के लिए शुभकामनाएँ।
Remember- Setting deadlines helps to complete the project.

हमारे शहर में पिछले कुछ दिनों से डेंगू बुखार के मामले बहुत बढ़ गए हैं। डेंगू बुखार से बचाव के तरीके जानने के लिए इस स्ला...
12/07/2025

हमारे शहर में पिछले कुछ दिनों से डेंगू बुखार के मामले बहुत बढ़ गए हैं। डेंगू बुखार से बचाव के तरीके जानने के लिए इस स्लाइड को पढ़ें या मेरे यूट्यूब चैनल डॉ. आशीष अग्रवाल पर वीडियो देखें लिखकर यूट्यूब के सर्च बॉक्स में- Prevention of Dengue fever by Dr Ashish Agrawal, Nanded.

कृपया अपना प्रश्न कमेंट बॉक्स में लिखें 🙏🏻🙏🏻

Dr Ashish Agrawal, Paediatrician
Dr Gunjan Agrawal, Dentist
8888126037, 8483905330

09/07/2025

*मेरा बच्चा अपने करीबी दोस्तों से बुरी आदतें सीख रहा है, मैं क्या कर सकता हूँ* ? *यह वीडियो देखकर समझें कि हमारे बच्चों को धूम्रपान जैसी लत से बचाने के लिए अच्छे पारिवारिक जीवन का होना क्यों महत्वपूर्ण है।*

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05/07/2025

*पालकांकडून मिळणारा अपुरा वेळ* (Lack of Time):

मुलांना असुरक्षितता वाटण्याचे आणखी एक कारण आहे ते म्हणजे आई-वडिलांकडून योग्य प्रकारे वेळ न मिळणे. मुलांना वेळ न दिल्याने त्यांना त्यांच्यामनात असलेल्या विविध भावना, प्रश्न तसेच त्यांच्या आवडी निवडी प्रकट करता येत नाहीत. त्यांना विविध गोष्टींची माहिती सुद्धा मिळत नाही. या सर्वांचा परिणाम म्हणजे मुले स्वतःला एकटे समजून इतरांपेक्षा असुरक्षित समजतात.
Remember- If you give time; you will be the child's favorite toy.
एका छोट्याशा गोष्टीवरुन हे स्पष्ट करण्याचा मी प्रयत्न केला आहे. एका श्रीमंत कुटुंबामध्ये आई-वडील व त्यांचा एक लहान मुलगा असतो. कुटुंब श्रीमंत आहे म्हणजेच व्यवसायही मोठा व त्यानुसार वडील नेहमी व्यस्त असत. मुलाची व बाबांची भेट कधी कधी तेही गडबडीत किंवा व्यस्त असतानाच होत होती. “आपले बाबा नेहमी उशिरा येतात व आपल्याला केव्हाही भेटत नाहीत त्यासाठी आपण काय करावे?" असा विचार मुलाला नेहमी येत होता. त्यानुसार बाबाला धावत्या भेटेत विनवणी केली की "बाबा मला तुमच्या सोबत गप्पा माराव्या व खेळावसं वाटतं पण तुम्ही मला भेटतच नाहीत!" असे ऐकल्यावर बाबा म्हणाले, “बेटा आपला फार मोठा व्यवसाय आहे, मला सतत काम करावं लागतं, मी रात्री येतो तेव्हा तू झोपलेला असतोस, ओ.के..... नंतर खेळूया हं.....! सॉरी बेटा, ओ.के. बाय" असे म्हणून बाबा निघून जातात. मुलगा दुःखी अंतःकरणाने विचार करून या विचारावर येतो की काहीही करायचे पण आज रात्री बाबा सोबत खेळायचे. तो दररोज रात्री बाबांची वाट पहायचा पण काळी वेळात त्याला झोप लागायची. बाबांची व त्याची भेट अखेरीस चार पाच दिवसाच्या प्रयत्नानंतर झाली.
त्यावेळी मुलगा काहीच बोलत नव्हता म्हणून बाबा म्हणाले, 'काय रे काय झाले झोपला नाहीस?'
मुलगा उत्तरला "नाही बाबा आज तुम्हाला भेटावे असे ठरवलेच होते".
बाबा, “हां. बोल काय म्हणतोस?"
मुलगा म्हणाला, "बाबा तुम्ही दर महिना किती रूपये कमावता..?" बाबा, "बेटा, ते निश्चित सांगता येणार नाही पण एक ते दीड लाख रूपये प्रति महिना....!"
मुलगा, "म्हणजे बाबा अंदाजे तीन हजार रूपये दररोज... ?” असे बोलत बोलत त्या मुलाने स्वतःचा पैसे भरलेला गल्ला बाबांच्या हातात दिला व बोलू लागला.....
"बाबा हे पैसे घ्या एवढे मोजून जेवढा वेळ होईल किंवा देता येईल तेवढा वेळ द्या. प्लीज माझ्या सोबत खेळा ना...!” आणि तो मुलगा रडू लागला...
Remember- Spending time with children is more important than spending money.
वरील गोष्ट वाचल्यावर असे लक्षात येईल की पालकांनी आपल्याला वेळ द्यावा ही इच्छा मुलांच्या मनात किती तीव्र असते. त्यामुळे काय परिणाम होतात हे ही आपण समजू शकतो.

