Author Rrachita Gupta "Ravera"

06/09/2025
06/07/2025

Her name was Lisa Gherardini, born in Florence in 1479 to a noble yet modest Tuscan family. She lived a life like many women of her time—married young to a wealthy textile merchant named Francesco del Giocondo, raising five children in a Renaissance city that pulsed with art, commerce, and faith.

But fate had something extraordinary in store.

Sometime around 1503, the great Leonardo da Vinci was commissioned to paint her portrait. It was likely intended as a gift from her husband, not a masterpiece for the world. Lisa sat patiently as Leonardo worked—not knowing that her gentle smile, calm gaze, and subtle mystery would echo across centuries.

The painting, known today as La Gioconda in Italy and Mona Lisa across the globe, became more than just a portrait. It became a phenomenon. For centuries, her true identity remained a puzzle, sparking debate and legend. But modern research confirmed what many suspected: the woman behind the world’s most famous smile was indeed Lisa Gherardini.

She lived and died unaware of her legacy. Yet her quiet face has outlasted kings and empires, becoming a timeless symbol of beauty, mystery, and the unexpected immortality of ordinary lives.

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03/09/2024

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21/06/2024

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I am author of 4 books on Astrology, Tarot and Numerology. You can learn Tarot from me directly via online classes starting 24th June 2024

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Tarot Reader Astrorrachita Gupta

TAROT Secrets Unveiled 78 Rays to Power & Peace

18/06/2024

*"सम्राट अशोक" की जन्म-जयंती हमारे देश में क्यों नहीं मनाई जाती ??*

बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी इन "प्रश्नों" पर विचार करें!🤔🤔🤔

*सम्राट अशोक*
*पिताजी का नाम - बिन्दुसार गुप्त*
*माताजी का नाम - सुभद्राणी*

जिस "सम्राट" के नाम के साथ संसारभर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं

जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र" भारतीय अपने ध्वज में लगाते है l

जिस "सम्राट" का राज चिन्ह "चारमुखी शेर" को भारतीय "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर सरकार चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को अपनाया है l

जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान, सम्राट अशोक के नाम पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l

जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...जिसने "अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो l

सम्राट अशोक के ही, समय में "२३ विश्वविद्यालयों" की स्थापना की गई l जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे l इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे।

जिस -"सम्राट" के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार, भारतीय इतिहास का सबसे "स्वर्णिम काल" मानते हैं।

जिस "सम्राट" के शासन काल में भारत "विश्व गुरु" था l "सोने की चिड़िया" था l जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी l

जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे प्रख्यात महामार्ग "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई हाईवे बने l २,००० किलोमीटर लंबी पूरी "सडक" पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए l "सरायें" बनायीं गईं..l
मानव तो मानव..,पशुओं के लिए भी, प्रथम बार "चिकित्सा घर" (हॉस्पिटल) खोले गए l पशुओं को मारना बंद करा दिया गया l

ऐसे *"महान सम्राट अशोक"* जिनकी जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती ?? न ही कोई छुट्टी घोषित की गई है?

दुख: है कि, जिन नागरिकों को ये जयंती मनानी चाहिए...वो अपना इतिहास ही भुला बैठे हैं, और जो जानते हैं, वो ना जाने क्यों मनाना नहीं चाहते??

*"जो जीता वही चंद्रगुप्त"* ना होकर, *"जो जीता वही सिकन्दर"* कैसे हो गया??
जबकि ये बात सभी जानते हैं, कि सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही लड़ने से मना कर दिया था। बहुत ही बुरी तरह से मनोबल टूट गया था और सिकंदर को "वापस लौटना" पड़ा था।

*आइए हम सब मिलकर इस "ऐतिहासिक भूल" को सुधार करने की शपथ लें।🙏🏻*
*🙏🏻🙏🏻 || साभार || 🙏🏻🙏🏻*

अब से 150 वर्षअब से 150 साल बाद, आज इस पोस्ट को पढ़ने वाले हममें से कोई भी जीवित नहीं रहेगा। अभी हम जिस चीज पर लड़ रहे ह...
12/05/2024

अब से 150 वर्ष

अब से 150 साल बाद, आज इस पोस्ट को पढ़ने वाले हममें से कोई भी जीवित नहीं रहेगा। अभी हम जिस चीज पर लड़ रहे हैं उसका 70 प्रतिशत से 100 प्रतिशत पूरी तरह से भुला दिया जाएगा। शब्द को पूरी तरह से रेखांकित करें।

