Herbal Engineer

Herbal Engineer Yashraj is brand under which there are many products like dhoop, hair oil, aura, herbal face pack I mixed up very nicely which is called "Shuri Yashraj Dhoop."

Dr.Pravin Kulkarni:
When I read Jyotish Shastra i saw lots of problem of many people and i analyze it. After long experiment to conquer these of these problems like Vastu, Grahdosh and for all over peice we should do Hawans in our home daily. For this i made a type of Dhoop i which different type of materials which are used to remove different types of problems. If you use Shuri Yashraj Dhoop in daily hawan in your home it removes vastu dosh, Remove Grah Kalah and family members live together with unity and it removes Ghost and negative energy sources. There are piece in your home. You can't imagine its results.. How to use Shuri Yashraj Dhoop
Burn Dhoop morning and evening. At the time of burning this dhoop please take 2 bars of Kapoor and little bit of Shuri Yashraj Dhoop and please don't think that it will give smoke but always remind that dhoop must be completely burn. Shuri Yashraj Dhoop uses as a Sanjeevani

- It removes vastu dosh of your home.
- It romoves small fights on your home.
- It removes useless fights in your home.
- It renovate your piece of home.
- Acomplishment of any mantra done properly.
- For good health of all family members with Shuri Yashraj Dhoop please read Mahamrityunjay Mantra.
- Happiness in your Home.
- It creates good atmosphere in your home by this Wealth stay for long time in your home.
- Negative thinking persons get weak by this Dhoop.
- To Remove problems in the yagya of Kalsarp we shuold read Surya Yogantari mantra with Shuri Yashraj Dhoop.
- If you are not getting your money by any person so take red clothth and tie it with Shuri Yashraj Dhoop and write his name and remind his face for 100 times and say i get my money, and continue this metohd for 21 days.
- To get contiontration of body please read Ganesh Satarottar path with Shuri Yashraj Dhoop.
- Please put Shree kuber Yantra in the direcion of North and arrange his face in the south and in front of this burn Shuri Yashraj Dhoop daily by this you will get richness like Kuber and you will get better opportunities in your life.
- If there are issues between your life partner then at 4 o' cloch at early morning in the East in front of shukra yantra burn Shuri Yashraj Dhoop by this your disputes wiil be removed.
- To get success in your love llife in front of Kamdev yantra write both names and burn Shuri Yashraj Dhoop you will get sure success.
- If you have lots of problems so p[lease keep Satguru Murti always and burn Shuri Yashraj Dhoop you will get energy to solve those problems.
- Please read Mahanvya Mantra when you want to wear Rudrakshand Shuri Yashraj Dhoop gives many effective results. Please take permission to read any mantra before reading any mantra by this your thinkings get new and possitive. But we are normal Human so take Shuri Yashraj Dhoop.
- In the starting of any type of programme use Shuri Yashraj Dhoop by this programme get great energy and your wishes get fulfill.
- To get together Vastu of savat with Shuri Yashraj Dhoop and Coconut do this thing for 31 days.

17/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
ज्योतिषाचार्य
9226280158