आई-वडिलांची मते : मुलांच्या मानसीक समस्ये बद्दल पालकांची मुलाखत घेताना काही गोष्टी आमच्या निदर्शणात येतात. वेळ न देणे या प्रकारचे कारण जर आम्ही त्यांच्या मुलांच्या समस्येचे कारण आहे असे सांगीतले तर ते खालील प्रकारे प्रतिक्रिया देतात....
"आम्ही मुलांना हवे ते देतो जसे विविध प्रकारची पुस्तके, चांगली शाळा, चांगले क्लासेस, भारीचे कपडे इ. कोणत्याही गोष्टीची कमी पडू देत नाहीत. तरी अजुन यांना काय हवे असते?" असे विचारतात.
काही पालक तर स्वतः आदर्श पालक आहेत हे भासविण्यासाठी स्वतःच्या आई-वडिलांनी काहीही न करता फार यशस्वी आहोत असे म्हणतात. त्यासोबतच “आम्ही तर आमच्या मुलांसाठी किती करतो!” असे उद्गारतात.
वरिल पालकांना असे सांगावे वाटते की आपण दिलेल्या वेळेचे महत्व हे इतर सर्व गोष्टींपेक्षा खुप महत्वाचे आहे. आमच्या आई वडिलांनी काहीही केले नाही असे म्हणणाऱ्या पालकांना हे माहित नसते की आई वडीलांच्या योग्य संगोपण व संस्काराशिवाय जगामध्ये कोणीही यशस्वी होऊ शकत नाही. या पुर्वीच्या काळामध्ये एकत्रीत कुटूंब व्यवस्था असायची ज्यामुळे मुलांना आई-वडिलांनी वेळ दिला नाही तरी इतर व्यक्तीकडून भरपूर वेळ दिला जात असे. परंतु या काळामध्ये विभक्त कुटूंब पध्दती अस्तीत्वात आली असल्यामुळे आई-वडिलांना योग्य प्रकारे वेळ देणे अत्यावश्यक झाले आहे.
आई वडिलांच्या व इतर कुंटूबीयांच्या सहवासाने किंवा त्यांच्या चांगल्यागुणांच्या अनुकरणामुळेच प्रत्येक व्यक्ती सुसंस्कारीत होऊन यशस्वी जीवनाची वाटचाल करू शकतो. या काळामध्ये कुटूंब छोटी झाली आहेत त्यामुळे आजी, आजोबा, काका, काकू, इ. व्यक्तीचे संस्कार मुलांना लाभत नाहीत. तसेच सर्वजण आपल्या कामामध्ये व्यस्त असल्यामुळे मुलांना योग्य संस्कार घालण्याची जबाबदारी प्रत्यक्षपणे आई-वडिलांवरच आली आहे. आपल्या सहवासातुन, चर्चेतुन व अनुकरणातुनच मुलांना जीवन जगण्याची योग्य पध्दत शिकायला मिळते.
Remember- 'Kids love the word, Parent's quality time'
🔴 उत्कृष्ट दर्जेचा वेळ देणे (Quality Time) :
i) मुलांना वेळ देणे म्हणजे आपल्या व्यवहारीक जीवनामधील (जसे नोकरी इ.) वेळ कमी करणे नव्हे. आपली सर्व महत्वाची कामे पूर्ण व्यवसाय, करून मुलांना वेळ देणे होय.
ii) मुलांना खुप जास्त नाही फक्त एक ते दोन तास आपल्या दिवसभरातून देणे आवश्यक असते.
