24/09/2024
राहु की महादशा में उसके विभिन्न अंतर्दशा का फलादेश
राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा -
आमतौर पर यह समय जातक के जीवन का संपूर्ण परिवर्तन का समय रहता है, जिस तरह एक पुराने मकान को बिल्कुल बुलडोजर से तोड़कर जमीन समतल कर दी जाती है, और फिर से Ground Work का कार्य शुरू होकर Foundation , Pillar, Construction का कार्य शुरू किया जाता है ।।।
और राहु की जब महादशा शुरू होती है, तो वह अपने हिसाब से काम करता है और पुराने महादशा के कार्यों को समतल करके बिल्कुल नए सिरे से फाउंडेशन से काम करता है, और यह समय जातक के जीवन का Reconstruction का समय रहता है
राहु की महादशा में गुरु की अंतर्दशा - राहु और गुरु का आपस में तालमेल नहीं होने के कारण आमतौर पर यह समय निराशाजनक ही रहता है ।। पर अगर गुरु कुंडली में बलवान है, अच्छी स्थिति में बैठा है, तो इस समय में उच्च शिक्षा की भी प्राप्ति होती है , आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है, नौकरी में पदोन्नति की भी प्राप्ति होती है , और अगर बृहस्पति की स्थिति खराब हो तो पेट संबंधित समस्या होने की संभावना रहती है ।।।
अगर गुरु शुभ है या बलवान हो तो इस समय आध्यात्मिक क्षेत्र में विशेष लाभ होगा शायद आपको कोई आध्यात्मिक गुरु भी मिल जाए ।।।
राहु की महादशा में शनि की अंतर्दशा - यह समय जातक के जीवन का सर्वाधिक कष्ट का समय होता है, नौकरी छूट जाती है , स्वास्थ्य खराब रहता है , धन की समस्या रहती है, गृह क्लेश होता है , यहां तक कहा जाता है राहु शनि का यह समय दिन में तारे भी दिखा देते हैं ।।।
अगर शनि की स्थिति खराब हो ,और साथ में शनि की साढ़ेसाती भी चल रही हो कि स्थिति और भयावह हो जाती है ।।
शोध के बाद एक चीज और सामने आई है कि परिवार , कुटुंब रिश्तेदार में कोई अशुभ समाचार की प्राप्ति अवश्य मिलती है ।।
राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा - राहु अपनी महादशा में सबसे अधिक शुभ फल बुध की अंतर्दशा में देता है, नौकरी की प्राप्ति होती है, व्यापार में उन्नति होती है , विवाह होता है ,नए कार्य होते हैं ,संतान की प्राप्ति होती है, धन लाभ होता है , यानी जातक के जीवन का चौतरफा विकास का समय ।।।
जातक नया व्यापार करें तो विशेष लाभ देता है, धन में वृद्धि होती है, नया वाहन, नया मकान का सुख प्राप्त होता है ।।
राहु की स्थिति कुंडली में शुभ हो इसी काल में सरकारी नौकरी की भी प्राप्ति होती है ।।
राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा - यह समय विशेष मानसिक तनाव का समय होता है ,धन हानि होती है, शारीरिक कष्ट प्राप्त होता है , परिवार से वियोग भी होता है, संतान को कष्ट प्राप्त होता है ।।।
राहु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा - ऐसा कहा जाता है कि राहु कुंडली में अशुभ ही क्यों ना हो तो भी शुक्र की अंतर्दशा में शुभ फल ही देता है ।।
शुक्र की अंतर्दशा में जातक को भरपूर सुख प्राप्त होता है, यानी ऐसा कहा जाए कि पूरी राहु की महादशा में सबसे सुकून और शांति का समय शुक्र की अंतर्दशा का होता है ।।
जातक को नए मकान, नया वाहन, पुत्र की प्राप्ति होती है ।।
शुक्र अगर शुभ हो तो जातक को चौपाया सुख देता है यानी लग्जरी कार , मकान का सुख अवश्य प्राप्ति होती है ।।
इस समय राहु ठीक अपने मध्य पर रहता है तो जातक भरपूर सुख का अहसास करता है
राहु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा - यह समय जातक के जीवन का विशेष कष्ट का समय रहता है , जातक को हानि कष्ट और झूठी बदनामी भी लगती है ।। पर सूर्य की स्थिति अच्छा हो तो घर में मांगलिक कार्य भी होता है भाई बहनों का विवाह भी संपन्न होता है ।।
राहु की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा - सर्वाधिक मानसिक तनाव और मानसिक अवसाद का समय ।। राहु अपनी महादशा में सबसे ज्यादा कष्ट चंद्रमा की अंतर्दशा में देता है ।।
असीम मानसिक तनाव ....
रिश्ते छूट जाते हैं, झूठा कलंक लगता है, नौकरी छूट जाती है , धन हानि होता है , चौतरफा नुकसान होता है , करीबी रिश्तेदार भी मुंह मोड़ लेते हैं , चारों तरफ बदनामी होती है , जीवनसाथी को कष्ट होता है , अगर प्रेम संबंध हो तो टूट जाता है, और जातक त्राहिमाम करता रहता है ...
ऐसी परिस्थिति में पंचामृत (कच्चा दूध, दही , घी मधु ,गंगा जल) से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए
राहु चुकी वक्री चलता है, तो अपनी महादशा में पैर से प्रवेश करता है , यानी राहु अपनी शुरुआती दौर में पैर को कष्ट देता है , मध्य दशा में पेट को कष्ट देता है , और अंत में जब चंद्रमा की अंतर्दशा चलती है तो जीभ में सवार हो जाता है ... और जातक उटपटांग बोलता है ,और सारे रिश्ते को खराब कर लेता है ।।।
राहु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा - अब चुकी राहु की महादशा खत्म होने को होती है, तो मंगल की अंतर्दशा में राहु माथे पर सवार रहता है , जिसके कारण जातक को क्रोध भी होता है , ऐसी परिस्थिति में जातक को वाहन धीरे चलाना चाहिए ।।।।
अब अगली महादशा बृहस्पति की होती है और राहु का कार्यकाल समाप्ति की ओर होता है ...तो यह समय जातक के जीवन का बेहद परिवर्तन का समय होता है ।।
चुकी राहु की महादशा पूरे 18 वर्ष की होती है...
और अगली महादशा गुरु की शुरू होने वाली होती है, तो यह समय जातक के जीवन का बहुत ही परिवर्तन का समय होता है यानी राहु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा लगभग 1 वर्ष की होती है, जिसमें 6 महीने राहु अधिकार रखता है ...और 6 महीने बृहस्पति धीरे-धीरे अपना अधिकार की तैयारी में रहता है
राहु बड़ा मायावी है ... और कुंडली में अगर राहु की शुभ स्थिति है तो जाते-जाते राहु जातक को वह दे जाता है जिसकी जातक कल्पना भी नहीं कर सकता है ।।।
कुंडली में अगर राहु शुभ स्थिति में हो, उच्च राशि का बैठा हो और योगकारक नक्षत्र में बैठा हो, तो राहु अपनी महादशा के अंतिम समय में यानी मंगल की अंतर्दशा में अपने आशीर्वाद के तौर पर वह चीज देकर जाता है ...जो जातक के जीवन में एक यादगार बन जाता है ...और जातक पूरी तरीका से सेट हो जाता है ...जिसका लाभ उसको बृहस्पति की महादशा में प्राप्त होता है ।।।।
राहु अगर कुंडली में शुभ स्थिति में हो तो जातक को अपनी महादशा में एक आध्यात्मिक गुरु अवश्य दे देता है ...
एक अदृश्य शक्ति सदैव जातक के साथ रहती है जो पूरे 18 वर्ष जातक की रक्षा करती है ।।।
राहु की शुभ स्थिति के कारण जातक रिसर्च और शोध जैसे क्षेत्र से जुड़ता है बेहद अच्छा डॉक्टर इंजीनियर या फिर शोधकर्ता भी बन जाता है ।।।
जातक उच्च स्तरीय सरकारी सुख भी देता है इसकी विशेष अच्छी परिस्थिति में जातक एसपी कलेक्टर भी बन जाता है ।।
राहु की महादशा में शुभ स्थिति के कारण सेलिब्रिटी , क्रिकेटर विधायक ,सांसद जैसे पद की भी प्राप्ति कर लेता है ।।।
अगर विधानसभा या लोकसभा में कोई व्यक्ति जाकर बैठता है तो यह राहु का ही आशीर्वाद होता है ।।
अगर ग्लैमर भरी दुनिया में कोई व्यक्ति जीता है और अचानक प्रसिद्धि को प्राप्त करता है कि अभी राहु का ही आशीर्वाद होता है ।।
क्रिकेट और फुटबॉल जैसी खेल में कप्तान जो विश्व कप जीत के देश का नाम सुशोभित करता है उसके ऊपर भी राहु के शुभ स्थिति का ही अधिकार होता है ।।
वह सभी शुभ घटना जो आपके सोच के पार हो , और वह सभी अशुभ घटना जो आपकी सोच के पार हो दोनों का कारक राहू है ....
राहु अपनी 18 वर्ष की महादशा में वह तमाम अनुभव दे देता है जो बाकी के ग्रह के सोच और समझ से भी परे है ।।
ऊं रां राहवे नमः
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A***n Rathur Formerly known as Lalit
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