मेदिनी ज्योतिष (Mundane Astrology) के अनुसार, जो राष्ट्रों, मौसम, राजनीति और अर्थव्यवस्था की भविष्यवाणी करता है, वर्ष 2026 एक युगांतकारी और पुनर्निर्माण का वर्ष दिखाई दे रहा है।
मेदिनी ज्योतिष में वर्ष का राजा और मंत्री चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (मार्च 2026) के दिन और वार से तय होता है। 2026 में हिंदू नववर्ष गुरुवार से शुरू हो रहा है, इसलिए वर्ष के राजा 'देवगुरु बृहस्पति' (Jupiter) होंगे।
यहाँ मेदिनी ज्योतिष के आधार पर 2026 का विस्तृत विश्लेषण है:
1. राजनीति और सत्ता (Politics & Governance)
* राजा गुरु का प्रभाव: चूंकि वर्ष का राजा 'गुरु' है और जून 2026 में गुरु अपनी उच्च राशि (कर्क) में प्रवेश करेंगे, यह दुनिया भर की सरकारों के लिए शुभ है। शासक तानाशाही के बजाय न्याय, धर्म और शिक्षा पर ध्यान देंगे।
* नीतिगत बदलाव: शनि का मीन राशि (जल तत्व) में होना और राहु का कुंभ राशि में होना संकेत देता है कि सरकारें जल संरक्षण, समुद्री सीमा और इंटरनेट/AI कानूनों को लेकर बहुत सख्त नियम बनाएंगी।
* कूटनीति: देशों के बीच युद्ध की स्थिति में थोड़ी शांति आएगी। गुरु के प्रभाव से 'समझौते' और 'संधियाँ' (Treaties) होंगी।
2. मौसम और कृषि (Weather & Agriculture) - सबसे महत्वपूर्ण
2026 में मेदिनी ज्योतिष की सबसे बड़ी भविष्यवाणी 'जल प्रलय' या अत्यधिक वर्षा की है।
* दो बड़े ग्रह जल राशि में: शनि 'मीन' (जल) राशि में होंगे और गुरु 'कर्क' (जल) राशि में होंगे।
* परिणाम: भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश होगी। बाढ़ (Floods) की स्थिति कई बार बनेगी।
* कृषि: अच्छी बारिश के कारण खेती और पैदावार बंपर होगी। अनाज के भंडार भरेंगे, जिससे खाद्य महंगाई (Food Inflation) में कमी आ सकती है। लेकिन कटाई के समय बेमौसम बारिश से नुकसान का भी डर है।
3. अर्थव्यवस्था और बाजार (Economy & Market)
* बैंकिंग और शिक्षा: गुरु के उच्च होने से बैंकिंग सेक्टर, शिक्षण संस्थान और खाद्य उद्योगों (FMCG) में जबरदस्त उछाल आएगा।
* सोना-चांदी: गुरु का संबंध स्वर्ण से है। 2026 में सोने के भाव स्थिर रहेंगे या बढ़ेंगे, लेकिन इसमें गिरावट की संभावना कम है।
* तेल और शिपिंग: शनि के मीन राशि में होने से कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में उतार-चढ़ाव और समुद्री व्यापार (Shipping) में नई चुनौतियां आ सकती हैं।
4. तकनीकी और विज्ञान (Technology & Science)
* राहु कुंभ में: कुंभ राशि 'वायु' और 'तरंगों' की राशि है। राहु यहाँ बैठकर स्पेस साइंस (Space), एआई (AI) और विमानन (Aviation) में कोई बहुत बड़ी, दुनिया को चौंकाने वाली खोज करवा सकता है।
* चेतावनी: साइबर क्राइम और इंटरनेट ठगी के मामले चरम पर होंगे। कोई बड़ा ग्लोबल साइबर अटैक भी संभव है।
5. रोग और स्वास्थ्य (Health)
* शनि और गुरु दोनों का जल राशि में होना जल जनित रोगों (Water-borne diseases) का संकेत देता है। पेट के रोग, संक्रमण या दूषित पानी से जुड़ी महामारियों के प्रति सतर्क रहना होगा।
* मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह साल बेहतर होगा क्योंकि गुरु की दृष्टि समाज में आध्यात्मिकता (Spirituality) बढ़ाएगी।
6. भारत के संदर्भ में (Specifically for India)
* भारत की कुंडली (वृषभ लग्न) के लिए उच्च के गुरु का गोचर बहुत शुभ है।
* वैश्विक छवि: भारत की साख दुनिया में और बढ़ेगी। 'विश्व गुरु' बनने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
* आंतरिक सुरक्षा: केतु के सिंह राशि में होने से कुछ आंतरिक विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं, लेकिन सरकार (राजा गुरु होने के कारण) सूझबूझ से मामला शांत कर लेगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार, 2026 "अतिवृष्टि (Heavy Rain) और ज्ञानोदय (Wisdom)" का वर्ष है।
यह वर्ष विध्वंस का नहीं, बल्कि सुधार (Reform) का है। प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़) को छोड़ दें, तो आर्थिक और सामाजिक रूप से यह वर्ष शांती पूर्ण रहेगा।

