Maharishi Patanjali Arogyadham

Maharishi Patanjali Arogyadham Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Maharishi Patanjali Arogyadham, Medical and health, Circular Road, Abrol Nagar, Pathankot.

07/05/2024
21/03/2024
13/08/2023

मोमोज का स्वास्थ्य पर प्रभाव :--------
गली - मोहल्लो व नुक्कड़ मार्केट पर, सिल्वर के स्ट्रीमर में , उबलते हुए मोमोज, तीखी लाल मिर्च की चटनी के साथ खाते हुए युवा किशोर, आपको भारी संख्या में दिख जाऐंगे।
लाल मिर्च को स्वास्थ के लिए, काफी लाभदायक माना जाता है। लेकिन, उस लाल मिर्च में , प्रोसेसिंग के माध्यम से, कुछ मिलाया गया न हो तब। मोमो बेचने वाले लोग, मिर्च की गुणवत्ता की चिंता नहीं करते, वे बाजार से सस्ती या लोकल मिर्च पाउडर खरीदकर उसकी चटनी बनाते हैं। ऐसी चटनी खाने से, बवासीर / पाइल्स होने का खतरा बना रहता है।
अक्सर शाम के समय, मासूम युवा किशोर नहीं जानते , वह मोमोज खा कर, अपने स्वास्थ्य चरित्र को किस हद तक बर्बाद कर रहे हैं।
मोमोज निर्माण सामग्री में, मैदा का प्रयोग होता है और मैदा गेहूं का एक उत्पाद है । जिसमें से प्रोटीन व फाइबर निकाल लिया जाता है । मृत (starch ) ही शेष रहता है।
उसे और अधिक चमकाने के लिए, ' बेंजोयल पराक्साइड ' मिला दिया जाता है, जो एक रासायनिक ब्लीचर्स है।
ब्लीचर्स, जिससे चेहरे को स्वच्छ किया जाता है । यह ब्लीचर शरीर में जाकर, आपकी किडनी को हानि पहुंचाता है। ब्लीच केमिकल, अग्न्याशय को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं । जिससे इंसुलिन - उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। इन ब्लीचिंग का उपयोग प्रयोगशाला में टेस्टिंग के लिए किया जाता है। एलोक्सन केमिकल अग्न्याशय के लिए, अत्यंत हानिकारक होता है और डायबिटीज के लिए, जिम्मेदार हो सकता है।
स्वाद के लिए, मोमोज में मोनो-सोडियम ग्लूटामेट (MSG) मिलाया जाता है। कुछ खाद्य पदार्थों में , यह प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। लेकिन, प्रोसेस्ड फूड में इसे अलग से मिलाते हैं। सोडियम ग्लूटामेट सफेद क्रिस्टल पाउडर की तरह होता है। जो न केवल मोटापे का खतरा बढ़ाता है, बल्कि नर्व डिसऑर्डर, पसीना आना, सीने में दर्द, मतली आना और ह्रदय धड़कन बढ़ाने जैसे स्वास्थ्य को नष्ट होने का कारण बन सकता है। यह चिप्स, पैकेज्ड सूप, कैन्ड फूड जैसे प्रोसेस्ड फूड में, MSG काफी अधिक मात्रा में मौजूद होता है।