अगर हम अपने से 150 साल पहले की स्मृतियों में जाएं, तो वह 1872 होगा, उस समय दुनिया को अपने सिर पर उठाने वालों में से कोई भी आज जीवित नहीं है। इसे पढ़ने वाले हममें से लगभग सभी को उस युग के किसी भी व्यक्ति के चेहरे की कल्पना करना मुश्किल होगा।

थोड़ी देर रुकें और कल्पना करें कि कैसे उनमें से कुछ ने अपने रिश्तेदारों को धोखा दिया और दर्पण के एक टुकड़े के लिए उन्हें दास के रूप में बेच दिया। कुछ लोगों ने ज़मीन के एक टुकड़े या रतालू या कौड़ियों के कंद या एक चुटकी नमक के लिए परिवार के सदस्यों को मार डाला। वह रतालू, कौड़ी, दर्पण, या नमक कहाँ है जिसका उपयोग वे डींगें हांकने के लिए कर रहे थे? यह अब हमें अजीब लग सकता है, लेकिन हम इंसान कभी-कभी कितने मूर्ख होते हैं, खासकर जब बात पैसे, ताकत या प्रासंगिक बनने की कोशिश की आती है!

यहां तक कि जब आप दावा करते हैं कि इंटरनेट युग आपकी याददाश्त को सुरक्षित रखेगा, उदाहरण के तौर पर माइकल जैक्सन को लें। आज से ठीक 13 साल पहले 2009 में माइकल जैक्सन की मौत हो गई थी. कल्पना कीजिए कि जब माइकल जैक्सन जीवित थे तो उनका पूरी दुनिया पर कितना प्रभाव था। आज के कितने युवा उन्हें विस्मय के साथ याद करते हैं, यानी क्या वे उन्हें जानते भी हैं? आने वाले 150 वर्षों में, जब भी उनके नाम का उल्लेख किया जाएगा, बहुत से लोगों के लिए कोई घंटी नहीं बजेगी।

आइए जीवन को आसान बनाएं, इस दुनिया से कोई भी जीवित नहीं जाएगा। जिस भूमि के लिए आप लड़ रहे हैं और मरने-मारने को तैयार हैं, उस भूमि को किसी ने छोड़ दिया है, वह व्यक्ति मर चुका है, सड़ चुका है, और भुला दिया गया है। वही तुम्हारा भी भाग्य होगा. आने वाले 150 वर्षों में, आज हम जिन वाहनों या फ़ोनों का उपयोग डींगें हांकने के लिए कर रहे हैं उनमें से कोई भी प्रासंगिक नहीं रहेगा। जीवन को आसान बनाओ!

प्रेम को नेतृत्व करने दो। आइए एक-दूसरे के लिए सचमुच खुश रहें। कोई द्वेष नहीं, कोई चुगली नहीं. कोई ईर्ष्या नहीं. कोई तुलना नहीं। जीवन कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. दिन के अंत में, हम सभी दूसरी ओर चले जायेंगे। यह सिर्फ एक सवाल है कि वहां पहले कौन पहुंचता है, लेकिन निश्चित रूप से हम सभी एक दिन वहां जाएंगे।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करने के 11 फायदे⭕27 नवंबर 2023 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन द...
26/11/2023

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करने के 11 फायदे

⭕27 नवंबर 2023 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन दीप प्रज्वलित करके नदी में प्रवाहित करते हैं। इसी के साथ ही देवी देवताओं के समक्ष दीपक प्रज्वलित करते हैं। दीपक का दान करना या दीप को जलाकर उसे उचित स्थान पर रखना दीपदान कहलाता है। दीपदान करने के कई फायदे हैं। जानिए कि दीपदान कहां करते हैं और इसके फायदे क्या हैं।

🪔कहां करते हैं दीपदान?
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
1. देवमंदिर में करते हैं दीपदान।

2. विद्वान ब्राह्मण के घर में करते हैं दीपदान।

3. नदी के किनारे या नदी में करते हैं दीपदान।

4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि (धान के ऊपर) पर करते हैं दीपदान।

🪔दीपदान करने के फायदे:-
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
1. अकाल मृत्यु से बचने के लिए करते हैं दीपदान।