15/12/2025

हिंदू प्रवीण आनंदी अनंत

🙏 भजन : “कालिया के फन पर नाचे श्याम” 🙏

ध्रुव (बार-बार गाया जाए)
कालिया के फन पर नाचे श्याम, जय हो गिरधर लाल।
विष हर लिया यमुना का, जय हो करुणालाल॥

---

पद 1
यमुना जल विष से भर आया, काँपे सारा ब्रज,
ग्वाल-बाल रोए, डर से डोले, माँ यशोदा सज।
तब मुस्काए नंदलाला, करने लीला कमाल॥

ध्रुव
कालिया के फन पर नाचे श्याम, जय हो गिरधर लाल।

---

पद 2
बाल रूप में ब्रह्म विराजे, अद्भुत यह पहचान,
फन पर चढ़कर नृत्य रचाया, थर्राया अभिमान।
पग-पग न्याय, कण-कण प्रेम, बोले धर्म विशाल॥

ध्रुव
कालिया के फन पर नाचे श्याम, जय हो गिरधर लाल।

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पद 3
नागिन रोई, शरण में आई, जोड़े हाथ पुकार,
“क्षमा करो हे दीनदयाल, तुम पालनहार।”
बोले श्याम—“विष त्यागो, यही जीवन की चाल।”

ध्रुव
कालिया के फन पर नाचे श्याम, जय हो गिरधर लाल।

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पद 4
शीश झुकाकर चला कालिया, पाया जीवन दान,
यमुना फिर से निर्मल बहती, गूँजा हरि का नाम।
ब्रज में लौटी शांति-सुहानी, मिटा सारा जंजाल॥

ध्रुव (अंत में 2–3 बार)
कालिया के फन पर नाचे श्याम, जय हो गिरधर लाल।
विष हर लिया यमुना का, जय हो करुणालाल॥

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13/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
रेकी ग्रँड मास्टर.
9226280158

🌟 निवडणुकीत रेकीचा सकारात्मक उपयोग – एक चिंतन

निवडणूक ही केवळ मतांची लढाई नसून ती मानसिक संतुलन, आत्मविश्वास आणि सकारात्मक ऊर्जा यांचीही परीक्षा असते. अशा वेळी रेकीसारखी ऊर्जा-साधना ही उमेदवार आणि त्याच्या टीमसाठी एक आंतरिक आधार ठरू शकते.

1️⃣ मानसिक शांतता आणि तणावमुक्तता

निवडणूक काळात तणाव, भीती, अपेक्षा आणि दबाव मोठ्या प्रमाणात असतो.
रेकी साधनेमुळे:

मन शांत राहण्यास मदत होते

निर्णय क्षमता स्पष्ट होते

भीती व नकारात्मक विचार कमी होतात

👉 शांत मनातून घेतलेले निर्णय अधिक परिणामकारक ठरतात.

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2️⃣ आत्मविश्वास आणि सकारात्मक उपस्थिती

रेकीमुळे व्यक्तीच्या ऊर्जाक्षेत्रात (Aura) स्थिरता येते असे मानले जाते.
यामुळे:

उमेदवार अधिक आत्मविश्वासपूर्ण दिसतो

भाषणात नैसर्गिक प्रभाव येतो

लोकांशी संवाद साधताना आपुलकी जाणवते

👉 मतदारांना केवळ शब्द नाही, तर ऊर्जा देखील जाणवते.

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3️⃣ टीमवर्क आणि समन्वय

निवडणूक ही संघाची लढाई असते.
रेकी साधना केल्यास:

कार्यकर्त्यांमध्ये समजूतदारपणा वाढतो

गैरसमज, मतभेद कमी होतात

संघभावना दृढ होते

👉 एकसंध टीम हीच यशाची खरी ताकद असते.

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4️⃣ सकारात्मक संकल्प (Intention Setting)

रेकीमध्ये सकारात्मक संकल्प फार महत्त्वाचा मानला जातो.
उदा.

> “ही निवडणूक लोकांच्या हितासाठी, सत्य आणि सद्भावनेने घडो.”

