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यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता। यदि हमारे पूर्वजों को Electricity...
08/02/2025

यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।

यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।

यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यो है।

Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा से आए।

का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकित्सा" शब्द कहा ये आया।

विमान, विद्युत, दूरसंचार , ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।

फिजिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जाएगे।

बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता।

सौरमंडल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममांड अनंत है, ये हमारे पूर्वजो को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढिए, बह्ममांड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।

अंग्रेज जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा,

17 -18 सदी के पहले कोई अविश्कार #यूरोप में नहीं हुआ, #भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेजो ने अविष्कार करे।

भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई, ज्ञान की भी लूट हुई है।

वेद ही #विज्ञान है और हमारे ऋषि ही #वैज्ञानिक हैं ।

1984   मे सिक्खो की माब लिन्चिन्ग से पहले कान्ग्रेस  करा चुकी है 1948 मे चितपावन ब्राहमणो की माब लिन्चिन्ग  आजादी के बाद...
01/02/2025

1984 मे सिक्खो की माब लिन्चिन्ग से पहले कान्ग्रेस करा चुकी है 1948 मे चितपावन ब्राहमणो की माब लिन्चिन्ग
आजादी के बाद की कांग्रेस की पहली #मॉब_लिंचिंग 😢

30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था, ये सबको पता है!

इसी दिन शाम 5 बजकर 17 मिनट पर गोडसे ने तथाकथित महात्मा का वध कर दिया था... उसके बाद उस रात क्या हुआ था, ये किसी को नहीं पता! आखिर क्यों नहीं पता? क्योंकि कांग्रेस ने कभी बताना ही नहीं चाहा!

स्वयं को लिबरल, सेक्युलर, अहिंसक बताने वाले गांधी के चेलों ने उस रात गांधी के नाम पर जो महापाप किया था वो पाप इतिहास की किताबों से मिटा दिया गया है।

लेकिन आज सच बताना ही होगा क्योंकि ये लिबरल सेक्युलर एक बार फिर गांधीवाद के नकाब के पीछे अपनी कुत्सित चालें चल रहे हैं।

तो सुनिए क्या हुआ था तथाकथित महात्मा वध के पश्चात।

देर रात तक पूरे भारत में ये ख़बर फैल गई थी कि गांधी का हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे है और उसकी जाति चितपावन ब्राह्णण है।

देखते ही देखते ही बापू को मानने वाले “अहिंसा के पुजारियों” ने पूरे महाराष्ट्र में नरसंहार आरम्भ कर दिया, ठीक 1984 की तरह कांग्रेस के इन कार्यकर्ताओं के निशाने पर थे महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मण।

सबसे पहले दंगा मुंबई में आरम्भ हुआ। उसी रात 15 लोग मारे गए और पुणे में 50 लोगों का कत्ल हुआ। 1 फरवरी 1948 तक यह नरसंहार चलता रहा और 8000 से अधिक ब्राह्मणों का नरसंहार हुआ।

भारत में समाचार नहीं छपा लेकिन अमेरिकी अख़बार वाशिंगटन पोस्ट ने इस कत्लेआम को अपनी हेडलाइन बनाया।

गांधी की हत्या के एक दिन बाद पहले तो भीड़ ने रात में वीर सावरकर के घर पर हमला किया। लेकिन जब वहां बहुत सफलता नहीं मिली तो शिवाजी पार्क में ही रहने वाले उनके छोटे भाई डॉ. नारायण सावरकर के घर पर हमला बोल
दिया।

डॉ. नारायण सावरकर को बाहर खींचकर निकाला गया और भीड़ उन्हे तब तक पत्थरों से लहूलुहान करती रही जब तक कि वो मौत के मुहाने तक नहीं पहुंच गए। इसके कुछ महीनों बाद ही डॉ. नारायण सावरकर की दुःखद मृत्यु हो गई। सावरकर भी चितपावन ब्राह्मण थे।

स्वतंत्रता सेनानी डॉ. नारायण सावरकर को पत्थर मार मार कर मृत्युदंड दिया गया।

बापू के “अहिंसा के पुजारियों” ने सभी महाराष्ट्रीयन ब्राह्मणों को निशाना बनाना शुरु कर दिया... मुंबई, पुणे, सांगली, नागपुर, नासिक, सतारा, कोल्हापुर, बेलगाम मे भीषण कत्लेआम मचाया गया। सतारा में 1000 से ज्यादा महाराष्ट्रीयन ब्राह्मणों के घरों को जला दिया गया। एक परिवार के तीन पुरुषों को मात्र इसलिए जला दिया गया क्योंकि उनका सरनेम गोडसे था। उस नरसंहार के दौर में जिसके भी नाम के आगे आप्टे, गोखले, जोशी, रानाडे, कुलकर्णी, देशपांडे जैसे सरनेम लगे थे, भीड़ उनकी जान की प्यासी हो गई थी।

मराठी साहित्यकार और तरुण भारत के संपादक गजानंद त्र्यंबक माडखोलकर के अनुसार इस हिंसा में लगभग 8 हज़ार महाराष्ट्रीयन ब्राहमण मारे गए।

किन्तु जब आप 1948 के इस नरसंहार का रिकॉर्ड ढूंढने का प्रयास करेंगें तो आपको हर जगह निराशा हाथ लगेगी।

भारत में आज तक जितने भी दंगे हुए हैं उसकी लिस्ट में आपको Anti-Brahmin riots of 1948 का उल्लेख तो मिलेगा लेकिन जब उसके सामने लिखे मारे गए लोगों का कॉलम देखेंगे तो इसमें लिखा होगा, अज्ञात।

इतिहास के इस वीभत्स और काले पन्ने को मिटा दिया गया ताकि आने वाली पीढ़ी को ये कभी पता नहीं चलना चाहिए कि गांधी टोपी पहनने वाले “अहिंसा के पुजारियों” ने कैसा खूनी खेल खेला था।

तब भी “बड़ा बरगद गिरता है तो धरती तो हिलती ही है” ये वाली सोच काम कर रही थी!

सभी हुतात्माओं को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 😢

यदि हमारे पूर्वजों को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता। यदि हमारे पूर्वजों को Electricit...
30/01/2025

यदि हमारे पूर्वजों को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।

यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।

यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यों है।

Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहाँ से आये?

Surgery का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकितसा" शब्द कहाँ ये आया?

