Anmol Ayurveda Center Patran

Anmol Ayurveda Center Patran All Types of Ayurveda Medicine Shop

06/04/2025

ਹੁਣ ਹਰ ਇਕ ਬਿਮਾਰੀ ਦਾ ਬੱਸ ਇੱਕੋ ਹੀ ਹੱਲ। ਅਨਮੋਲ ਆਯੁਰਵੈਦਿਕ ਮੈਡੀਕਲ ਹਾਲ ਪਾਤੜਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਲਈ ਲੈ ਕੇ ਆਇਆ ਹਰ ਇੱਕ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਆਯੁਰਵੇਦਿਕ ਦਵਾਈਆਂ। ਜਿਨਾਂ ਦੇ ਰੈਗੂਲਰ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਾਲ ਹੁਣ ਤੁਸੀਂ ਹਰ ਇੱਕ ਬਿਮਾਰੀ ਤੋਂ ਨਿਜਾਤ ਪਾ ਸਕਦੇ ਹੋ। ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਵੀ ਇਲਾਜ ਕਰਵਾ ਕੇ ਥੱਕ ਚੁੱਕੇ ਹੋ ਪ੍ਰੰਤੂ ਤੁਹਾਡੀ ਬਿਮਾਰੀ ਠੀਕ ਨਹੀਂ ਹੋ ਰਹੀ। ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਬਿਮਾਰੀ ਲਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਇਲਾਜ, ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਮਹਿੰਗੇ ਟੈਸਟ ਕਰਵਾ ਕੇ ਥੱਕ ਚੁੱਕੇ ਹੋ ਤਾਂ ਹੁਣ ਤੁਹਾਨੂੰ ਨਿਰਾਸ਼ ਹੋਣ ਦੀ ਜਰੂਰਤ ਨਹੀਂ। ਇੱਕ ਵਾਰ ਜਰੂਰ ਮਿਲੋ।
ਅਨਮੋਲ ਆਯੁਰਵੈਦਿਕ ਮੈਡੀਕਲ ਹਾਲ ਪਾਤੜਾਂ (ਪੰਜਾਬ) ਮੋਬਾਇਲ ਨੰਬਰ 098728 31943
ਹੁਣ ਤੁਸੀਂ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਇੱਕ ਦਵਾਈ ਘਰੇ ਬੈਠੇ ਵੀ ਮੰਗਵਾ ਸਕਦੇ ਹੋ ਦਵਾਈ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਸਾਡੇਵਟਸ ਨੰਬਰ ਤੇ ਸੰਪਰਕ ਕਰੋ 09872831943

31/07/2022

बच्चों के कद बढ़ाने की मेडिसन हमारे पास उपलब्ध है।
*सभी प्रकार के रोग से संबंधित जानकारी और आयुर्वेदिक उपचार जानने के लिए संपर्क करें:-*
*अनमोल आयुर्वेदिक मेडिकल हॉल, नजदीक नया बस स्टैंड, सामने नरवाना- पटियाला बाईपास पुल पातड़ा (पंजाब)*
*पिन कोड:-147105*
*मोबाइल नंबर:-9872831943*
*हमारी वेबसाइट:- Anmolayurvedic.com*
*आप हमारी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन प्रोडक्ट मंगा सकते हो‌।*

28/07/2022

*📚विटामिन तथा उनके रासायनिक नाम और उनकी कमी से होने वाले रोग जानिए हमारे विशेषज्ञ डॉक्टर सतनाम सिंह (आयुर्वेदिक हेल्थ कोच) अनमोल आयुर्वेदिक मेडिकल हॉल पातड़ां से..........*

💥विटामिन- A
रासायनिक नाम : रेटिनाॅल
कमी से रोग: रतौंधी
स्त्रोत : 🥕गाजर,🥛 दूध, 🥚अण्डा ,🍓फल🍉

💥विटामिन – B1
रासायनिक नाम: थायमिन
कमी से रोग: बेरी-बेरी
स्त्रोत : 🥜मुंगफली, आलू, 🥦सब्जीयाँ🍆

💥विटामिन – B2
रासायनिक नाम: राइबोफ्लेबिन
कमी से रोग: त्वचा फटना, आँख का रोग
स्त्रोत : 🥚अण्डा,🥛 दूध,🥦 हरी सब्जियाँ

💥विटामिन – B3
रासायनिक नाम: पैण्टोथेनिक अम्ल
कमी से रोग: पैरों में जलन, बाल सफेद
स्त्रोत :🍗 मांस🍖,🥛 दूध, 🍅टमाटर, मुँगफली🥜

💥विटामिन- B5
रासायनिक नाम: निकोटिनेमाइड (नियासिन)
कमी से रोग: मासिक विकार (पेलाग्रा)
स्त्रोत : 🍗मांस🍖, 🥜मूंगफली, आलू

