The PUNE Academy Of Chiropractic and Physiotherapy&Alternative medicine

  • Home
  • India
  • Pune
  • The PUNE Academy Of Chiropractic and Physiotherapy&Alternative medicine

The PUNE Academy Of Chiropractic and  Physiotherapy&Alternative medicine Hospital · Alternative & holistic health service

*इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है*.वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से...अं...
11/08/2025

*इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है*.
वात पित्त कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से...अंत तक जरुर पढ़ें।
❤❤❤वात पित्त और कफ के दोष:-
💜पोस्ट को धयान से 2 बार पढ़े
💚इस जानकारी से संबंधित यह तीसरा पोस्ट है
शरीर 3 दोषों से भरा है
वात(GAS) -लगभग 80 रोग
पित्त(ACIDITY)- लगभग 40 रोग
कफ(COUGH) -लगभग 28 रोग
💚यहां सिर्फ त्रिदोषो के मुख्य लक्षण बतये जायेगे और वह रोग घरेलू चिकित्सा से आसानी से ठीक होते है
💚सभी परहेज विधिवत रहेंगे जैसे बताता हूं
💙जिस इंसान की बड़ी आंत में कचड़ा होता है बीमार भी केवल वही होता है
💙एनीमा एक ऐसी पद्धति है जो बड़ी आंत को साफ करती है और किसी भी रोग को ठीक करती है
💚संसार के सभी रोगों का कारण इन तीन दोष के बिगड़ने से होता है
💛वात(GAS) अर्थात वायु:-💛
--शरीर मे वायु जहां भी रुककर टकराती है, दर्द पैदा करती है, दर्द हो तो समझ लो वायु रुकी है
--पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, घुटनो का दर्द ,सीने का दर्द आदि
--डकार आना भी वायू दोष है
--चक्कर आना,घबराहट और हिचकी आना भी इसका लक्षण है
💙कारण:-
--गैस उत्तपन्न करने वाला भोजन जैसे कोई भी दाल आदि गैस और यूरिक एसिड बनाती ही है
--यूरिक एसिड जहां भी रुकता है उन हड्डियों का तरल कम होता जाता है हड्डियां घिसना शुरू हो जाती है ,उनमे आवाज आने लगती है, उसे डॉक्टर कहते है कि ग्रीस ख़त्म हो गई, या फिर स्लिप डिस्क या फिर स्पोंडलाइटिस, या फिर सर्वाइकल आदि
--प्रोटीन की आवश्यकता सिर्फ सेल्स की मरम्मत के लिए है जो अंकुरित अनाज और सूखे मेवे कर देते है
--मैदा औऱ बिना चोकर का आटा खांना
--बेसन की वस्तुओं का सेवन करना
--दूध और इससे बनी वस्तुओं का सेवन करना
-आंतो की कमजोरी इसका कारण व्यायाम न करना।
👉🏻 तन बिगड़ने वाला भोजन से
👉🏻 मन बिगड़ने वाले विचार से
👉🏻 मनोदीशा बिगड़ने वाले लोगों से कैसे दूर रहे।
💜निवारण:-
--अदरक का सेवन करें,यह वायु खत्म करता है, रक्त पतला करता है कफ भी बाहर निकालता है, सोंठ को लेकर रात में गुनगने पानी से आधा चम्मच खायेँ
--लहसुन किसी भी गैस को बाहर निकालता है,
यदि सीने में दर्द होने लगे तो तुरन्त 8-10 कली लहसुन खा ले, ब्लॉकेज में तुरंत आराम मिलता है
--लहसुन कफ के रोग और टीबी के रोग भी मारता है
--सर्दी में 2-2 कली सुबह शाम, और गर्मी में 1-1 कली सुबह शाम ले, और अकेला न खायेँ सब्जी या फिर जूस , चटनी आदि में कच्चा काटकर डालकर ही खायेँ
--मेथीदाना भी अदरक लहसुन की तरह ही कार्य करता है
💜प्राकृतिक उपचार:-
गर्म ठंडे कपड़े से सिकाई करे, अब उस अंग को पहले छुएं यदि वो गर्म है तो ठंडे सिकाई करे और वह अंग अगर ठंडा है तो गर्म सिकाई करे औऱ अगर न गर्म है और न ठंडा तो गर्म ठंडी सिकाई करे एक मिनट गर्म एक मिनट ठंडा ।
💛कफ(COUGH):-💛
--मुंह नाक से आने वाला बलगम इसका मुख्य लक्षण है
--सर्दी जुखाम खाँसी टीबी प्लूरिसी निमोनिया आदि इसके मुख्य लक्षण है
--सांस लेने में तकलीफ अस्थमा आदि या सीढी चढ़ने में हांफना
💙कारण:-
--तेल एव चिकनाई वाली वस्तुओं का अधिक सेवन
--दूध और इससे बना कोई भी पदार्थ
--ठंडा पानी औऱ फ्रिज की वस्तुये खांना
--धूल ,धुंए आदि में अधिक समय रहना
--धूप का सेवन न करना
💜निवारण:-
--विटामिन C का सेवन करे यह कफ का दुश्मन है यह संडास के रास्ते कफ निकालता है, जैसे आवंला
--लहसुन, यह पसीने के रूप में कफ को गलाकर निकालता है
--Bp सामान्य हॉगा
--ब्लड सर्कुलेशन ठीक हॉगा
--नींद अच्छी आएगी
--अदरक भी सर्वश्रेष्ठ कफ नाशक है
💜प्राकृतिक उपचार
--एक गिलास गुनगने पानी मे एक चम्मच नमक डालकर उससे गरारे करे
--गुनगने पानी मे पैर डालकर बैठे, 2 गिलास सादा।पानी पिये और सिरर पर ठंडा कपड़ा रखे, रोज 10 मिनट करे
--रोज 30-60 मिनट धूप ले ।
💛पित्त(ACIDITY):-पेट के रोग💛
--वात दोष और कफ दोष में जितने भी रोग है उनको हटाकर शेष सभी रोग पित्त के रोग है, BP, शुगर, मोटापा, अर्थराइटिस, आदि
--शरीर मे कही भी जलन हो जैसे पेट मे जलन, मूत्र त्याग करने के बाद जलन ,मल त्याग करने में जलन, शरीर की त्वचा में कही भी जलन,
--खट्टी डकारें आना
--शरीर मे भारीपन रहना
💜कारण:-
--गर्म मसाले, लाल मिर्च, नमक, चीनी, अचार
--चाय ,काफी,सिगरेट, तम्बाकू, शराब,
--मांस ,मछली ,अंडा
--दिनभर में सदैव पका भोजन करना
--क्रोध, चिंता, गुस्सा, तनाव
--दवाइयों का सेवन
--मल त्याग रोकना
--सभी 13 वेग को रोकना जैसे छींक, पाद, आदि
💜निवारण
--पुराने रोग और नए रोग का एक ही समाधान बता रहा हु
--फटे हुए दूध का पानी पिये, गर्म दूध में नीम्बू डालकर दूध को फाड़े, वह पानी छानकर पिए, पेट का सभी रोग में रामबाण है, सभी प्रकार का बुखार भी दूर करता है
--फलो व सब्जियों का रस, जैसे अनार का रस, लौकी का रस, पत्ता गोभी का रस आदि
--निम्बू पानी का सेवन
💜प्राकृतिक उपचार
--पेट को गीले कपड़े से ठंडक दे
--रीढ़ की हड्डी को ठंडक देना, लकवा इसी रीढ़ की हड्डी की गर्मी से होता है, गीले कपड़े से रीढ़ की हड्डी पर पट्टी रखें
--व्यायाम ,योग करे
--गहरी नींद ले
इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
*आपसे निवेदन है ज्यादा से ज्यादा शेयर करें*