मैदे के प्रोटीन रहित होने से , इसकी प्रकृति एसिडिक हो जाती है । यह शरीर में जाकर, हड्डियों के कैल्शियम को सोख लेता है । विशेषज्ञो अनुसार मैदा में एलोक्सन होने का भी दावा करते हैं. यह केमिकल मैदा को नरम बनाए रखता है। तीखी लाल मिर्च की चटनी उत्तेजक होती है, जिससे यौन रोग, धातु रोग, नपुंसकता जैसे महा भयंकर रोग देश के किशोर व युवा को , अपनी चपेट में लेकर, उनके स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है।
इस में, ऐसे कैमीकलों को मिलाया जाता है , जो बच्चों के दिमाग में चले जाते हैं। जिससे बच्चों का मन बार - बार खाने को करता है।
यह कैमीकल बच्चीयों में बांझपन और लड़कों में नपुंसकता पैदा करते है। जिसकी भनक भी , खाने वालों को नहीं लगती। यह खाना आपकी आंतों में जाकर चिपक जाता है। आंतों का सत्यानाश कर देता है। जिससे बच्चों में , नया रक्त का बनना बंद हो जाता है और शरीर का विकास रूक जाता है। जीभ के स्वाद के फंदे में फंसकर स्वास्थ्य को नष्ट कर देते है ।
मोमोज में, पत्ता गोभी की स्टफिंग होती है। जिसे अगर ठीक से नहीं पकाया गया तो , इसमें टैपवार्म के बीजाणु हो सकते हैं, जो मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं। यह पत्तागोभी में रहने वाला एक कीड़ा है, जो स्वास्थ्य के लिए, गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
मोमोज के अंदर प्रयोग होने वाली सब्जियां और चिकन, लंबे समय तक रखे रहने से, दुषित हो जाते हैं।ऐसे इंग्रेडिएंट से बने मोमोज का सेवन करने से रोगों को निमंत्रण देना है । अधिकांश चिकन उत्पाद, जो विभिन्न आउटलेट्स पर मिलते हैं, उनमें E. coli बैक्टीरिया काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह विष के समान होता है और उससे गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
यदि आप आहार में, पर्याप्त फाइबर वाले आहार का सेवन कर रहे हैं, तो कभी-कभार जंक फूड खा सकते हैं। लेकिन, अगर हफ्ते में आप कम से कम 3 बार भी मोमोज का सेवन कर रहे हैं, तो तुरंत इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। यदि आपको मोमोज खाना ही है, तो घर पर बनाएं और मैदे की जगह गेहूं के आटे और ताजी सब्जियों का उपयोग करें।
मोमोज खाने से, कब्ज की समस्या भी बढ़ सकती है । क्योंकि, अधिकतर मोमोज को मैदा से बनाया जाता है, जो पेट की आंतो में जाकर चिपक जाता है और कब्ज की समस्या को भी बढ़ाता है। कई बार, ठीक से न पकने के कारण भी, हैजे की समस्या हो सकती है।
मोमोज, पूर्वी एशियाई देशों चीन व तिब्बत का खाना है। वहां की जलवायु के यह अनुकूल है , वही ये भारत की गर्म जलवायु के , अनुकूल नहीं है। यदि इतने रोगों के खतरे के बाद भी , इस व्यंजन का सेवन भारी मात्रा में प्रयोग से , शरीर की स्वास्थ्य प्रणाली को, नष्ट कर देना जैसा है।

