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21/07/2025

प्रारब्ध जनित कष्टों को पुरुषार्थ से मुक्त किया जा सकता है।

20/07/2025

कुंडली में षष्ठम भाव षष्ठम भाव का अधिपति यदि बलि है, व्यक्ति कितना भी कर्ज क्यों न ले, वह समय चूकतु करते है।

*सोलह संस्कार के बारे में सुना था,**तो जानिये क्या हैं वो सोलह सुख...*01. पहला सुख निरोगी काया।02. दूजा सुख घर में हो मा...
22/06/2025

*सोलह संस्कार के बारे में सुना था,*
*तो जानिये क्या हैं वो सोलह सुख...*

01. पहला सुख निरोगी काया।
02. दूजा सुख घर में हो माया।
03. तीजा सुख कुलवंती नारी।
04. चौथा सुख सुत आज्ञाकारी।
05. पांचवा सुख सदन हो अपना।
06. छट्ठा सुख सिर कोई ऋण ना।
07. सातवां सुख चले व्यापार।
08. आठवां सुख हो सबका प्यार।
09. नौवां सुख भाई और बहन हो ।
10. दसवां सुख न बैरी स्वजन हो।
11. ग्यारहवां मित्र हितैषी सच्चा।
12. बारहवां सुख पड़ौसी अच्छा।
13. तेरहवां सुख उत्तम हो शिक्षा।
14. चौदहवां सुख सद्गुरु से दीक्षा।
15. पंद्रहवां सुख हो साधु समागम।
16. सोलहवां सुख संतोष बसे मन।

16 सोलह सुख ये होते भाविक जन।
जो पावैं सोई धन्य हो जीवन।।
हालांकि आज के समय में ये सभी सुख हर किसी को मिलना मुश्किल हैं, लेकिन इनमे से जितने भी सुख मिले उससे खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।

*ANCIENT INDIAN HEALTH TIPS...*
*Immortalised in Sanskrit...*
With Translation in English...

*01. अजीर्णे भोजनं विषम् ।*
If previously taken Lunch is not digested..taking Dinner will be equivalent to taking Poison. Hunger is one signal that the previous food is digested.

*02. अर्धरोगहरी निद्रा ।*
Proper sleep cures half of the diseases.

*03 मुद्गदाली गदव्याली ।*
Of all the Pulses, Green grams are the best. It boosts Immunity. Other
Pulses all have one or the other side effects.

*04. अति सर्वत्र वर्जयेत्।*
Anything consumed in Excess, just because it tastes good, is not good for Health. Be moderate.

*05. नास्ति मूलमनौषधम् ।*
There is No Vegetable that has no medicinal benefit to the body.

*06. न वैद्यः प्रभुरायुषः ।*
No Doctor is capable of giving Longevity.(Doctors have limitations)

*07. चिंता व्याधि प्रकाशाय ।*
Worry aggravates ill-health.

*08. व्यायामश्च शनैः शनैः।*
Do any Exercise slowly.
(Speedy exercise is not good)

*09. अजवत् चर्वणं कुर्यात् ।*
Chew your Food like a Goat.
(Never Swallow food in a hurry. Saliva aids first in digestion)

*10. स्नानं नाम मनःप्रसाधनकरंदुः स्वप्न-विध्वंसनम् ।*
Bath removes Depression.
It drives away Bad Dreams.

*11. न स्नानमाचरेद् भुक्त्वा।*
Never take Bath immediately after taking Food.(Digestion is affected)

*12. नास्ति मेघसमं तोयम् ।*
No water matches Rainwater in purity.

*13. अजीर्णे भेषजं वारि ।*
When there is indigestion taking plain water serves like medicine.

*14. सर्वत्र नूतनं शस्तं, सेवकान्ने पुरातने ।*
Always prefer things that are Fresh. Whereas Rice and Servant are good only when they are old.