02/08/2025

'   आयुर्वेद  '  से संबंधित जानकारी एवं  सहयोग हेतु ,  संदेश  के लिए,  watsapp no.  7888700072 का उपयोग करें । 

    नवीन आयुर्वेद चिकित्सक / वैद्यो के लिए अत्यंत उपयोगी , आयुर्वेद को जानें और अजमाएं। BAMS के छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी ।

      हमारी आयुर्वेद से संबंधित, सभी पोस्टों को, देखने के लिए, व शिलावैदिक सेवा समिति ' ग्रुप की सदस्यता , जो बिल्कुल मुफ्त है।

अधिक जानकारी के लिए अभी संपर्क करें.7888700072,9781249547

cerebralpalsy

















































 





:-

   

Contact Details :- santramdass

078887 00072

वीर्य के दोष दूर करेंपरिचय :          वीर्य ही शरीर की सप्त धातुओं का राजा माना जाता है और ये सप्त धातुयें भोजन से प्राप...
27/07/2025

वीर्य के दोष दूर करें

परिचय :
वीर्य ही शरीर की सप्त धातुओं का राजा माना जाता है और ये सप्त धातुयें भोजन से प्राप्त होती हैं। इसमे सातवी धातु ही पुरुष में वीर्य बनती है। 100 बूंद खून से एक बूंद वीर्य बनता है। एक महीने में लगभग 1 लीटर खून बनता है जिससे 25 ग्राम वीर्य बनता है और गर्भाधान के लिए 60 से 70 करोड़ जीवित शुक्राणुओं का होना जरूरी होता है। इसलिए संभोग हफ्ते में एक बार ही करना चाहिए क्योंकि एक बार के संभोग के दौरान 10 ग्राम वीर्य निकल जाता है। वीर्य में जीवित शुक्राणुओं की कमी से महिलाओं को गर्भवती भी बनाया नहीं जा सकता। वीर्य परीक्षण में वीर्य गर्भाधान के लिए 7.8 पी.एच से 8.2 पी. एच ही सही माना गया है। वीर्य में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं एक्स और वाई। एक्स शुक्राणुओं से पुत्री पैदा होती है और वाई शुक्राणुओं से पुत्र पैदा होता है। एक शुक्राणु की लम्बाई लगभग 1/500 इंच होती है।

