Natural World Health-care

Natural World Health-care Desi cow milk and panchgavya products

12/05/2023
12/05/2023

कोकणाचा कॅलिफोर्निया करायला अनेकजण येतायत, येत राहिले पण त्यांनी आपल्याला फक्त विनाशकारी प्रकल्प दिले. आमच्या शेतीला, आंबा, काजू, सुपारी, मासेमारी आमच्या येथील समुद्र पर्यटन, निसर्ग पर्यटन टिकून राहावं यासाठी आणि याला धरुन असलेले व्यवसाय रोजगार आम्हांला उपलब्ध करुन द्या, तो आमचा शाश्वत विकास होईल. तो खरा कॅलिफोर्निया होईल. आमचा विरोध विकासाला नाही तर विनाशकारी प्रकल्पाला आहे. आम्हांला हवाय तो शाश्वत विकास..
©•••• Sachin Bhosale
🌴 #राजापूर #कोकण #राजापूरकर #गावं_वाचवा िद्द_रिफायनरी_रद्द #एकचजिद्दरिफायनरीरद्द

दसरा
05/10/2022

दसरा

12/04/2022

लक्ष्मी गिर गौशालाSatish Mohan Khaire (Mobile No. 99605 71038)कामधेनु भारत द्वारा प्रस्तुत Presented by Kamdhenu BharatWebsite : www.kamdhenubharat.orgEmail ...

14/11/2021
02/06/2021

"गन्ने को चूस कर खाने के गुण आयुर्वेदानुसार"
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गांव और छोटे कस्बों में रहने वालों को गन्ने को चूसकर खाने का सौभाग्य सहर्ष ही प्राप्त हो जाता था,लेकिन गांवों के तेजी से शहरीकरण होने से गन्ना खाने की यह कला तीव्र गति से समाप्त हो रही है।

गन्ना चूसने की कला विलुप्त होने के कारण
1. शहरीकरण होने से भारतीय/आयुर्वेदिक जीवन शैली का लोप होना
2. आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के मानकों पर तेजी से परिवर्तित करके उसके मौलिक स्वरूप को बिगाड़ना
3. टूथपेस्ट से कमजोर हुए दांत और मसूड़े
4. अच्छे औषधि युक्त मंजनों का अभाव,उपलब्धता और प्रचार

जीवन के लगभग सभी छोटे बड़े बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए हमारे ऋषियों ने आयुर्वेद ग्रंथों में सभी को लिपिबद्ध भी किया है।

आइए गन्ना चूसकर खाने की इस शैली को आयुर्वेद की भाषा में समझें

"अविदाहि कफकरो वातपित्तनिवारण:।
वक्रप्रसादनो वृष्यो दंतनिष्पीडितो रस:।।"
सुश्रुत संहिता सूत्रस्थान इक्षुवर्ग
अर्थात गन्ने को दांतो से चूसकर निकाला हुआ रस अविदाहि(जो दाह/गर्मी पैदा ना करे) है

कफकारक अर्थात कफ रूपी शक्ति को बढ़ाने वाला है
कफकारक होने के कारण बच्चों के लिए अत्यंत गुणकारी है
कफकारक होने के कारण हाइट-वेट बढ़ाने वाला है

वात(वायु),पित्त को शांत करने वाला है
वायुनाशक होने के कारण बड़े-बूढ़ों को भी अत्यंत प्रिय है क्योंकि उनकी वायु से उपजे शारीरिक दर्दों(घुटने,कमर या अन्य कोई) को हरने वाला है

पित्त नाशक होने के कारण युवाओं का भी चहेता है,शरीर की गर्मी को कम करने वाला,पित्त जनित एसिडिटी को शांत करने वाला है

वक्रप्रसादनो ( मुख को प्रसन्न करने वाला है)
वृष्य शरीर को भरनेवाला और शक्तिशाली बनाने वाला है

इसलिए शीत ऋतु की मधुर बेला में सम्पूर्ण परिवार को पोषण देने वाले गन्ने को दंतनिष्पीढ़ित(दांतो से चूसकर) करके अवश्य खाएं

