21/11/2025
फीटल सर्कुलेशन (भ्रूणीय रक्त संचरण)
फीटल सर्कुलेशन गर्भ में पल रहे शिशु (भ्रूण) का एक विशेष प्रकार का रक्त संचरण तंत्र है। यह इसलिए अद्वितीय है क्योंकि भ्रूण के फेफड़े और पाचन तंत्र गर्भ के बाहर की जिंदगी के लिए काम करने की स्थिति में नहीं होते हैं। इसलिए, ऑक्सीजन और पोषक तत्व माँ से प्लेसेंटा (गर्भनाल) के माध्यम से प्राप्त होते हैं।
इस प्रक्रिया में एक शिरा (Vein) और दो धमनियाँ (Arteries) शामिल हैं, जो अम्बिलिकल कॉर्ड (नाल) में स्थित होती हैं।
मुख्य घटक और उनके कार्य:
1. प्लेसेंटा (गर्भनाल): यह वह अंग है जो माँ के गर्भाशय की दीवार से जुड़ा होता है। यह माँ और भ्रूण के बीच ऑक्सीजन, पोषक तत्वों और अपशिष्ट उत्पादों के आदान-प्रदान का केंद्र है। यहाँ पर माँ और भ्रूण का रक्त आपस में सीधे मिलता नहीं है, बल्कि एक पतली झिल्ली के माध्यम से विनिमय होता है।
2. अम्बिलिकल कॉर्ड (नाभिरज्जु): यह वह "रस्सी" है जो भ्रूण को प्लेसेंटा से जोड़ती है। इसमें तीन रक्त वाहिकाएँ होती हैं:
· एक अम्बिलिकल वेन (नाभि शिरा): यह ऑक्सीजन युक्त (Oxygenated) और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त को प्लेसेंटा से भ्रूण के शरीर तक ले जाती है।
· दो अम्बिलिकल आर्टरीज (नाभि धमनियाँ): ये डी-ऑक्सीजनेटेड (Deoxygenated) रक्त और अपशिष्ट पदार्थों (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड) को भ्रूण के शरीर से वापस प्लेसेंटा तक ले जाती हैं।
याद रखने का आसान तरीका:
· Vein (शिरा) = "विटामिन्स और ऑक्सीजन" भ्रूण तक पहुँचाती है।
· Artery (धमनी) = "अपशिष्ट" वापस ले जाती है।
रक्त के प्रवाह की पूरी प्रक्रिया:
चरण 1: ऑक्सीजनटेड ब्लड भ्रूण तक पहुँचना
1. प्लेसेंटा में, माँ के रक्त से ऑक्सीजन और पोषक तत्व भ्रूण के रक्त में आते हैं।
2. यह ऑक्सीजन युक्त रक्त एक अम्बिलिकल वेन के माध्यम से भ्रूण के शरीर में प्रवेश करता है।
3. अम्बिलिकल वेन सीधे भ्रूण के लीवर तक जाती है, लेकिन ज्यादातर रक्त एक विशेष नलिका (Ductus Venosus) से होकर सीधे इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की मुख्य शिरा) में चला जाता है, ताकि इसे तुरंत हृदय तक पहुँचाया जा सके।
चरण 2: ऑक्सीजनटेड ब्लड का शरीर में वितरण
1. हृदय में पहुँचने वाला यह ऑक्सीजन युक्त रक्त दाएं आलिंद (Right Atrium) में आता है। भ्रूण के हृदय में दो विशेष छेद (Foramen Ovale और Ductus Arteriosus) होते हैं जो इस रक्त को फेफड़ों से बचाकर सीधे शरीर के बाकी हिस्सों में भेज देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भ्रूण के फेफड़े काम नहीं कर रहे होते (वह अम्नियोटिक द्रव में डूबा होता है)।
2. यह रक्त बाएं हृदय और महाधमनी (Aorta) से होकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचता है और उन्हें ऑक्सीजन व पोषक तत्व प्रदान करता है।
चरण 3: डी-ऑक्सीजनेटेड ब्लड का वापसी सफर
1. अंगों से ऑक्सीजन रहित रक्त और अपशिष्ट पदार्थ शिराओं के माध्यम से वापस हृदय आते हैं।
2. यह डी-ऑक्सीजनेटेड रक्त हृदय से दो अम्बिलिकल आर्टरीज में पंप होता है।
3. ये दोनों धमनियाँ इस रक्त को वापस प्लेसेंटा तक ले जाती हैं।
चरण 4: प्लेसेंटा में शुद्धिकरण
1. प्लेसेंटा में पहुँचने पर, भ्रूण का डी-ऑक्सीजनेटेड रक्त माँ के रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट छोड़ देता है और फिर से ऑक्सीजन और पोषक तत्व ग्रहण कर लेता है।
2. इस तरह चक्र फिर से शुरू हो जाता है।
जन्म के बाद परिवर्तन:
जैसेही बच्चा पैदा होता है और अपनी पहली सांस लेता है, फेफड़े काम करना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही फीटल सर्कुलेशन के विशेष रास्ते (Foramen Ovale, Ductus Arteriosus, Ductus Venosus और अम्बिलिकल वेसल्स) बंद हो जाते हैं या सिकुड़ कर लिगामेंट में बदल जाते हैं, और वयस्कों जैसा सामान्य रक्त संचरण तंत्र शुरू हो जाता है।