*15. नित्यं सर्वा रसा भक्ष्याः ।।*
Take the food that has all six tastes. (viz: Salt, Sweet, Bitter, Sour, Astringent and Pungent)

*16. जठरं पूरायेदर्धम् अन्नैर्,भागं जलेन च।*
*वायोः संचरणार्थाय चतर्थमवशेषयेत् ।।*
Fill your Stomach half with Solids (a quarter with Water and rest leave it empty)

*17. भुक्त्वा शतपथं गच्छेद् यदिच्छेत् चिरजीवितम् ।*
Never sit idle after taking Food. Walk for at least half an hour.

*18. क्षुत्साधुतां जनयति ।*
Hunger increases the taste of food. In other words, eat only when hungry.

*19. चिंता जरा नाम मनुष्याणाम्*
Worrying speeds up ageing.

*20. शतं विहाय भोक्तव्यं, सहस्रं स्नानमाचरेत् ।*
When it is time for food, keep even 100 jobs aside.

*21. सर्वधर्मेषु मध्यमाम्।*
Choose always the middle path. Avoid going for extremes in anything.

Mission : World Class India For Feelings Of Heaven...Quality Revolution Movement of Vishwa Sant Shri Rushiji

15/06/2025

एक मक्खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी। हाथी को पता न चला मक्खी कब बैठी। मक्खी बहुत भिनभिनाई आवाज की और कहा, ‘भाई! तुझे कोई तकलीफ हो तो बता देना। वजन मालूम पड़े तो खबर कर देना, मैं हट जाऊंगी।’ लेकिन हाथी को कुछ सुनाई न पड़ा। फिर हाथी एक पुल पर से गुजरने लगा बड़ी पहाड़ी नदी थी,भयंकर गङ्ढ था, मक्खी ने कहा कि ‘देख, दो हैं, कहीं पुल टूट न जाए! अगर ऐसा कुछ डर लगे तो मुझे बता देना। मेरे पास पंख हैं, मैं उड़ जाऊंगी।’

हाथी के कान में थोड़ी-सी कुछ भिनभिनाहट पड़ी, पर उसने कुछ ध्यान न दिया। फिर मक्खी के बिदा होने का वक्त आ गया। उसने कहा, ‘यात्रा बड़ी सुखद हुई,साथी-संगी रहे,मित्रता बनी,अब मैं जाती हूं,कोई काम हो, तो मुझे कहना, तब मक्खी की आवाज थोड़ी हाथी को सुनाई पड़ी, उसने कहा, ‘तू कौन है कुछ पता नहीं, कब तू आयी,कब तू मेरे शरीर पर बैठी,कब तू उड़ गयी, इसका मुझे कोई पता नहीं है। लेकिन मक्खी तब तक जा चुकी थी‌।

=》 *‘हमारा होना भी ऐसा ही है। इस बड़ी पृथ्वी पर हमारे होने,ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। हाथी और मक्खी के अनुपात से भी कहीं छोटा,हमारा और ब्रह्मांड का अनुपात है । हमारे ना रहने से क्या फर्क पड़ता है? लेकिन हम बड़ा शोरगुल मचाते हैं। वह शोरगुल किसलिये है? वह मक्खी क्या चाहती थी? वह चाहती थी हाथी स्वीकार करे,तू भी है; तेरा भी अस्तित्व है, वह पूछ चाहती थी। हमारा अहंकार अकेले तो नहीं जी सकता है। दूसरे उसे मानें, तो ही जी सकता है। इसलिए हम सब उपाय करते हैं कि किसी भांति दूसरे उसे मानें,ध्यान दें,हमारी तरफ देखें; उपेक्षा न हो।*

=》 *हम वस्त्र पहनते हैं तो दूसरों को दिखाने के लिये, स्नान करते हैं सजाते-संवारते हैं ताकि दूसरे हमें सुंदर समझें। धन इकट्ठा करते, मकान बनाते, तो दूसरों को दिखाने के लिये। दूसरे देखें और स्वीकार करें कि तुम कुछ विशिष्ट हो, ना की साधारण।*

=》 *तुम मिट्टी से ही बने हो और फिर मिट्टी में मिल जाओगे, तुम अज्ञान के कारण खुद को खास दिखाना चाहते हो वरना तो तुम बस एक मिट्टी के पुतले हो और कुछ नहीं। अहंकार सदा इस तलाश में है–वे आंखें मिल जाएं, जो मेरी छाया को वजन दे दें।*

=》 *याद रखना आत्मा के निकलते ही यह मिट्टी का पुतला फिर मिट्टी बन जाएगा इसलिए अपना झूठा अहंकार छोड़ दो और सब का सम्मान करो क्योंकि हर जीवों में आत्मा है।*

*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!

