Astrology vastu in ludhiana

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16/07/2021

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क्या होता है आखिर कालसर्प दोष ?कालसर्प दोष निवारण मंत्र : आइए ! हम यह जाने की काल सर्प दोष आखिर है क्या?जैसा कि आपको विद...
13/03/2021

क्या होता है आखिर कालसर्प दोष ?
कालसर्प दोष निवारण मंत्र : आइए ! हम यह जाने की काल सर्प दोष आखिर है क्या?

जैसा कि आपको विदित ही हैकि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पूर्व जन्म के जघन्य अपराधों के दंड या शाप उस मनुष्य की कुंडली में परिलक्षित होते हैं।

यह योग कुछ इस प्रकार से बनते हैं की कुंडली में राहु एवं केतु के मध्य सूर्य मंडल के सातों ग्रह आ जाते हैं।

यह योग कालसर्प योग कहलाता है। जिस कारण से राहु एवं केतु उस मनुष्य के जीवन अपना बहुत ज्यादा प्रभाव डालते हैं।

ग्रहों की स्थिति के अनुसार कालसर्प योग का जातक के जीवन में सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव दिखाई देते हैं।

राहु एवं केतु में जो गुण हैं वह शनि की तरह ही होते हैं। राहु एवं केतु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है परंतु यह ग्रह जिस व्यक्ति की कुंडली में, जिस घर में विराजमान हो जाते हैं उस घर का संपूर्ण स्वामित्व प्राप्त कर लेते हैं।

जिस मनुष्य की कुंडली में कालसर्प दोष होता है वह व्यक्ति अपने रोजगार या नौकरी के लिए बहुत परेशान रहता है।

अत्यधिक मेहनत करने के पश्चात भी उसे अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं हो पाते हैं। जीवन कष्टों से भरा होता है। जीवन में सुख चैन कम, चिंता ज्यादा होती है जिस कारण से वह मनुष्य अवसाद में रहने लगता है।

यदि संतति की बात करें तो ऐसे व्यक्तियों को संतान प्राप्ति नहीं होती है ।यदि होती भी है तो वह विकार युक्त होती है।

ऐसे मनुष्य को वैवाहिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। कालसर्प योग कुंडली में ग्रहों की स्थिति एवं राशि के आधार पर मुख्यतः 12 प्रकार के माने गए हैं।

धिक मेहनत करने के पश्चात भी उसे अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं हो पाते हैं। जीवन कष्टों से भरा होता है। जीवन में सुख चैन कम, चिंता ज्यादा होती है जिस कारण से वह मनुष्य अवसाद में रहने लगता है।

यदि संतति की बात करें तो ऐसे व्यक्तियों को संतान प्राप्ति नहीं होती है ।यदि होती भी है तो वह विकार युक्त होती है। ऐसे मनुष्य को वैवाहिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। कालसर्प योग कुंडली में ग्रहों की स्थिति एवं राशि के आधार पर मुख्यतः 12 प्रकार के माने गए हैं।
कालसर्प दोष के दुष्परिणाम
कालसर्प दोष पूर्ण कालिक या आंशिक हो सकता है।इसके दुष्परिणाम कुछ इस प्रकार के हो सकते है :-

विद्या अध्ययन में रुकावट होना या पढ़ाई में मन न लगना , पढ़ाई बीच में ही छूट जाना।किसी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक बाधा उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण विद्या अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
संतान उत्पन्न ना होना ।यदि संतान उत्पन्न होती है तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है या संतान को विभिन्न प्रकार के विकार या बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।
विवाह में यदि विलंब होता हैतो यह भी कालसर्प दोष का एक दुष्परिणाम है। वैवाहिक जीवन में अनेकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं जिस कारण से वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो जाता है और तलाक तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
कठिन परिश्रम करने के पश्चात भी मनवांक्षित फल प्राप्त नहीं होता है।
बाल्यावस्था में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो जाती है , दुर्घटना होने लगती है , चोट लग जाती हैं बीमारियां होने लगती हैं यह भी कालसर्प दोष का दुष्परिणाम है।
परिवार के लोग तथा सहयोगियो से धोखा मिलता है विशेष रूप से ऐसे व्यक्ति जिनका आप भला करते हो वहभी आपको धोखा देते हैं,आपसे छल करते हैं।
कारोबार संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाती है ।कारोबार फलीभूत नहीं होता है ,व्यवधान उत्पन्न होते हैं, सौदे टूटने लगते हैं तथा कारोबार में हानि होती है।
घर में घर के सदस्यों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है , अस्पतालों के चक्कर काटते काटते थक जाते हैं परंतु किसी भी बीमारी का पता नहीं चलता है।आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
घर में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होती है या स्थगित करने पड़ते हैं।
कभी-कभी परिवार में जो मुखिया होता है उसे मानसिक रोगों या शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है तथा तरह-तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
परिवार धन-धान्य से संपन्न होने के पश्चात भी धन के लिए तरसना पड़ता है पैतृक संपत्ति प्राप्त करने में दिक्कत आती है।
घर में प्रतिदिन कलह का माहौल बनता है और पारिवारिक सौहार्द समाप्त हो जाता है।
घर के किसी भी सदस्य पर भूत– प्रेत का साया या घर के सदस्यों में चिड़चिड़ापन रहता है।
काल सर्प योग के कारण माता पिता को भी कष्ट उत्पन्न होते हैं।
कालसर्प दोष हेतु उपाय
काल सर्प योग के दोष के निवारण हेतु निम्न उपाय किए जा सकते हैं।

पीपल या बरगद के पेड़ को प्रतिदिन पानी दें ।
आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें ।राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करें।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |
राहु के मंत्र- ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।

केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।

भगवान शिव की पूजा अर्चना करें। सरसों का दीपक जलाकर “ओम नमः शिवाय “ मंत्र का 21000 बार जप करें।
भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें और प्रतिदिन “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
नमनाग स्त्रोत्र का पाठ करें।
सर्पों की पूजा करें तथा नाग पंचमी को नागों की पूजा अर्चना करें।
प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
श्रावण मास में 30 दिनों तक भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करें।
सोलह सोमवार के व्रत करें एवं भगवान शिव को जल चढ़ाएं।
विधि विधान से त्रंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष शांति का पूजन कराएं।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |
गुरूजी से संपर्क करे ! 8360837141
कालसर्प दोष निवारण मंत्र
आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें। राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करें।
राहु के मंत्र– ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।

केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।

भगवान शिव की पूजा अर्चना करें। सरसों का दीपक जलाकर “ओम नमः शिवाय“ मंत्र का 21000 बार जप करें।
भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें और प्रतिदिन “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। नान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

नमनाग स्त्रोत्र का पाठ करें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll

॥ नाग गायत्री मंत्र ॥

ll ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि तन्नो सर्प प्रचोदयात ll

कालसर्प दोष निवारण मंत्र की अधिक जानकारी हेतु आप श्री शास्त्री जी से संपर्क करे | आप सशुल्क जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

काल सर्प योग पूजा गुरूजी से संपर्क करें ।
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बजरंगबली की पूजा का यह है शुभ पहर, संकट नाश के लिए चुनें मंत्र या चौपाईमंगलवार का दिन हनुमान जी की उपासना के लिए सर्वोत्...
09/03/2021

बजरंगबली की पूजा का यह है शुभ पहर, संकट नाश के लिए चुनें मंत्र या चौपाई
मंगलवार का दिन हनुमान जी की उपासना के लिए सर्वोत्म माना जाता है और इस दिन देवालय में भक्तों का अंबार लगा होता है. बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए कोई मंत्र जाप करता है तो कोई चालीसा या हनुमानाष्टक का पाठ करता नज़र आता है लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि कौन से संकट या कष्ट के लिए हनुमान के कौन से मंत्र या चौपाई का जाप करना चाहिए. आइए जानते हैं उनकी उपासना का शुभ समय क्या है और किस तरह उपासना करने से सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है.
मंगलवार का दिन हनुमान जी की उपासना के लिए सर्वोत्म माना जाता है और इस दिन देवालय में भक्तों का अंबार लगा होता है. बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए कोई मंत्र जाप करता है तो कोई चालीसा या हनुमानाष्टक का पाठ करता नज़र आता है लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि कौन से संकट या कष्ट के लिए हनुमान के कौन से मंत्र या चौपाई का जाप करना चाहिए. आइए जानते हैं उनकी उपासना का शुभ समय क्या है और किस तरह उपासना करने से सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है.

संकट कटे मिटे सब पीरा

जो सुमिरे हनुमत बलबीरा....

यानि जो कोई भक्त महावीर हनुमान का ध्यान करता रहता है, उसके सब संकट स्वयं ही कट जाते है और सभी पीड़ाएं भी नष्ट हो जाती हैं.

कहते हैं कि जीवन में संकट कैसा भी आए, हनुमान जी के पास उसका समाधान जरूर होता है. इस धरती पर ऐसा कोई कष्ट और ऐसी कोई पीड़ा नहीं होती है जिसका निदान करने में महावीर हनुमान असमर्थ हों इसलिए अगर आपके जीवन में भी बार –बार संकट आते हों या कोई भी काम पूरा होने में बाधाएं आती हों तो भगवान हनुमान की उपासना करनी चाहिए.

संकट नाश के लिए कैसे करें हनुमान उपासना?

