Vastu Shastra & Spirituality

Vastu Shastra & Spirituality Vāstu Śastra represents a body of ancient concepts and knowledge to many modern architects.

जब-जब धरती पर दैत्‍यों और बुरी शक्तियों ने मानवता के विपरीत अत्‍याचार किए तब-तब भगवान विष्‍णु ने एक नया अवतार लेकर बुरी ...
10/02/2024

जब-जब धरती पर दैत्‍यों और बुरी शक्तियों ने मानवता के विपरीत अत्‍याचार किए तब-तब भगवान विष्‍णु ने एक नया अवतार लेकर बुरी ताकतों का सर्वनाश किया। भगवान विष्‍णु के चौथे अवतार नृसिंह भगवान हुए हैं। हिरण्‍यकश्‍यप जैसे दैत्‍य का संहार करने के लिए उनको आधे नर और आधे सिंह का यह अनोखा अवतार लेना पड़ा। जिस दिन भगवान विष्‍णु ने यह अवतार लिया था, उस दिन वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्दशी थी। इस बार यह तिथि 14 मई को है। आइए जानते हैं भगवान नृसिंह के अवतार की कहानी और देश में कहां-कहां है इनका मंदिर…

कथा के अनुसार भगवान नृसिंह की अवतार स्‍थली यूपी का प्रख्‍यात हरदोई जिला है। पौराणिक काल में यहां हिरण्यकश्यप का राज चलता है और चूं‍कि वह भगवान को नहीं मानता था, इसलिए अपने शहर में किसी को भी भगवान राम का नाम नहीं लेने देता था। इसलिए पहले इस स्‍थान का नाम हरिद्रोही था। माना जाता है यही वह स्‍थान है जहां पर भगवान नृसिंह प्रकट हुए थे। आज य‍ह स्‍थान प्रह्लाद कुंड के नाम से प्रचलित है। यहां पर अग्नि में होलिका जलकर खाक हो गई और प्रह्लाद बच गया। उसके बाद प्रकट हुए भगवान नृसिंह और फिर उन्‍होंने हिरण्यकश्यप का अंत कर दिया। यह स्‍थान आज प्रह्लाद कुंड के नाम से जाना जाता है।

मेरे महादेव कहते है,भक्तो के द्वारा श्रद्धा से चढ़ाया गया कोई भी भोग,महादेव स्वीकार कर लेते है,अतः उन्हे सिर्फ प्रेम की भ...
29/12/2023

मेरे महादेव कहते है,
भक्तो के द्वारा श्रद्धा से चढ़ाया गया कोई भी भोग,
महादेव स्वीकार कर लेते है,
अतः उन्हे सिर्फ प्रेम की भावना रख कर हे भोग लगाए।
महादेव महादेव !!
आदेश आदेश

शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। इन्हें अन्य देवों से ...
24/12/2023

शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। इन्हें अन्य देवों से बढ़कर माना जाने के कारण महादेव कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय [मृत्यु पर विजयी], त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति [पार्वती के पति], काल भैरव, भूतनाथ, त्रिलोचन [तीन नयन वाले], शशिभूषण आदि।

भगवान शिव को रूद्र नाम से जाना जाता है रुद्र का अर्थ है रुत् दूर करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है। रुद्राष्टाध्यायी के पांचवे अध्याय में भगवान शिव के अनेक रूप वर्णित हैं रूद्र देवता को स्थावर जंगम सर्व पदार्थ रूप, सर्व जाति मनुष्य देव पशु वनस्पति रूप मानकर के सर्व अंतर्यामी भाव एवं सर्वोत्तम भाव सिद्ध किया गया है इस भाव का ज्ञाता होकर साधक अद्वैतनिष्ठ बनता है।

02/12/2023

चक्र 🌞 क्या है और शरीर 👫 के सात चक्र की जानकारी 7 चक्र के नाम क्या हैं? 🔀 चक्र हमारे शरीर में कहाँ होते हैं? 💥 चक्रों की प्रकृति क्या होती है? 👋 खासकर पश्चिम में जहां भी आप जाएंगे आपको हर जगह 🎡 ‘व्हील अलाइनमेंट सेंटर’ 🎡 दिखाई देंगे, जहां आप अपने चक्रों को एक सीध में करवा सकते हैं। क्या यह संभव है? 💠 जानते हैं सद्गुरु से।💠

सद्‌गुरु: आजकल जहां देखो, वहां चक्रों की चर्चा हो रही है। खासकर पश्चिम में जहां भी आप जाएंगे आपको हर जगह ‘व्हील अलाइनमेंट सेंटर’ दिखाई देंगे, जहां आप अपने चक्रों को एक सीध में करवा सकते हैं। इसके अलावा वहां योग-स्टूडियो से लेकर काइरो-पै्रक्टिस करने वाले, सभी चक्रों पर काम कर रहे हैं। यह अब एक फैशन सा हो गया है।

आईये समझें कि आखिर ये चक्र हैं क्या? मनुष्य के शरीर में कुल मिलाकर 114 चक्र हैं। वैसे तो शरीर में इससे कहीं ज्यादा चक्र हैं, लेकिन ये 114 चक्र मुख्य हैं। आप इन्हें नाड़ियों के संगम या मिलने के स्थान कह सकते हैं। यह संगम हमेशा त्रिकोण की शक्ल में होते हैं। वैसे तो ‘चक्र‘ का मतलब पहिया या गोलाकार होता है। चूंकि इसका संबंध शरीर में एक आयाम से दूसरे आयाम की ओर गति से है, इसलिए इसे चक्र कहते हैं, पर वास्तव में यह एक त्रिकोण है।

30/11/2023

आपके घर का दरवाजा किस दिशा में है, जानें किसका कैसा होता है प्रभाव.

29/11/2023

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए। इसका उल्लेख कई वास्तु ग्रंथों में मिलता है। भवन भास्कर और विश्वकर्मा प्रकाश सहित अन्य ग्रंथों में भी मिलता है। वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेनगेट सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए। वहीं आपके घर का ढलान पूर्व, उत्तर या पूर्व-उत्तर (इशान कोण) की और होना शुभ माना गया है। इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम एक खास दिशा में होने चाहिए। जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं।

29/11/2023

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