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10/05/2025
आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी (Shankhpushpi) एक ऐसी जड़ी-बूटी हैं जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियो...
02/05/2025

आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी (Shankhpushpi) एक ऐसी जड़ी-बूटी हैं जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करती हैं। इसमें सफेद या हल्के नीले रंग के फूल पाये जाते हैं।

■ सेहत के लिए वरदान हैं शंखपुष्पी :-

1) इस जड़ी-बूटी को दिमाग और याद्दाश्‍त तेज करने वाला टॉनिक भी कहा जा सकता हैं। ये बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने का काम करती हैं। ये जड़ी-बूटी बढ़ती उम्र में याद्दाश्‍त कमजोर होने से भी रोकती हैं और इसे चिंता एवं डिप्रेशन को कम करने में भी असरकारी पाया गया हैं। इससे अल्‍जाइमर, तनाव, चिंता, डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी कई समस्‍याओं का इलाज किया जा सकता हैं।

2) मूत्र रोग में शंखपुष्पी बहुत लाभकारी औषधि हैं। पेशाब करते समय जलन या दर्द होना, रुक-रुककर पेशाब होना, पेशाब में पस आना आदि रोग इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं। ऐसे रोगों से राहत पाने के लिए प्रतिदिन शंखपुष्पी चूर्ण को गाय के दूध, मक्खन, शहद अथवा छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।

3) शंखपुष्पी के फूलों में एथेनॉलिक अर्क पाया जाता हैं, जो नॉन-एस्ट्रिफाइड फैटी एसिड के लेवल को कम करता हैं। इससे हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉक, ब्लड क्लॉट आदि गंभीर रोगों के जोखिम को कम करने में भी मदद मिलती हैं। यह रक्त को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता हैं।

4) अगर मिर्गी के मरीज को बार-बार दौरा पड़ रहा हैं तो शंखपुष्पी के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से लाभ मिलता हैं।

5) डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए शंखपुष्पी के चूर्ण को सुबह-शाम गाय के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ मिलता हैं।

6) शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने वाली उत्तम औषधि हैं। यदि किसी को खून की उल्टी हो रही हो तो शंखपुष्पी का रस, दूब घास तथा गिलोय का रस मिलाकर पिलाने से तत्काल लाभ होता हैं। नाक से खून बहने पर भी इसकी बूंद नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता हैं।

7) शंखपुष्पी के फूल का इस्तेमाल पीलिया, पेचिश, बवासीर जैसे अन्य पेट से जुड़े विकारों के लिए किया जाता हैं। इसके अलावा शंखपुष्पी का रस चेहरे की झुर्रियां और उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकने में मदद करता हैं।

😎 गर्भाशय से निकलने वाले रक्त को रोकने के लिए यह एक उत्तम और पौष्टिक औषधि हैं। गर्भाशय से संबंधित किसी भी रोग में यह अत्यंत लाभकारी साबित होती हैं। इसके लिए शंखपुष्पी को हरड़, घी, शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए।

9) अक्सर बच्चे रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। इस बीमारी में भी शंखपुष्पी का चूर्ण काम आता हैं। उन बच्चों को रात में सोते समय शंखपुष्पी चूर्ण और काला तिल मिलाकर दूध के साथ सेवन कराने से इस बीमारी से राहत मिलती हैं।

10) मौसम बदलने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि साबित होती हैं। खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ किया जाता हैं।

यह पोस्ट सिर्फ जानकारी हेतु हैं, शंखपुष्पी का सेवन किसी आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही करें। अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो पोस्ट को लाइक करके आशियाना ख्यालों का पेज को फॉलो जरूर करें, धन्यवाद

जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब...
02/05/2025

जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। इसके अलावा हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कॉन्जेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं जबकि बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। हार्ट ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।
कोरोनरी आर्टरीज (धमनी) में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ता है।

ब्लॉक्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और सफेद रक्त सेल्स का मिश्रण होता है, जो धीरे-धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है तो इससे हार्ट ब्लॉक होने लगता है। ब्लॉक का जमाव उसके गाढ़ेपन और उसके तोड़े जाने की प्रवृत्ति (नेचर) के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर यह गाढ़ापन और सख्त होता है तो ऐसे ब्लॉक को स्टेबल कहा जाता है और यदि यह मुलायम होगा तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है और इसे अनस्टेबल ब्लॉक कहा जाता है। यह रोग कफप्रधान वातदोष से होता है।
स्टेबल ब्लॉक इस तरह का ब्लॉक धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज का रास्ता ढूंढ़ने का मौका मिल जाता है, जिसे कोलेटरल वेसेल कहते हैं। ये वेसेल ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास कर देती है और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती है। स्टेबल ब्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता, ना ही इससे गंभीर दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है।
अनस्टेबल ब्लॉक अस्थाई ब्लॉक में, ब्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है और कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पता है। व्यक्ति की मांसपेशियां गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं। कई बार इससे रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाता है या रोगी कार्डिएक डेथ का शिकार हो जाता है।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होता है। प्रथम या शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होते। सेंकेंड स्टेज में दिल की धड़कन सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है । और थर्ड स्टेज में दिल रुक-रुक कर धड़कना शुरू कर देता है। सेकेंड या थर्ड स्टेज पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए इसमें तुरन्त इलाज की ज़रूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य लक्षण निम्न हैं-बार-बार सिरदर्द होना चक्कर आना या बेहोश हो जाना
छाती में दर्द होना सांस फूलना
छोटी सांस आना काम करने पर थकान महसूस हो जाना अधिक थकान होना बेहोश होना गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना
अपने पैरों या हाथों में दर्द होना या सुन्न हो जाना कमजोरी या ठण्ड लगना।