आपका संकट जिस तरह का है, संकट नाश के लिए उसी तरह के मंत्र या चौपाई का चुनाव करें. स्नान करके लाल कपड़े पहनें. फिर हनुमान जी को लाल फल और लाल फूल अर्पित करें. लाल चन्दन या तुलसी की माला से चुने हुए मंत्र या चौपाई का जाप करें. मंत्र जाप के बाद प्रसाद ग्रहण करें, शीघ्र टलेगा आपका संकट.
संकटों से पीछा छुड़ाने के लिए ये उपासना अचूक मानी गई है. जरूरत है तो बस संकट से संबंधित सही मंत्र या चौपाई का चुनाव करके उसका जाप करने की. हनुमान जी के कौन से मंत्र या चौपाई का जाप करना होगा उत्तम.

संकट ते हनुमान छुड़ावैं

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै

संकट के मुताबिक चुनें मंत्र या चौपाई-

सेहत की गंभीर समस्याओं से निपटने के लिए-

- सेहत की गंभीर समस्याओं के निवारण के लिए "ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः" मंत्र का जाप करें या

- लगातार ११ दिनों तक हनुमान चालीसा का ११ बार पाठ करें

जेल और मुकदमें की बाधाओं से निपटने के लिए-

जेल या मुकदमों की बाधाओं से निपटने के लिए "ॐ नमो हनुमते भयभन्जनाय सुखम कुरु फट स्वाहा" का जाप करें.

सेहत की समस्याओं से मुक्ति के लिए-

सेहत की समस्याओं से मुक्ति के लिए "नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा" का यथाशक्ति जाप करें.

अमंगल या अशुभ को टालने के लिए-

किसी भी अमंगल या शुभ को टालने के लिए "मंगल मूरति मारुति नंदन , सकल अमंगल मूल निकंदन" का जाप करें.

अपयश, निंदा और अपमान से बचने के लिए-

अपयश , निंदा और अपमान से बचने के लिए "ॐ लंकिनीभन्जनाय नमः" का जाप करें.

हनुमान पूजन का सबसे शुभ पहर और आपकी पूजा को सफल बनाने से संबंधित कुछ खास बातें...

पूजन को सफल बनाने का उपाय-

- पूजा शुरू करने से पहले हनुमान जी से पूजा की सफलता की प्रार्थना करें

- फिर उनकी वंदना करके पूजन आरम्भ करें

हनुमान उपासना का शुभ पहर-

- हनुमान उपासना के लिए आज का सबसे शुभ पहर है - शाम 07.30 से रात 9.15 बजे तक

- इस समय हनुमान जी की कपूर से आरती करें, हर प्रकार की दुर्घटनाओं से आपकी रक्षा होगी

तो आप भी मंगलवार के दिन महावीर हनुमान की उपासना करके अपने जीवन के तमाम कष्टों और संकटों से मुक्ति पा सकते हैं.

संतान प्राप्ति के उपायनोट --  इन सिद्ध यंत्रों की स्थापना सभी प्राणियों के कल्याण हेतु की गयी है , यदि आपके मन में कोई स...
22/01/2021

संतान प्राप्ति के उपाय
नोट -- इन सिद्ध यंत्रों की स्थापना सभी प्राणियों के कल्याण हेतु की गयी है , यदि आपके मन में कोई संदेह है , या आप इन यंत्रों में विश्वास नहीं रखते है तो आप इस पेज को बंद कर दें , परन्तु इन यंत्रों का उपहास एवं अनादर न करें ।

1. यदि किसी दम्पति को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष में अभिमंत्रित संतान गोपाल यंत्र को अपने घर में स्थापित करके लगातार 16 गुरुवार को ब्रत रखकर केले और पीपल के वृक्ष की सेवा करें उनमे दूध चीनी मिश्रित जल चड़ाकर धुप अगरबत्ती जलाये फिर मासिक धर्म से ठीक तेहरवीं रात्रि में अपने पति से रमण करें संतान सुख अति शीघ्र प्राप्त होगा ।

2. पति पत्नी गुरुवार का ब्रत रखें या इस दिन पीले वस्त्र पहने , पीली वस्तुओं का दान करें यथासंभव पीला भोजन ही करें .....अति शीघ्र योग्य संतान की प्राप्ति होगी ।

3. संतान सुख के लिए स्त्री गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं ...शीघ्र ही उसकी गोद भर जाएगी ।

4. शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें ...निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी ।

5. किसी भी गुरुवार को पीले धागे में पीली कौड़ी को कमर में बांधने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।

6. संतान प्राप्ति के लिए स्त्री पारद शिवलिंग का नियम से दूध से अभिषेक करें ...उत्तम संतान की प्राप्ति होगी ।

7. हर गुरुवार को भिखारियों को गुड का दान देने से भी संतान सुख प्राप्त होता है ।

8. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर पिलाने से स्त्री को अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है यह अत्यंत ही सिद्ध / परीक्षित प्रयोग है ।

9. रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाये और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें उसकी इच्छा अति शीघ्र पूरी होगी ।

10. श्वेत लक्ष्मणा बूटी की 21 गोली बनाकर उसे नियमपूर्वक गाय के दूध के साथ लेने से संतान सुख की अवश्य ही प्राप्ति होती है ।

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07/01/2021

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04/01/2021

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