विमान, विद्युत, दूरसंचार, ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।

फिजिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जायेंगे।

बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता।

सौरमण्डल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममाण्ड अनन्त है, ये हमारे पूर्वजों को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढ़िये, बह्ममाण्ड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।

अंग्रेज़ जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होंने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा।

17 -18 सदी के पहले कोई अविश्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेज़ों ने अविष्कार करे।

भारत से केवल पैसे की ही लूट नहीं हुयी, ज्ञान की भी लूट हुयी है।

वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक हैं...!
Gujarat kshatriya Thakor vikash Sangh.
Petalad taluka Pramukh.
Alpesh R Thakor

सनातन संस्कृति की रक्षा की जिम्मेदारी हिंदुओं को खुद लेनी होगी कोई साथ नहीं देगा हिंदुओं तुम्हारा।  रोज मर्रा की जिंदगी ...
10/12/2024

सनातन संस्कृति की रक्षा की जिम्मेदारी हिंदुओं को खुद लेनी होगी कोई साथ नहीं देगा हिंदुओं तुम्हारा। रोज मर्रा की जिंदगी से कुछ समय अपने धर्म के लिए देना सीख लो हिंदुओं नही तो भगवान भी बचाने नही आएगा। खुल कर साथ दो हिंदू धर्म का नही तो आने वाला समय हिंदू सिर्फ दंगे करने और गृहयुद्ध करने में जाएगा हिंदुओं तुम्हारा। अभी समय है किसी को खुदपर हावी मत होने दो मिल कर निकले धर्म युद्ध के लिए अपनी जान भी देने को तैयार रहे धर्म के लिए आवाज उठाओ तो काम से कम मौखिक रूप से तो उनका समर्थन करो गूंगे हिंदुओं। धिक्कार है ऐसे हिंदुओं पर जो कुछ न बोलकर हिंदू होने का पाखंड करते है और अपनी औलाद को भी यही सिखाते है। युद्ध भी करने कौ तैयार रहो धर्म युद्ध के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने भी युद्ध किए 🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🔱🔱🔱🔱🚩
Jay sree krishana.
Jay sree raam.

🇮🇳 ऋषियों ने इसलिए दिया था 'हिन्दुस्थान' नाम***********************************************❤️ भारत जिसे हम हिंदुस्तान, इ...
30/11/2024

🇮🇳 ऋषियों ने इसलिए दिया था 'हिन्दुस्थान' नाम
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❤️ भारत जिसे हम हिंदुस्तान, इंडिया, सोने की चिड़िया, भारतवर्ष ऐसे ही अनेकानेक नामों से जानते हैं। आदिकाल में विदेशी लोग भारत को उसके उत्तर-पश्चिम में बहने वाले महानदी सिंधु के नाम से जानते थे, जिसे ईरानियो ने हिंदू और यूनानियो ने शब्दों का लोप करके 'इण्डस' कहा। भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने 'हिन्दुस्थान' नाम दिया था जिसका अपभ्रंश 'हिन्दुस्तान' है।
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'बृहस्पति आगम' के अनुसार
हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥
यानि हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।
भारत में रहने वाले जिसे आज लोग हिंदू नाम से ही जानते आए हैं।
भारतीय समाज, संस्कृति, जाति और राष्ट्र की पहचान के लिये हिंदू शब्द लाखों वर्षों से संसार में प्रयोग किया जा रहा है विदेशियों नेअपनी उच्चारण सुविधा के लिये 'सिंधु' का हिंदू या 'इण्डस' से इण्डोस बनाया था, किन्तु इतने मात्र से हमारे पूर्वजों ने इसको नहीं माना।
'अद्भुत कोष', 'हेमंतकविकोष', 'शमकोष','शब्द-कल्पद्रुम', 'पारिजात हरण नाटक'. काली का पुराण आदि अनेक संस्कृत ग्रंथो में हिंदू शब्द का प्रयोग पाया गया है।
ईसा की सातवीं शताब्दी में भारत में आने वाले चीनी यात्री ह्वेंनसांग ने कहा था कि यहां के लोगो को 'हिंदू' नाम से पुकारा जाता था। चंदबरदाई के पृथ्वीराज रासो में 'हिंदू' शब्द का प्रयोग हुआ है।
पृथ्वीराज चौहान को 'हिंदू अधिपति' संबोधित किया गया है। समर्थ गुरु रामदास ने बड़े अभिमान पूर्वक हिंदू और हिन्दुस्थान शब्दों का प्रयोग किया।
शिवाजी ने हिंदुत्व की रक्षा की प्रेरणा दी और गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविन्द सिंह तो हिंदुत्व के लिए अपनी ज़िंदगी समर्पित कर दी।
स्वामी विवेकानंद ने स्वयं को गर्व पूर्वक हिंदू कहा था। हमारे देश के इतिहास में हिंदू कहलाना और हिंदुत्व की रक्षा करना बड़े गर्व और अभिमान की बात समझी जाती थी।

Priyanka Tiwari

27/11/2024

દક્ષિણ ભારતમાં બનેલી ફિલ્મનું આ દ્રશ્ય છે, આ જોઈને બીજા નિર્દેશકો તેમની આંખો ખંજવાળશે અને તમારું લોહી ઉકળી જશે.
બોલિવૂડમાં આવી સચ્ચાઈ સાથેની ફિલ્મ ક્યારેય બનાવવાનું વિચારે પણ નહીં.
કારણ કે
તે કરાંચીવુડ ( દાઉદ વુડ )છે, બોલિવૂડ નહીં અને આ નિર્દેશક ભાઈએ આવી ફિલ્મ બનાવવાની હિમ્મત કરી છે તો

🚩આપણે હવે આ મુદ્દા વિશે અત્યંત જાગૃત રહેવાની જરૂર છે!અને આ ફિલ્મ મેકરને ધન્યવાદ પાઠવી ફિલ્મને વધુ મા વધુ પ્રોત્સાહન મળે તેવા પ્રયત્નો કરવાના છે....🚩

दो हजार वर्ष बाद  इजराइल बनाया जा सकता है। तो महज कुछ वर्षों में खंड खंड बिखरे भारत को जोड़कर पुनः अखण्ड भारत क्यों नहीं ...
22/11/2024

दो हजार वर्ष बाद इजराइल बनाया जा सकता है। तो महज कुछ वर्षों में खंड खंड बिखरे भारत को जोड़कर पुनः अखण्ड भारत क्यों नहीं बनाया जा सकता ?? 1867 में पीतल की थाली पर बनाया गया अखंड भारत का खूबसूरत, शानदार, मनमोहक नक्शा ??