27/03/2025

शनि अमावस्या के दिन करें यह उपाय

25/03/2025

कुंडली मिलान एवं संतानप्राप्ति





















14/03/2025

मंगल का जलतत्व की राशि में प्रभाव





















|  👉श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार कलियुग वर्णन ----〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️👾👾👾〰️〰️〰️〰️👉श्रीशुकदेव जी राजा परीक्षित को कलियुग का व...
22/01/2025

| 👉श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार कलियुग वर्णन ----
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👉श्रीशुकदेव जी राजा परीक्षित को कलियुग का वर्णन करते हुए बताया--राजन!कलियुग की स्थिति बडी भयावह है--

👉इस कलियुगमें असाधुताकी - दोषी होनेकी एक ही पहचान रहेगी - गरीब होना। जो जितना अधिक दम्भ-पाखण्ड कर सकेगा, उसे उतना ही बड़ा साधु समझा जायगा। विवाहके लिये एक-दूसरेकी स्वीकृति ही पर्याप्त होगी, शास्त्रीय विधि-विधानकी - संस्कार आदिकी कोई आवश्यकता न समझी जायगी। बाल आदि सँवारकर कपड़े-लत्तेसे लैस हो जाना ही स्नान समझा जायगा।।५।।
👉 लोग दूरके तालाबको तीर्थ मानेंगे और निकटके तीर्थ गंगा-गोमती, माता-पिता आदिकी उपेक्षा करेंगे। सिरपर बड़े-बड़े बाल - काकुल रखाना ही शारीरिक सौन्दर्यका चिह्न समझा जायगा और जीवनका सबसे बड़ा पुरुषार्थ होगा - अपना पेट भर लेना। जो जितनी ढिठाईसे बात कर सकेगा, उसे उतना ही सच्चा समझा जायगा।।६।।

👉योग्यता चतुराईका सबसे बड़ा लक्षण यह होगा कि मनुष्य अपने कुटुम्बका पालन कर ले। धर्मका सेवन यशके लिये किया जायगा। इस प्रकार जब सारी पृथ्वीपर दुष्टोंका बोलबाला हो जायगा, तब राजा होनेका कोई नियम न रहेगा; ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अथवा शूद्रोंमें जो बली होगा, वही राजा बन बैठेगा। उस समयके नीच राजा अत्यन्त निर्दय एवं क्रूर होंगे; लोभी तो इतने होंगे कि उनमें और लुटेरोंमें कोई अन्तर न किया जा सकेगा। वे प्रजाकी पूँजी एवं पत्नियोंतकको छीन लेंगे। उनसे डरकर प्रजा पहाड़ों और जंगलोंमें भाग जायगी। उस समय प्रजा तरह-तरहके शाक, कन्द-मूल, मांस, मधु, फल-फूल और बीज-गुठली आदि खा-खाकर अपना पेट भरेगी।।७-९।।

👉 कभी वर्षा न होगी - सूखा पड़ जायगा; तो कभी कर-पर-कर लगाये जायँगे। कभी कड़ाकेकी सर्दी पड़ेगी तो कभी पाला पड़ेगा, कभी आँधी चलेगी, कभी गरमी पड़ेगी तो कभी बाढ़ आ जायगी। इन उत्पातोंसे तथा आपसके संघर्षसे प्रजा अत्यन्त पीड़ित होगी, नष्ट हो जायगी।।१०।।

👉लोग भूख-प्यास तथा नाना प्रकारकी चिन्ताओंसे दुःखी रहेंगे। रोगोंसे तो उन्हें छुटकारा ही न मिलेगा। कलियुगमें मनुष्योंकी परमायु केवल बीस या तीस वर्षकी होगी।।११।

