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पेट की चर्बी कम करता है यह आसन अर्ध पवनमुक्तासनयोगा आचार्य अंकुश पंडित ने आज बताया कि अर्ध पवनमुक्तासन एक योगासन है जो प...
06/06/2025

पेट की चर्बी कम करता है यह आसन अर्ध पवनमुक्तासन

योगा आचार्य अंकुश पंडित ने आज बताया कि अर्ध पवनमुक्तासन एक योगासन है जो पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इस आसन में एक पैर को ऊपर उठाकर घुटने को छाती के पास लाया जाता है, जिससे पेट और पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है. यह आसन पेट की चर्बी कम करने, गैस, भूख न लगने और कब्ज जैसी समस्याओं में मदद करता है.
अर्ध पवनमुक्तासन की प्रक्रिया:
1. पीठ के बल लेट जाएं:
अपनी पीठ के निचले हिस्से को फर्श पर मजबूती से टिकाएं.
2. दाहिने पैर को उठाएं:
सांस लें और अपने दाहिने पैर को 60 डिग्री तक ऊपर उठाएं.
3. घुटने को मोड़ें:
अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और जांघ को छाती के दाहिनी ओर रखें.
4. पैर को पकड़ें:
दोनों हाथों से दाहिने पैर को पकड़ें.
5. बाएं पैर को सीधा रखें:
बाएं पैर को सीधा और तानकर रखें.
6. कुछ देर के लिए इस स्थिति में रहें:
सांस लेते हुए और छोड़ते हुए इस स्थिति में कुछ देर के लिए रहें.
7. पैर को सीधा करें:
दाहिने पैर को धीरे-धीरे सीधा करें और फिर से सुप्त ताड़ासन में आ जाएं.
8. बाएं पैर से दोहराएं:
बाएं पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं.
अर्ध पवनमुक्तासन के लाभ:
पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है.
गैस, भूख न लगने और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देता है.
पाचन तंत्र को मजबूत करता है.
पीठ की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है.
अर्ध पवनमुक्तासन करते समय सावधानियां:
यदि आपको कमर दर्द, साइटिका या कोई अन्य शारीरिक समस्या है, तो इस आसन को करने से पहले किसी योग विशेषज्ञ से सलाह लें.
यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए भी नहीं है.

सेतुबंध आसन -कई प्रकार के शारीरिक रोगों में रामबाण हैयोगा आचार्य अंकुश पंडित ने आज बताया कि ये सेतुबंध आसन को ब्रिज पोज़ ...
05/06/2025

सेतुबंध आसन -कई प्रकार के शारीरिक रोगों में रामबाण है

योगा आचार्य अंकुश पंडित ने आज बताया कि ये सेतुबंध आसन को ब्रिज पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसका आकार बहुत हद तक ब्रिज के समान है। यह पीठ के बल पर लेट कर किए जाने वाले महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। सेतुबंध आसन कमर दर्द, थाइराइड, डिप्रेशन ईत्यादि के लिए बहुत कारगर है। यहां पर आप ब्रिज पोज़ की सरल विधि, लाभ एवं सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे ।
सेतुबंध आसन क्या है?
इस आसान को करने का सही तरीका क्या है?
सेतुबंध आसन से एक साथ शरीर को कई लाभ मिलते हैं
कैसे करें सेतुबंध आसन?इस आसन को करने की विधि बहुत सरल है। यह आसन खासकर जिनको कमर दर्द की शिकायत रहती है नियमित रूप से करनी चाहिए।
सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए।अब अपने घुटनों को मोड़े ताकि यह रीढ़ की हड्डी के 90 डिग्री पर हो।
सांस लेते हुए अपने कमर को सहूलियत के हिसाब से उठाए।
इस अवस्था को 20-30 सेकंड तक बनाये रखें।
जब आप आसन धारण करते है तो धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े।
फिर सांस छोड़ते हुए ज़मीन पर आये।
यह एक चक्र हुआ, आप 3 से 5 बार इसे कर सकते हैं।
सेतुबंध आसन के 10 लाभ

कमर दर्द के लिए रामबाण
यह आसन कमर दर्द के लिए बहुत प्रभावी है। इसका नियमित अभ्यास करने से कमर दर्द हमेशा हमेशा के लिए गायब हो जाता है। इसलिए जो लोग कमर दर्द से परेशान हैं उनके लिए यह आसन रामबाण है।