💥 विटामिन- B6
रासायनिक नाम: पाइरीडाॅक्सिन
कमी से रोग: एनीमिया, त्वचा रोग
स्त्रोत : 🥛दूध, 🍗मांस,🥦 सब्जी🍆

💥विटामिन – H / B7
रासायनिक नाम: बायोटिन
कमी से रोग: बालों का गिरना , चर्म रोग
स्त्रोत : यीस्ट, गेहूँ, 🥚अण्डा

💥विटामिन – B12
रासायनिक नाम: सायनोकोबालमिन
कमी से रोग: एनीमिया, पाण्डू रोग
स्त्रोत : 🍗मांस, 🍖कजेली, 🥛दूध

💥 विटामिन- C
रासायनिक नाम: एस्कार्बिक एसिड
कमी से रोग: स्कर्वी, मसूड़ों का फुलना
स्त्रोत : आँवला, 🍋नींबू, 🍑संतरा, 🍊नारंगी

💥 विटामिन – D
रासायनिक नाम: कैल्सिफेराॅल
कमी से रोग: रिकेट्स
स्त्रोत :☀ सूर्य का प्रकाश,🥛 दूध, अण्डा🥚

💥 विटामिन – E
रासायनिक नाम: टेकोफेराॅल
कमी से रोग: जनन शक्ति का कम होना
स्त्रोत: 🥦हरी सब्जी, 🍚मक्खन, दूध🥛

💥विटामिन- K
रासायनिक नाम: फिलोक्वीनाॅन
कमी से रोग: रक्त का थक्का न बनना
स्त्रोत: 🍅टमाटर, 🥦हरी सब्जियाँ, 🥛दूध

*सभी प्रकार के रोग से संबंधित जानकारी और आयुर्वेदिक उपचार जानने के लिए संपर्क करें:-*
*अनमोल आयुर्वेदिक मेडिकल हॉल, नजदीक नया बस स्टैंड, सामने नरवाना- पटियाला बाईपास पुल पातड़ा (पंजाब)*
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26/07/2022

*जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।*🍇

🍇अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं।

🍇जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।

🍇पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है।

🍇दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।

🍇भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।

🍇स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।

🍇एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।

🍇सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को 1 चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिक्स करके पी सकते हैं।

🍇जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है।

🍇जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते।

*☘️एक कदम आयुर्वेद की ओर☘️*

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05/06/2022

नमस्कार ,
प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र (अनमोल आयुर्वेदिक मेडिकल हॉल पातड़ा) में आपका स्वागत है ।
आज का विषय Skin Tumour/ चर्बी की गांठ यानि कि शरीर के किसी भी भाग में अपने आप उत्पन्न होने वाले छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी गांठ।
आज हम बात करेंगे कि क्या इनका समाधान है ? और दूसरी चीज यह जानेंगे कि इसका समाधान है भी या नही.।
[ ] यह तो जरूरी नहीं होना चाहिए कि हर एक गांठ को ऑपरेशन करके यानी कि चीर फाड़ कर ही हटाया जा सके। हम विचार करेंगे किस तरीके से कुछ प्राकृतिक विधियों द्वारा हमारे शरीर में बिना किसी प्रकार के चीर फाड़ कर हम गांठों को गला सकते हैं सकते हैं वह भी सिर्फ कुछ ही महीनों में कुछ प्राकृतिक दवा और खानपान के सहायता से।
[ ] *शरीर में गांठ:-* शरीर के किसी भी अंग में (अंदर या बाहर) किसी भी प्रकार का गांठ, अनावश्यक बढ़ना, महिलाओं के स्तन में भी सामान्य रूप से गांठ देखे जाते हैं जिसका आधुनिक चिकित्सा में सिर्फ ऑपरेशन ही एक मात्र समाधान है, इसके बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है की दोबारा उस जगह पर गांठ है ना बने। लेकिन हमारी प्राकृतिक औषधि कैसे भी गांठ को बिना ऑपरेशन के पूर्ण रूप से समाप्त कर सकती है।
[ ] सामान्यत यह गांठे अचानक नहीं आती ।
सबसे पहले एक छोटी सी छोटी आकार में यह होती है और फिर जब हम उसे नजरअंदाज यानी कि अनदेखा करते चले जाते हैं तो शरीर मजबूरी आकार को बढ़ाता जाता है ।
अगर हम शुरुआती दिनों में ही इसको ध्यान दें तो यह बिल्कुल रुक सकता है और बिना बढ़े ही खत्म हो सकता है पर जब यह बड़ा हो जाता है तो भले दर्द ना करता हो पर देखने में बहुत खराब लगता है।
[ ] इसका उपाय आप प्राकृतिक तरीके के तरीके से बहुत अच्छे से कर सकते हो। जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ विश्वास की ...... ...... धन्यवाद.....जय हिन्द......

