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LIVE CARE WITH OM "LIVE CARE WITH OM" Increasing blood flow through massage has a great effect on the thyroid via the

27/08/2024

*किसे कभी गर्म पानी नहीं पीना चाहिए?*
निम्नलिखित स्थितियों, स्थितियों एवं विकारों की स्थिति में गर्म पानी न पियें-->
- जब आसपास का वातावरण गर्म हो
- प्लूरिसी (फेफड़ों में घाव) होने पर।
-जब व्यक्ति दुर्बल हो
- मुंह, नाक, कान, गुदा, मूत्रमार्ग या मूत्रमार्ग से रक्तस्राव
- शरीर से खून निकलने के बाद
- दुर्बल होने पर, कमज़ोर
-जब शरीर दुबला हो
- क्रोधित होते हुए
- शरीर में सूजन होने पर
-चक्कर आने पर
- जब आपको लगे कि आप पवित्रता खो रहे हैं
- अगर आप माइग्रेन से पीड़ित हैं
- जब सीने और पेट में जलन हो
- जब मुंह में खट्टा-कड़वा पित्त हो
- पित्त की उल्टी के दौरान
- पित्त (गर्मी) के कारण होने वाले बुखार में।
- जब पित्त के कारण सिर उठा हुआ हो
- गर्मी (मई में गर्मी) और शरद ऋतु (अक्टूबर में गर्मी) के गर्म मौसम के दौरान...
...गर्म पानी न पियें।

Hema Malini did Yoga on International Yoga Day. LIVE CARE WITH OM
25/06/2024

Hema Malini did Yoga on International Yoga Day.
LIVE CARE WITH OM


02/05/2024

#कार्डियक_अरेस्ट... हार्ट अटैक नहीं होता बल्कि हार्ट अटैक से कई गुना भयावह होता है। इसमे आदमी तत्काल मर जाता है। नीचे गिरा और खत्म। गिरने के बाद एक सेकंड में दवाई सुई दे दो सब बेअसर।
अभी जितने भी ऐसे कैसे आ रहे हैं वह सब कार्डियक अरेस्ट के ही हैं।
होता यह है कि हार्ट अटैक में धड़कन बंद होने में थोड़ा समय लगता है जबकि कार्डियक अरेस्ट में धड़कन अचानक बंद ही हो जाता है।
एक सेकंड में धड़कन बंद होगा और दूसरे सेकंड में दिमाग तक खून जाने की प्रक्रिया बंद हो जाती है और आदमी धड़ाम से गिर पड़ता है। धड़कन बन्द ही हो गयी तो अब कुछ भी करने से चालू नहीं होता।
सारा खेल तो इस कहानी पर है कि पूरे दुनिया में हार्ट अटैक और कार्डियक की बीमारी से जूझने वाले 60% लोग सिर्फ भारत में है।
60% लोग अगर भारत में है तो इसका मतलब है कि बाकी दुनिया के लोग जिस तरह का खान-पान खा रहे हैं हम लोग उससे बहुत ही निकृष्ट खान-पान का सेवन कर रहे हैं। पूरी दुनिया जानती है कि हम लोग सबसे ज्यादा चटोर हैं और सबसे ज्यादा मसाले का सेवन करते हैं।। आपके सामने एवरेस्ट और MDH के मसाले का सच भी सामने आ गया है जिसमें सबसे ज्यादा पेस्टिसाइड भरा हुआ था।
मैंने पहले भी चेताया था कि एल्युमिनियम के बर्तन
और, polytetrafluoro ethylene से कोटिंग किए गए नॉन स्टिक बर्तन,
कई तरह के जहरीले एसिड से साफ किए गए रिफाइंड ऑयल,
साथ में 30-32 जहरीले केमिकल से गुजरने के बाद बने चीनी,
मार्बल पाउडर से चमकाये गए चावल और दाल,
पेस्टिसाइड से सींचे गए अनाज... ,
दूध के नाम पर जहरीले पाउडर,
ये सब असल कारण है वरना आप सोचिए... आप जानबूझकर थोड़े ही कुछ गलत चीज बना रहे हैं ?
आपके घर में आपकी पत्नी कुकर में ही खाना बनाती है क्योंकि वह खुले देगची में बनाने के लिए उतनी देर खड़ा नहीं रहना चाहती और आपको भी इतनी जल्दी मची रहती है कि इंतजार नहीं करना चाहते।
आप चीनी की जगह गुड़,मिश्री, देशी खांड को बकवास समझते हैं। समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक प्रयोग ही नहीं करना चाहते। रिफाइंड की जगह सरसों तेल या घी लाना ही नहीं चाहते।
अब इतने तरह के खतरनाक एसिड को आप प्रतिदिन सुबह शाम कंज्यूम कर रहे हो तो कार्डियक अरेस्ट तो आएगा ही।
जो भी अपने स्वास्थ्य का थोड़ा बहुत भी चिंता करते हैं वह इन सब चीजों को ध्यान दें और साथ में 10 से 15 मिनट का अनुलोम विलोम कर लें तो मुझे पूरी उम्मीद है कि कार्डियक अरेस्ट से जरूर बच सकते हैं। LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM Jaipur, Rajasthan