iii) आपल्याला एवढा वेळ शक्य नसेल तर तो वेळ आपण आपल्या कमी महत्वाच्या कामांमधून तयार करू शकतो जसे टि. व्ही. पाहणे, गप्पा करणे, मित्र परिवारातील वेळ, क्लब, भीसीपार्टी, पेपर वाचणे इ.
iv) मुलांना आपण जेव्हा वेळ देत असतो त्यावेळी आपले लक्ष टिव्ही, इतरांसोबतच्या गप्पा किंवा पत्नीशी सुध्दा चर्चा न करता पूर्णपणे मुलांमध्ये रममाण होऊन वेळ दयावा. या प्रकारच्या वेळ देण्यालाच उत्कृष्ट दर्जाचा वेळ (Quality time) असे म्हणतात.
v) वरिल चित्रात दाखविल्याप्रमाणे मुलांना वेळ देताना मुलांसोबत भरपुर खेळावे, आभ्यासाबद्दल, शाळेबद्दल, मित्रांबद्दल वारंवार चर्चा करावी. मुलांसोबत बाहेर कुठेतरी (जसे गार्डन) जावे.
vi) मुलांसोबत अशाप्रकारे पूर्ण वेळ देताना आपले विचार समजून सांगावेत त्यांना योग्य व चांगल्या विचारांसाठी प्रोत्साहन द्यावे व प्रश्न उत्तर स्वरूपातील चर्चा करून नेहमी मार्गदर्शन करत रहावे.
मुलांना देलेला उत्तम दर्जाचा वेळ आयुर्विम्याप्रमाणे 'जिदंगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी' प्रमाणे काम करतो.
Remember- Children will not remember you for the material things you provided but for the feeling that you cherished with them.

Article from Bal Sanskar by Dr Ashish Agrawal

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03/07/2025

*मेरा बच्चा अपने करीबी दोस्तों से बुरी आदतें सीख रहा है, मैं क्या कर सकता हूँ* ? *अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों के सबसे अच्छे दोस्तों को नहीं जानते, यह वीडियो देखकर समझें कि अपने बच्चों के सबसे अच्छे दोस्तों के साथ संपर्क बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण है और यह कैसे किया जाए।*

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29/06/2025
*लक्ष्य की स्थापना {Goal setting}*किशोरों और युवा पीढ़ी के लिए बहुत जानकारीपूर्ण स्लाइड्स, हर माता-पिता को अपने बच्चों क...
28/06/2025

*लक्ष्य की स्थापना {Goal setting}*

किशोरों और युवा पीढ़ी के लिए बहुत जानकारीपूर्ण स्लाइड्स, हर माता-पिता को अपने बच्चों को यह स्लाइड अवश्य दिखानी चाहिए. लक्ष्य निर्धारण(Goal) सफलता के मार्ग में पहला सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

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