02/05/2025
जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। इसके अलावा हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कॉन्जेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं जबकि बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। हार्ट ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।
कोरोनरी आर्टरीज (धमनी) में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ता है।
ब्लॉक्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और सफेद रक्त सेल्स का मिश्रण होता है, जो धीरे-धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है तो इससे हार्ट ब्लॉक होने लगता है। ब्लॉक का जमाव उसके गाढ़ेपन और उसके तोड़े जाने की प्रवृत्ति (नेचर) के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर यह गाढ़ापन और सख्त होता है तो ऐसे ब्लॉक को स्टेबल कहा जाता है और यदि यह मुलायम होगा तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है और इसे अनस्टेबल ब्लॉक कहा जाता है। यह रोग कफप्रधान वातदोष से होता है।
स्टेबल ब्लॉक इस तरह का ब्लॉक धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज का रास्ता ढूंढ़ने का मौका मिल जाता है, जिसे कोलेटरल वेसेल कहते हैं। ये वेसेल ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास कर देती है और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती है। स्टेबल ब्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता, ना ही इससे गंभीर दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है।
अनस्टेबल ब्लॉक अस्थाई ब्लॉक में, ब्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है और कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पता है। व्यक्ति की मांसपेशियां गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं। कई बार इससे रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाता है या रोगी कार्डिएक डेथ का शिकार हो जाता है।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होता है। प्रथम या शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होते। सेंकेंड स्टेज में दिल की धड़कन सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है । और थर्ड स्टेज में दिल रुक-रुक कर धड़कना शुरू कर देता है। सेकेंड या थर्ड स्टेज पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए इसमें तुरन्त इलाज की ज़रूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य लक्षण निम्न हैं-बार-बार सिरदर्द होना चक्कर आना या बेहोश हो जाना
छाती में दर्द होना सांस फूलना
छोटी सांस आना काम करने पर थकान महसूस हो जाना अधिक थकान होना बेहोश होना गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना
अपने पैरों या हाथों में दर्द होना या सुन्न हो जाना कमजोरी या ठण्ड लगना।
धूम्रपान का सेवन ना करें क्योंकि इसका सीधा प्रभाव दिल की धमनियों पर पड़ता है।
रोजाना 7-8 घण्टे की नींद लें तथा चिंता कम से कम करें।
नमक व मिठाई रिफाइंड व चीकनाईयुक्त खानपान कम खाये
आपका खानपान हि बचाव है
हार्ट ब्लॉकेज के लिए देसी इलाज अर्जुन वृक्ष की छाल,दालचीनी,अलसी,
अनार,लाल मिर्च,लहसुन,हल्दी,नींबू,
अंगूर,अदरक,तुलसी,लौकी आदि।।
' आयुर्वेद ' से संबंधित जानकारी एवं सहयोग हेतु , संदेश के लिए, watsapp no. 7888700072 का उपयोग करें ।
नवीन आयुर्वेद चिकित्सक / वैद्यो के लिए अत्यंत उपयोगी , आयुर्वेद को जानें और अजमाएं। BAMS के छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी ।
हमारी आयुर्वेद से संबंधित, सभी पोस्टों को, देखने के लिए, व शिलावैदिक सेवा समिति ' ग्रुप की सदस्यता , जो बिल्कुल मुफ्त है।
अधिक जानकारी के लिए अभी संपर्क करें.7888700072,9781249547
cerebralpalsy
:-
Contact Details :- santramdass
078887 00072
प्लीज लाइक और शेयर करें
#स्वास्थ्य