
27/07/2022
धमासा(दुरालभा)
आयुर्वेद चिकित्सा में ऐसे हजारों जड़ी-बूटियां मिल जायेंगी जो हमारे आस-पास ही होती हैं लेकिन हमें नहीं पता होता है कि वह हमारे लिए कितने फायदेमंद होती हैं। ऐसी ही एक बूटी होती है धमासा। आयुर्वेद में धमासा का प्रयोग रक्त को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा किन-किन बीमारियों में इसका इस्तेमाल औषधी के लिए किया जाता है, चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Contents
1 धमासा क्या है?
::::-- प्राचीन आयुर्वेदीय संहिताओं तथा निघण्टुओं में दुरालभा, समुद्रान्ता तथा दुस्पर्शा आदि नामों से इसका वर्णन प्राप्त होता है। चरक-संहिता के तृष्णानिग्रहण तथा अर्शोंघ्न गणों में इसका वर्णन किया गया है। प्रत्येक पत्ते के पास दो नुकीले काँटे निकले हुए होते हैं। इसके कांटे शरीर पर चुभने से बहुत ज्यादा दर्द होता है।
2 अन्य भाषाओं में धमासा के नाम
धमासा का वानास्पतिक नाम Fagonia cretica Linn. (फैगोनिआ क्रेटिका) Syn-Fagonia deflexa Moench; Fagonia elongata Salisb होता है। इसका कुल Zygophyllaceae (जाइगोफिलेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Khorasan thorn (खुरासन थॉर्न) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि धमासा और किन-किन नामों से जाना जाता है।
Sanskrit-धन्वयास, दुरालभा, उष्ट्रभक्ष्या, समुद्रान्ता, दुस्पर्शा, कच्छुरा, अजभक्ष्य, गान्धारी अनन्ता;
Hindi-धमासा, हिंगुआ, धमहर, उर्स्तुगर, उर्स्तखर, हींगुना;
Urdu-बदरह (Badrah), बडावरद (Badavard);
Gujrati-धमासो (Dhamaso);
Tamil-तुल्नागरी (Tulnagari);
Telugu-चीट्टीगरा (Chittigara), गीरेगटी (Giregati);
Bengali-दुरालभा (Duralabha);
Punjabi-धमाह (Dhamah), धमान्ह (Dhamanh), धामा (Dhama)
Marathi-धमासा (Dhamasa), धूमसा (Dumasa)।
Persian-बादा बर्द (Bada bard), बडावर्द (Badavard);
Arbi-शुकाई (Shukai), शौकुबेइतीजा (Shaukubaitiza)।
3 धमासा का औषधीय गुण
प्रकृति से धमासा मधुर, कड़वा, कषाय, शीतल, लघु, कफवात से आराम दिलाने वाले, रक्त को शुद्ध करने वाला तथा अर्शोघ्न होता है।
यह विषमज्वर (मलेरिाय), तृष्णा या प्यास, छर्दि या उल्टी, प्रमेह या डायबिटीज, मोह, विसर्प या हर्पिज, शूल या दर्द, गुल्म, श्वास, कास, भम, मद तथा कुष्ठ नाशक होता है।
4 धमासा के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Dhamasa )
4.1 सिरदर्द से दिलाये आराम धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Headache )
4.2 मुँह के बीमारियों के इलाज में फायदेमंद धमासा (Benefits of Dhamasa to Treat Mouth related Diseases)
4.3 खाँसी के परेशानी में मददगार धमासा (Dhamasa Beneficial in Cough )
4.4 फुफ्फुस रोग या लंग्स के बीमारी में फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial in Lungs Diseases )
4.5 हिक्के के कष्ट से दिलाये आराम धमासा (Benefit of Dhamasa to Get Relief from Hiccups )
4.6 कफज छर्दी के कष्ट से दिलाये राहत धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Cough related Vomiting)
4.7 ग्रहणी या आंतों के रोग के इलाज में फायदेमंद धमासा (Benefit of Dhamasa to Get Relief from Stomach Diseases )
4.8 उदावर्त के उपचार में लाभकारी धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Large Intestine )
4.9 ज्वरयुक्त अतिसार में फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial in Diarrhoea and Fever)
4.10 मूत्राघात के इलाज में लाभकारी धमासा (Benefit of Dhamasa in Anuria)
4.11 मूत्रकृच्छ्र के बीमारी में फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat
4.12 Dysuria )
4.13 विद्रधि या अल्सर से दिलाये राहत धमासा (Benefit of Dhamasa Heals Ulcer )
4.14 पामा या खुजली की परेशानी करे दूर धमासा (Dhamasa Beneficial in Scabies )
4.15 कुष्ठ के इलाज में धमासा फायदेमंद (Benefit of Dhamasa in Leprosy )
4.16 और पढ़े-कुष्ठ रोग में तीखुर के औषधीय गुण के फायदे
4.17 भ्रम के उपचार में लाभकारी फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Hallucination )
4.18 रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहना) में धमासा का औषधीय गुण फायदेमंद (Dhamasa Benefits in Bleeding Problem in Hindi)
4.19 बुखार के इलाज में फायदेमंद धमासा का औषधीय गुण (Benefit of Dhamasa to Treat Fever )
4.20 सूजन कम करने में सहायक धमासा (Dhamasa Beneficial in Inflammation )
4.21 सांप काटने पर उसके विष के प्रभाव को कम करने में सहायक धमासा (Benefit of Dhamasa to Treat Snake Poison )
5 धमासा का उपयोगी भाग (Useful Parts of Dhamasa) =पंचांग
6 धमासा का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Dhamasa )आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार 1-2 ग्राम चूर्ण, 5-10 मिली रस और 10-12 मिली काढ़ा ले सकते हैं।
7 धमासा कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Dhamasa Found or Grown )
कठोर तना तथा कण्टकों से युक्त यह झाड़ी भारत के रूखे भागों में मुख्यत उत्तर-पश्चिमी भारत, पंजाब, गंगा के ऊपरी मैदानी भागों, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कोंकण एवं पश्चिमी प्रायद्वीप में पाया जाता है।