थाइराइड का इलाज
शीर्षासन के बाद अगर सेतुबंध किया जाये तो थाइराइड के लिए बहुत प्रभावी है। इस आसन के करने से थाइराइड ग्लैंड का अच्छी तरह से मसाज हो जाता है और थायरोक्सिन हॉर्मोन के स्रवण में मदद मिलती है।

डिप्रेशन में मददगार
इस योगाभ्यास को करने से रीढ़ की हड्डी में अच्छी लचक देखी जा सकती है। इसके करने से एकसमान खिंचाव रीढ़ की हड्डी के नीचे तंत्रिकाओं को मिलता है जो आपके तन मन को स्वस्थ रखते हुए डिप्रेशन को कम करने में बड़ी भूमिका निभाता है।

वजन कम करने के लिए
इस आसन के करने से जाँग, पेट और हिप के आसपास की चर्बी को कम किया जा सकता है। शर्त है इस आसन में अपने आप को देर तक बनाए रखना और नियमित रूप से इसका अभ्यास करना है।

कब्ज एवं एसिडिटी के लिए
ये आसन पाचन संबंधित एंजाइम के स्राव में मदद करता है। इस तरह से यह आसन आप को कब्ज और एसिडिटी से बचाता है।

टेनिस एल्बो में आराम
अगर इस आसन का अभ्यास करते समय आप हाथ से पैर के टखने को पकड़ कर कमर को उठाते हैं तो आपके टेनिस एल्बो में बहुत हद तक आराम मिल सकता है।

किडनी के लिए अच्छा है
इसके अभ्यास से आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।

अस्थमा के लिए
सेतुबंध के अभ्यास से आपको अस्थमा में बहुत हद तक सफलता मिल सकती है। इस आसन से सीने में खिंचाव आता है।

गर्भवती महिला के अच्छा
यह आसन गर्भवती महिला के लिए अच्छा है और साथ ही साथ पीरियड्स की परेशानियों से भी बचाता है।

पैर को मजबूत बनाता है
जिनका पैर कमज़ोर है और बार-बार सुन्न पड़ जाता है उन्हें सेतुबंध आसन करना चाहिए। अगर आप ज्यादातर थका हुआ महसूस करते हैं तो इस आसन को करना बहुत लाभप्रद होगा।

आखिर में एक सबसे महत्वपूर्ण बात, योग के किसी भी आसन को करने से पहले उसे किसी योगगुरु या एक्सपर्ट की देखरेख में सीखना बहुत जरूरी है। अगर किसी भी आसन को करते वक्त आपको सांस लेने में तकलीफ, शरीर के किसी भी अंग में तेज़ दर्द हो तो फौरन आसन की पोजीशन से बाहर आ जाएं

04/06/2025
04/06/2025

▫️धनुरासन : इस आसन के रोज़ अभ्यास से दूर होता है मानसिक तनाव, पाचन तंत्र भी बनता है मजबूत
योग के आसनों में से एक है

👉'धनुरासन'। इसे Bow Pose भी कहते हैं। इसकी प्रैक्टिस से व्यक्ति को मानसिक तनाव से राहत मिलती है। इतना ही नहीं ये पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाकर स्किन को भी बेहतर करता है।
👉धनुरासन का महत्व
धनुरासन योग के आधारभूत आसनों में से एक है जिसमें शरीर के किसी एक हिस्से को नहीं बल्कि पूरे शरीर को लाभ मिलता है। यह शरीर को संतुलित और स्थिर बनाता है। जिन लोगों को मानसिक तनाव रहता है उनके लिए ये आसन रामबाण है क्योंकि यह शरीर में स्ट्रैस हार्मोन के लेवल को कम करता है जिससे तनाव से राहत मिलती है। आइए जानते हैं कि इस आसन को कैसे करना है।धनुरासन का विधि
धनुरासन को करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
पेट के बल लेटकर दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।
घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाएं ।
श्वास भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठाएं और पैरों को कमर की ओर खींचें।
चेहरे पर मुस्कान रखते हुए सामने देखिए।
श्वास पर ध्यान रखे हुए, आसन में स्थिर रहें, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ है
लम्बी गहरी श्वास लेते हुए, कुछ देर इस अवस्था में रहें। आपसे जितनी देर रहा जाए उतनी ही देर होल्ड करें।
15-20 सैकेंड बाद, श्वास छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे धीरे ज़मीन पर वापस लाएं