आयुर्वेद में वर्षा ऋतु :--------      आयुर्वेद के अनुसार, वर्ष को 6 ऋतुओं या ऋतुओं में विभाजित किया जा सकता है, शिशिरा, ...
13/07/2023

आयुर्वेद में वर्षा ऋतु :--------
आयुर्वेद के अनुसार, वर्ष को 6 ऋतुओं या ऋतुओं में विभाजित किया जा सकता है, शिशिरा, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरत् और हेमन्त। मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक वर्षा ऋतु या मानसून माना जाता है। यह दक्षिणायन या विसर्ग काल के अंतर्गत आता है, अर्थात, जब सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ता है। शरीर की शक्ति आम तौर पर कम हो जाती है, और अग्नि या चयापचय बहुत कम हो जाता है। इसलिए प्रारंभ में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, सही आहार और जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। ठंडी बरसात के दिनों में वात दोष बिगड़ जाता है, जिसमें सूखापन, खुरदरापन और हल्कापन होता है और पित्त दोष जमा हो जाता है ।
जीवन शैली -----
* छोटा टुकड़ा सेंधा नमक के साथ खाएं।
* पानी को उबालकर फिर उसे ठंडा करके पिएं।
* देर से पचने वाले आहार से बचें।
* बारिश के मौसम में स्वस्थ्य रहने के लिए, आयुर्वेद पंचकर्म उपचार की सलाह देता है।
* गीले कपड़ों में ना रहें, भीगने पर तुरंत कपड़े बदल लें। * वात को संतुलित करने वाले आहार लें , जैसे ताजे फल,सब्जियाँ और फलियाँ। मसालेदार भोजन से और ज्य़ादा खाने से बचें।
* जमीन पर ना तो बैठें ना ही लेटें। क्योंकि, इससे वात बढ़ सकता है, जो जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है।
* संक्रमण से बचने के लिए, नाखूनों को कटा हुआ और स्वच्छ रखें।
* पाचन की परेशानियों से बचने के लिए, दिन में सोने से बचें।
* पाचन मजबूत करने के लिए, जरा सा नमक और नींबू के रस के साथ अदरक का एक टुकड़ा चबाएँ।
* गीली सतह पर ना चलें और अपने पैरों को सूखा रखें।
* घर में, एक मुट्ठी नीम की सूखी पत्तियों को जलाकर, उसका धुआँ करें। इससे आपके घर में छिपे हानिकारक कीड़े-मकोड़ों से, आपको छुटकारा मिलेगा।
* गर्म पानी पिएं, विशेषकर उबलते हुए पानी में, एक चुटकी अदरक चूर्ण को मिलाकर सेवन करें ।
* अगर भीग गए हों , तो एक कप अदरक-पुदीना या तुलसी-अदरक की चाय पिएँ। इससे आपको गर्मी मिलेगी और अस्थमा, खांसी और सर्दी से बचे रहेंगे।
क्या सेवन न करें -----
इस मौसम में सलाद, कच्ची, बिना पकी हुई पत्तेदार सब्जियों से बचें। दही, पैकेटबंद खाना, फलियाँ और तला हुआ व्यंजन।

विशेष ------
' आयुर्वेद का संबंध, हमारी संस्कृति व जीवन से है , इसे अपनाएं स्वस्थ जीवन पाएं। ' हमारे इस अभियान से जुडे़ व स्वास्थ्य संबंधी समस्या -
महर्षि पतंजलि अयोग्यधाम,
पठानकोट में सम्पर्क कर सकते हैं।

पठानकोट में पहली बार चलें एक कदम प्रकृति की ओर ...
30/10/2022

पठानकोट में पहली बार चलें एक कदम प्रकृति की ओर ...

02/10/2022
पंचकर्मा चिकित्साशरीर की शुद्घि की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्घति है पंचकर्म। आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सा के दो प्रकार होते ...
27/09/2022