कभी-कभी वीर्य पतला होने के कारण गर्भ नहीं ठहरा पाता ऐसा तब होता है जब कोई ज्यादा मैथुन करके वीर्य को नष्ट कर देता है या अन्य दूसरी किसी बीमारी से ग्रस्त होकर जैसे:- प्रमेह, सुजाक, मूत्रघात, मूत्रकृच्छ और स्वप्नदोष आदि।

चिकित्सा :

1. ब्राह्मी : ब्राह्मी, शंखपुष्पी, खरैटी, ब्रह्मदण्डी और कालीमिर्च को पीसकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।

2. बबूल :

बबूल की कच्ची फली को सुखाकर मिश्री में मिलाकर खाने से वीर्य की कमी व रोग दूर होते हैं।
10 ग्राम बबूल की कोंपलों को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर पानी के साथ लेने से वीर्य-रोगों में लाभ होता है। हरी कोंपले न हों तो 30 ग्राम सूखी कोंपलों का सेवन कर सकते हैं।
बबूल की फलियों को छाया में सुखा लें और बराबर की मात्रा मे मिश्री मिलाकर पीसकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से जल के साथ सेवन से करने से वीर्य गाढ़ा होगा और सभी विकार दूर हो जाएंगे।
बबूल की गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है।
बबूल का पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) लेकर पीस लें, और आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही समय में लाभ मिलता है।
बबूल की कच्ची फलियों के रस में 1 मीटर लंबे और 1 मीटर चौडे़ कपड़े को भिगोकर सुखा लेते हैं। एक बार सूख जाने पर उसे पुन: भिगोकर सुखाते है। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 14 बार करते हैं। इसके बाद उस कपड़े को 14 भागों में बांट लेते है, और प्रतिदिन एक टुकड़े को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर पीने से धातु की पुष्टि हो जाती है।

3. शतावर :

शतावर रस या आंवला रस अथवा गोखरू काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से वीर्य शुद्ध होता है।
शतावर, सफेद मूसली, असगन्ध, कौंच के बीज, गोखरू और आंवला ये सभी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें तीन-तीन ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) में वृद्धि होती है।

4. गूलर :

गूलर का दूध बताशे में रख कर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।
पके गूलर का चूर्ण शहद या सेंधा नमक के साथ खाने से भी वीर्य शुद्ध होता है।

5. धनिया : धनिया, पोस्त के बीज के साथ मिश्री मिलाकर खाना लाभदायक होता है।

6. छोटी दुधी : छोटी दुधी का चूर्ण मिश्री मिलाकर दूध के साथ खायें इससे वीर्य शुद्ध होता जाता है।

7. तालमखाना : तालमखाना मे मिश्री मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध यानी साफ हो जाता है।

8. चोबचीनी : चोबचीनी, सोठ, मोचरस, दोनों मूसली, काली मिर्च, वायविडंग और सौंफ सबको बराबर भाग में लेकर चूर्ण बनायें। बाद में 10 ग्राम की मात्रा में रोज खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें इससे वीर्य साफ होता है।

9. सांठी : सांठी की जड़ और काली मिर्च को पीसकर घी के साथ मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।

10. जायफल :

जायफल, जावित्री, माजूफल मस्तगी, नागकेसर, अकरकरा, मोचरस, वनशलोचन, अजवायन, छोटी इलायची दाना 10-10 ग्राम कूट कर छान लें। कीकर की गोंद में चने बराबर गोलियां बना छाया में सूखा लें। 1-1 गोली सुबह-शाम दूध या पानी से लें।
जायफल 1 ग्राम रूमीमस्तगी, लौंग, छोटी इलायची दाना 2-2 ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें, संभोग (सहवास) से 2 घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें।
11. राल : राल को बारीक पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी से वीर्य के रोग में सेवन करें।

12. दालचीनी :

दालचीनी 20 ग्राम पीसकर इसमें खांड़ 20 ग्राम मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा मे सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें।
दालचीनी और काले तिल 5-5 ग्राम पीस लें उसके बाद शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें और छाया में सुखा दें। संभोग से 2 घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें।
3 ग्राम दालचीनी का चूर्ण रात में सोते समय गरम दूध के साथ खाने से वीर्य की वृद्धि होती है।
दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।

13. वंशलोचन : वीर्य दोष दूर करने के लिए वनंशलोचन 30 ग्राम और छोटी इलायची 3 ग्राम पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम घी व खांड़ में मिलाकर लें।

14. इमली :

300 ग्राम इमली के बीज को 500 मिलीलीटर पानी में 3 दिन तक भिगोयें। फिर इसका छिलका उतार कर छायां में सुखाकर अच्छी तरह पीसकर 10-10 ग्राम की मात्रा मे सुबह-शाम कम गर्म दूध से लें।
इमली के बीजों के छोटे-छोटे टुकड़े कर रातभर पानी मे भिगा कर खाने से वीर्य पुष्ट होता है।

15. लाजवन्ती : लाजवन्ती को संभोग के समय मुंह में रखने से वीर्य स्तंभन हो जाता है।

16. कीकर :

