09/08/2025
#श्री_हरि_कृपा_🙏🏻
#श्री_गुरु_कृपा_🙏🏻
#श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन तीन भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है- श्रावणी, रक्षा बंधन और संस्कृत दिवस। इन तीनों पर्वों के पीछे न केवल ऐतिहासिक संदर्भ हैं, बल्कि समाज और संस्कृति से जुड़ी स्मृतियां भी हैं।
रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराना है और इसे विभिन्न पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़ा जाता है। मुख्य रूप से, यह भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन का त्यौहार है, जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी सलामती की दुआ करती है।
पौराणिक कथाएँ:
द्रौपदी और कृष्ण:
महाभारत काल में, जब भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था, जिससे खून बहना बंद हो गया था। कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय द्रौपदी की साड़ी बढ़ाकर चुकाया था,
इंद्र और इंद्राणी:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवराज इंद्र जब असुरों से युद्ध हार रहे थे, तो उनकी पत्नी इंद्राणी ने उन्हें राखी बांधकर विजयश्री का आशीर्वाद दिलाया था,
राजा बलि और लक्ष्मी:
एक अन्य कथा में, देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर उनकी रक्षा की थी और उनसे अपने पति भगवान विष्णु को वापस ले जाने का वचन लिया था,
ऐतिहासिक घटनाएं:
1905 का बंगाल विभाजन:
रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाल विभाजन के समय लोगों को एकजुट करने के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाया था,
हुमायूँ और रानी कर्णावती:
चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी रक्षा के लिए मदद मांगी थी, जिसके बाद हुमायूँ ने उनकी सहायता की थी,
रक्षाबंधन का महत्व:
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक:
यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और एक-दूसरे की रक्षा करने की भावना का प्रतीक है,
सुरक्षा का बंधन:
बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा और कल्याण की कामना करती हैं,
पारिवारिक एकता:
रक्षाबंधन का त्यौहार परिवार को एक साथ लाता है और भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है,
आजकल, रक्षाबंधन का त्यौहार सीमाओं और धर्मों से परे भी मनाया जाता है,
इस प्रकार, रक्षाबंधन का इतिहास पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जो इस त्यौहार को भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बनाता है