अब तो समझ मे आ गया क्यो घर का बना हुआ ही खाना चाहिए। मुझे मालूम है इस खबर को पढने के बाद भी  खाना नही बाजार में ही खायेग...
22/04/2024

अब तो समझ मे आ गया क्यो घर का बना हुआ ही खाना चाहिए।
मुझे मालूम है इस खबर को पढने के बाद भी खाना नही बाजार में ही खायेगे। LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM Jaipur, Rajasthan जयपुर

ब्रह्मचर्य क्यो जरूरी है?हमारे शास्त्र में कहा गया है कि अगर आपके मन में संभोग का विचार भी आता है तो आप ब्रह्मचर्य पालन ...
21/04/2024

ब्रह्मचर्य क्यो जरूरी है?
हमारे शास्त्र में कहा गया है कि अगर आपके मन में संभोग का विचार भी आता है तो आप ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर रहे है| LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM Jaipur, Rajasthan जयपुर

हम पढे-लिखे बेवकूफ*अपनी संस्कृति अपनी विरासत*   *आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है ...
04/04/2024

हम पढे-लिखे बेवकूफ
*अपनी संस्कृति अपनी विरासत*

*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : *

*खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*

*(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

*(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।*

*(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।*

*(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।*

*(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।*

*(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।*

*(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है |*

*(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।*

*बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ*

*(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

*(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।*

*(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।*

*(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।*

*(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।*

*(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।*

*(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।*

*(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।*
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होली पर जरूर रखें, यह 10 सावधानियांहोली का त्योहार यानि रंगों की मस्ती में डूबने का अवसर। वैसे तो होली पर मस्ती की कोई स...
23/03/2024

होली पर जरूर रखें, यह 10 सावधानियां

होली का त्योहार यानि रंगों की मस्ती में डूबने का अवसर। वैसे तो होली पर मस्ती की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन स्वास्थ्य और सौंदर्य से जुड़ी कुछ सावधानियां रखना जरूरी होता है। होली पर इन 5 बातों का रखें विशेष ध्यान, ताकि होली के रंग में कहीं न पड़े भंग -

1 त्वचा की सुरक्षा के लिए विशेष देखभाल आवश्यक है। जब भी होली खेलने निकलें, उससे पहले त्वचा पर कोई तैलीय क्रीम या फिर तेल, घी या फिर मलाई लगाकर निकलें, ताकि त्वचा पर रंगों का विपरीत असर न पड़े।

2 बालों को रंग से बचाने का पूरा प्रयास करें। रंग आपके बालों को रूखा, बेजान और कमजोर बना सकते हैं। इनसे आपके बालों का पोषण भी छिन सकता है।

3 यदि होली खेलते समय आंखों में रंग चला जाए तो तुरंत आंखों को साफ पानी से धोएं। यदि आंखें धोने के बाद भी तेज जलन हो, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं।

4 आंखों पर गलती से गुब्बारा लग जाए या खून निकल आए तो पहले सूती कपड़े से आंखों को ढंकें या फोहा लगाएं। इसके बाद डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

5 बाजार के हरे रंग से होली खेलते समय ध्यान रखें, इसमें कॉपर सल्फेट पाया है, जो आंखों में एलर्जी, सूजन अंधापन जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें।

6 सिल्वर चमकीले रंग का इस्तेमाल न करें। इसमें एल्युमीनियम ब्रोमाइड होता है, जो त्वचा के कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकता है। वहीं काले रंग में उपस्थि‍त लेड ऑक्साइड किडनी को बुरी तरह प्रभावित करता है।

7 होली खेलें लेकिन पूरे होश में खेलें। अधि‍क नशा करना आपके स्वास्थ्य को तो प्रभावित करता ही है, कई बार अनहोनी घटनाओं का कारण भी बनता है। होली सुरक्षि‍त तरीके से खेलें।

8 बाजार की मिठाईयों का सेवन करने से बचें। इनमें मिलावट हो सकती है, जो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। घर पर बने व्यंजनों का भरपूर मजा लें, क्योंकि वे शुद्धता के साथ बनाए जाते हैं।

9 होली की मस्ती में कई बार लड़ाई-झगड़े भी हो जाते हैं, लेकिन यह भाई-चारे का पर्व है भूलें नहीं। आपसी भाईचारा बनाए रखें और मिलजुलकर खूबसूरत रंगों के साथ होली मनाएं।

10 कोशि‍श करें कि हर्बल रंगों का ही प्रयोग करें। इन रंगों का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता और इन्हें आसानी से घर पर बनाया भी जा सकता है। वैसे बाजार में भी हर्बल रंग उपलब्ध हैं।

