Dr. Vinay Gangwar

Dr. Vinay Gangwar Rural
Area
Medicare
Approach
With Regards .......awaiting for .... SHARE .. Active in social work in society - specially in rural area. Shashi Gangwar

Founders -
Dr. Vinay Gangwar (M.D.) Dr. Vaibhav Gangwar (M.D.S.) Dr. Rajesh Gangwar (M.D.) Dr. Rekha Gangwar
Mrs.

02/04/2025
12/03/2025
12/03/2025

हालात के क़दमों पे क़लंदर नहीं गिरता
टूटे भी जो तारा तो ज़मीं पर नहीं गिरता

गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

समझो वहाँ फलदार शजर कोई नहीं है
वो सहन कि जिस में कोई पत्थर नहीं गिरता

इतना तो हुआ फ़ाएदा बारिश की कमी का
इस शहर में अब कोई फिसल कर नहीं गिरता

इनआ'म के लालच में लिखे मद्ह किसी की
इतना तो कभी कोई सुख़न-वर नहीं गिरता

हैराँ है कई रोज़ से ठहरा हुआ पानी
तालाब में अब क्यूँ कोई कंकर नहीं गिरता

उस बंदा-ए-ख़ुद्दार पे नबियों का है साया
जो भूक में भी लुक़्मा-ए-तर पर नहीं गिरता

करना है जो सर मा'रका-ए-ज़ीस्त तो सुन ले
बे-बाज़ू-ए-हैदर दर-ए-ख़ैबर नहीं गिरता

क़ाएम है 'क़तील' अब ये मिरे सर के सुतूँ पर
भौंचाल भी आए तो मिरा घर नहीं गिरता

क़तील शिफ़ाई

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12/03/2025
06/03/2025

ये हैं मशहूर शायर वसीम बरेलवी के 20 बड़े शेर

1.अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे

2.मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा

3.झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
और मैं था कि सच बोलता रह गया

4.उस ने मेरी राह न देखी और वो रिश्ता तोड़ लिया
जिस रिश्ते की ख़ातिर मुझ से दुनिया ने मुँह मोड़ लिया

5.उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले
मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले

6.क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया
उम्र-भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैं ने किया

7.दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद न थी
भूल जाएगा ये इक दिन तिरा याद आना भी

8.एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती फ़ितरत
उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है

9.चाहे जितना भी बिगड़ जाए ज़माने का चलन
झूट से हारते देखा नहीं सच्चाई को

10.तुम साथ नहीं हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता
इस शहर में क्या है जो अधूरा नहीं लगता

11.मोहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है
ये रूठ जाएँ तो फिर लौट कर नहीं आते

12.जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है सदियों से
कहीं हयात उसी फ़ासले का नाम न हो

13.दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता

14.निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते

15.जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता

16.वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता

17.हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें
ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें

18.हम अपने आप को इक मसअला बना न सके
इसलिए तो किसी की नज़र में आ न सके

19.आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है

20.ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी

05/03/2025
04/03/2025

इबादतों की तरह मैं ये काम करता हूँ,
मेरा उसूल है, पहले सलाम करता हूँ.!!

मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत सँवरती है,
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूँ.!!

मैं अपनी जेब में अपना पता नहीं रखता,
सफ़र में सिर्फ यही एहतमाम करता हूँ.!!

मैं डर गया हूँ बहुत सायादार पेड़ों से,
ज़रा सी धूप बिछाकर क़याम करता हूँ.!!

मुझे ख़ुदा ने ग़ज़ल का दयार बख़्शा है,
ये सल्तनत मैं मोहब्बत के नाम करता हूँ.!!

~बशीर बद्र साहब ✍️✍️

27/02/2025
25/02/2025

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