कीकर की गोंद 100 ग्राम भून लें इसे कूट कर असगंध पिसी 50 ग्राम मिलाकर रख दें। 5-5 ग्राम सुबह-शाम कम गर्म दूध से लें।
कीकर के पत्ते छाया में सूखे 50 ग्राम कूट छानकर इसमें 100 ग्राम खांड़ मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें।

17. राई : राई, लौंग 5-5 ग्राम दालचीनी 10 ग्राम पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें।

18. सिम्बल : सिम्बल की जड़ 100 ग्राम कूटछान कर इसमें खांड़ 100 ग्राम मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध के साथ प्रयोग करने से वीर्य दोष दूर होते हैं।

19. असगंध नागोरी :

असगंध नागोरी, विधारा, सतावरी 50-50 ग्राम कूट छानकर रखें और 150 ग्राम खांड मिलाकर रखें। 10-10 ग्राम दूध से सुबह-शाम लें।
नागौरी असगंध, गोखरू, शतावर तथा मिश्री मिलाकर खायें।

20. वंशलोचन : 60 ग्राम वंशलोचन को पीसकर रखें। इसमें 40 ग्राम खांड़ मिलाकर रख लें। 5-5 ग्राम को सुबह-शाम दूध के साथ लेने से लाभ होता है।

21. फिटकरी : 30 ग्राम भुनी फिटकरी को 60 ग्राम खांड़ में मिलाकर रखें। 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें।

22. कमलगट्ठा : कमल गट्ठा या बीज पीसकर शहद में मिलाकर नाभि पर लेप करने से वीर्य स्तम्भन हो जायेगा।

23. सफेद कनेर : सफेद कनेर की जड़ 2 अंगुल की कमर में बांधने से वीर्य स्तम्भन हो जाता है।

24. सौंठ : सौंठ, बूटी हजारदाना, नकछिकनी 50-50 ग्राम कूट छान कर 5-5 ग्राम सुबह-शाम कम गर्म दूध से लें। सौंठ, सतावर, गोरखमुण्डी 10-10 ग्राम पीसकर शहद मिला कर चने कें बराबर गोलियां बनाकर छायां में सुखा लें। सुबह और शाम भोजन के बाद 1-1 गोली दूध या पानी के साथ लें। वीर्य दोष में लाभ मिलेगा।

25. असगंध :

असगंध, विधारा 25-25 ग्राम कूट छान कर इसमें 50 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा मे सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से बल वीर्य बढ़ता है।
असगंध 300 ग्राम कूट छान कर 20 ग्राम को दूध 250 मिलीलीटर में गिराकर उबालें गाढ़ा होने पर खांड़ मिला कर पी लें।

26. बहमन : बहमल लाल 50 ग्राम पीसकर 5 ग्राम को सुबह कम गर्म दूध के साथ सेवन करने से संभोग शक्ति बढ़ती है।

27. मुनक्का : 250 मिलीलीटर दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड़ मिला कर सुबह पीये।

28. कालीमिर्च : कालीमिर्च के साथ गोंदी के पत्ते मिलाकर घोटकर शर्बत की तरह 21 दिन तक पीने से वीर्य पुष्ट होता है।

29. गंगेरन : गंगेरन की जड़ की छाल के चूर्ण में उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा दूध के साथ 7 दिनों तक खायें वीर्य पुष्ट होता है।

30. बदुफली : बदुफली के पौधे को थोडे पानी के साथ पीसकर कपड़े में छानकर रस यू को निकाल लें। 100 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शक्कर और आधे से एक ग्राम पीपल का चूर्ण मिलाकर 7 दिनों तक सुबह-शाम पीने से वीर्य बढ़ता है।

वातव्याधि१ आक्षेप युक्त वातव्याधियां२ वेदना प्रधान वातव्याधियां३ अंगघातक वातव्याधियांआक्षेप युक्त वातव्याधियां में अपतन्...
09/07/2025

वातव्याधि

१ आक्षेप युक्त वातव्याधियां
२ वेदना प्रधान वातव्याधियां
३ अंगघातक वातव्याधियां
आक्षेप युक्त वातव्याधियां में अपतन्त्रक,अपतानक,
दण्डापतानक, बहिरायाम,अन्तरायाम,
खल्ली, कुचलाविष जन्य,जलसंत्रास