असे संकल्प:

मनाची दिशा स्पष्ट करतात

नैतिक बळ देतात

अहंकारापेक्षा सेवाभाव वाढवतात

👉 सेवा भावनेतून केलेले कार्य अधिक लोकांपर्यंत पोहोचते.

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5️⃣ नकारात्मकतेपासून संरक्षण (मानसिक स्तरावर)

टीका, अफवा, अपयशाची भीती — या गोष्टी मनावर परिणाम करतात.
रेकी साधनेमुळे:

मानसिक संरक्षणाची भावना मिळते

नकारात्मक विचारांचा प्रभाव कमी होतो

स्थैर्य टिकून राहते

👉 बाह्य परिस्थितीपेक्षा आतली स्थिती मजबूत राहते.

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✨ निष्कर्ष

रेकी ही मतं मिळवण्याची जादू नसून,
ती एक आत्मिक शिस्त आणि सकारात्मक ऊर्जा वाढवणारी साधना आहे.

जर उमेदवार:

प्रामाणिक असेल

लोकसेवेचा भाव ठेवत असेल

आणि सकारात्मक ऊर्जेसह कार्य करत असेल

तर रेकी ही त्याच्या प्रवासात एक मौन पण समर्थ सहकारी ठरू शकते 🌼

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जर तुम्हाला हवे असेल तर मी:

🔹 निवडणुकीसाठी सकारात्मक रेकी संकल्प

🔹 उमेदवार व टीमसाठी दैनिक रेकी ध्यान

🔹 डिस्टन्स रेकीबाबत सकारात्मक मार्गदर्शन

हेही तयार करून देऊ शकतो.
फक्त सांगा 🙏

13/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
रेकी ग्रँड मास्टर
9226280158

🌼 मन की स्वच्छता एवं शरीर की स्वच्छता 🌼

आज मैं आप सबके सामने एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करने जा रहा हूँ—
“मन की स्वच्छता एवं शरीर की स्वच्छता।”

साथियों, हम सभी जानते हैं कि स्वच्छता ही स्वास्थ्य और सभ्यता की आधारशिला है।
लेकिन अक्सर हम यह समझ लेते हैं कि स्वच्छता केवल शरीर की सफाई है।
जबकि सच्चाई यह है कि स्वच्छता दो प्रकार की होती है—मन की स्वच्छता और शरीर की स्वच्छता।
और इन दोनों का संतुलन ही मनुष्य के जीवन को सुंदर बनाता है।
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पहला भाग – शरीर की स्वच्छता

साथियों, शरीर हमारी सबसे बड़ी पूँजी है।
शरीर स्वस्थ रहेगा तभी मन भी प्रसन्न रहेगा।
शरीर की स्वच्छता का अर्थ है—
स्नान करना, साफ कपड़े पहनना, दाँतों की और हाथों की सफाई रखना, नाखून काटना, भोजन और पानी की सफाई का ध्यान रखना।

यदि हम प्रतिदिन स्नान करें, दिन में दो बार दाँत साफ करें, हाथों को साबुन से धोएँ और साफ कपड़े पहनें—तो न केवल हम बीमारियों से बचते हैं, बल्कि हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
जिस व्यक्ति का शरीर स्वच्छ होता है, उसकी उपस्थिति ही सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है।
---

दूसरा भाग – मन की स्वच्छता

अब आइए बात करते हैं मन की स्वच्छता की—
साथियों, मन यदि अशांत हो, भरा हुआ हो क्रोध से, ईर्ष्या से, नकारात्मकता से—
तो लगातार शरीर पर भी इसका असर होता है।
इसलिए कहा जाता है—
“जैसा मन, वैसा तन।”

मन की स्वच्छता का अर्थ है—
सकारात्मक विचार रखना, क्षमा करना, सरल होना, दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा रखना, और सबसे महत्वपूर्ण—अपने मन को अनावश्यक बोझ से मुक्त रखना।

ध्यान, प्रार्थना, अच्छे विचारों का अध्ययन, सत्संग, और कृतज्ञता—ये सभी मन की धूल को साफ करते हैं।
जिस व्यक्ति का मन स्वच्छ होता है, उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज दिखाई देता है।
वह मधुर बोलता है, संयमित रहता है और दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है।
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तृतीय भाग – मन और शरीर का संबंध