👉बाल और त्वचा की चमक बढ़ाती है पृथ्वी मुद्रा, जानिए इसे करने की विधि और इससे जुड़े अन्य फायदे

👉धनुरासन के लाभ
1. यह आसन मांसपेशियों यानि मसल्स को मजबूत बनाता है और पूरे पेट पर काम करता है। इससे पेट पर जमा फालतू फैट भी कम होता है।
2. जिन लोगों को कमर में भयंकर दर्द रहता है उन्हें यह आसन करना चाहिए। हां याद रहे कि जिस वक्त दर्द ज्यादा हो उस वक्त इसकी प्रैक्टिस ना करें।
3. पीठ में दर्द का भी यह उपचार है। चूंकि यह एक्स्ट्रा फैट हटाता है जिसके कारण पीठ की अकड़ कम होती है।
4. यह आसन मानसिक शांत प्रदान करता है और स्ट्रैस को भी कम करता है।
5. जिन लोगों को ज्यादा मैदा खाने या बाहर का जंक फूड खाने की आदत होती है उन्हें आंतों की समस्या होना एक कॉमन बात है लेकिन आंतों को साफ करना भी जरूरी है। यह आसन आंतों की हेल्थ अच्छी बनाता है और कब्ज को दूर करता है। हालांकि सिर्फ ये आसन करने से फायदा नहीं होगा, लाइफस्टाइल और फूड च्वाइसेस में भी बदलाव लाना पड़ेगा।

👉सावधानियां
जिन लोगों को सर्वाइकल पेन या फिर कमर दर्द की शिकायत रहती हो वो एक बार अपने चिकित्सक से पूछ कर ही इसे करें।
अगर आसन करते वक्त आपको शरीर में कहीं दर्द हो रहा हो तो फौरन रुक जाएं और किसी एक्सपर्ट की सलाह लें।
इसे किसी प्रशिक्षक से सीखकर ही करें
#योग

04/06/2025

▫️पेट में गैस, भारीपन या बदहजमी से परेशान लोग रोज सुबह करें ये योगासन, वजन भी होगा कम सुप्त वज्रासन

👉आज के समय में जो लोग डाइजेशन और बढ़ते वजन की समस्या से परेशान हैं उनके लिए सुप्त वज्रासन एक बेहतरीन विकल्प है। आइए जानते हैं सुप्त वज्रासन करने के तरीके, फायदे और नुकसान।

👉बड़े बुजुर्गों को अक्सर हमने कहते सुना है कि स्वास्थ्य ही संपत्ति है। अगर एक व्यक्ति शुरू से ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना शुरू कर दे तो कोई बीमारी हो ही नहीं। इसके लिए जितना जरूरी है सही खान पान उतना ही जरूरी है योग। योग की दुनिया के जानकार बताते हैं कि हमारे शरीर में पैदा होने वाली बहुत सी बीमारियों का अंत योगासनों के जरिए किया जा सकता है। इन्ही योगासनों में से एक है सुप्त वज्रासन।

👉आपने अब तक केवल वज्रासन के बारे में ही सुना होगा। इसलिए बता दें कि यह वज्रासन का ही एक्सटेंडेड वर्जन है। इस आसन को बहुत आसानी से किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है। इसके कई फायदे बताए जाते हैं जो आपको इस आसन की ओर खीच सकते हैं। आइए जानते हैं सुप्त वज्रासन करने के तरीके और इससे जुड़े फायदे नुकसान।

▫️​सुप्त वज्रासन के फायदे
👉सुप्त वज्रासन के बहुत से लाभ हैं, लेकिन वह आपको तभी होंगे जब आप इस आसन को रोजाना करना शुरू करेंगे। इससे पहले हम आपको सुप्त वज्रासन करने के तरीके बताएं। पहले यह जान लेते हैं कि इसके फायदे क्या हैं।