★★★कौन कहता है कि भारत की खोज वास्को डी गामा ने की ,क्यों पढ़ाया जाता है फर्जी इतिहास।★★★√●भारतवर्ष को अंग्रेजों ने नहीं...
21/11/2024

★★★कौन कहता है कि भारत की खोज वास्को डी गामा ने की ,क्यों पढ़ाया जाता है फर्जी इतिहास।★★★

√●भारतवर्ष को अंग्रेजों ने नहीं खोजा था, यह सनातन है और इसके साक्ष्य भी हैं

√●इतिहास हमेशा विजित द्वारा लिखा जाता है और वह इतिहास नहीं विजित की गाथा होती है। भारत के साथ भी यही हुआ है पहले इस्लामिक आक्रमण ने भारत के कुछ हिस्सो में 800 वर्ष शासन और फिर अंग्रेज़ो के 200 वर्ष तक के शासन ने इस देश के इतिहास लेखन को इस तरह से प्रभावित किया कि आज भी लोगों को यही लगता है कि India को ब्रिटिश ने बनाया। लोगों के मन में यह हिन भावना बैठी हुई है कि ब्रिटिश के आने से पहले भारत या India था ही नहीं। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेता और अपने आप को ‘History_Buff’ कहने वाले सैफ अली खान ने ये कह दिया कि मुझे नहीं लगता है India जैसा कोई कान्सैप्ट ब्रिटिश के आने से पहले था के नहीं। यह कोई हैरानी की बात नहीं है। पिछले 70 वर्षों में जिस तरह से इतिहास को उसी इस्लामिक और ब्रिटिश को केंद्र में रख कर पढ़ाया गया है ये उसी का परिणाम है। ब्रिटिश काल के इतिहासकारों ने अपने हिसाब से ही इतिहास लिखा जैसा एक विजित लिखता है यानि अपने ही गुणगान में। उनके द्वारा किताबों में यह जानबूझकर लिखा गया जिससे पढ़ने वालों को यह लगे कि उनके आने से पहले भारत नाम का कोई देश ही नहीं था और जो भी बनाया गया वह सिर्फ और सिर्फ ब्रिटिशर्स की देन है। उनके बाद हमारे देश के चाटुकार इतिहासकारों ने भी उसी को आधार बनाकर उनका गुणगान किया। इस वजह से आज हमारे देश में जो भी इतिहास पढ़ाया जाता है उसे पढ़ कर यही भावना आती है कि ब्रिटिश के आने से पहले भारत या India था ही नहीं।

√●भारत कोई 70 वर्ष पुराना देश नहीं है। यह हजारों वर्षों पुरानी एक सभ्यता है जिसकी पहचान भौगोलिक अवस्थिति से होती है। भारत के रहने वाले इतने पुराने है कि इसे सनातन यानि जो सदा से यानि अविरल समय से चला आ रहा है।

विष्णु पुराण में स्पष्ट लिखा है:

"उत्तरं यत समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणं।
वर्ष तद भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।।"

√●इसका अर्थ यह है कि “समुद्र के उत्तर से ले कर हिमालय के दक्षिण में जो देश है वही भारत है और यहाँ के लोग भारतीय हैं”

√●सबसे पहले बात करते हैं पृथ्वी के भूगोल यानि ज्योग्राफी की। आज हमे वर्तमान की ज्योग्राफी में यह पढ़ाया जाता है कि पैंजिया पृथ्वी का पहला महाद्वीप या यूं कहे सुपर महाद्वीप था। अन्य सभी नवीन महाद्वीप (एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अंटार्कटिका एवं ऑस्ट्रेलिया) का जन्मदाता भी यही महाद्वीप है। टेकटोनिक प्लेट्स के movement के कारण पैंजिया महाद्वीप में खंडन हुआ और यह टूटकर इन 7 महाद्वीपों में बंट गया।

√●गोंडवाना पैंजिया के दक्षिणी भाग को कहते हैं। गोंडवाना भूमि में प्रायद्वीप भारत, दक्षिणी अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका और अंटार्कटिका समाहित है। अंगारा पैंजिया के उत्तरी भाग को कहते हैं। अंगारा भूमि में एशिया (प्रायद्वीपीय भारत को छोड़कर), उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप समाहित है।

√●अब देखते है कि हमारे वेद-पुराणों में क्या लिखा है।

√●मत्स्यमहापुराण में सभी सात प्रधान महाद्वीपों के बारे में बताया गया है। सात द्वीपों में जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप,शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंच द्वीप, शाकद्वीप तथा पुष्करद्वीप का वर्णन है। जम्बूद्वीप का विस्तार से भौगोलिक वर्णन है। आज जिसे एशिया कहा जाता है वही जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता था।

√●जम्बूद्वीप को बाहर से लाख योजन वाले खारे पानी के वलयाकार समुद्र ने चारों ओर से घेरा हुआ है। जम्बू द्वीप का विस्तार एक लाख योजन है। जम्बू (जामुन) नामक वृक्ष की इस द्वीप पर अधिकता के कारण इस द्वीप का नाम जम्बू द्वीप रखा गया था।

"जम्बूद्वीप: समस्तानामेतेषां मध्य संस्थित:,
भारतं प्रथमं वर्षं तत: किंपुरुषं स्मृतम्‌,
हरिवर्षं तथैवान्यन्‌मेरोर्दक्षिणतो द्विज।
रम्यकं चोत्तरं वर्षं तस्यैवानुहिरण्यम्‌,
उत्तरा: कुरवश्चैव यथा वै भारतं तथा।
नव साहस्त्रमेकैकमेतेषां द्विजसत्तम्‌,
इलावृतं च तन्मध्ये सौवर्णो मेरुरुच्छित:।
भद्राश्चं पूर्वतो मेरो: केतुमालं च पश्चिमे।
एकादश शतायामा: पादपागिरिकेतव: जंबूद्वीपस्य सांजबूर्नाम हेतुर्महामुने।"
(विष्णु पुराण)

√●भारतवर्ष का अर्थ है राजा भरत का क्षेत्र और इन्ही राजा भरत के पुत्र का नाम सुमति था ! इस विषय में वायु पुराण कहता है—

"सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरंनृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत।"

√●ऋग्वेद में आर्यों के निवास स्थान को ‘सप्तसिंधु’ प्रदेश कहा गया है। ऋग्वेद के नदी सूक्त (10.75) में आर्य निवास में प्रवाहित होने वाली नदियों का वर्णन मिलता है, जो मुख्‍य हैं:- कुभा (काबुल नदी), क्रुगु (कुर्रम), गोमती (गोमल), सिंधु, परुष्णी (रावी), शुतुद्री (सतलज), वितस्ता (झेलम), सरस्वती, यमुना तथा गंगा। उक्त संपूर्ण नदियों के आसपास और इसके विस्तार क्षेत्र तक आर्य रहते थे। इसके अलावा महाभारत में पृथ्वी का वर्णन आता है।

"सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरुनन्दन।
परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः॥
यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः।
एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥
द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।।"
(वेदव्यास, भीष्म पर्व, महाभारत)

√●हिन्दी अर्थ : हे कुरुनन्दन! सुदर्शन नामक यह द्वीप चक्र की भांति गोलाकार स्थित है, जैसे पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है, उसी प्रकार यह द्वीप चन्द्रमण्डल में दिखाई देता है। इसके दो अंशों में पिप्पल और दो अंशों में महान शश (खरगोश) दिखाई देता है।

