
17/05/2020
मुझे तुम आसमान की एक झलक दिखलादो, कहाँ हूँ मैं, कैसा यह गगन, बुझे बुझे चांद तारे, टूटे कितने कंगन, फूलों की ये खुशबू, नाराज़गी से मुरझाई प्रिये ... सहमी-सहमी सी माँ की झोली, जलते दिए की लौ तूफ़ानों से भिडी, कौनसे शूल ह्रदय में चुभ से रहे, कुछ भी नहीं सही, यह तू जान प्रिये ... तबाह करके धूप की किरनें, [ 126 more words ]
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मुझे तुम आसमान की एक झलक दिखलादो, कहाँ हूँ मैं, कैसा यह गगन, बुझे बुझे चांद तारे, टूटे कितने कंगन, फूलों की ये खुशबू, ना...