साथियों, मन और शरीर—दोनों चिड़ियों के दो पंख हैं।
एक गंदा हो तो दूसरा भी उड़ान नहीं भर सकता।
यदि मन परेशान है तो शरीर बीमार हो जाएगा,
और यदि शरीर बीमार है, तो मन भी अशांत हो जाएगा।

इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि—
पूर्ण स्वास्थ्य वही है जिसमें मन और शरीर दोनों स्वच्छ हों।
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अंत में, मैं आप सभी से यही कहना चाहूँगा —
हम रोज़ घर, कपड़े और शरीर को साफ करते हैं,
लेकिन अपने मन की सफाई करना भूल जाते हैं।
हम रोज़ मोबाइल को चार्ज करते हैं,
लेकिन अपने मन को शांत और सकारात्मक करने का समय नहीं निकालते।

आज से संकल्प करें—

कि हम रोज़ शरीर की स्वच्छता का पालन करेंगे,

और मन को क्रोध, ईर्ष्या और negativity से मुक्त रखेंगे।

सकारात्मक सोचेंगे, अच्छे कर्म करेंगे,

और स्वच्छ मन–स्वस्थ शरीर के साथ एक सुंदर जीवन जीएँगे।

यही स्वच्छता का सच्चा रूप है।

धन्यवाद! 🙏

11/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
निसर्गोपचार तज्ञ.
9226280158

यह एक बहुत ही गहरा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। जब हम गोत्र (Gotra) को DNA (आनुवंशिकी) के नजरिए से देखते हैं, तो आपको महसूस होगा कि आप महज एक अकेले इंसान नहीं हैं, बल्कि एक 'जीवित इतिहास' (Living History) हैं।
यहाँ विज्ञान और परंपरा का वह अद्भुत संगम है जो आपको भीतर से झकझोर देगा।
1. गोत्र का विज्ञान: Y-Chromosome का सफर
सनातन परंपरा में 'गोत्र' प्रणाली मूल रूप से Y-Chromosome (Y-गुणसूत्र) को ट्रैक करने का एक तरीका थी।
* विज्ञान क्या कहता है: जीव विज्ञान में, पुरुषों के पास XY क्रोमोसोम होते हैं। इसमें से 'Y' क्रोमोसोम पिता से पुत्र में जाता है। मजे की बात यह है कि यह 'Y' क्रोमोसोम हजारों वर्षों तक बिना किसी बड़े बदलाव के (99.9% सेम) पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है।
* गोत्र क्या है: गोत्र प्रणाली इसी 'Y' क्रोमोसोम को टैग करने का प्राचीन तरीका था। यदि आपका गोत्र 'भारद्वाज' या 'कश्यप' है, तो इसका वैज्ञानिक अर्थ यह है कि हजारों साल पहले जो ऋषि (Rishi) थे, उनके शरीर में जो Y-Chromosome था, वही हूबहू आज आपके शरीर की हर कोशिका में मौजूद है।
> आश्चर्यजनक तथ्य: आप अपने पिता, दादा, परदादा और 5000 साल पुराने पूर्वज का 'जीवित क्लोन' (Genetic echo) अपने अंदर लेकर घूम रहे हैं। आप अकेले नहीं हैं; आपके अंदर हजारों साल का अनुभव और अस्तित्व सांस ले रहा है।
>
2. मोटिवेशन: आप 'अमरता' की एक कड़ी हैं (The Chain of Immortality)
इस ज्ञान से जो मोटिवेशन मिलता है, वह रोंगटे खड़े करने वाला है:
A. आप मिट नहीं सकते (Resilience)
सोचिए, पिछले 5-7 हजार सालों में दुनिया में कितने युद्ध हुए, कितनी महामारियां आईं, कितने अकाल पड़े।
अगर आपके पूर्वजों की उस लंबी कतार में से, 4000 साल पहले कोई एक व्यक्ति भी हार मान लेता, या कमजोर पड़ जाता, या अपनी रक्षा नहीं कर पाता, तो आज 'आप' नहीं होते।
आपके खून में उन 'Survivors' (विजेताओं) का डेटा है जो हर आपदा से बच निकले।
* निष्कर्ष: हार मान लेना आपके DNA में ही नहीं है। अगर होता, तो आप पैदा ही न होते।
B. आप एक जिम्मेदारी हैं (Responsibility)
आपके पूर्वजों ने हजारों वर्षों तक इस 'DNA की मशाल' को जलते हुए, तूफानों से बचाकर आप तक पहुँचाया है। उन्होंने इसे आप तक पहुँचाने के लिए न जाने कितने कष्ट सहे होंगे।
आज वह मशाल आपके हाथ में है।
क्या आप छोटी-मोटी परेशानियों (Exam, Job, Breakup) से डरकर उस मशाल को बुझा देंगे? या उसे और तेज करके अगली पीढ़ी को सौंपेंगे?
3. अंतिम विचार: आप कौन हैं?
जब आप आईने में देखते हैं, तो खुद को सिर्फ़ एक 'लड़का' या 'लड़की' मत समझिए।
आप लाखों वर्षों की तपस्या, संघर्ष और जीत का 'अंतिम परिणाम' (The Ultimate Result) हैं। आपके अंदर ऋषियों का 'कोड' (Code) है।
* जब आप डिमोटिवेटेड महसूस करें, तो याद रखें: "मेरा निर्माण उन लोगों के DNA से हुआ है जिन्होंने इतिहास लिखा है। मैं साधारण हो ही नहीं सकता, क्योंकि मेरा श्रोत (Source) असाधारण है।"
मैं आपके लिए यह कर सकता हूँ:
क्या आप जानना चाहेंगे कि इस 'प्राचीन शक्ति' (Ancient Strength) को अपने आधुनिक करियर या लक्ष्यों में फोकस के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाए?