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04/05/2022

GOOD MORNING 🌹🌹🙏नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है।

मित्रों हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है...गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है।
गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है।
नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है।जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है
नाभी में नाभि तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।
1. आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय...
सोने से पहले 3 से 7 बूँदें नाभि के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला देवें।

2. घुटने के दर्द में उपाय
सोने से पहले तीन से सात बूंद नाभि का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।

3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय :-
रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद नाभि कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।

4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-
, नाभि तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।

नाभि तेल डालने का कारण:
हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है,इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है नाभि अमृत का।
अपने स्नेहीजनों, मित्रों और परिजनों में इस नाभि में तेल को इस्तेमाल करवाएं और जबरदस्त फायदे देखें।
इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच जाएं और उनको बीमारियों से बचाएं।

*सभी प्रकार के रोग से संबंधित जानकारी और आयुर्वेदिक उपचार जानने के लिए संपर्क करें:-*
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18/03/2022

*त्रिफला चूर्ण के फायदे*

*(1) कब्ज़ दूर करने में सहायक*

आयुर्वेद में कब्ज़ को कई गंभीर रोगों की जड़ बताया गया है। अगर आप कब्ज़ से पीड़ित हैं तो आगे चलकर बवासीर, भगंदर जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। त्रिफला चूर्ण कब्ज़ दूर करने की कारगर औषधि मानी जाती है। यह पुराने कब्ज़ से पीड़ित मरीजों के लिए भी बहुत उपयोगी है।

उपयोग विधि

कब्ज़ दूर करने के लिए रोजाना रात में सोने से पहले गुनगुने पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

*(2) पेट में गैस की समस्या (एसिडिटी) से राहत*

कब्ज़ के अलावा पेट से जुड़ी एक और समस्या है एसिडिटी जिससे अधिकांश लोग परेशान रहते हैं। यह समस्या गलत खानपान और अनियमित रहन सहन की वजह से होती है। त्रिफला चूर्ण पेट फूलने, पेट में गैस की समस्या (हाइपरएसिडिटी) आदि सभी रोगों से आराम दिलाता है।

उपयोग विधि :

आधे चम्मच त्रिफला चूर्ण को पानी के साथ रोजाना सुबह दोपहर और शाम को लें।

*(3) आंखों के लिए फायदेमंद*

बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण आखों के लिए भी फायदेमंद है। यह आंखों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ आंखों को अनेक रोगों से बचाता भी है।

उपयोग विधि :

एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात भर के लिए ठंडे पानी में भिगोकर रख दें। अगली सुबह इसे छानकर पानी अलग कर लें और उस पानी से आंखों को अच्छी तरह धोएं। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों से जुड़े अनेक रोगों से बचाव होता है।

*(4) वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक*
अगर आप बढ़ते वजन और मोटापे से से परेशान हैं और इससे जल्दी निजात पाना चाहते हैं तो त्रिफला आपके लिए एक कारगर औषधि हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला में ऐसे गुण हैं जो पाचन शक्ति बढ़ाने और वजन घटाने में सहायक है। इसलिए नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

उपयोग विधि :

200 एमएल पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर इसे रात भर के लिए रख दें। अगली सुबह इस पानी को तब तक उबालें जब तक यह घटकर आधा ना रह जाए। अब इस बचे मिश्रण को 2 चम्मच शहद के साथ लें। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर कुछ ही हफ़्तों में मोटापा कम होने लगता है।

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18/03/2022
11/03/2022

*अजवाइन के हैं बड़े फायदे, करें डाइट में शामिल*

1. पाचन क्रिया दुरुस्त करें अजवाइन :
अजवाइन को पाचन क्रिया ठीक करने के लिए बराबर मात्रा में पीस लें। फिर उसमें हींग और सेंधा नमक अपने स्वाद के अनुसार मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर किसी बोतल में भर लें। अब एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ लें। पूदीनें के दस ग्राम चूर्ण के साथ दस ग्राम अजवाइन तथा कपूर एक साफ बोतल में भरकर धूप में रख दें। तीनों चीजें गलकर पानी बन जाएंगी। इस मिश्रण की पांच-सात बूंद बताशे के साथ खाने से पेट में मरोड़, पेटदर्द, जी मिचलाने जैसी तकलीफों में लाभ होगा।

2. कब्ज :
यदि कब्ज हो तो दस ग्राम अजवाइन, दस ग्राम त्रिफला एंव दस ग्राम सेंधा नमक मिलाएं तथा उसे पीस लें और उसका चूर्ण बना लें। रोज इस चूर्ण को तीन से पांच ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ लें। आपको बहुत जल्द ही आराम प्राप्त होगा।

