17/08/2023
हर हर महादेव।
शिवलिंग तो सबको पता है लेकीन मै आप लोगों को शिवलिंग का सही मतलब बताता हूँ… शिवलिंग स्री और पुरुष का मिलन प्रतिक है… संसार के हम सभी स्री और पुरुष प्रेम के माध्यम से एक होकर संसार में एक-दूसरे के साथ जिवन जिकर मोक्ष को उपलब्ध हो सकते हैं.. स्री और पुरुष एक-दूसरेर अंश हैं प्रकृतिने एक-दूसरे के लिये ही बनाया है और जो शिवलिंग पर नाग होता है वो कुंडलिनी का प्रतिक है जागृति का प्रतिक है मोक्ष का प्रतिक है… जो भी पुरुष या स्री एक साथ मोक्ष को उपलब्ध होते है.. उनकी इस पृथ्वीपर का उद्देश्य सफल होगया…वैसे तो सभी मनुष्य के अंदर कुंडलिनी के सात चक्र पहलेसे मौजूद होते हैं बस हमे उसे अपने कर्मप्रायास से जगाना पडता है लेकीन परमात्मा ऐसे भी जोडे संसार में भेजता है जो आधे हिस्से में बंटे हुए होते हैं उन दोनों की कुंडलिनी एक ही होती हैं जब वे एक-दूसरे के होते हैं तभी वे एकसाथ मोक्ष को उपलब्ध होते हैं.. हमारे पुराने फिल्मो मे दिखाने की कोशिश की है की इंसान नाग बनता है या नाग इंसान बनता है ऐसा बिलकुल नही होता… वो अज्ञानता से दिखाया गया है… लेकिन इंसान के अंदर जो कुंडलिनी का सांप रहता है उसे जगया जाता है.. लेकिन गलत ज्ञान के कारण साँप कुंडलिनी इंसान को स्पष्ट रुप से समझा नही सके… जीस स्री और पुरुष की कुंडलिनी एक ही होती है वो एक-दूसरे के लिये बने होते हैं.. जब इन्हें भगवान मिलाता है तो वे दोनों जिवन बिताते हुये एकसाथ कुंडलिनी जागृत करते हैं और मोक्ष को उपलब्ध होते हैं इस जोडे को अलग-अलग देशो मे ट्विनफ्लेम जुडवा आत्मा भी कहा जाता हैं… ये इस तरह एक-दूसरे के लिए बने होतेचाहे वो संसार के किसी भी कोने में हो भगवान परमात्मा उन्हें मिलाकर ही रहता है… चाहे उनकी शादी ही क्यो ना हुय हो… ये जोड़े एक-दूसरे के बिना एकदम अकले अधुरे महसुस करते हैं… चाहे उनके जिवन में कितनी भी संपत्ति पैसै हो सुख के सभी माध्यम हो फिर भी वे इकले ही ओर अधुरे ही महसुस करेंगे… इनका जिवन अन्य लोगों से बहुत दुःख भरा होता है.. जब परमात्मा उनको एक-दूसरे के सामने लाके रखता है तो वे अंजान होकर भी ऐसा महसुस करते हैं जैसे हज़ारों सालों-साल से एक-दूसरे को जानते हैं पहचानते हैं… इसे सालों-साल लोग जोड़ा अर्द्धांगिनी दो जिस्म एक जान कहते आये हैं… लेकिन आजकल इंसान इस तरह सुख के पिछे पडा है के ना किसी का डर ना परमात्मा की चिंता ऐसे धन कमा रहा है परायी स्री को उसी धन से अपना रहा है.. और फिर लोग कह रहे के शादी दुःख का करण है औरत दुःख का कारण है… वे अपने कर्म को छुपाने की ये साज़िश कर रहे हैं इसी कारण मंदीर मशचीद चर्च मे भिड बढ रही है और ये भिड़ अधार्मिक लोगो की है… भगवान को क्या क्या देने को तैयार है क्योंकि उनके दुःख मिटते नही इसलिए वे हर तरह की कोशिश करते रहते हैं दुःख को मिटाने की लेकिन परमात्मा का संसार कर्म पर ही टिका हुआ है…. इसलिए जो परमात्मा ने अपने हित का मार्ग दिखाया उसी राह पर चले सच्चे धार्मिक बने सच्चे धार्मिक व्यक्ति को किसी भी मंदिर में जाने की आवश्यकता नहीं है… क्योंकि परमात्मा ने सभी को खास बनाया है… मोह माया अंहकार में आकर सभी पाप कर रहे हैं और दुःख में जि रहे हैं…अपनी आत्मा की सुनकर अपने जिवन की और आगे बढ़ो परमात्मा वक्त आनेपर वो सबकुछ देता है जिसके आप सच में हक़दार हो.. अपने अंदर प्रेम रहा तो साथी मिलेगा ही साथी मिला तो धन भी संसार मे जिकर कमाओगे और मोक्ष को भी उपलब्ध होजाओगे यही परमात्मा का संसारक्रम है… अपने साथ के साथ एक होकर जिवन बिताते धार्मिक बने कुंडलीनी जागृत करे और एक साथ मोक्ष को उपलब्ध होजाइये संसार स्वर्ग ही है प्रेम संसार मोक्ष इस जिवनक्रम से यही सत्य है और सत्य ही शिव है…शिव ही समस्त संसार है ।
प्रेम संसार मोक्ष
प्रेम से मोक्ष तक
विश्वदीप पंडित। नाशिक