चिकित्सा सिद्धांत
१ लक्षणमूलक चिकित्सा (तात्कालिक) १ मूर्च्छा नाशक वेग के समय,मुख पर शीतल जल के छींटें,पैरों के तलुओं में कायफल या शुण्ठीचूर्ण की मालिश , नस्य में कायफल चूर्ण का प्रयोग या नौसादर और चूनासम भाग लेकर उसमें कपूर मिलाकर सुंघाने,प्याज के रस की दो तीन बूंदें नाक में डालना
२वातनाशक
मूर्च्छा के टूटते ही शक्ति शाली वातनाशक औषधियों मकरध्वज,बृहद्वातचिन्तामणि,वृहदब्राह्मी वटी, कस्तूरी भैरवरस,हृदयेश्वर रस, उन्माद गजकेसरी रस,स्मृतिसागर रस, मात्रा पूर्वक प्रयोग
(ख)हेतुमूलक चिकित्सा
आक्षेप युक्त वातव्याधियां दीर्घकालिक होती हैं,जिस समय आक्षेप नहीं आते उस समय भी शरीर में इस रोग का अनुबन्ध बना रहता है।दौरों के अवकाश काल में दौर्बल्यता, अग्निमांद्य,अरुचि,भय, स्मृति दौर्बल्य आदि लक्षण मिलते हैं।इस हेतुमूलक चिकित्सा को दीर्घकालिक चिकित्सा भी कहा जा सकता है।दो प्रकार से
१ मानसिक
मणि धारण,जप होम, उपहार,बलि,सान्तवना,हर्षण,तर्जन,आदि के साथ रोगी का मानसिक बल बढाना चाहिए।
२ शारीरिक
स्नेहन,स्वेदन, स्नेह युक्त विशोधन,मृदुविरेचन,अग्निसंधुक्षण,स्निग्धाम्लमधुर आहार, इन क्रमों के बाद औषध प्रयोग
प्रातः सायम्
मल्ल सिंदूर १००-१०० मि ग्राम,दूध की मलाई से
ब्राह्मी वटी १-१
दशमूल क्वाथ १० ग्राम
रात को
एरण्ड बीज दस नग दूध से

या
१प्रातः सायम्
योगेन्द्र रस १००-१०० मि ग्राम
प्रवाल पिष्टी २५०-२५० मि ग्रा
मांस्यादि क्वाथ १०-१० ग्राम
२भोजनोपरान्त
अजमोदादि चूर्ण ३-३ ग्राम
अश्वगंधारिष्ट २५-२५ मिली
३ रात को
दशमूलाद्यघृत १० ग्राम दूध से
२ हेतुमूलक चिकित्सा (दीर्घकालिक)
कुछ विशेष योग
रस सिन्दूर २००मिग्रा की मात्रा को दिन मे दो बार शंखपुष्पी, ब्राह्मी,कूठ और इलायची के क्वाथ से

मांस्यादि क्वाथ
जटामांसी १०ग्राम अश्वगंधा ३ ग्राम
खुरासानी अजवायन २ ग्राम
इनका क्वाथ बनाकर दो बार

वेदना प्रधान वातव्याधियां

नाडी सूत्रो की क्षीणता,शोथ,व मांसपेशियों,कण्डरा आदि की विपरीत गति अथवा तनाव से वेदना होती है। वेदना प्रधान वातव्याधियां हैं
ग्रधृसी
क्रोष्टुकशीर्ष
सन्धावात
तूनी प्रतितूनी
आध्मान
प्रत्याध्मान
वातकण्टक

चिकित्सा सिद्धांत
1 वेदना निवारण
2 मूलहेतु निवारण
वेदना निवारण
इन व्याधियों में असहृय वेदना होती है, अतः उसके लिए वेदनाशामक औषधियों का आभ्यन्तरव बाह्य प्रयोग करना आवश्यक है।
वृहद्वात चिन्तामणि
योगेन्द्र रस ,समीरपन्नग रस, कृष्ण चतुर्मुख रस,जैसी औषधियों के साथ शुण्ठि,कुचला, अश्वगंधा,सुरंजान,गुग्गुल और रसोन प्रधान औषधियां वेदनाशामक है।बाह्य उपचार में अभ्यंग,स्वेदन,लेप,परिषेक,उपनाह,प्रदेह की भूमिका महत्वपूर्ण है।
2मूल हेतु निवारण
धातुक्षय या आवरण से कुपित वात के निर्हरण का प्रयत्न करना चाहिए।

अंगघातक वातव्याधियां

संज्ञा व चेष्टा का वहन करनेवाली नाड़ियों की अक्षमता होने पर प्रभावित अंग काम नहीं करता,यह स्थिति अंगघात है।शरीर में होने वाले अंगघात को स्वरुप के अनुसार निम्न प्रकार विभाजित किया जा सकता है।
1पक्षाघात - लम्बाई में शरीर को दो भागों में विभक्त किया जाता है,वामपक्ष और दक्षिण पक्ष,किसी भी एक पक्ष की चेष्टाओं का नाश होने पर पक्षाघात।
2एकांगघात -किसी एक अंग की चेष्टाओं के नाश को एकांगघात जैसे अर्दित,खंजता,विश्वाची,अवबाहुक,वाणी विकृति,जिव्हास्तम्भ,हनुस्तम्भ,मन्यास्तम्भ आदि।

3अधरांगघात -सुषुम्ना से निकलने वाली नाड़ियों जो कटिप्रदेश से निकलती हैं,उन पर आघित,सम्पीडन, संक्रमण या अन्य किसी भी कारण सेवीकृति होने पर नीचे के अंगों का घात ।
4सर्वांगाघात - मस्तिष्क में या सम्पूर्ण शरीर में जाने वाली नाड़ियों की विकृति से सर्वांगघात होता है।
ये अंगघात वातव्याधियां प्रायः कृच्छ्रसाध्य होती है।
स्वेदन, स्नेह युक्त विरेचन,वृहंण व वातशामक औषधियों का प्रयोग,वातघ्न तैलों से अभ्यंग।बस्ति प्रयोग।
एकांगवीर रस, अश्वगंधारिष्ट, दशमूलारिष्ट,माषबलादिक्वाथ, महायोगराज गुग्गुल, सिंहनाद गुग्गुल,एरण्डपाक,भल्लातकावलेह,वृहद्वातचिन्तामणि, वृहद कस्तूरी भैरवरस,कुमारकल्याण रस, ब्राह्म रसायन,रास्नासप्तक क्वाथ,वातकुलान्तक रस ,सारस्वतारिष्ट आदि का प्रयोग लाभकारी है।