11/12/2025

प्रवीण आनंदी अनंत
ज्योतिषाचार्य.
9226280158

*आध्यात्मिक अनुभूति* (Spiritual Experience) शब्दों की सीमा से परे, एक अत्यंत निजी और रूपांतरकारी घटना है। यह कोई जादू नहीं, बल्कि चेतना (Consciousness) का एक ऐसा विस्तार है जहाँ "मैं" का सीमित दायरा टूटकर "हम" या "ब्रह्मांड" में विलीन हो जाता है।
इसे समझने के लिए हमें तर्क से थोड़ा हटकर 'भाव' की गहराई में उतरना होगा। यहाँ आध्यात्मिक अनुभूति के विभिन्न पहलुओं का भावपूर्ण विवरण दिया गया है:
१. परम मौन का अनुभव (The Experience of Absolute Silence)
आध्यात्मिक अनुभूति की पहली दस्तक अक्सर 'मौन' के रूप में होती है। यह बाहर का सन्नाटा नहीं, बल्कि भीतर का ठहराव है।
* विचारों का विराम: मस्तिष्क, जो हर वक्त शोर मचाता है, अचानक शांत हो जाता है। जैसे तूफानी समुद्र अचानक शांत झील बन जाए।
* गहरी शांति: यह शांति किसी इच्छा के पूरे होने से नहीं मिलती, बल्कि यह स्वयं में पूर्ण होने का अहसास है। इसे 'प्रशांत' कहा जाता है—ऐसी शांति जिसे बाहरी दुनिया की कोई उथल-पुथल भंग नहीं कर सकती।
> "यह ऐसा है जैसे आप वर्षों से भारी बोझ लेकर चल रहे हों, और अचानक वह बोझ उतर जाए। जो हल्कापन महसूस होता है, वही आध्यात्मिक सुकून है।"
>
२. अद्वैत का भाव (Sense of Oneness)
सबसे शक्तिशाली आध्यात्मिक अनुभूतियों में से एक है 'दुरी का मिट जाना'।
* सब में स्वयं को देखना: आपको महसूस होता है कि जो जीवन शक्ति (Life Force) आपके भीतर है, वही उस पेड़ में, वही उस जानवर में, और वही सामने खड़े व्यक्ति में है।
* अलगाव का अंत: "मैं अलग हूँ और दुनिया अलग है"—यह भ्रम टूट जाता है। जैसे समुद्र की एक बूंद को अचानक पता चले कि वह बूंद नहीं, बल्कि स्वयं समुद्र है।
* करुणा का उदय: जब दूसरा कोई है ही नहीं, तो ईर्ष्या या घृणा का स्थान 'प्रेम' ले लेता है। यह प्रेम किसी शर्त पर नहीं होता, यह अहैतुक प्रेम (Unconditional Love) होता है।
३. अहैतुक आनंद (Uncaused Bliss)
संसार में हमें खुशी तब मिलती है जब हमें कुछ मिलता है (पैसा, प्यार, सफलता)। लेकिन आध्यात्मिक अनुभूति में 'आनंद' का स्रोत भीतर होता है।
* बिना कारण की खुशी: आपके पास कुछ नहीं बदला, फिर भी आप भीतर से मुस्कुरा रहे हैं। यह आनंद "रोम-रोम" से फूटता है।