√●अर्थात : दो अंशों में पिप्पल का अर्थ पीपल के दो पत्तों और दो अंशों में शश अर्थात खरगोश की आकृति के समान दिखाई देता है। आप कागज पर पीपल के दो पत्तों और दो खरगोश की आकृति बनाइए और फिर उसे उल्टा करके देखिए, आपको धरती का मानचित्र दिखाई देखा।

√●ब्रह्म पुराण, अध्याय 18 में जम्बूद्वीप के महान होने का प्रतिपादन है-

"तपस्तप्यन्ति यताये जुह्वते चात्र याज्विन।।
दानाभि चात्र दीयन्ते परलोकार्थ मादरात्॥ 21॥
पुरुषैयज्ञ पुरुषो जम्बूद्वीपे सदेज्यते।।
यज्ञोर्यज्ञमयोविष्णु रम्य द्वीपेसु चान्यथा॥ 22॥
अत्रापि भारतश्रेष्ठ जम्बूद्वीपे महामुने।।
यतो कर्म भूरेषा यधाऽन्या भोग भूमयः॥23॥"

√●अर्थात भारत भूमि में लोग तपश्चर्या करते हैं, यज्ञ करने वाले हवन करते हैं तथा परलोक के लिए आदरपूर्वक दान भी देते हैं। जम्बूद्वीप में सत्पुरुषों के द्वारा यज्ञ भगवान् का यजन हुआ करता है। यज्ञों के कारण यज्ञ पुरुष भगवान् जम्बूद्वीप में ही निवास करते हैं। इस जम्बूद्वीप में भारतवर्ष श्रेष्ठ है। यज्ञों की प्रधानता के कारण इसे (भारत को) को कर्मभूमि तथा और अन्य द्वीपों को भोग- भूमि कहते हैं।

√●इसी तरह अगर शक्तिपीठों का भौगोलिक स्थिति देखे तो वे बलूचिस्तान से लेकर त्रिपुरा, कश्मीर से कन्याकुमारी / जाफना तक फैले हुए हैं। यह एक बनावटी स्थिति नहीं है।

√●इतना ही नहीं जब हम अपने घरों में पुजा अर्चना के दौरान संकल्प लेते है तो उस दौरान प्रयोग में लाया जाने वाला मंत्र भी यही कहता है, जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते। इस पंक्ति में मनुष्य के रहने के स्थान तथा उसके बारे में जानकारी दी जाती है जो पूजा करा रहा है।

√●इससे स्पष्ट होता है कि भारत भूमि 70 वर्ष पहले नहीं बल्कि हजारों वर्ष पुरानी है। अंग्रेजों ने 1947 में इसी भूमि को 2 टुकड़ों में बाँट दिया था जिससे सभी को यह लगता है कि अंग्रेजों ने भारत को बनाया। आधिकारिक तौर भारत का नाम “भारत गणराज्य” या “रिपब्लिक ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 1(1) में स्पष्ट लिखा है कि India, that is Bharat, shall be a Union of States. यह एक मात्र ऐसा अनुच्छेद है जो भारत के नाम के बारे में उल्लेख करता है। इसी तरह 13 वीं शताब्दी के बाद, “हिंदुस्तान” शब्द का प्रयोग भारत के लिए एक लोकप्रिय वैकल्पिक नाम के रूप में किया जाने लगा, जिसका अर्थ है “हिंदुओं की भूमि”। लेकिन जितने भी आक्रमणकारी भारत आए सभी एक अलग संस्कृति से थे इसलिए उन्होंने हमारी सनातन संस्कृति को “हिन्दू धर्म” कहने लगे। तब से इस सनातन धर्म को हिन्दू धर्म के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। वास्तविकता देखें तो पता चलता है कि जो भी सिंधु नदी के पार रहते हैं वे सभी हिन्दू हैं और ये कोई संप्रदाय नहीं है। अंगेज़ों ने जो लिखा वही लगातार पढ़ाये जाने आए यह बात भारत के लोगों के मन में कि भारत को अंग्रेजों ने बानया है। अब लोगों को इन कपोलकल्पित इतिहास से ऊपर उठ कर वास्तविकता को जानना चाहिए और अपने महान मातृभूमि पे गर्व करना चाहिए।

√●शास्त्रीय विद्वान आदरणीय Arun Upadhyay जी द्वारा की गई टिप्पणी से विषय वस्तु स्पष्ट हो जाती है, उनकी टिप्पणी के माध्यम से प्राप्त जानकारी निम्नानुसार प्रस्तुत है:

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√●आकाश में सृष्टि के ५ पर्व हैं-१०० अरब ब्रह्माण्डों का स्वयम्भू मण्डल, १०० अरब तारों का हमारा ब्रह्माण्ड, सौरमण्डल, चन्द्रमण्डल (चन्द्रकक्षा का गोल) तथा पृथ्वी। किन्तु लोक ७ हैं-भू (पृथ्वी), भुवः (नेपचून तक के ग्रह) स्वः (सौरमण्डल १५७ कोटि व्यास, अर्थात् पृथ्वी व्यास को ३० बार २ गुणा करने पर), महः (आकाशगंगा की सर्पिल भुजा में सूर्य के चतुर्दिक् भुजा की मोटाई के बराबर गोला जिसके १००० तारों को शेषनाग का १००० सिर कहते हैं), जनः (ब्रह्माण्ड), तपः लोक (दृश्य जगत्) तथा अनन्त सत्य लोक।

√●इसी के अनुरूप पृथ्वी पर भी ७ तल तथा ७ लोक हैं। उत्तरी गोलार्द्ध का नक्शा (नक्षत्र देख कर बनता है, अतः नक्शा) ४ भागों में बनता था। इसके ४ रंगों को मेरु के ४ पार्श्वों का रंग कहा गया है। ९०°-९०° अंश देशान्तर के विषुव वृत्त से ध्रुव तक के ४ खण्डों में मुख्य है भारत, पश्चिम में केतुमाल, पूर्व में भद्राश्व, तथा विपरीत दिशा में उत्तर कुरु। इनको पुराणों में भूपद्म के ४ पटल कहा गया है।

√●ब्रह्मा के काल (२९१०२ ई.पू.) में इनके ४ नगर परस्पर ९०° अंश देशान्तर दूरी पर थे-पूर्व भारत में इन्द्र की अमरावती, पश्चिम में यम की संयमनी (यमन, अम्मान, सना), पूर्व में वरुण की सुखा तथा विपरीत में चन्द्र की विभावरी। वैवस्वत मनु काल के सन्दर्भ नगर थे, शून्य अंश पर लंका (लंका नष्ट होने पर उसी देशान्तर रेखा पर उज्जैन), पश्चिम में रोमकपत्तन, पूर्व में यमकोटिपत्तन तथा विपरीत दिशा में सिद्धपुर।