काकड़ा सिंघि (जिसे अंग्रेज़ी में Crab's Claw या Rhinacanthus nasutus भी कहा जाता है) एक आयुर्वेदिक और पारंपरिक औषधीय पौध...
08/07/2025

काकड़ा सिंघि (जिसे अंग्रेज़ी में Crab's Claw या Rhinacanthus nasutus भी कहा जाता है) एक आयुर्वेदिक और पारंपरिक औषधीय पौधा है, जो मुख्यतः दक्षिण भारत और अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे कई जगहों पर सिंघि, काकड़ासिंघी, या मकरध्वज वटी जैसे नामों से जाना जाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से श्वसन संबंधी रोगों और त्वचा रोगों के इलाज में होता है।

🌿 काकड़ा सिंघि के प्रमुख फायदे:-

1. खांसी और सर्दी में लाभकारी

सूखी और बलगम वाली खांसी में यह बहुत प्रभावी होता है।

श्वसन नलियों को साफ करता है और कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।

2. अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में उपयोगी:-
इससे एक बेहतरीन नुस्खे बनाये।
ककरासिंघी 100 ग्राम
बड़ी दूधी 100ग्राम
मुलेठी 100ग्राम
अलसी 100ग्राम
उन्नाव के छिलके 50ग्राम
सपिस्तान 50ग्राम
सोंठ 50ग्राम
छोटी पीपली 50ग्राम
काली मिर्च 50 ग्राम
सभी को एक साथ मिलाकर पाउडर बनकर सुरक्षित रख दें रोजाना सुबह शाम 5-5 ग्राम पाउडर पानी के साथ सुबह खाली पेट एवं रात सोते समय लगातार 45 दिन करने पर अस्थमा तथा फेफड़े की तमाम बीमारी हमेशा के लिये समाप्त हो जाता है।

फेफड़ों की सूजन को कम करता है।

सांस लेने में तकलीफ को दूर करता है।

3. प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है:-

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बार-बार होने वाले संक्रमणों से बचाव होता है।

4. त्वचा रोगों में लाभदायक:-

एक्जिमा, फंगल संक्रमण और खुजली में उपयोगी होता है।

इसके पत्तों का लेप लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।

5. ज्वरनाशक गुण:-

बुखार को कम करने में सहायता करता है।

वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाले बुखार में लाभकारी।

6. पेट की समस्याओं में राहत:-

अपच, पेट दर्द, गैस और दस्त में भी उपयोग किया जाता है।

पाचन क्रिया को सुधारता है।

7. दांत और मसूड़ों के रोग:-

काकड़ा सिंघि का पाउडर या अर्क दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन में लाभ देता है।

⚠️ सावधानियाँ:-

अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदायक हो सकता है।

गर्भवती महिलाएं इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।

किसी भी गंभीर रोग की स्थिति में वैद्य या आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।

अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें।
व्हाट्सप्प:9781249547

*रात भर की मुँह की लार स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, इसलिए सुबह उठते ही थोड़ा गुनगुना पानी पिएं- यह कहना है आयुर्वेद क...
22/06/2025

*रात भर की मुँह की लार स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, इसलिए सुबह उठते ही थोड़ा गुनगुना पानी पिएं- यह कहना है आयुर्वेद का*

रात भर मुँह में कीटाणु इकट्ठे होते हैं- यह कहना है कोलगेट का

जिस दिन कोलगेट का ये विज्ञापन देखा था उसी दिन छोड़ दिया था और आयुर्वेदिक " पेस्ट" ले आया था और कभी कभी नीम बबलू का दातुन भी कर लेता हूं । बात इतनी सी नहीं हैं, और भी बहुत कुछ है जो हमारे दिमाग में धीरे-धीरे बिठा दिया गया,

1.योग, प्राणायाम को #जिम में बदल गए यही विदेशी!

2.हम काढा पीते थे उसको #चाय में बदल दिया इन्हीं विदेशियों ने!

3.हम गुड़ का प्रयोग करते थे उसको नुकसान दायक #चीनी में बदला विदेशियों ने!

4.प्राकृतिक सैंधा, काला नमक का प्रयोग करते थे उसको रिफ़ायन्ड #नमक में बदला विदेशियों ने!

5.मिट्टी, पीतल के बर्तन प्रयोग करते थे उसको #एल्युमीनियम में बदल दिया इन्हीं विदेशियों ने!

6. तिल, नारियल, सरसों के तेल, मक्खन को बदल दिया गया जहरीली #रिफ़ाइंड तैल में!

7. परम्परागत जैविक खेती को बदल दिया जहरीले #रसायन वाली खेती में!