सावधान: आयुर्वेद की यह जानकारी ऋषियों ने प्राकृतिक रूप से उपजाए सिर्फ देसी गन्ने के बारे में लिखी है।
केमिकल/जहरीले पेस्टिसाइड्स ,यूरिया,डी ए पी,हाइब्रिड बीज से उपजाए गन्ने को खाने के दुष्प्रभावों के लिए खाने वाला स्वयं जिम्मेदार होगा अतः यह लेख/जानकारी उनके लिए कतई नही है।
👹टूथपेस्ट से कमजोर हुए दांत टूटने और मसूड़ों से खून निकलने का जोखिम होने की प्रबल संभावना है

आप,आपके बच्चे,बुजुर्ग माता-पिता गन्ने को चूसकर खाने के लाभ उठा सकें इसलिए आज से ही दंतधावन(उंगली द्वारा मंजन से दांत और मसूड़ों की मालिश) किसी अच्छे मंजन से अवश्य ही करना शुरू करें।

धन्यवाद
आपके स्वास्थ्य का शुभचिंतक
विशाल गुप्ता

23/02/2021

#जामुन_की_लकड़ी_का_महत्त्व
अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल या हरी काई नहीं जमती और पानी सड़ता नहीं । टंकी को लम्बे समय तक साफ़ नहीं करना पड़ता ।

जामुन की एक खासियत है कि इसकी लकड़ी पानी में काफी समय तक सड़ता नही है।जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।नाव का निचला सतह जो हमेशा पानी में रहता है वह जामून की लकड़ी होती है।

गांव देहात में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है। आजकल लोग जामुन का उपयोग घर बनाने में भी करने लगे है।
जामून के छाल का उपयोग श्वसन गलादर्द रक्तशुद्धि और अल्सर में किया जाता है।

दिल्ली के महरौली स्थित निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में जीर्णोद्धार हुआ है । 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ पानी के सोते बंद नहीं हुए हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।

इस बावड़ी में भी जामुन की लकड़ी इस्तेमाल की गई थी जो 700 साल बाद भी नहीं गली है। बावड़ी की सफाई करते समय बारीक से बारीक बातों का भी खयाल रखा गया। यहाँ तक कि सफाई के लिए पानी निकालते समय इस बात का खास खयाल रखा गया कि इसकी एक भी मछली न मरे। इस बावड़ी में 10 किलो से अधिक वजनी मछलियाँ भी मौजूद हैं।

इन सोतों का पानी अब भी काफी मीठा और शुद्ध है। इतना कि इसके संरक्षण के कार्य से जुड़े रतीश नंदा का कहना है कि इन सोतों का पानी आज भी इतना शुद्ध है कि इसे आप सीधे पी सकते हैं। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि पेट के कई रोगों में यह पानी फायदा करता है।

पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे "घट' या "घराट' कहते हैं।घराट की गूलों से सिंचाई का कार्य भी होता है। यह एक प्रदूषण से रहित परम्परागत प्रौद्यौगिकी है। इसे जल संसाधन का एक प्राचीन एवं समुन्नत उपयोग कहा जा सकता है। आजकल बिजली या डीजल से चलने वाली चक्कियों के कारण कई घराट बंद हो गए हैं और कुछ बंद होने के कगार पर हैं।

पनचक्कियाँ प्राय: हमेशा बहते रहने वाली नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो जाता है। इस प्रवाह के नीचे पंखेदार चक्र (फितौड़ा) रखकर उसके ऊपर चक्की के दो पाट रखे जाते हैं। निचला चक्का भारी एवं स्थिर होता है। पंखे के चक्र का बीच का ऊपर उठा नुकीला भाग (बी) ऊपरी चक्के के खांचे में निहित लोहे की खपच्ची (क्वेलार) में फँसाया जाता है। पानी के वेग से ज्यों ही पंखेदार चक्र घूमने लगता है, चक्की का ऊपरी चक्का घूमने लगता है।पनाले में प्रायः जामुन की लकड़ी का भी इस्तेमाल होता है |फितौडा भी जामुन की लकड़ी से बनाया जाता है ।

जामुन की लकड़ी एक अच्छी दातुन है।

जलसुंघा ( ऐसे विशिष्ट प्रतिभा संपन्न व्यक्ति जो भूमिगत जल के स्त्रोत का पता लगाते है ) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते ।

साभार : महालक्ष्मी शर्मा

15/12/2020

हृदयाघात ( हार्ट – अटैक ) का अचूक उपाय

एक चुटकी दालचीनी के चूर्ण को एक कप दूध में समभाग पानी मिलाकर तब तक उबालें, जब तक पानी वाष्पीभूत न हो जाए | फिर मिश्री मिलाकर पी लें, इससे हृदयाघात ( हार्ट – अटैक ) से सुरक्षा होगी और नाड़ियों के अवरोध ( ब्लॉकेज ) भी खुल जायेंगे |