√●दक्षिणी गोलार्द्ध में भी इन खण्डों के ठीक दक्षिण ४ भाग थे। अतः पृथ्वी अष्ट-दल कमल थी, अर्थात् ८ समतल नक्शे में पूरी पृथ्वी का मानचित्र होता था। गोल पृथ्वी का समतल नक्शा बनाने पर ध्रुव दिशा में आकार बढ़ता जाता है और ठीक ध्रुव पर अनन्त हो जायेगा। उत्तरी ध्रुव जल भाग में है (आर्यभट आदि) अतः वहां कोई समस्या नहीं है। पर दक्षिणी ध्रुव में २ भूखण्ड हैं-जोड़ा होने के कारण इसे यमल या यम भूमि भी कहते हैं और यम को दक्षिण दिशा का स्वामी कहा गया है। इसका ८ भाग के नक्शे में अनन्त आकार हो जायेगा अतः इसे अनन्त द्वीप (अण्टार्कटिका) कहते थे। ८ नक्शों से बचे भाग के कारण यह शेष है।

√●विष्णु पुराण (२/८)-

"मानसोत्तर शैलस्य पूर्वतो वासवी पुरी।
दक्षिणे तु यमस्यान्या प्रतीच्यां वारुणस्य च। उत्तरेण च सोमस्य तासां नामानि मे शृणु॥८॥
वस्वौकसारा शक्रस्य याम्या संयमनी तथा। पुरी सुखा जलेशस्य सोमस्य च विभावरी।९।
शक्रादीनां पुरे तिष्ठन्स्पृशत्येष पुर त्रयम्। विकोणौ द्वौ विकोणस्थस्त्रीन् कोणान् द्वे पुरे तथा।॥१६॥
उदितो वर्द्धमानाभिरामध्याह्नात्तपन् रविः। ततः परं ह्रसन्ती भिर्गोभिरस्तं नियच्छति॥१७॥
एवं पुष्कर मध्येन यदा याति दिवाकरः। त्रिंशद्भागं तु मेदिन्याः तदा मौहूर्तिकी गतिः।२६॥
सूर्यो द्वादशभिः शैघ्र्यान् मुहूर्तैर्दक्षिणायने। त्रयोदशार्द्धमृक्षाणामह्ना तु चरति द्विज।
मुहूर्तैस्तावद् ऋक्षाणि नक्तमष्टादशैश्चरन्॥३४॥'

√●सूर्य सिद्धान्त (१२/३८-४२)-
"भू-वृत्त-पादे पूर्वस्यां यमकोटीति विश्रुता। भद्राश्व वर्षे नगरी स्वर्ण प्राकार तोरणा॥३८॥
याम्यायां भारते वर्षे लङ्का तद्वन् महापुरी। पश्चिमे केतुमालाख्ये रोमकाख्या प्रकीर्तिता॥३९॥
उदक् सिद्धपुरी नाम कुरुवर्षे प्रकीर्तिता (४०) भू-वृत्त-पाद विवरास्ताश्चान्योऽन्यं प्रतिष्ठिता (४१)
तासामुपरिगो याति विषुवस्थो दिवाकरः। नतासु विषुवच्छाया नाक्षस्योन्नतिरिष्यते॥४२॥"

√●भारत भाग में आकाश के ७ लोकों की तरह ७ लोक थे। बाकी ७ खण्ड ७ तल थे-अतल, सुतल, वितल, तलातल, महातल, पाताल, रसातल। अतल = भारत के पश्चिम उत्तर गोल। तलातल = अतल के तल या दक्षिण में।

√●सुतल = भारत के पूर्व, उत्तर में। वितल = सुतल के दक्षिण।

√●पाताल = सुतल के पूर्व, भारत के विपरीत, उत्तर गोल। रसातल = पाताल के दक्षिण (उत्तर और दक्षिण अमेरिका मुख्यतः)

√●महातल = भारत के दक्षिण, कुमारिका खण्ड समुद्र।

√●विष्णु पुराण (२/५)-
"दशसाहस्रमेकैकं पातालं मुनिसत्तम।
अतलं वितलं चैव नितलं च गभस्तिमत्। महाख्यं सुतलं चाग्र्यं पातालं चापि सप्तमम्॥२॥
शुक्लकृष्णाख्याः पीताः शर्कराः शैल काञ्चनाः। भूमयो यत्र मैत्रेय वरप्रासादमण्डिताः॥३॥
पातालानामधश्चास्ते विष्णोर्या तामसी तनुः। शेषाख्या यद्गुणान्वक्तुं न शक्ता दैत्यदानवाः॥१३॥
योऽनन्तः पठ्यते सिद्धैर्देवो देवर्षि पूजितः। स सहस्रशिरा व्यक्तस्वस्तिकामलभूषणः॥१४॥
नीलवासा मदोत्सिक्तः श्वेतहारोपशोभितः। साभ्रगङ्गाप्रवाहोऽसौ कैलासाद्रिरिवापरः॥१७॥
कल्पान्ते यस्य वक्त्रेभ्यो विषानलशिखोज्ज्वलः। सङ्कर्षणात्मको रुद्रो निष्क्रामयात्ति जगत्त्रयम्॥१९॥
यस्यैषा सकला पृथ्वी फणामणिशिखारुणा। आस्ते कुसुममालेव कस्तद्वीर्यं वदिष्यति॥२२॥"

√●ब्रह्माण्ड पुराण (१/२/२०)-
"परस्परैः सोपचिता भूमिश्चैव निबोधत॥९॥
स्थितिरेषा तु विख्याता सप्तमेऽस्मिन् रसातले। दशयोजन साहस्रमेकं भौमं रसातलम्॥१०॥
प्रथमः तत्वलं नाम सुतलं तु ततः परम्॥११॥
ततस्तलातलं विद्यादतलं बहुविस्तृतम्। ततोऽर्वाक् च तलं नाम परतश्च रसातलम्॥१२॥
एतेषमप्यधो भागे पातालं सप्तमं स्मृतम्।"

√●भागवत पुराण (५/२४/७)-
"उपवर्णितं भूमेर्यथा संनिवेशावस्थानं अवनेरत्यधस्तात् सप्त भूविवरा एकैकशो योजनायुतान्तरेणायामं विस्तारेणोपक्लृप्ता-अतलं वितलं सुतलं तलातलं महातलं रसातलं पातालमिति॥७॥"

√●भागवत पुराण (५/२५)-
"अस्य मूलदेशे त्रिंशद् योजन सहस्रान्तर आस्ते या वै कला भगवतस्तामसी
समाख्यातानन्त इति सात्वतीया द्रष्टृ दृश्ययोःसङ्कर्षणमहमित्यभिमान लक्षणं यं सङ्कर्षणमित्याचक्ष्यते॥१॥
यस्येदं क्षितिमण्डलं भगवतोऽनन्तमूर्तेः सहस्रशिरस एकस्मिन्नेव शीर्षाणि ध्रियमाणं सिद्धार्थ इव लक्ष्यते॥२॥"

√●वास्तविक भूखण्डों के हिसाब से ७ द्वीप थे-जम्बू (एसिया), शक (अंग द्वीप, आस्ट्रेलिया), कुश (उत्तर अफ्रीका), शाल्मलि (विषुव के दक्षिण अफ्रीका), प्लक्ष (यूरोप), क्रौञ्च (उत्तर अमेरिका), पुष्कर (दक्षिण अमेरिका)। इनके विभाजक ७ समुद्र हैं।

√●यह ऐतिहासिक पौराणिक लेख तीन विद्वानों द्वारा प्राचीन वाग्मय के आधार पर लिखा गया है संशोधित किया गया है जो प्राचीन ऐतिहासिक संदर्भों को प्रदर्शित करता है

To know reality pl read it to end:-* *पढिए मजे लीजिए और**पढ़ने के बाद आगे धकेल दीजिए...*●○●○●○●○●○बर्बाद होने के लिए जरू...
20/11/2024

To know reality pl read it to end:-

* *पढिए मजे लीजिए और*
*पढ़ने के बाद आगे धकेल दीजिए...*

●○●○●○●○●○
बर्बाद होने के लिए जरूरी नहीं कि
शराब, जुआ या इश्क ही किया जाय!
आप 2024 में Congress को
वोट भी दे सकते है !

●○●○●○●○●○
पागल वो नहीं जिसे भूत पिशाच दिखाई देते हैं!
पागल तो वो है जिसे राहुल गाँधी में
देश का भविष्य दिखाई देता है!

●○●○●○●○●○
"भारत रत्न" का मज़ाक तो तब बना था
जब नेहरू ने चीन से युद्ध हारने के बाद भी
खुद को भारत रत्न दिया था!

●○●○●○●○●○
आपका एक गलत वोट आपके घर तक
आतंकवादी ला सकता है !
और एक सही वोट उन्हें सीमा पर ही
निबटा सकता है !
जीवन आपका और निर्णय भी आपका!

●○●○●○●○●○
"प्रियंका" विश्व की पहली ऐसी नेता हैं,
जिसका "मायका" और "ससुराल"
दोनों जमानत पर चल रहे हैं!
मगर फिर भी उनकी पार्टी
नारे लगाती है कि चौकीदार चोर है!

●○●○●○●○●○
बाबर का बाप उजबेकिस्तान का,
मां मंगोलिया की,
वह मरा अफगानिस्तान में और
उसका मकबरा काबुल में । मगर
"बाबरी मस्जिद चाहिये अयोध्या में ?
मजे की बात ये कि समर्थन भी
काग्रेस ही कर रही है!

●○●○●○●‍○●○
रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आएगा !
माँ बाप की शादी चर्च में होगी और
बेटा "ब्राह्मण” कहलाएगा !

●○●○●○●○●○
धर्म बदला, जाति बदली,
बदल दिया है गोत्र!
"दादा गड़े कब्र में,
पंडित बन गया पौत्र!

●○●○●○●○●○
एक जमाना था
जब जनता आंदोलन करती थी,
और नेता घर बैठ के मजे लेते थे!
मगर आज मोदी जी ने
ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है कि
भ्रष्ट नेता आंदोलन कर रहे हैं,
और जनता शाँत बैठकर घर पर
मज़े ले रही है !
इसे कहते हैं अच्छे दिन !

●○●○●○●○●○
विदेश के नेता मोदी के पीछे पागल हैं,
और भारत के नेता मोदी के कारण पागल हैं !
कोई शक !

●○●○●○●○●○
केवल फेविकोल ही नहीं जोड़ता,
मोदी का डर भी जोड़ता हैं !

●○●○●○●○●○
चौकीदार को वोट देना पक्का नही था,
लेकिन जिस तरह चोरों को
इकठ्ठा होते हुए देखा,
तो प्रण कर लिया कि
चौकीदार रखना जरूरी है।

●○●○●○●○●○
गद्दारी के किले ढह गए राष्ट्रवाद की तोप से,
सांप - नेवले एक हो गए, मोदी तेरे खौफ से !
देश बेचने वाले एक हो सकते हैं,
तो देश बचाने वाले क्यों नहीं एक हो सकते ?

●○●○●○●○●○
77- इमर्जेंसी,
84-सिक्ख नरसंहार ,
90- कश्मीरी हिंदु नरसंहार
तब तक संविधान सुरक्षित था!
7 वर्षों में 1300 आतंकी मरने से
संविधान खतरे में आ गया!

●○●○●○●○●○
जिस प्रियंका वाड्रा को कांग्रेसी
माँ दुर्गा का अवतार बता रहे हैं,
उसके बच्चों का नाम 'रेहान और मारिया' है!
सोचा सबको बता ही दें !

●○●○●○●○●○
भाजपा का विरोध करने वाले
22 दलों की कुल पारिवारिक संपत्ति
सिर्फ 300 लाख करोड़ रुपये है,
जो कि देश का 10 साल का बजट है !
सोचा बता दूँ…

●○●○●○●○●○
एक बार गलती की थी,
तो 10 साल के लिए बिना आवाज का
प्रधानमंत्री मिला था!
इस बार गलती करेंगे,
तो बिना दिमाग का प्रधानमंत्री मिलेगा !

●○●○●○●○●○
विकास पागल हो सकता है,
परन्तु पागल का विकास नहीं हो सकता!
इसलिए मोदी और योगी है देश के लिए उपयोगी...

●○●○●○●○●○
नमो को वोट दिया जा सकता है,
परन्तु नमूने को नहीं !

●○●○●○●○●○
हमारे प्रधानमंत्री के चाहे
कितने ही कार्टून बना लो,
कोई फर्क नहीं पड़ता।
लेकिन एक कार्टून को प्रधानमंत्री
कभी नहीं बनाया जा सकता है।

मैसेज को डकारना नहीं है,आगे भेजना है...

नए भारत का वैश्विक संकल्प...
सनातन वैदिक धर्म...विश्व धर्म
अखंड हिंदु राष्ट्र भारत...विश्व गुरु भारत

*धर्मो रक्षति रक्षितः*

17/11/2024
Jago hindu o jago. Ane jene aapadne ormaya karya amne sabak sikhvado.
11/11/2024

Jago hindu o jago.
Ane jene aapadne ormaya karya amne sabak sikhvado.

10/11/2024

એક સમયે દરેક ટેલિકોમ કંપની એ આજીવન વેલિલીટિ નુ રચાજૅ ના નામે કરોડો રૂપિયા ઉઘરાવનારા આજે દર મહિને રિચાર્જ નુ ઞતકડુ કર્યુ એ નો વિરોધ કરવો જોઈએ કે નય?

🙏🏻🕉️  #हिन्दू_संस्कार 🕉️🙏🏻 #गोत्र_क्या_है?  #तथा_भारतीय_सनातन_आर्य_परम्परा  #में_इसका_क्या_सम्बंध_है..??*भारतीय परम्परा ...
05/11/2024

🙏🏻🕉️ #हिन्दू_संस्कार 🕉️🙏🏻
#गोत्र_क्या_है? #तथा_भारतीय_सनातन_आर्य_परम्परा #में_इसका_क्या_सम्बंध_है..??*
भारतीय परम्परा के अनुसार विश्वामित्र, जमदग्रि, वसिष्ठ और कश्यप की सन्तान गोत्र कही गई है-

"गौतम, भरद्वाज, अत्रि,विश्वामित्रो जमदग्निर्भरद्वाजोऽथ गोतमः । अत्रिर्वसिष्ठः कश्यप इत्येते गोत्रकारकाः"
इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि किसी परिवार का जो आदि प्रवर्तक था, जिस महापुरुष से परिवार चला उसका नाम परिवार का गोत्र बन गया और उस परिवार के जो स्त्री-पुरुष थे वे आपस में भाई-बहिन माने गये, क्योंकि भाई बहिन की शादी अनुचित प्रतीत होती है, इसलिए एक गोत्र के लड़के-लड़कियों का परस्पर विवाह वर्जित माना गया। ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र आदि वर्ण कुलस्थ के लोगों के लिए गोत्र व्योरा रखना इसी लिए भी आवश्यक है क्योंकि गोत्र ज्ञान होने से उसके अध्ययन की परम्परा में उसकी शाखा-प्रशाखा का ज्ञान होने से तत सम्बन्धी वेद का पठन―पाठन पहले करवाया जाता है.

पश्चात अन्य शाखाओं का! किन्तु आज हिंदुओं में गोत्र को स्मरण रखने की परंपरा का त्याग करने से गोत्र संकरता बढ़ रही है। और सगोत्र विवाह आदि होना आरम्भ हो गया है। इसी लिए आज सुबह मैंने यह प्रश्न रखा था कि घरवापसी वालो का या अज्ञात गोत्र धारियों का गोत्र निश्चय कैसे होगा? गोत्र के सम्बन्ध में याज्ञवल्क्य और बौधायन दोनों का मत है कि कालान्तर में गोत्रों की संख्या सात न रहकर हज़ारों में हो गई।तब एक वंश-परम्परा में खानदान का जो मुख्य व्यक्ति हुआ,चाहे वह आदि काल में हुआ,या बीच के काल में हुआ,उसके नाम से गोत्र चल पड़ा!यहाँ तक में तो कोई दिक्कते नही है।
परम्परा प्रसिद्धं गोत्रम्-याज्ञवल्क्य गोत्र सम्बन्धी परम्परा का निष्कर्ष यह है कि जिन लोगों का आदिपुरुष एक माना गया वे आपस में भाई-बहिन माने जाने से उनके बीच विवाह निषिद्ध माना गया। जहाँ तक व्यवहार का सम्बन्ध है,हिन्दूसमाज में सपिण्ड विवाह पहले भी होते रहे हैं और आज भी हो रहे हैं।

उदाहरणार्थ - अर्जुन ने अपने मामा की लड़की सुभद्रा से विवाह किया जिससे उसका पुत्र अभिमन्यु पैदा हुआ। कुन्ती और सुभद्रा के पिता सगे भाई-बहन थे, दोनों शूरसेन की सन्तान थे। कुन्ती का वास्तविक नाम पृथा था, राजा कुन्तीभोज ने पिता शूरसेन से गोद लेने के कारण कुन्ती पड़ा। इसलिए तो अर्जुन को पार्थ कहा जाता है।
वासुदेव की दो पत्नियाँ थीं . रोहिणी और देवकी। रोहिणी की सन्तान बलराम और सुभद्रा थे जबकि देवकी की सन्तान कृष्ण थे। अभिमन्यु ने अपनी माता सुभद्रा के सगे भाई अर्थात अपने सगे मामा बलराम की पुत्री वत्सला से विवाह किया।

#सुभद्रा और #बलराम एक ही माँ रोहिणी और वासुदेव की सन्तान थे। श्रीकृष्ण के लड़के प्रद्युम्न का विवाह भी अपने मामा की लड़की रुक्मावती के साथ हुआ था। श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध ने अपने मामा की लड़की रोचना से विवाह किया। परीक्षित ने अपने सगे मामा राजा उत्तर(विराट नरेश के पुत्र) की लड़की इरावती से विवाह किया था। सहदेव ने अपने मामा द्युतिमान(शल्य के भाई) की बेटी विजया से विवाह किया। सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) का विवाह अपने सगे मामा की लड़की यशोधरा से हुआ था।
अजातशत्रु ने अपने सगे मामा की बेटी वज्जिरा से विवाह किया।
महाभारत के समय से ही मामा की लड़की से विवाह को अति उत्तम, शुभ और कुलीन माना जाता था, गलत नहीं। मामा की बेटी को बहन की मान्यता नहीं दी गई है प्राचीन समय से ही।
नोद्वहेत्कपिलां कन्यां नाधिकाङ्क्षीं न रोगिणीम्।
नालोमिकां नातिलोमांन वाचाटां न पिङ्गलाम् ॥ ६ ॥
दक्षिण भारत में मामा की लड़की से विवाह होना आम बात है। मेरे गुरुकुल के एक दक्षिण पंथी ब्राह्मण मित्र ने भी इसकी पुष्टि मेरे समक्ष की थी। महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पूरे दक्षिणी भारत मे सगे मामा की बेटी से शादी का बहुत प्रचलन है। यहाँ प्रश्न उठता है कि जैसे पिता का गोत्र छोड़ा जाता है वैसे ही माता का गोत्र छोड़ना जरूरी नही। वीर्य की प्रधानता होने से पिता के गोत्र को पूरी तरह छोड़ना महर्षि मनुजी ने आवश्यक समझा। लेकिन मातृ पक्ष की लड़की ली जा सकती है अर्थात मामा की लड़की से शादी धर्मानुसार मान्य है। लेकिन अपने गोत्र में शादी पूर्णतः वर्जित/निषेध है...

*🕉हिन्दू संस्कार🕉*
*आपका अपना संस्कार*
*सनातन धर्म और गौ माता की सदा जय हो*
*अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करें*
*नितिश बणसिया*
*🙏🏻जय जय श्री राम🙏🏻*
*हिंदू संस्कार की पोस्ट को आप ज्यादा से ज्यादा अपनों के साथ शेयर करें आपसे हाथ जोड़ कर निवेदन है*
गुजरात क्षत्रिय ठाकोर विकास संध पेटलाद तालुका प्रमुख।
अलपेश। आर। ठाकोर।

*હિંદુઓએ તાકાત બતાવવાનું શરૂ કર્યું!  વિશ્વ હવે આશ્ચર્ય અને ચિંતિત છે!* હિંદુ જાગૃતિને કારણે વિશ્વભરમાં શું થયું!! વિશ્વ...
15/10/2024

*હિંદુઓએ તાકાત બતાવવાનું શરૂ કર્યું! વિશ્વ હવે આશ્ચર્ય અને ચિંતિત છે!*

હિંદુ જાગૃતિને કારણે વિશ્વભરમાં શું થયું!!