8. सभी गुरुकुल में बच्चियों का पहनावा सनातन परम्परा के अनुसार होता था उसको #मिनी_स्कर्ट में बदल दिया इन्हीं विदेशियों ने!

वो हमारे दिमाग से खेलते रहे और हम उन्हें आधुनिकता के नाम पर मौका देते रहे, परिणाम ये हुआ कि दीर्घायु और निरोगी रहने वाले हम भारतवर्ष के लोगों की औसत आयु 65 वर्ष रह गयी है, और हर व्यक्ति मोटापा, रक्तचाप, डिप्रेसन, केंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से घिरा हुआ है!!

आयुर्वेद के अनुसार चाय, चीनी, रिफ़ाइंड नमक, एल्युमीनियम, रिफ़ाइंड तेल, रासायनिक विधि से पैदा किए हुए अनाज, फ़ल, सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक हैं!!

योग, प्राणायम के साथ-साथ खान-पान में बदलाव करके ही हम जीवन को स्वस्थ बना सकते हैं!!
©

10/05/2025
आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी (Shankhpushpi) एक ऐसी जड़ी-बूटी हैं जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियो...
02/05/2025

आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी (Shankhpushpi) एक ऐसी जड़ी-बूटी हैं जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करती हैं। इसमें सफेद या हल्के नीले रंग के फूल पाये जाते हैं।

■ सेहत के लिए वरदान हैं शंखपुष्पी :-

1) इस जड़ी-बूटी को दिमाग और याद्दाश्‍त तेज करने वाला टॉनिक भी कहा जा सकता हैं। ये बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने का काम करती हैं। ये जड़ी-बूटी बढ़ती उम्र में याद्दाश्‍त कमजोर होने से भी रोकती हैं और इसे चिंता एवं डिप्रेशन को कम करने में भी असरकारी पाया गया हैं। इससे अल्‍जाइमर, तनाव, चिंता, डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी कई समस्‍याओं का इलाज किया जा सकता हैं।

2) मूत्र रोग में शंखपुष्पी बहुत लाभकारी औषधि हैं। पेशाब करते समय जलन या दर्द होना, रुक-रुककर पेशाब होना, पेशाब में पस आना आदि रोग इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं। ऐसे रोगों से राहत पाने के लिए प्रतिदिन शंखपुष्पी चूर्ण को गाय के दूध, मक्खन, शहद अथवा छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।

3) शंखपुष्पी के फूलों में एथेनॉलिक अर्क पाया जाता हैं, जो नॉन-एस्ट्रिफाइड फैटी एसिड के लेवल को कम करता हैं। इससे हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉक, ब्लड क्लॉट आदि गंभीर रोगों के जोखिम को कम करने में भी मदद मिलती हैं। यह रक्त को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता हैं।

4) अगर मिर्गी के मरीज को बार-बार दौरा पड़ रहा हैं तो शंखपुष्पी के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से लाभ मिलता हैं।

5) डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए शंखपुष्पी के चूर्ण को सुबह-शाम गाय के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ मिलता हैं।

6) शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने वाली उत्तम औषधि हैं। यदि किसी को खून की उल्टी हो रही हो तो शंखपुष्पी का रस, दूब घास तथा गिलोय का रस मिलाकर पिलाने से तत्काल लाभ होता हैं। नाक से खून बहने पर भी इसकी बूंद नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता हैं।

7) शंखपुष्पी के फूल का इस्तेमाल पीलिया, पेचिश, बवासीर जैसे अन्य पेट से जुड़े विकारों के लिए किया जाता हैं। इसके अलावा शंखपुष्पी का रस चेहरे की झुर्रियां और उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकने में मदद करता हैं।

😎 गर्भाशय से निकलने वाले रक्त को रोकने के लिए यह एक उत्तम और पौष्टिक औषधि हैं। गर्भाशय से संबंधित किसी भी रोग में यह अत्यंत लाभकारी साबित होती हैं। इसके लिए शंखपुष्पी को हरड़, घी, शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए।

9) अक्सर बच्चे रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। इस बीमारी में भी शंखपुष्पी का चूर्ण काम आता हैं। उन बच्चों को रात में सोते समय शंखपुष्पी चूर्ण और काला तिल मिलाकर दूध के साथ सेवन कराने से इस बीमारी से राहत मिलती हैं।

10) मौसम बदलने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि साबित होती हैं। खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ किया जाता हैं।

यह पोस्ट सिर्फ जानकारी हेतु हैं, शंखपुष्पी का सेवन किसी आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही करें। अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो पोस्ट को लाइक करके आशियाना ख्यालों का पेज को फॉलो जरूर करें, धन्यवाद

जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब...
02/05/2025

जब हृदय में स्थित धमनियों की दीवारों में कफ धातु जमा हो जाता है तो उससे पैदा होने वाला विकार को ह्रदय प्रतिचय या हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। इसके अलावा हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्मजात भी होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कॉन्जेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं जबकि बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते हैं। हार्ट ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।
कोरोनरी आर्टरीज (धमनी) में किसी भी तरह की रुकावट के कारण हृदय में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है। इससे रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ता है।

