13/09/2016
राम कहीं तुम लौट न आना- हनुमंत सिंह - रचना समय - २-१०-१९८४ पार्ट -२
वे भूखे रह जाएँ , और ऋषियों को , लहू पिलायें ।
निशाचरों की पदरज लेकर, वे माथे पर तिलक लगाएं
ग्रह लक्ष्मी बाजार ले जाकर , उसको शो पीस बनाएं ।
कलियुग में ले कर्म डंडा, धर्म का ढोंग रचाएं ।
पीले वस्त्रो के नीचे सूरा सुंदरी शास्त्र छुपाएं ।
ऋषी राम की बात न छेड़े , रावण के गुण गान सुनाएँ ।
राम खिन तुम भूल न जाना , अंजनीनंदन मन्त्र सीखना ।
दसकन्धर -------------------------------------------