2. अपने मृ‍तकों की सद्गति के लिए करते हैं दीपदान।

3. लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा हेतु करते हैं दीपदान।

4. यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करते हैं दीपदान।

5. सभी तरह के अला-बला, गृहकलह और संकटों से बचने के लिए करते हैं दीपदान।

6. जीवन से अंधकार मिटे और उजाला आए इसीलिए करते हैं दीपदान।

7. मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं दीपदान।

8. किसी भी तरह की पूजा या मांगलिक कार्य की सफलता हेतु करते हैं दीपदान।

9. घर में धन समृद्धि बनी रहे इसीलिए भी करते हैं दीपदान।

10. कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।

🚩 #हरिऊँ🚩

🌹राम रक्षा स्त्रोत: राम रक्षा स्तोत्र के 10 रहस्य🌹श्री राम रक्षा स्तोत्र बुध कौशिक ऋषि द्वारा रचित श्रीराम का स्तुति गान...
05/08/2023

🌹राम रक्षा स्त्रोत: राम रक्षा स्तोत्र के 10 रहस्य🌹
श्री राम रक्षा स्तोत्र बुध कौशिक ऋषि द्वारा रचित श्रीराम का स्तुति गान है। इसमें प्रभु श्री राम के अनेकों नाम का गुणगान किया है।

🚩1.इसका पाठ करने से प्रभु श्रीराम आपकी हर तरह से रक्षा करते हैं। अपने शरणागत की रक्षा करना उनका धर्म है।

🚩2. कहते हैं कि इसके नित्य पठन से हनुमानजी प्रसन्न होकर राम भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं।

🚩3. विधिवत रूप से राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करने के दौरान एक कटोरी में सरसों के कुछ दानें लेकर उन्हें अंगुलियों से घुमाते रहने से वह सिद्ध हो जाते हैं। उक्त दानों को घर में उचित और पवित्र स्थान पर रख दें। यह दानें कोर्ट-कचहरी जाने के दौरान, यात्रा पर जाने के दौरान या किसी एकांत में सोने के दौरान यह दानें आपकी रक्षा करेंगे। यहां पर दिए गए उपाय प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। इनके कारगर होने की पुष्टि हम नहीं करते हैं।

🚩4.राम रक्षा स्तोत्रम् के 11 बार किए जाने वाले पाठ से पानी को भी सरसों की तरह सिद्ध किया जा सकता है। इस पानी को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पानी को रोगी को पिलाया जा सकता है। इससे ली जाने वाली औषधि का तेजी से प्रभाव होता है। पानी को सिद्ध करने के लिये राम रक्षा स्तोत्रम का पाठ करते हुए तांबे के बर्तन में पानी भरकर इसे अपने हाथ में पकड़ कर रखें और अपनी दृष्टि पानी में रखें। यहां पर दिए गए उपाय प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। इनके कारगर होने की पुष्टि हम नहीं करते हैं।

🚩5. जो व्यक्ति नित्य राम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करता रहता है वह आने वाली कई तरह की विपत्तियों से बच जाता है।

🚩6.इसका प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति को दीर्घायु, संतान, शांति, विजयी, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

🚩7.इसके नित्य पाठ करने से मंगल ग्रह का कुप्रभाव भी समाप्त हो जाता है।

🚩8. इसका नित्य पाठ करने वाले व्यक्ति के मन में सकारात्मक भाव का संचार होता है और उसके चारों और सुरक्षा का एक घेरा निर्मित हो जाता है।

🚩9. इसका नित्य पाठ करने से मनुष्य के मन से हर तरह का भय निकल जाता है और वह निर्भिक जीवन जीता है।

🚩10.इसका नित्य पाठ करने से भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है क्योंकि इस स्त्रोत की रचना बुध कौशिक ऋषि ने भगवान शंकर के कहने पर ही की थी। भगवान शंकर ने उन्हें इस स्त्रोत की रचना की प्रेरणा स्वप्न में दी थी।

🚩 #राम_राम_जी🚩
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

🌹रत्न धारण करने जा रहे हैं तो रुकिए, पहले पढ़ लीजिए ये विशेष जानकारी, रत्न धारण करने से पहले जानें उसका सही माप और सही स...
21/07/2023

🌹रत्न धारण करने जा रहे हैं तो रुकिए, पहले पढ़ लीजिए ये विशेष जानकारी, रत्न धारण करने से पहले जानें उसका सही माप और सही समय🌹

⭕नौ ग्रहों में किसी भी ग्रह के कमजोर होने पर ज्योतिषी अक्सर रत्न पहनने की सलाह देते हैं। लेकिन रत्न विज्ञान में प्रत्येक रत्न के धारण करने के लिए एक निश्चित माप तय किया गया है। अतः निश्चित माप का रत्न धारण करना ही लाभप्रद होता है, उससे कम या अधिक का नहीं।

⚜️आइए जानें रत्नों का सकारात्मक प्रभाव पाना है तो जानिए रत्न धारण करने के ये सही माप व सही समय...

1️⃣माणिक्य (सूर्य रत्न)-यह जितना बड़ा धारण किया जाए उतना ही उत्तम होता है। 3 रत्ती से कम वजन का माणिक्य धारण करना निष्क्रिय होता है तथा माणिक्य जड़े जाने वाली सोने की अंगूठी का वजन 5 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है, तदुपरांत दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिए।

2️⃣मोती (चन्द्र रत्न)- अंगूठी में धारण करने के लिए 4 रत्ती का श्रेष्ठ मोती लेना चाहिए। इसके लिए अंगूठी भी सोने या चांदी की होनी चाहिए। अन्य धातु की नहीं। अन्य धातु की अंगूठी होने से लाभ के बदले हानि होने लगती है। चांदी की अंगूठी का वजन भी 4 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए।

3️⃣मूंगा (मंगल रत्न) - कम से कम 8 रत्ती के मूंगे को कम से कम 6 रत्ती वाले वजन के सोने की अंगूठी में मढ़वाना चाहिए, वजन इससे कम न हो, अधिक हो तो श्रेष्ठ है। अंगूठी के मूंगे का प्रभाव इसे अंगूठी में जड़वाने के दिन से 3 वर्ष 3 दिन तक रहता है, इसके बाद दूसरा नया मूंगा धारण करना चाहिए।

4️⃣पन्ना (बुध रत्न)-3 रत्ती से छोटा पन्ना कम प्रभावशाली, 3 से 6 रत्ती का पन्ना मध्यम प्रभावशाली व 6 रत्ती से बड़ा पन्ना अधिक प्रभावशाली माना गया है। इसे भी सोने की ही अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसका प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के दिन से 3 वर्ष तक रहता है। इसके बाद दूसरा पन्ना धारण करना चाहिए।

5️⃣पुखराज (बृहस्पति रत्न)-4 रत्ती से कम वजन का पुखराज फलदायी नहीं होता। इसे भी सोने या चांदी की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए। अंगूठी धारण करने के दिन से पुखराज का प्रभाव 4 साल 3 माह 18 दिन तक रहता है। तत्पश्चात दूसरा नया पुखराज धारण करना चाहिए।

6️⃣हीरा (शुक्र रत्न)- 7 रत्ती या इससे भारी सोने की अंगूठी में 1 रत्ती से बड़ा हीरा जड़वाकर पहनने से प्रभावशाली होता है अन्यथा नहीं। हीरा जितना ही बड़ा होगा उतना ही प्रभावशाली है। इसके लिए सोने की ही अंगूठी होनी चाहिए। हीरा धारण करने के दिन से 7 वर्षों तक प्रभावशाली रहता है, तत्पश्चात निष्क्रिय हो जाता है। इसके बाद दूसरा हीरा धारण करना चाहिए।

7️⃣नीलम (शनि रत्न)-नीलम कम से कम 4 रत्ती वजन का या इससे अधिक श्रेष्ठ प्रभाव वाला होता है। नीलम को पंच धातु या लोहे की अंगूठी में धारण करना चाहिए। वैसे सोने की भी अंगूठी में धारण किया जा सकता है। नीलम धारण करने के दिन से 5 वर्षों तक प्रभावशाली रहता है, तत्पश्चात दूसरा श्रेष्ठ नीलम धारण करना चाहिए।

8️⃣गोमेदक (राहु रत्न)- 4 रत्ती से कम वजन का गोमेदक तथा 4 रत्ती से कम वजन की अंगूठी भी निष्क्रिय होती है। यह धारण करने के दिन से 3 वर्षों तक प्रभाव करता है, तत्पश्चात दूसरा गोमेदक धारण करना चाहिए।

9️⃣लहसुनियां/वैदूर्य (केतु रत्न)- कम से कम 4 रत्ती के वजन की वैदूर्य मणि (लहसुनियां) को कम से कम 7 रत्ती वजन की पंचधातु या लोहे की अंगूठी में मढ़वाकर धारण करना चाहिए। किसी अन्य धातु की अंगूठी में नहीं, किसी भी दशा में अंगूठी 7 रत्ती से कम व वैदूर्य 4 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। यह पहनने के दिन से 3 वर्षों तक प्रभावशाली रहता है। उसके बाद निष्क्रिय हो जाता है, तत्पश्चात दूसरा लहसुनियां धारण करना चाहिए।

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30/05/2023

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