👉ऐसे लोग जिनका वजन बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है उनके लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।
अगर आपको कमर दर्द की समस्या रहती है तो आपको इस आसन को जरूर आजमाना चाहिए।
स्थिति में अगर आप अपनी रीढ़ की हड्डी और कंधे की हड्डी को मजबूत करना चाहते हैं तो आप इस आसन को जरूर आजमाएं।
👉तनाव में रहने वाले और रातों को अक्सर ना सोने वाले लोगों को यह आसन काफी रिलैक्स कर देता है।
अगर आपको डाइजेशन की समस्या है तो आप सुप्त वज्रासन के जरिए इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
पेट, जांघ और हाथ की चर्बी को तेजी से बर्न करेंगे ये योगासन

▫️​सुप्त वज्रासन करने के तरीके
सुप्त वज्रासन करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर मैट बिछाएं और वज्रासन की पोजीशन में बैठ जाएं।

👉अब अपने पैरों को वज्रासन में बैठे हुए ही थोड़ा बाहर की तरफ निकाल दें।
इसके बाद अपनी कोहनियों के जरिए पीठ के बल लेट जाएं।
अब अपने लेफ्ट हाथ से राइट कोहनी को पकड़े और राइट हाथ से लेफ्ट कोहनी को।
इसके अपने दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर जमीन पर रख दें।
▫️अब धीरे धीरे वापस उसी पोजीशन पर आएं जिससे आपने आसन शुरू किया था।
ध्यान रहे वापस आने के लिए भी कोहनियों को इस्तेमाल करें और इसमें जल्दबाजी ना करे।
इस आसन में आप शुरुआत में अधिकतम 30 सेकंड के लिए रहें।
एक समय में केवल 3 से चार सेट ही सुप्त वज्रासन के करें।
​सुप्त वज्रासन से जुड़ी सावधानियां
​सुप्त वज्रासन से जुड़ी सावधानियां
सुप्त वज्रासन करने के किसी प्रकार के नुकसान नहीं होते। लेकिन अगर आपको नीचे बताई गई किसी समस्या से पीड़ित हैं तो आप इस आसन को बिल्कुल ना करें। वही अगर आपको इस आसन को करने पर किसी प्रकार का दर्द हो तो भी आसन को ना करें। आइए जानते है सुप्त वज्रासन से जुड़ी सावधानियों के बारे में।

👉अगर आपको पहले से कमर या घुटनों पर किसी प्रकार की गंभीर चोट लगी है तो इस आसन को करने से बचें।
आसन को करते समय या उसके बाद अगर आपके पैर सूजने लगे तो इस आसन को ना करें।
अगर आपको हिप्स से जुड़ी किसी प्रकार की तकलीफ है तो इस आसन को ना करें।
अगर आपका वजन अधिक है तो शुरुआत में केवल वज्रासन करते समय पैरों को बाहर की ओर निकाल कर बैठ जाएं। धीरे धीरे आप इस आसन को सही प्रकार करने लगेंगे।
सुप्त वज्रासन करने से पहले उन लोगों को भी बचना चाहिए जिनको अल्सर की समस्या है या फिर पेट का कोई ऑपरेशन हुआ है।
बीपी की समस्या से जूझने वाले लोग इस आसन की मुद्रा में लंबे समय तक ना रहें।

▫️नोट - किसी प्रकार की शारीरिक तकलीफ होने पर आसन को ना करें। अगर किसी प्रकार की इंजरी हो चुकी है तो इसे करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