ब्लॉक्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और सफेद रक्त सेल्स का मिश्रण होता है, जो धीरे-धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है तो इससे हार्ट ब्लॉक होने लगता है। ब्लॉक का जमाव उसके गाढ़ेपन और उसके तोड़े जाने की प्रवृत्ति (नेचर) के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर यह गाढ़ापन और सख्त होता है तो ऐसे ब्लॉक को स्टेबल कहा जाता है और यदि यह मुलायम होगा तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है और इसे अनस्टेबल ब्लॉक कहा जाता है। यह रोग कफप्रधान वातदोष से होता है।
स्टेबल ब्लॉक इस तरह का ब्लॉक धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज का रास्ता ढूंढ़ने का मौका मिल जाता है, जिसे कोलेटरल वेसेल कहते हैं। ये वेसेल ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास कर देती है और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती है। स्टेबल ब्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता, ना ही इससे गंभीर दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है।
अनस्टेबल ब्लॉक अस्थाई ब्लॉक में, ब्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है और कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पता है। व्यक्ति की मांसपेशियां गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं। कई बार इससे रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाता है या रोगी कार्डिएक डेथ का शिकार हो जाता है।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होता है। प्रथम या शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होते। सेंकेंड स्टेज में दिल की धड़कन सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है । और थर्ड स्टेज में दिल रुक-रुक कर धड़कना शुरू कर देता है। सेकेंड या थर्ड स्टेज पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए इसमें तुरन्त इलाज की ज़रूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य लक्षण निम्न हैं-बार-बार सिरदर्द होना चक्कर आना या बेहोश हो जाना
छाती में दर्द होना सांस फूलना
छोटी सांस आना काम करने पर थकान महसूस हो जाना अधिक थकान होना बेहोश होना गर्दन, ऊपरी पेट, जबड़े, गले या पीठ में दर्द होना
अपने पैरों या हाथों में दर्द होना या सुन्न हो जाना कमजोरी या ठण्ड लगना।

धूम्रपान का सेवन ना करें क्योंकि इसका सीधा प्रभाव दिल की धमनियों पर पड़ता है।
रोजाना 7-8 घण्टे की नींद लें तथा चिंता कम से कम करें।
नमक व मिठाई रिफाइंड व चीकनाईयुक्त खानपान कम खाये
आपका खानपान हि बचाव है
हार्ट ब्लॉकेज के लिए देसी इलाज अर्जुन वृक्ष की छाल,दालचीनी,अलसी,
अनार,लाल मिर्च,लहसुन,हल्दी,नींबू,
अंगूर,अदरक,तुलसी,लौकी आदि।।

' आयुर्वेद ' से संबंधित जानकारी एवं सहयोग हेतु , संदेश के लिए, watsapp no. 7888700072 का उपयोग करें ।
नवीन आयुर्वेद चिकित्सक / वैद्यो के लिए अत्यंत उपयोगी , आयुर्वेद को जानें और अजमाएं। BAMS के छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी ।
हमारी आयुर्वेद से संबंधित, सभी पोस्टों को, देखने के लिए, व शिलावैदिक सेवा समिति ' ग्रुप की सदस्यता , जो बिल्कुल मुफ्त है।
अधिक जानकारी के लिए अभी संपर्क करें.7888700072,9781249547
cerebralpalsy




























:-

Contact Details :- santramdass
078887 00072

प्लीज लाइक और शेयर करें
#स्वास्थ्य

07/03/2025

𝐀𝐫𝐞 𝐲𝐨𝐮 𝐒𝐮𝐟𝐟𝐞𝐫𝐢𝐧𝐠 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐒𝐭𝐨𝐦𝐚𝐜𝐡 𝐏𝐫𝐨𝐛𝐥𝐞𝐦𝐬?
Shilavedic Ayurved Centre Pune – 131 Years of Ayurvedic Legacy!
Trusted for Over a Century – 4 Generations of Ayurvedic ExpertiseMore than 5 Lakh Consultations
5+ Lakh Patients Successfully Treated
Suffering from Health Issues? We Can Help!
Digestive Disorders & Stomach Problems
Neurological & Autoimmune Disorders
Joint Pain, Arthritis & Mobility Issues
Skin Problems & Chronic Conditions
Stress, Anxiety & Mental Wellness
Liver Disorders & Detoxification
Why Choose Us?
Senior Ayurveda Doctors with Extensive Experience
Root Cause-Based Healing Approach
Wide Range of Ayurvedic Products – 100% Natural & Safe
Door-to-Door Delivery of Ayurvedic Medicines
Book Your Appointment Today!
Address: 402, Barsana essence, near iskon temple Pune, India, Maharashtra
Call: 9781249547
Live Naturally, Heal with Ayurveda!

Address

402, Barsana Essencia, Near Iskon Temple Katraj Kondhwa Road
Pune
411046

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when The PUNE Academy Of Chiropractic and Physiotherapy&Alternative medicine posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to The PUNE Academy Of Chiropractic and Physiotherapy&Alternative medicine:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram