01/10/2025
जय माता दी मित्रो,
माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन पूजी जाने वाली देवी माँ दुर्गा का नौवाँ स्वरूप हैं। वे सभी सिद्धियों की दात्री हैं और भक्तों को आध्यात्मिक व सांसारिक सुख प्रदान करती हैं।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप:
माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और उनके चार हाथ हैं।
दाहिने हाथ में गदा और चक्र, बाएँ हाथ में कमल और शंख धारण करती हैं।
उनका स्वरूप शांत, सौम्य और भक्तों के लिए कृपामय है।
महत्व:
माँ सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नौ निधियों को प्रदान करती हैं।
उनकी उपासना से भक्तों को मोक्ष, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त होती है।
यह दिन भक्ति, साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष माना जाता है।
पूजा विधि:
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल: माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र को लाल वस्त्र पर स्थापित करें।
दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएँ और धूपबत्ती प्रज्वलित करें।
अर्पण: माँ को लाल फूल, माला, कुमकुम, चंदन, और अक्षत अर्पित करें।
भोग: खीर, हलवा, नारियल या फल का भोग लगाएँ।
मंत्र जाप: निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें:
मंत्र: "ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः"
या विस्तृत मंत्र:
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
आरती: माँ सिद्धिदात्री की आरती करें।
कन्या पूजन: नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को माँ का स्वरूप मानकर भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
लाभ:
माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों के सभी दुख-कष्ट दूर होते हैं।
साधकों को आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता मिलती है।
जय माता दी 🙏💐🚩