धूम्रपान का सेवन ना करें क्योंकि इसका सीधा प्रभाव दिल की धमनियों पर पड़ता है।
रोजाना 7-8 घण्टे की नींद लें तथा चिंता कम से कम करें।
नमक व मिठाई रिफाइंड व चीकनाईयुक्त खानपान कम खाये
आपका खानपान हि बचाव है
हार्ट ब्लॉकेज के लिए देसी इलाज अर्जुन वृक्ष की छाल,दालचीनी,अलसी,
अनार,लाल मिर्च,लहसुन,हल्दी,नींबू,
अंगूर,अदरक,तुलसी,लौकी आदि।।

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पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलों के कारण इ...
05/03/2025

पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे "जंगल की आग" भी कहा जाता है। पलाश का फूल झारखण्ड का राज्य पुष्प है और इसको 'भारतीय डाकतार विभाग' द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है। प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है। भारत भर मे इसे जाना जाता है। एक "लता पलाश" भी होता है। लता पलाश दो प्रकार का होता है। एक तो लाल पुष्पो वाला और दूसरा सफेद पुष्पो वाला। लाल फूलों वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम "ब्यूटिया मोनोस्पर्मा" है। सफेद पुष्पो वाले लता पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक दस्तावेज़ों में दोनो ही प्रकार के लता पलाश का वर्णन मिलता है। सफेद फूलों वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम "ब्यूटिया पार्वीफ्लोरा" है जबकि लाल फूलो वाले को "ब्यूटिया सुपर्बा" कहा जाता है। एक पीले पुष्पों वाला पलाश भी होता है। इसका उपयोग तांत्रिक गति-विधियों में भी बहुतायत से किया जाता है। पलाश की पत्तियों का उपयोग वैवाहिक कार्यक्रमों मे मंडपाच्छादन के लिए और मेहमानों को भोजन कराने के लिए दोना पत्तल के रूप मेें बहुत प्रचलित था,यह गांव मे सस्ते इंधन का विकल्प है और जलाऊ लकड़ी के रूप मेें उपयोग होता है। पलाश के फूलों का रस तितली, मधुमक्खियों बंदरों के अलावा बच्चों को भी बहुत मधुर लगता है। इसके फूलों के गहने बच्चों को बहुत भाते हैं। छत्तीसगढ़ ये की लोकप्रिय गीत इन फूलों पर बनाते और फिल्माए गए हैं जैसे ,"रस घोले ये माघ फगुनवा,मन डोले रे माघ फगुनवा,राजा बरोबर लगे मौरे आमा रानी सही परसा फुलवा । "

अजीनोमोटो क्या है??👇👇👇अजीनोमोटो को हम इसके रासायनिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है।इसका इस्तेमाल ज्यादा...
04/03/2025

अजीनोमोटो क्या है??👇👇👇
अजीनोमोटो को हम इसके रासायनिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है।

इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में
खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. ..
पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे,
लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा, मोमोज,अंडा रोल, मैगी और भी अनेकों फास्ट फूड खाने को ज्यादा पसंद करने लगे है,जो कि इनमें अजीनोमोटो का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है,

इनमें भी अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है.
इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है।

अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था.
उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है,सुखद स्वाद

कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है.
इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है.
इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है,किन्तु
आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है, अजीनोमोटो का इस्तेमाल असुरक्षित माना गया है, इसका इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था,
लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चुका है,अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है।

यह एक प्रकार से नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है,
आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे. ..इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है जब आप अजीनोमोटो मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है. जिस की वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

अजीनोमोटो को एक धीमा हत्यारा🔥 भी कहा जा सकता है,यह
आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है।

अजीनोमोटो से युक्त खाद्य पदार्थो का अगर नियमित सेवन किया जाये तो यह माइग्रेन पैदा कर सकता है जिसको हम अधकपाली भी कहते है,
इस बीमारी में आधे सिर में हल्का हल्का दर्द होते रहता अजीनोमोटो के अधिक सेवन से मोटापे के बढ़ने का खतरा हमेशा बना रहता है हमारे शरीर में मौजूद लेप्टिन हॉर्मोन,
हमे भोजन के अधिक सेवन को रोकने के लिए हमारे मस्तिष्क को संकेत देते है।

अजीनोमोटो के सेवन से हम ज्यादा भोजन कर जल्द ही मोटापे से ग्रस्त हो सकते है, और कई गम्भीर बिमारी से भी ग्रस्त हो सकतें हैं।

ध्यान दीजिए 👉फास्ट फूड के तो सभी दीवाने हैं ही लेकिन बाजार से नहीं बल्कि अपने घर पर देशी तरीके से बनाकर खायें।

निवेदन: आगे शेयर जरूर करें 🙏

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