21/02/2024

*कैंसर से लड़ने के लिए क्या करें*
रक्त की अम्लता को कम करने और यकृत को सामान्य रूप से कार्य करने के लिए, रोगियों को जितना संभव हो सके क्षारीय खाद्य पदार्थ खाने होंगे, यानी सभी प्रकार के फल और जड़ें, सब्जी सूप इत्यादि। यकृत की स्थिति के आधार पर मरीजों को पर्याप्त मात्रा में दूध का सेवन भी करना होगा. यदि लीवर खराब हो तो रोगी को गाय के दूध के स्थान पर नारियल का दूध, मूंगफली का दूध या दही-पानी पीना चाहिए। शाम का खाना 8 बजे से पहले ख़त्म कर लेना चाहिए. इसके अलावा रोगी को प्रत्येक मुख्य भोजन के बाद लगभग एक घंटे तक दाहिनी नासिका से सांस को बहने देना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन लगभग ढाई सेर पानी पीना चाहिए लेकिन एक बार में आठवें सेर से अधिक नहीं पीना चाहिए। अनानास, जैम, केला, सभी प्रकार के खट्टे फल और टमाटर इस रोग में भोजन और औषधि दोनों हैं। स्रोत:
*प्रकाशित: यौगिक उपचार और प्राकृतिक उपचार*
रिलीज़: इलेक्ट्रॉनिक संस्करण संस्करण 9.0.19

12/02/2024

दादी नानी की व्यायामशाला
हाथ की चक्की का महत्त्व
- आज मशीनीकरण ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है।
- सुबह सुबह योग करते हुए हम आटा चक्की चलाने की सिर्फ एक्टिंग करते है और पेट , कमर की चर्बी कम होती है. दिल स्वस्थ रहता है.
- क्या ही अच्छा हो अगर ये एक्टिंग ना हो कर असली चक्की हो तो उस कसरत से हमें ताज़ा आटा भी मिल जाएगा !
- पहले गांवों में विवाह-शादी के दौरान भी आस-पास के घरों में एक-एक मण गेहूं पीसने के लिए दे दिया जाता था.
- कभी पूरे परिवार का आटा पीसने वाली चक्की अब कुछेक घर में महज शो पीस व सिर्फ मसाला आदि पीसने के काम आ रही है.
- कई घरों में तो हाथ की चक्की है ही नहीं.तो आज ही ले आइये. खादी ग्रामोद्योग में यह मिल सकती है . इससे चक्की बनाने वालों को रोज़गार मिलेगा.
- चक्की लेते वक़्त ज़्यादा मोल भाव ना करे. गरीब व्यक्ति को दान योग्य दान है जिसका लाभ मिलेगा.
- महिलाओं द्वारा आटा पीसने से शारीरिक कसरत भी जबरदस्त होती थी, जिससे पुराने जमाने की महिलाओं का स्वास्थ्य बनिस्बत आधुनिक महिलाओं की तुलना में बेहरत है. आज विशेष तौर से नई पीढ़ी की अधिकांश महिलाएं कुंठा, तनाव सहित पेट की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है.इसका मुख्य कारण उनकी दिनचर्या अव्यवस्थित होना व शारीरिक श्रम नहीं होना है.
- पुरुष भी अगर बढे हुए पेट को कम करना चाहते है तो हाथ की चक्की पर रोज़ थोड़ा आटा पिसे.
- ताजे पिसे हुए आटे में स्वास्थ्य से जुड़े फायदे तो मिलते ही हैं, इसका स्वाद व सुंगध भी बरकरार रहते हैं.
- शुद्धता के मामले में घरेलू आटा चक्की का आटा शत प्रतिशत खरा होता है।
- इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी सभी आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। वैसे शरीर को अपना काम करने के लिए 49 पोषक तत्वों की रोजाना आवश्यकता होती है।
सबसे बड़ी बात यह कि जब जरूरत हो तब आटा पीस लें।
- सबसे बड़ा फायदा यह कि फसल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज खरीद लें, जो सस्ता भी पड़ेगा और पूरे साल शुद्ध ताजे आटे की रोटियां का मजा लेंगे।
- हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है.
- ताजा आटा विटामिन बी और विटामिन ई से भरपूर होता है।
- घर पर पिसे आटे की रोटियों का आनंद ही कुछ और होता है। इससे परिवार की सेहत के साथ-साथ आत्मसंतुष्टि भी प्राप्त हो रही है.
- मशीन चक्की से अनाज का हीर हट जाता है अर्थात उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है।, जिससे आज की तमाम युवा पीढ़ी कमजोर होती जा रही है.

आधुनिकता के भरोसे हम स्वास्थ्य की नुकसान कर बैठते है।  #हीटर    #अंगीठी      LIVE CARE WITH OM LIVE CARE WITH OM        ...
08/01/2024

आधुनिकता के भरोसे हम स्वास्थ्य की नुकसान कर बैठते है।
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