વિશ્વભરના તમામ હિન્દુઓએ આ સંદેશ વાંચવો જોઈએ!

*હિંદુઓ હવે અદ્ભુત કામ કરી રહ્યા છે!*

ઘણા લોકો સોશિયલ મીડિયાને હળવાશથી લે છે, પરંતુ ચાલો હું તમને તેની શક્તિ વિશે જણાવું. આ *વિશ્વભરમાં મહત્વપૂર્ણ વિકાસ* વાંચવામાં માત્ર 2 મિનિટ લાગે છે!

1. *ભારતમાં હિન્દુઓના નવા આત્મવિશ્વાસ અને એકતાના કારણે સમગ્ર યુરોપ અને અમેરિકા દબાણ અનુભવી રહ્યા છે!*

2. હિંદુ એકતા દ્વારા ગરીબ ભારતીયોને મુસ્લિમ અથવા ખ્રિસ્તી બનાવવાના ષડયંત્રનો પર્દાફાશ થાય છે. અમારી વર્તમાન સરકારે *22,000 NGO અને 4 મુખ્ય ખ્રિસ્તી ધર્મ પરિવર્તન કરતી સંસ્થાઓ પર પ્રતિબંધ મૂક્યો છે!*

3. હિંદુ એકતાના કારણે, *"લવ જેહાદ" હવે 50% સુધી ઘટી ગયું છે અને ઘણા રાજ્યોમાં ગેરકાયદે પણ છે.*

4. હિંદુઓની એકતાના કારણે ઘણી જગ્યાએ જેહાદનો ધંધો પડી ભાંગ્યો!

5. હિંદુ એકતાના કારણે, સનાતન ધર્મની વિરુદ્ધ બોલનાર 70% લોકો શાંત થઈ ગયા છે, તેનાથી વિપરીત ઘણા વિદેશીઓએ તેને સ્વીકારવાનું શરૂ કર્યું છે.*

6. હિંદુ એકતાએ WhatsApp અને Facebook પર આપણા તહેવારો અને સંસ્કૃતિ વિશેના જોક્સમાં 80% ઘટાડો કર્યો છે!

7. હિંદુ જનતાની એકતાના કારણે આખો વિરોધ પક્ષ હવે હિંદુ દેખાવાનું રટણ કરી રહ્યો છે!

8. *હિન્દુ એકતાએ બોલિવૂડ પર દબાણ બનાવ્યું છે.*

9. હિન્દુઓ પહેલા જેટલા શાંત નથી, તેઓ હવે વિદેશમાં વિરોધ કરી રહ્યા છે *લંડન જેવા સ્થળોએ પાકિસ્તાની દુકાનો અને રેસ્ટોરન્ટનો બહિષ્કાર!*

10. સૌથી મહત્વની વાત એ છે કે હિંદુઓની હીનતા ઓછી થાય છે. અમને આત્મવિશ્વાસ મળ્યો. *આપણે આપણી જાતને, આપણી પોતાની સંસ્કૃતિને, આપણા મહાન ઈતિહાસને ઓછો આંકી રહ્યા હતા, તે બંધ થઈ ગયું. વિશ્વના લોકો આપણી મહાન સંસ્કૃતિથી આકર્ષાય છે.*

સોશિયલ મીડિયા પર તમારા માત્ર 10 હિંદુ મિત્રો હોવા છતાં, તેમની વચ્ચે આ વિચારો ફેલાવવાથી તમને લાખો હિંદુઓ સુધી પહોંચવામાં મદદ મળશે!

*જો તમે જાતે લખતા નથી, તો ઓછામાં ઓછું હિંદુ અને ભારત માટે લખનારા/બોલનારાઓના વિચારોને ફોરવર્ડ, શેર, કોપી કરતા રહો!*

હિંદુ ધર્મ પ્રત્યે જાગૃતિ દિવસેને દિવસે વધી રહી છે. "સ્યુડો-સેક્યુલરિઝમ" ને ટેકો આપનારા હિન્દુઓ પણ તેમની સ્થિતિ વિશે વિચારવા લાગ્યા છે!

*ઘણા લોકો શિક્ષણ ક્ષેત્રે, કેટલાક નોકરી કરતા, કેટલાક વ્યવસાયમાં અથવા સ્વ-રોજગાર અથવા ઉદ્યોગસાહસિકો હવે ખૂબ જ સક્રિય છે!*

*એ નોંધવું આનંદદાયક છે કે લગભગ દરેક અથવા કહો કે ઘણા લોકો "ધર્મકાર્ય" માટે હિંદુઓમાં સંગઠિત અને જાગૃતિ લાવવા માટે તેમના શ્રેષ્ઠ પ્રયાસો કરી રહ્યા છે!*

કંઈપણ વિના બહાર નીકળવા કરતાં લક્ષ્ય માટે જીવવું વધુ સારું!

*ઓછામાં ઓછી આવનારી પેઢી ગર્વથી કહેશે કે મારા માતા-પિતા તેમની સંસ્કૃતિ અને દેશ માટે લડ્યા હતા!*

*હિન્દુ સંગઠન એક મૂર્ત શક્તિ છે.* તેથી જોડતા રહો અને મહાન સંદેશ ફેલાવતા રહો, જાતિના મતભેદોને માફ કરીને, ભૂલીને, દૂર કરીને અને કચરો નાખીને એકબીજાને મદદ કરો!

અમારું ધ્યાન માત્ર એટલું જ છે કે :: ભારત હિન્દુ રાષ્ટ્ર હતું,
હિન્દુ રાષ્ટ્ર છે અને હિન્દુ રાષ્ટ્ર રહેશે.

*ભારત ફરી એકવાર એક મહાન રાષ્ટ્ર અને મહાસત્તા બનશે.*

*તેની સફર શરૂ થઈ ગઈ છે, એટલે જ દુનિયામાંથી તેમના ડરથી આટલો વિરોધ વધી ગયો છે!*

આપણા તમામ હિંદુ ભાઈઓની એકતા ખૂબ જ જરૂરી છે.

🚩 જય શ્રી રામ! - જય ભારત! 🚩

🙋🏻‍♂️ મેં શેર કરવાની મારી ફરજ બજાવી!! 🇮🇳

*ૐૐૐ ગુજરાત ક્ષત્રીય ઠાકોર વિકાસ સંઘ પેટલાદ તાલુકા પ્રમુખ અલ્પેશ આર ઠાકોર.ૐૐૐ* 👏👏

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