Dr Anand Kumar Endocrinologist

Dr Anand Kumar Endocrinologist Assistant Professor
Dept. of Endocrinology & Metabolism
IGIMS Patna

PCOS/PCOD किशोरी बच्चियों एवं महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी है। इसके प्रभाव से पीरियड सम्बन्धित समस्याओं के साथ संत...
02/01/2023

PCOS/PCOD किशोरी बच्चियों एवं महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी है। इसके प्रभाव से पीरियड सम्बन्धित समस्याओं के साथ संतानोत्पत्ति की समस्या, शरीर व चेहरे पे अवांछित बाल, मुहांसे, मोटापा, मधुमेह एवं हृदय रोग का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। बच्चियों मे इसके कारण तनाव व अवसाद (anxiety & depression) की समस्या भी देखने को मिलती है। माँ बाप को इस बात की चिंता सबसे ज्यादा होती है की क्या बच्ची का शादी के बाद जीवन सरल व खुशहाल रहेगा की नहीं।
ऐसी स्थिति मे खान पान मे परहेज कर वजन घटाने से और किसी प्रशिक्षित इन्डोक्रिनोलोजीस्ट से सलाह के अनुसार दवाएँ लेने पर निश्चित रूप से लाभ होता है। इस बीमारी का ईलाज आजकल आसानी से संभव है और शादी के बाद संतानोत्पत्ति की समस्या का निवारण भी संभव है।

"PCOS" महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। इसके साथ ही मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम भी ऐसे मरीजों में देखा जाता है। अंततः ये सभी ह्रदय रोग के कारक हो सकते है। अतः ऐसे मरीजों को कार्डियोलोजिस्ट से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

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Happy new year & Best wishes to all 💐💐💐Listen to Dr Selvabharathi regarding risk factors, causes and prevention of heart...
31/12/2022

Happy new year & Best wishes to all 💐💐💐

Listen to Dr Selvabharathi regarding risk factors, causes and prevention of heart diseases on Radio city this Sunday 1st jan 2023...

Stay healthy...stay blessed ❤

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विगत 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस पर आम जनता में मधुमेह के बारे मे जागरूकता के लिए विशेष कार्यक्रम DD Bihar पर प्रसारित...
24/11/2022

विगत 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस पर आम जनता में मधुमेह के बारे मे जागरूकता के लिए विशेष कार्यक्रम DD Bihar पर प्रसारित हुआ। इसे आप अब यू ट्यूब पर भी देख सकते हैं।

Special Program on World Diabetes Day | Dr. Anand Kumar

डायबिटीज से बचने या कंट्रोल के लिए सबसे जरूरी है कि उसके संबंधित जानकारी ऑर उपाय के बारे मे आम जनता मे जागरूकता फैलायी ज...
13/11/2022

डायबिटीज से बचने या कंट्रोल के लिए सबसे जरूरी है कि उसके संबंधित जानकारी ऑर उपाय के बारे मे आम जनता मे जागरूकता फैलायी जाय। प्रसार भारती दूरदर्शन केंद्र पटना ने कल इसके लिए मुझे आमंत्रित किया था जिसका प्रसारण कल 14 नवंबर सोमवार शाम 6.00 बजे डी डी बिहार पर किया जाएगा। मै दूरदर्शन पटना का इसके लिए आभार व्यक्त करता हूँ।

डायबीटिज एवं हृदय रोग न सिर्फ पुरूषों में, बल्कि महिलाओं और बच्चों मे भी बड़े स्तर पर देखे जा रहे हैं। कम ऊम्र मे हार्ट ...
06/11/2022

डायबीटिज एवं हृदय रोग न सिर्फ पुरूषों में, बल्कि महिलाओं और बच्चों मे भी बड़े स्तर पर देखे जा रहे हैं। कम ऊम्र मे हार्ट अटैक आजकल अक्सर देखने सुनने को मिल रहा है। ऐसे मे कार्डियोलाॅजिस्ट ( हृदय रोग विशेषज्ञ ) का परामर्श अत्यंत ही जरूरी हो जाता है। एक डायबीटिज व इंडोक्राईन विशेषज्ञ के रूप मे मेरी सलाह है कि 35 वर्ष की आयु के बाद डायबीटिज के सभी मरीजों को हृदय का नियमित जाँच करा लेना चाहिए। जिम शुरू करने वाले लोगों को भी हृदय की प्रारंभिक जाँच एक बार अवश्य करा लेना चाहिए। महिलाओं को ऐसे में और दिक्कत का सामना करना पड़ता है जैसे कि खुलकर अपनी परेशानी न बता पाना, ई.सी.जी. , इको या शारीरिक जाँच में शर्म अनुभव करना।
डाॅ सेल्वाभारती, बिहार की पहली महिला डीoएमo कार्डियोलाॅजिस्ट के रूप में हर वर्ग, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को वाजिब परामर्श दे पायें, इसके लिए ढेरों शुभकामनाएँ।।💐💐💐

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28/04/2021

बाबा रामदेव ने हाल ही में टाइप 1 डायबीटीज( मधुमेह) के बारे में भ्रामक जानकारी देकर ( कि टाइप 1 डायबीटीज बिना इंसुलिन के ही आयुर्वेदिक दवा से ठीक हो जाती है) मरीज व उनके परिजनों को असहज स्थिति मे डाल दिया है। ऐसी भ्रामक बातें मरीजों के हित में नही है।
मधुमेह के बारे मे कुछ सामान्य ज्ञान बहुत आवश्यक है। आइए मधुमेह/Diabetes के बारे मे जाने।

* मधुमेह मुख्यतः 2 प्रकार का होता है टाइप-1 और टाइप-2।

* टाइप-1 सामान्यत: कम उम्र यानी 1 से 30 साल के बीच में होता है और इसका इलाज सिर्फ इंसुलिन से ही सम्भव है। इंसुलिन बंद करना जानलेवा हो सकता है। यह बिमारी अचानक से शुरु होती है और कई बार तो मरीज बेहोशी की अवस्था मे अस्पताल पहुचते हैं। ये मरीज दुबले पतले होते हैं और उनमे अन्य बिमारी जैसे थायरौयड संबंधित इत्यादि के होने की भी संभावना होती है।

*टाइप 2, सामान्यतः 30 साल के बाद मोटापे वाले लोगों मे होती है और बहुतों मे तो ये पारिवारिक भी होती है। इसका इलाज गोलियों से सम्भव है लेकिन लम्बे समय के बाद इन्सुलिन की आवश्यक्ता भी हो सकती है। आजकल रिसर्च मे देखा जा रहा है की अगर शुरुआती समय में खान पान मे परहेज और व्यायाम करके वजन घटाया जाय तो इसके पूरी तरह ठीक होने की भी संभावना है हालांकि यह अभी शुरूआती दावा है।

* कुछ अन्य् प्रकार के मधुमेह भी होते हैं जैसे कि नवजात शिशुओं मे आनुवंशिक कारणों से, महिलाओं मे गर्भवस्था के दौरान, पैन्क्रियाटाइटिस के बाद इन्सुलिन नही बनने के कारण, और कभी कभी तो कुछ हानिकारक दवाओं के सेवन से भी।

*आपके मधुमेह का प्रकार आपके इलाज को निर्देशित करता है की कौन सी दवा आपके लिए ज्यादा कारगर है।

एक बात का ध्यान जरूर रखें की कोई इन्फेक्शन/ घाव/सर्जरी/गर्भवती स्त्रियों में / वजन बहुत घट जाने पर /लीवर या किडनी खराब होने या सुगर बहुत अनियंत्रित होने के समय इन्सुलिन लेना सबसे फायदेमंद है। इन्सुलिन लेने से डरे नहीं। यह मधुमेह के सर्वाधिक अच्छे दवाओं मे से एक है। इसके लिए अपने चिकित्सक से जरुर परामर्श करना चाहिए।

On this auspicious day of Deepawali let us move from darkness to light.( तमसो मा ज्योतिर्गमय । )💐💐💐🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔💐💐💐Today is ...
14/11/2020

On this auspicious day of Deepawali let us move from darkness to light.( तमसो मा ज्योतिर्गमय । )
💐💐💐🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔💐💐💐

Today is also world diabetes day. Let's enlighten ourselves to fight against Diabetes.

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्रानि पशयन्तु मा कश्चित् दु:ख भागभवेत।।

हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसीस/Osteoporosis) आमतौर पर हड्डियों मे दर्द या हड्डी टूटने के रूप मे सामने आती है। रीढ की...
19/10/2020

हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसीस/Osteoporosis) आमतौर पर हड्डियों मे दर्द या हड्डी टूटने के रूप मे सामने आती है। रीढ की हड्डी और कमर व कुल्हे की हड्डियों के टूटने का यह एक प्रमुख कारण है जो मामूली चोट से भी टूट जाते हैं। बुढ़ापे में यह मरीज व उनके परिजनों को कितना परेशान करती है इसे समझा जा सकता है।
हड्डियों का कमजोर होना किसी भी उम्र में देखा जा सकता है और इसके अलग अलग कारण हो सकते हैं। लेकिन यह प्रमुख रुप से महिलाओं मे पीरियड बन्द होने के बाद करीब 50 साल की उम्र के बाद शुरु होता है जिसे post menopausal osteoporosis कहते हैं। पुरुषों में 70 साल के बाद उम्र के प्रभाव से हड्डियों का कमजोर होना देखा गया है जिसे senile osteoporosis कहा जाता है। उम्र का यह प्रभाव महिलाओं मे भी होता है। इसके अतिरिक्त किसी भी उम्र में हड्डियों की कमजोरी किसी दुसरी बीमारी या दवाओं के प्रभाव के कारण हो सकता है जिसे secondary osteoporosis कहा जाता है।
अगर इससे बचाव के बारे मे बात करें, तो नियमित व्यायाम, शराब व धुम्रपान से बचना, सन्तुलित आहार जिसमें दूध/दही/पनीर/या कैल्सियम् से भरपूर साग सब्जियों का सेवन, दोपहर की धूप मे कम से कम 15 मिनट बैठना और अगर कोई अन्य बीमारी जैसे डायबीटीज/गठिया/थायरायड़ इत्यादि का समुचित इलाज कराना आपकी मदद कर सकता है।
अगर हड्डियों मे दर्द या टूटने की शिकायत हो तो अपने निकटस्थ इन्डोक्रिनोलोजीस्ट से DEXA Scan जाँच जरूर करायें और इलाज के लिए नियमित सलाह लें।

पुरुषों में स्तनों का  विकास हो जाना  (जिसे डॉक्टरी  भाषा मे गाइनेकोमास्टीया कहते हैं) ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप...
09/10/2020

पुरुषों में स्तनों का विकास हो जाना (जिसे डॉक्टरी भाषा मे गाइनेकोमास्टीया कहते हैं) ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यधिक परेशान करने वाली स्थिति होती है।
प्राकृतिक रूप से यह किशोरावस्था मे या बुढ़ापे मे हो सकता है और ये सामान्य बात होती है। लेकिन इसके अतिरिक्त किसी अन्य उम्र के वयस्कों में या बचपन में हो तो सावधान हो जाना चाहिए। कभी कभी मोटे लोगों मे चर्बी जमा होने से भी ऐसा देखने को मिल सकता है जिसे लिपोमास्टीया कहा जाता है। लड़को में किशोरावस्था मे होने वाला छाती का विकास लगभग 2 साल में स्वतः ही ठीक हो जाता है लेकिन अगर ना हो तो उसे डॉक्टर से दिखा लेना चाहिए। पुरुषों मे इसके अलावा बहुत से कारणों से स्तनों का बढ़ना देखा गया है जो हॉर्मोनल असंतुलन के कारण उत्पन्न होता है। यह हॉर्मोन संबंघित बिमारियों एवं विभिन्न प्रकार के टयूमर के अलावा लीवर और किडनी की खराबी मे भी देखा जाता है। यह सेक्स संबंघित रोगों का एक लक्षण भी हो सकता है। इसलिए इसका समुचित जांच व ईलाज जितनी जल्दी हो, करा लेना आवश्यक है।

PCOS/PCOD किशोरी बच्चियों एवं महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी है। इसके प्रभाव से पीरियड सम्बन्धित समस्याओं के साथ संत...
27/09/2020

PCOS/PCOD किशोरी बच्चियों एवं महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी है। इसके प्रभाव से पीरियड सम्बन्धित समस्याओं के साथ संतानोत्पत्ति की समस्या, शरीर व चेहरे पे अवांछित बाल और मुहांसे, मोटापा और मधुमेह का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। बच्चियों मे इसके कारण तनाव व अवसाद (anxiety & depression) की समस्या भी देखने को मिलती है। माँ बाप को इस बात की चिंता सबसे ज्यादा होती है की क्या बच्ची का शादी के बाद जीवन सरल व खुशहाल रहेगा की नहीं।
ऐसी स्थिति मे खान पान मे परहेज कर वजन घटाने से और किसी प्रशिक्षित इन्डोक्रिनोलोजीस्ट से सलाह के अनुसार दवाएँ लेने पर निश्चित रूप से लाभ होता है। इस बीमारी का ईलाज आजकल आसानी से संभव है और शादी के बाद संतानोत्पत्ति की समस्या का निवारण भी संभव है।

01/09/2020

Celebrating National nutrition week 2020..

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