स्त्रोत – ऋषिप्रसाद पत्रिका

08/12/2020

तुलसी के बीज का चमत्कार

तुलसी के बीज पीसकर रखो । एक चुटकी बीज रात को भिगा दो । सुबह खा लो । इससे ....
पेट की तकलीफ़ भागेगी|
यादशक्ति बढेगी ।
बुढ़ापे की कमजोरी से बचोगे ।
heart attack नहीं होगा ।
High Blood Pressure भी नहीं होगा ।
- पूज्य बापूजी

07/12/2020
24/11/2020
15/10/2020
11/09/2020

१० सप्टेंबर २०२०
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आयुर्वेद प्रचार,प्रसार लेखमाला
वनस्पती : क्र १०६
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मुलकं अस संस्कृत नाम प्राप्त असे भाजीपैकी एक,मराठीत मुळा असा उल्लेख,आहारात याच्या कच्चा खाल्ल्याने देखील रूचि उत्पन्न होते🍃👍

रस : कटू,विपाक : कटू,वीर्य : उष्ण,गुण : रुक्ष,तीक्ष्ण,लघु दोषघ्नता: कोवळा मुळा-त्रिदोष घ्न तर जुना -त्रिदोष कर🍃👍

पांढरा आणि लाल मुळा असे दोन प्रकार.पांढरा मुळाचा प्रामुख्याने वापर.कोवळा त्रिदोष शामक आहे,तो कच्चा खावा. 🍃👍

तर जून मुळा हा त्रिदोषकर मुळा असल्याने त्याला तेल किंवा तुपाचा संस्कार केल्यावर खावा म्हणजे तो त्रिदोषघ्न🍃👍

मुळा आणि त्याचा पाला यांची एकत्र भाजी करावी तसेच त्याच्या शेंगा(डिंगरी)ची पण भाजी ऋतूमध्ये करावी. डिंगऱ्यांचे गुणधर्म मुळ्याप्रमाणेच आहे🍃👍

मुळा घशाला लाभदायक आणि श्वासात(दमा) उपयोगी आहे तसेच डोळ्यांना हितकारक आहे. दीपन, पाचन असल्याने तोंडाला रुची येते आणि भूक वाढवते🍃👍

खोकला,ताप या विकारात मूग आणि मुळ्याचे कढण करून काळीमिरी,सैंधव घालून द्यावे,लंघन ही तापाची चिकित्सा करतानाची पहिली पायरी,तेव्हा उपयोगी🍃👍

*आजचा श्लोक :*

दह्यन्ते ध्मायमानानां थातूनां हि यथा मलाः।
तथेन्द्रियाणां दह्यन्ते दोषाः प्राणस्य निग्रहात् । ॥. मनुस्मृती

*श्लोक अर्थ :*

ज्याप्रमाणे अग्निमध्ये अतिशय तापविले असता सोने चांदी इ. धातुमधील अशुद्धता नाहिशी होते त्याप्रमाणे प्राण ताब्यात ठेवल्यामुळे,प्राणायामामुळे इंद्रियांचे सर्व
दोष नाहीसे होतात.

*भावार्थ:*

प्राणायाम एक अनौषध चिकित्सा आहे हे निर्विवाद सत्य आहेच,त्यापलीकडे जाऊन आपल्या शरीरातील प्रत्येक अनैच्छिक कार्यात म्हणजे मेंदू, हृदय गती,किडनी सारख्या अवयव याकडे होणारा रस,रक्त यांचा पुरवठा उत्तम राहण्यास याचा खूप मोठा फायदा होतो.आज कोरोणा संकट मध्ये बरेच रुग्ण घरी आल्यानंतर काही ना व्यापदास बळी पडत आहे अशा रुग्णांना योग,प्राणायाम ग्रथित,गुठळी मुळे होणारे पुढील व्यापद टाळण्यासाठी खूप लाभदायी ठरू शकेल.विपरीत करणी सारखे सोपे प्रकार सुद्धा खूप फायदा देऊन जातात

जय आयुर्वेद !

वैद्य कदम राजेंद्र सुधाकर
निर्मल आयुर्वेद देहूरोड
Mob - 9960886432
(सदर लेख लेखकाच्या नावासहीत पुढे पाठवावा.)

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