3. खांसी-जुकाम से छुटकारा :
सर्दी-जुकाम की वजह से बनने वाले कफ से राहत पाने के लिए एक कप छाछ के साथ एक चम्मच अजवाइन को मिलाकर पिएं। एक चम्मच अजवाइन के दानों को दोनों हाथों से मसल लें तथा इसे थोड़े से गुड़ के साथ मिला लें और टॉफी की तरह चूसें। आपको लाभ मिलेगा। एक मुलायम कपड़े पर थोड़ी सी अजवाइन डालकर पोटली बना लें। इसे तवे पर रखकर गर्म करें तथा इससे चेस्ट की सिकाई करें। राहत मिलेगी।

4. दांत के दर्द से आराम :
एक कप पानी में पिसी हुई एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा सा नमक डालें तथा उसे उबालें। पानी गुनगुना हो जाए तो उसे मुंह में लेकर कुछ देर के लिए रोंके और फिर कुल्ला करें। दिन में ऐसा तीन बार करें।

5. एसिडिटी से आराम :
एसिडिटी की अगर शिकायत हों तो एक गिलास गर्म पानी में एक-एक चम्मच जीरा और अजवाइन मिलाकर उबालें।

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10/03/2022

🌟अश्वगंधा के गुण 🌟

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अश्वगंधा ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। कई अध्ययनों में इस बात को साबित किया जा चुका है। इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स और ऐंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं

💐💐💐💐💐💐💐
अश्वगंधा कैंसर की रोकथाम में भी मदद करता है। कई स्टडीज में यह दावा किया जा चुका है कि अश्वगंधा कैंसर सेल्स की ग्रोथ और प्रॉडक्शन पर लगाम लगाता है।

💐💐💐💐💐💐💐
जिन महिलाओं में सफेद पानी जाने की समस्या होती है, उसमें भी अश्वगंधा को कारगर माना गया है। इसके अलावा यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में फर्टिलिटी को बढ़ावा देने में मदद करता है।

💐💐💐💐💐💐💐
अश्वगंधा को हाइपरटेंशन में भी लाभकारी माना गया है। इसके लिए अश्वगंधा का नियमित सेवन करना चाहिए। लेकिन जिन लोगों का ब्लड प्रेशर कम रहता है, उन्हें अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।

💐💐💐💐💐💐💐
जिन्हें गहरी नींद नहीं आती उन्हें अश्वगंधा का खीर पाक खाना चाहिए। अश्वगंधा स्वाभाविक नींद लाने की दवा की तरह काम करता है। इसके अलावा पेट से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में मदद करता है। इसके लिए अश्वगंधा, मिश्री और थोड़ी सोंठ को बराबर अनुपात में मिलाकर गर्म पानी के साथ लें।

💐💐💐💐💐💐💐
अगर पुरुषों में यौन क्षमता की कमी है और वे यौन सुख नहीं ले पाते तो फिर अश्वगंधा का सेवन करें। यह न सिर्फ यौन क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करता है।

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*अनमोल आयुर्वेदिक मेडिकल हॉल, नजदीक नया बस स्टैंड, सामने नरवाना- पटियाला बाईपास पुल पातड़ा (पंजाब)*
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*मोबाइल नंबर:-9872831943*
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23/02/2022

*तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे*

1. तांबा यानी कॉपर, सीधे तौर पर आपके शरीर में कॉपर की कमी को पूरा करता है और बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से सुरक्षा देता है.
2. तांबे के बर्तन में रखा पानी पूरी तरह से शुद्ध माना जाता है. यह सभी डायरिया, पीलिया, डिसेंट्री और अन्य प्रकार की बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देता हैं.
3. तांबे में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर में दर्द, ऐंठन और सूजन की समस्या नहीं होने देते. ऑर्थराइटिस की समस्या से निपटने में भी तांबे का पानी फायदेमंद होता है.
4. पेट की सभी समस्याओं के लिए तांबे का पानी बेहद फायदेमंद होता है. प्रतिदिन इसका उपयोग करने से पेट दर्द, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी परेशानियों से निजात मिल सकती है.
5. शरीर की आंतरिक सफाई के लिए तांबे का पानी कारगर होता है. इसके अलावा यह लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है और किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से निपटने में तांबे के बर्तन में रखा पानी लाभप्रद होता हैl

*आप हमारे संस्थान से तांबे का मैग्नेटिक जग मंगवा सकते हैं आज ही संपर्क करें :-9872831943*

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Near New Bus Stop, Narwana-Patiala Bay Pas Road Patran
Patran
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