04/06/2025

पेट के विकारों से छुटकारा पाने के लिए करें उत्तानपादासन, जानिए विधि और फायदे

उत्तानपादासन के अभ्यास से पेट से जुड़ी कई समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है। पूराने से पुराना कब्ज का रोग दूर होता है और खूब भूख लगती है। इससे पैर में होने वाली सनसनाहट और दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
योग हमारे शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है। नियमित रूस से योग करने पर मन और आत्म शांति की एहसास होता है। योग शरीर को मजबूत, सुडौल और लचीला बनाने में मदद करता है। इससे शरीर को कई रोगों से लड़ने की प्रतिरोधन क्षमता शक्ति मिलती है। आज हम आपको उत्तानपादासन के बारे में बता रहे हैं। उत्तानपादासन में उत्तान का अर्थ होता बै ऊपर उठा हुआ और पाद का मतलब पैर होता है। इस आसम के दौरान पीठ के बल लेटकर पैरों को ऊपर की ओर उठाया जाता है, इसलिए इसे उत्तानपादासन कहा जाता है। योग एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। इस आसन के दौरान पेट की चर्बी को कम करने और पेट को अंदर करने में मदद मिलती है। आइए जानते हैं उत्तानपादासन के फायदे और विधि।
ऐसे करें उत्तानपादासन : इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। लेटने के बाद दोनों पैरों को सीधा करें और शरीर को ढीला छोड़ दें। अब हथेलियों को जमीन पर रखें और पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। पैरों को ऊपर उठाने के बाद सांस रोके और जितना हो सके इस स्थिति में रुकने की कोशिश करें। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को नीचे की ओर करें।
उत्तानपादासन के फायदे

योगा आचार्य अंकुश पंडित ने आज उत्तानपादासन के बारे में बताया इस आसन के अभ्यास से में पैरों को ऊपर उठात वक्त पेट और पैरों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और मसल्स टाइट होती है।
– इससे पैर में होने वाली सनसनाहट और दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
– इस आसन को करने से पैरों में सूजन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
– उत्तानपादासन के अभ्यास से पेट से जुड़ी कई समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है।
इसके नियमित अभ्यास से पाचन क्रिया ठीक रहती है और यकृत अपना कार्य सुचारू रूप से करता है।
– प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए उत्तानपादासन काफी फायदेमंद होता है, इसके अभ्यास से महिलाएं को प्रसव के दौरान फायदा होता है।
– इस आसन के करने से हार्निया रोग नहीं होता। जिन्हें हार्निया हो भी गया हो तो इस आसन से यह रोग दूर हो जाता है।
– इससे घबराहट दूर हो जाती है। दिल की धड़कन, श्वास फूलना, आदि रोग भी दूर हो जाते हैं।
– पूराने से पुराना कब्ज का रोग दूर होता है और खूब भूख लगती है।

04/06/2025

▫️पद्मासन जो बदल दे आपकी जिंदगी

▫️योगा आचार्य अंकुश पंडित ने आज बताया कि योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल में बदलाव लाने का तरीका है. पद्मासन एक सरल लेकिन असरदार मुद्रा है, जो मेंटल और फिजिकल पर लाभ होते है आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मेंटल और फिजिकल शांति पाना किसी वरदान से कम नहीं है. स्ट्रेस, अनिद्रा, थकान और कॉन्सनट्रेशन की कमी जैसी समस्याएं हर किसी को परेशान कर रही हैं. ऐसे में योग एक ऐसा उपाय है जो मन और शरीर दोनों को बैलेंस करता है. योग की कई मुद्राएं होती हैं, लेकिन उनमें से "पद्मासन" एक बेहद असरदार और सरल मुद्रा है. इसे नियमित रूप से करने से कॉन्सनट्रेशन बढ़ता है, मेंटल क्लेरिटी बढ़ती है और शरीर लचीला बनता है. अगर आप भी अपने जीवन में शांति और स्टेब्लिटी लाना चाहते हैं, तो यह योगासन आपके लिए बेहतरीन रहेगा आइए जानते हैं. पद्मासन को करने का सही तरीका, इसके फायदे और इससे जुड़ी जरूरी बातें.

👉पद्मासन के फायदे
क्या है पद्मासन?
पद्मासन, जिसे लोटस पोज (Lotus Pose) भी कहा जाता है, एक बैठने की मुद्रा है, जिसे ध्यान और प्राणायाम के दौरान किया जाता है. यह ध्यान केंद्रित करने, दिमाग को शांत करने और सेल्फ अवेयरनेस बढ़ाने में मदद करता है. यह मुद्रा खासतौर पर ध्यान, मेंटल पीस और एनर्जी को बैलेंस करने के लिए जानी जाती है. अगर आप योग की शुरुआत कर रहे हैं तो पहले इसे साधारण मुद्रा में करें और जैसे-जैसे अभ्यास बढ़ेगा, आप इसे बेहतर तरीके से कर पाएंगे.

👉पद्मासन करने का सही तरीका
1. प्रारंभिक स्थिति
-सबसे पहले शांत और स्वच्छ जगह पर योग मैट बिछाएं.
-सुखासन में बैठें, यानी साधारण मुद्रा में दोनों पैर मोड़कर बैठ जाएं.
-शरीर सीधा रखें और कंधे रिलैक्स रखें.

2. पैरों को सही स्थिति में लाएं
-अपने दाएं पैर को उठाएं और इसे बाईं जांघ पर रखें ध्यान दें कि पैर का तलवा ऊपर की ओर हो और एड़ी पेट के करीब हो.
-अब बाएं पैर को उठाएं और इसे दाईं जांघ पर रखें.
-दोनों घुटने ज़मीन को छू रहे हों और शरीर बैलेंस रहे.

3. हाथों की मुद्रा सही करें
-अब हाथों को ज्ञान मुद्रा या चिन मुद्रा में रखें.
-ज्ञान मुद्रा के लिए अंगूठे और तर्जनी उंगली को मिलाएं, बाकी तीन उंगलियां सीधी रखें.
-हाथों को घुटनों पर रखें और हथेलियों को ऊपर की ओर रखें.

4. सांसों पर ध्यान दें और ध्यान करें
-धीरे-धीरे आंखें बंद करें और गहरी सांस लें.
-ध्यान केवल अपनी सांसों पर केंद्रित करें और पीस का अनुभव करें.
-शुरुआत में इसे 5-10 मिनट तक करें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं.

👉अगर शुरुआत में कठिन लगे तो क्या करें?
अगर आप पहली बार पद्मासन कर रहे हैं और दोनों पैरों को ऊपर उठाने में कठिनाई हो रही है, तो इन आसान तरीकों को अपनाएं:

आधा पद्मासन करें: सिर्फ एक पैर को जांघ पर रखें और दूसरा ज़मीन पर मोड़कर रखें.
योगा ब्लॉक या कुशन का सहारा लें: इससे संतुलन बनाए रखना आसान हो जाएगा.
धीरे-धीरे अभ्यास करें: जब शरीर में लचीलापन आ जाएगा, तो आप इसे पूरी तरह से कर पाएंगे.

👉पद्मासन करने के फायदे
1. मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है.
इस आसन से दिमाग शांत होता है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है. जो लोग अधूरी नींद, चिंता या बेचैनी से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह योगासन बेहद लाभकारी है.

2. रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है
जब आप इस आसन में बैठते हैं, तो रीढ़ पूरी तरह से सीधी रहती है, जिससे पोश्चर सुधरता है और पीठ दर्द में राहत मिलती है.

3. पाचन तंत्र को मजबूत करता है
इस मुद्रा में बैठने से पेट पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर काम करता है अगर आपको गैस या एसिडिटी की समस्या होती है, तो यह योगासन मदद कर सकता है.

4. ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है
इस आसन को करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे दिल और दिमाग तक ऑक्सीजन सही मात्रा में पहुंचती है.

5. शरीर को लचीला बनाता है
अगर आप रोज़ इस आसन का अभ्यास करते हैं, तो आपके घुटने, टखने और कूल्हे अधिक लचीले हो जाएंगे.

आसान वेरिएशन: पद्मासन तोलासन (लिफ्टेड लोटस पोज़)

अगर आप पद्मासन में निपुण हो चुके हैं, तो आप इसके एक कठिन वेरिएशन "पद्मासन तोलासन" को भी आजमा सकते हैं.

👉कैसे करें?
पद्मासन में बैठें और हथेलियों को ज़मीन पर रखें. Z xa
अब शरीर को ऊपर उठाने के लिए हाथों से ज़मीन को दबाएं.
धीरे-धीरे घुटने और कूल्हों को ऊपर उठाएं और संतुलन बनाए रखें.
इसे कुछ सेकंड तक पकड़कर रखें, फिर धीरे-धीरे नीचे आएं.
यह मुद्रा कोर मसल्स, बाजुओं और कंधों को मजबूत करने में मदद करती है.