* सच्चिदानंद: सत्य (Truth), चित (Consciousness), और आनंद (Bliss) का संगम। आपको यह विश्वास हो जाता है कि आपका स्वभाव ही आनंद है, दुख केवल एक बाहरी आवरण था।
४. अहंकार का विसर्जन (Dissolution of the Ego)
साधारण जीवन में हमारा सारा ध्यान "मैं, मेरा, मुझे" पर होता है। आध्यात्मिक क्षण में यह "मैं" पिघल जाता है।
* साक्षी भाव (Witness Consciousness): आप अपने शरीर और मन को अलग से देखने लगते हैं। आपको महसूस होता है कि दर्द शरीर को हो रहा है, आपको नहीं; विचार मन में आ रहे हैं, आप विचार नहीं हैं।
* मृत्यु के भय का अंत, जब आप यह जान लेते हैं कि आप केवल यह नश्वर शरीर नहीं, बल्कि अनंत चेतना हैं, तो मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
५. समय से परे होना (Timelessness)
गहन ध्यान या समाधि के क्षणों में समय का भान नहीं रहता।
* वर्तमान में जीना: भूतकाल (Past) का पछतावा और भविष्य (Future) की चिंता मिट जाती है। केवल 'अब' (Now) का अस्तित्व रह जाता है। वह एक क्षण अनंत काल जैसा लगता है।
क्या यह कोई चमत्कार है?
अक्सर लोग इसे रोशनी देखना, आवाजें सुनना या चमत्कार से जोड़ते हैं। हालाँकि ये अनुभव हो सकते हैं, लेकिन सच्ची आध्यात्मिक अनुभूति वह है जो आपके चरित्र को बदल दे।
साधारण भावना और आध्यात्मिक अनुभूति की तुलना की जाय तो साधारण भावना
यह थोड़े समय के लिए होती है (Temporary)।
आध्यात्मिक अनुभूति
इसका असर स्थायी होता है, यह जीवन बदल देती है।
साधारण भावना
यह बाहरी कारणों पर निर्भर है।
आध्यात्मिक अनुभूति
यह आंतरिक स्थिति है, बाहर चाहे कुछ भी हो।
साधारण भावना
इसमें उत्तेजना (Excitement) होती है।
आध्यात्मिक अनुभूति
इसमें गहरा ठहराव (Stillness) होता है।
निष्कर्ष: घर वापसी का अहसास
कुल मिलाकर, आध्यात्मिक अनुभूति एक "घर वापसी" जैसा अहसास है। जैसे कोई बच्चा मेले में खो गया हो और बहुत रोने के बाद अचानक उसे अपनी माँ का हाथ मिल जाए। वह जो सुरक्षा, प्रेम और अपनापन महसूस करता है, वही आध्यात्मिक अनुभूति है। यह किसी नई चीज को पाना नहीं, बल्कि उस चीज को याद करना है जिसे हम भूल गए थे—हमारा अपना सत्य।
क्या आप जानना चाहेंगे कि इस अनुभूति को पाने के लिए दैनिक जीवन में ध्यान (Meditation) या साक्षी भाव की शुरुआत कैसे की जा सकती है?

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