पंचकर्मा चिकित्सा
शरीर की शुद्घि की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्घति है पंचकर्म। आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं- शोधन चिकित्सा एवं शमन चिकित्सा। जिन रोगों से मुक्ति औषधियों द्वारा संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर से बाहर कर देने की पद्घति शोधन कहलाती है। यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है। पंचकर्म चिकित्सा में केरल विश्वप्रसिद्घ है। अब भारत के बाकी राज्यों में भी इसका बोलबाला बढ़ रहा है।
हमारे यहां पंचकर्म प्रेक्टिशनर केरल से ही आते हैं। केरल की ये आयुर्वेदिक पद्धति अब सिर्फ दक्षिण में ही नहीं, भारत के हर प्रांत में मशहूर हो रही है। हमारे यहां इलाज के लिए आने वालों में विदेशी भी काफी संख्या में शामिल हैं। वैसे तो पंचकर्म पद्घति में पांच कर्म शामिल होते हैं, लेकिन अब केवल चार कर्मों का ही इस्तेमाल होता है। वमन, विरेचन, वस्ति और नस्य। रक्तमोक्षण का इस्तेमाल अब नहीं होता। इसके अलावा पूर्व कर्म में मसाज, स्टीम बाथ, कटि-स्नान, फुट मसाज, फेशियल एंड फेस पैक और वेट लॉस पैकेज का प्रयोग करते हैं। इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्यत: वात, पित्त, कफ त्रिदोषों को संतुलन में लाने के लिए किया जाता है।
चिकित्सा जगत की अनेक विधाओं ने कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन आयुर्वेद आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कल था। आयुर्वेद पौराणिक हिंदी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है जीवन का ज्ञान। पांच हजार वर्ष पुराना होते हुए भी आयुर्वेद की मान्यता में आज भी कोई कमी नहीं आई है। आज तो इसकी महत्ता और भी बढ़ती जा रही है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में ही पंचकर्म के माध्यम से विभिन्न असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान आज कई मानसिक रोगों व तनाव का शिकार हो चुका है, लेकिन इन समस्याओं का इलाज भी ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त केरल की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति में संभव है। इस पद्धति में हर्बल तेलों और पाउडरों से मसाज द्वारा प्राकृतिक वातावरण में व्यक्ति का उपचार किया जाता है।
यह पद्धति दीर्घकालिक रोगों से मुक्ति दिलाने में काफी लाभकारी साबित होती है। पंचकर्म विधि से शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त बनाया जाता है। इससे शरीर की सभी शिराओं की सफाई हो जाती है और शरीर के सभी सिस्टम ठीक से काम करने लगते हैं। पंचकर्म के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है। पंचकर्म में तीन तरह से शरीर की शुद्धि की जाती है।
पूर्व कर्म-पंचकर्म से पहले शरीर को स्नेहन और स्वेदन विधियों से संस्कारित करके प्रधान कर्म के लिए तैयार किया जाता है। स्नेहन दो प्रकार से करते हैं। इसमें घृत, तेल, वसा और मज्जा कराते हैं और वसा आदि पदार्थों से मालिश की जाती है। स्वेदन में शरीर से पसीने के माध्यम से विकार निकालने की प्रक्रिया को स्वेदन कहते हैं। इसमें भाप स्नान का प्रयोग किया जाता है।
प्रधान कर्म- इस पद्धति में अनेक प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी प्रक्रियाएं इस प्रकार हैं:
वमन- पंचकर्म का पहला कर्म वमन है। कफ प्रधान रोगों को वमन करने वाली औषधियां देकर वमन करवाकर ठीक किया जाता है।
विरेचन- पित्त दोष विरेचन औषधियों के द्वारा विरेचन करवा कर ठीक किया जाता है।
वस्ति- वात दोष को बाहर करने के लिए ये विधि अपनाई जाती है। इसमें गुदा के द्वारा वस्तियंत्र से औषधि को अंदर प्रवेश कराकर बाहर निकाला जाता है।
रक्तमोक्षण- इसमें रक्त खराब हो जाने से होने वाले रोगों से मुक्ति के लिए रक्त को बाहर निकाला जाता है। शिराओं को काटकर या कनखजूरे या लीच चिपका कर अषुद्ध रक्त बाहर निकालने की कोशिश की जाती है।
नस्य- इस चिकित्सा में नाक के छिद्रों से औषधि अंदर डालकर कंठ तथा सिर के दोषों को दूर किया जाता है।
पंचकर्म चिकित्सा के लाभ
शरीर पुष्ट व बलवान होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
शरीर की क्रियाओं का संतुलन पुन: लौट आता है।
रक्त शुद्घि से त्वचा कांतिमय होती है।
इंद्रियों और मन को शांति मिलती है।
दीर्घायु प्राप्त होती है और बुढ़ापा देर से आता है।
रक्त संचार बढ़ता है।
मानसिक तनाव में कारगर है।
अतिरिक्त चर्बी को हटाकर वजन कम करता है।
आर्थराइटिस, मधुमेह, तनाव, गठिया, लकवा आदि रोगों में राहत मिलती है।
स्मरण शक्ति बढ़ती है

Address

Circular Road, Abrol Nagar
Pathankot
145001

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Maharishi Patanjali Arogyadham posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram