29/01/2023
कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाओं से भयंकर त्वचा रोग
मेरे बहुत ही निकट के सम्बन्धी पिछले चार वर्षों से त्वचा की समस्याओं और विशेष रूप से चेहरे पर लाल लाल चकत्तों के लिये कई त्वचा विशेषज्ञों से उपचार करा रहे थे। धूप में तो जाते ही समस्या बहुत बढ़ जाती थी। पिछले एक मास से अचानक सारे शरीर पर लाल दाने हो गये और उनमें खारिश होने लगी और यह लगातार बढ़ने लगे।
एक दिन मैंने जब उनकी टांगों, छाती आदि पर ये लाल दाने देखे तो पहले तो मेरा सन्देह अण्डे, मांस, खट्टा और तीखा आदि खाने पर गया परन्तु फिर ध्यान आया कि वे तो पिछले 15 वर्षों से कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिये स्टैटिन वाली दवाएं ले रहे हैं। जैसे ही इन दवाओं जैसे *एटोरवैस्टैटिन* के त्वचा पर दुष्प्रभाव पर मैने कुछ रिसर्च आर्टिकल पढ़ने आरम्भ किये तो देख कर चकित रह गया कि अनेक शोध पत्रों में इनका *त्वचा रोगों से सीधा संबंध* स्पष्ट आ चुका है और त्वचा पर रैशेज़ भी वैसे ही जैसे इन लेखों में बताये गये हैं। यह देख कर हम आश्चर्य चकित रह गये कि जब मैडिकल जर्नल्ज़ में यह सब छप चुका है तो क्यों किसी भी बड़े से बड़े डाक्टर का ध्यान इस ओर नहीं गया।
अब क्योंकि यह दवाएं कोलेस्ट्रॉल कम रख हृदय रोग से बचाने के लिये ली जा रहीं थी तो यह निर्णय कठिन था। पर फिर यह सोचा कि चलो दस दिन के लिये यह दवाएं बन्द कर के देखते हैं। आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे की मात्र पांचवे दिन ही चामत्कारिक रूप से पर्याप्त अन्तर दिखने लगा और दसवें दिन तक सारी त्वचा ठीक हो चुकी थी। और तो और तेज धूप में पर्याप्त समय बैठने पर भी इन्हें कोई एलर्जिक रिएक्शन नहीं हुआ।
अभी पता चला है कि हमारे एक और सम्बन्धी को भी चहरे पर रैश हो रहैं और वह भी धूप में नहीं जा सकते। विशेष बात यह है कि वे भी कई वर्ष से कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिये स्टैटिन ले रहे हैं।
मित्रों न जाने कितने लोग इन कैमिकल दवाओं के कारण अनेक रोगों से ग्रस्त रहते हैं, स्थितियां बिगड़ती रहती हैं, नयी नयी दवाएं बढ़ती जाती हैं पर किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता कि कहीं यह समस्या किसी दवा के कारण तो नहीं है। बस प्रोटोकॉल बने हुए हैं जिनसे हमारे डाक्टर बन्धे हुए हैं, नये शोधों की पूर्णतः अवहेलना की जा रही है।
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल विशेष रूप से एल डी एल पर भी नई रिसर्च में यह भी आया है कि यह हृदय के रोगों का ऐसा कोई विशेष कारण नहीं है जिसके लिये ऐसी हानिकारक दवाएं पूरा जीवन दी जायें।
विवेक अग्रवाल
Vivekaggarwal982@gmail.com