👉कौन लोग इस योगासन से बचें?
घुटनों में चोट या दर्द हो तो इसे करने से बचें.
पीठ या रीढ़ की हड्डी की समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह लें.
अधिक मोटापा हो तो पहले आधा पद्मासन से शुरुआत करें.
गर्भवती महिलाएं इसे न करें.
जरूरी टिप्स
शुरुआत में 10 मिनट करें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं.
अगर पैरों में झनझनाहट हो तो आसन से बाहर आकर हल्के हाथों से पैरों की मसाज करें.
इसे सुबह खाली पेट करना सबसे अच्छा होता है, लेकिन शाम को भी किया जा सकता है.
शरीर को बहुत ज्यादा जोर देने से बचें, धीरे-धीरे अभ्यास करें.

04/06/2025

▫️चिंता और तनाव को दूर करने के लिए करें शशांकासन
👉तनाव व स्ट्रेस को दूर करने के लिए आप शशांकासन कर सकते हैं। आगे जानते हैं इसके फायदे और करने का सही तरीका
आज के दौर में तनाव और स्ट्रेस की वजह से लाखों लोग परेशान है। दरअसल, काम का बोझ, परिवार की फाइनेंशियल कंडीशन और अन्य कारणों से अधिकतर लोगों को स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। मानसिक स्थिति और सेहत से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए आप योग कर सकते हैं। वर्षों से भारत में योग के द्वारा कई रोगों को दूर करने का कार्य किया जा रहा है। इस लेख में आपको शशांकासन के फायदों के बारे में बताया जा रहा है। अंग्रेजी में इसे रेबिट पोज कहा जाता है। योग एक्सपर्ट अंकुश पंडित के अनुसार शशांकासन तनाव व स्ट्रेस को दूर करने में सहायक होता है। साथ ही, इससे नर्वस सिस्टम को भी आराम मिलता है। आगे शशांकासन के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
👉तनाव से राहत
आज के समय अधिकतर लोगों को किसी न किसी चीज को लेकर तनाव रहने लगा है। इस समस्या से बचने के लिए आप शशांकासन का अभ्यास कर सकते हैं। इससे मन शांत होता है और स्ट्रेस कम होने लगता है। इस आसन में रीढ़ की हड्डी में खिंचाव होता है, जिससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे धीरे-धीरे तनाव और स्ट्रेस कम होने लगता है।

👉शशांकासन में पेट पर दबाव उत्पन्न होता है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। पेट की मांसपेशियों के दबाव से पोषक तत्वों का अवशोषण तेजी से होता है। साथ ही, पेट की गैस, सूजन और कब्ज को दूर करने में मदद मिलती है।

👉रीढ़ की हड्डी का दर्द दूर होता है
शशांकासन से रीढ़ की हड्डी पर खिंचाव होता है, इससे रीढ़ की हड्डी का एलाइनमेंट में सुधार होता है। साथ ही, आपके बैठने के पोश्चर में सुधार होता है। इससे रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से आप पीठ की समस्याओं में आराम मिलता है।

👉फेफड़े मजबूत बनाएं
शशांकासन के अभ्यास में जब आप गहरी और लंबी सांस लेते हैं, तो इससे फेफड़े मजबूत बनते हैं। साथ ही, फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। इससे सीने की मांसपेशियां की अकड़न दूर होती है और आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती हैं। जिससे आप एनर्जेटिक महसूस करते हैं।

👉नर्वस सिस्टम को आराम पहुंचाएं
शशांकासन के नियमित अभ्यास से पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है। इससे आपका तनाव तेजी से दूर होता है। साथ ही, चिंता और अनिद्रा की समस्या में भी कमी आने लगती है। इस आसन से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

👉शशांकासन कैसे करें :
इसे करने के लिए आप व्रजासन में बैठ जाएं।
इस दौरान आपके पैर मुड़े होने चाहिए, जबकि रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
अब गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर ही ओर ले जाएं।
इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे नीचे की ओर ले जाएं।
अब माथे और हाथ की हथेलियों को जमीन पर लगाएं।
इस पोजीशन में करीब 20 से 30 सेकंड रुकें। फिर दोबारा नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं।
इस आसन को आप 10 से 15 मिनट तक दोहरा सकते हैं।
शशांकासन से आप तनाव को दूर करने के साथ ही पेट की चर्बी को भी आसानी से कम कर सकते हैं। इसके नियमित अभ्यास से मोटापा कम होता है। साथ ही, शरीर की मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है। इस आसन को किसी ट्रेनर की देखरेख में करें

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