06/10/2025
सारिवा (Sarsaparilla / Hemidesmus indicus) – रक्तशोधक और शीतल आयुर्वेदिक अमृत
आयुर्वेद में सारिवा को “अनंतमूल” भी कहा जाता है। यह एक सुगंधित जड़ी-बूटी है, जिसका स्वाद मधुर, कड़वा और गुण शीतलकारी होते हैं।
चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और भावप्रकाश निघंटु में इसका उल्लेख रक्तशोधक, पित्तशामक और विषनाशक औषधि के रूप में मिलता है।
सारिवा का परिचय
संस्कृत नाम: सारिवा / अनंतमूल
वैज्ञानिक नाम: Hemidesmus indicus
गुणधर्म: मधुर-कषाय रस, शीतवीर्य, रक्तशोधक
प्रकृति: शीतल, पित्त व रक्त दोष को संतुलित करने वाली
सारिवा के प्रमुख लाभ (Main Benefits)
1. रक्तशोधक (Blood Purifier)
खून की अशुद्धि, त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी, एक्ज़िमा में लाभकारी।
2. पित्त दोष शांत करती है
शरीर की गर्मी, जलन, नाक से खून आना, पेट की जलन में उपयोगी।
3. मूत्रल और विषनाशक
गुर्दे और मूत्र विकारों को ठीक करती है, पेशाब की जलन व पथरी में लाभकारी।
4. शीतल व ताजगी देने वाली
गर्मी, प्यास, बुखार, थकान में तुरंत राहत देती है।
5. एलर्जी और त्वचा रोगों में लाभकारी
रक्त की शुद्धि कर त्वचा की खुजली, लाल दाने, एलर्जी को दूर करती है।
6. हृदय और रक्तसंचार में सहायक
रक्त को ठंडक देकर हृदय को मज़बूत करती है और ब्लड प्रेशर संतुलित करती है।
7. सुगंधित पेय व टॉनिक
इसे शरबत या काढ़े के रूप में प्रयोग करने से शरीर को ठंडक और ऊर्जा मिलती है।
सेवन विधि (How to Take)
1. सारिवा का शरबत – 10 ग्राम सारिवा जड़ को 1 गिलास पानी में उबालकर ठंडा करके पीएँ।
2. सारिवा चूर्ण – 3 से 5 ग्राम चूर्ण, दिन में 2 बार पानी/दूध के साथ।
3. काढ़ा – 10 ग्राम सारिवा, 400 ml पानी में उबालकर 100 ml सुबह-शाम लें।
4. सारिवाद्यासन (Classical Yog) – सारिवा से बना यह योग त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है।
5. सारिवा दूध के साथ – शरीर को पोषण और शीतलता देने हेतु।
6. सारिवा अर्क – बाजार में उपलब्ध सारिवा अर्क को चिकित्सक की सलाह अनुसार लें।
7. फ्रेश ड्रिंक – गर्मियों में सारिवा की जड़ को पानी में भिगोकर उसका सुगंधित जल पी सकते हैं।
सावधानियाँ (Precautions)
अत्यधिक ठंड प्रकृति वाले लोग सीमित मात्रा में लें।
गर्भवती महिलाएँ और छोटे बच्चों को केवल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से दें।
हमेशा ताजा औषधि का प्रयोग करें।
निष्कर्ष
सारिवा रक्तशोधक, पित्तशामक और शीतलता प्रदान करने वाली औषधि है।
यह न सिर्फ त्वचा और रक्त विकारों को दूर करती है, बल्कि शरीर को अंदर से ठंडक और ताजगी देती है।
इसलिए इसे आयुर्वेद में “रक्तशोधक शीतल अमृत” कहा गया है।