👉परीक्षित! कलिकालके दोषसे प्राणियोंके शरीर छोटे-छोटे, क्षीण और रोगग्रस्त होने लगेंगे। वर्ण और आश्रमोंका धर्म बतलानेवाला वेद-मार्ग नष्टप्राय हो जायगा।।१२।।

👉 धर्ममें पाखण्डकी प्रधानता हो जायगी। राजे-महाराजे डाकू-लूटेरोंके समान हो जायँगे। मनुष्य चोरी, झूठ तथा निरपराध हिंसा आदि नाना प्रकारके कुकर्मोंसे जीविका चलाने लगेंगे।।१३।।

👉चारों वर्णोंके लोग शूद्रोंके समान हो जायँगे। गौएँ बकरियोंकी तरह छोटी-छोटी और कम दूध देनेवाली हो जायँगी। वानप्रस्थी और संन्यासी आदि विरक्त आश्रमवाले भी घर-गृहस्थी जुटाकर गृहस्थोंका-सा व्यापार करने लगेंगे। जिनसे वैवाहिक सम्बन्ध है, उन्हींको अपना सम्बन्धी माना जायगा।।१४।।

👉 धान, जौ, गेहूँ आदि धान्योंके पौधे छोटे-छोटे होने लगेंगे। वृक्षोंमें अधिकांश शमीके समान छोटे और कँटीले वृक्ष ही रह जायँगे। बादलोंमें बिजली तो बहुत चमकेगी, परन्तु वर्षा कम होगी। गृहस्थोंके घर अतिथि-सत्कार या वेदध्वनिसे रहित होनेके कारण अथवा जनसंख्या घट जानेके कारण सूने-सूने हो जायँगे।।१५।।

👉परिक्षित्! अधिक क्या कहें - कलियुगका अन्त होते-होते मनुष्योंका स्वभाव गधों - जैसा दुःसह बन जायगा, लोग प्रायः गृहस्थीका भार ढोनेवाले और विषयी हो जायँगे। ऐसी स्थितिमें धर्मकी रक्षा करनेके लिये सत्त्वगुण स्वीकार करके स्वयं भगवान् अवतार ग्रहण करेंगे।।१६।। (श्रीमद्भागवत १२/२)
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

*पौराणिक काल की बात है, जब सृष्टि के रचयिता और पालनकर्ता ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों में व्यस्त थे,* उस समय भगवान शिव कैला...
22/01/2025

*पौराणिक काल की बात है, जब सृष्टि के रचयिता और पालनकर्ता ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों में व्यस्त थे,*

उस समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर गहन ध्यान में लीन थे। उनके साथ माता पार्वती भी थीं, जो हमेशा शिव के साथ रहकर उनकी सेवा में तल्लीन रहती थीं। लेकिन एक दिन कुछ असामान्य हुआ।

माता पार्वती को अचानक अत्यधिक भूख लग गई। भूख की वेदना इतनी तीव्र थी कि उन्होंने भगवान शिव को पुकारा और भोजन की याचना की। परंतु भगवान शिव उस समय गहरी तपस्या में थे और उन्होंने माता की बात का उत्तर नहीं दिया। पार्वती की भूख असहनीय होती जा रही थी, और चारों ओर देखने पर भी उन्हें भोजन का कोई साधन नहीं मिला।

माता पार्वती ने बार-बार भगवान शिव को पुकारा, लेकिन जब उत्तर नहीं मिला, तो उनकी भूख ने उन्हें क्रोधित कर दिया। क्रोध के आवेग में, उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया जिसे इतिहास में कभी नहीं भुलाया गया। माता पार्वती ने अपनी शक्ति का उपयोग करके स्वयं भगवान शिव को ही निगल लिया! यह घटना इतनी असामान्य और अद्भुत थी कि सारा कैलाश पर्वत जैसे थम गया।

जैसे ही भगवान शिव उनके शरीर के अंदर गए, उनकी शक्तियों के कारण माता पार्वती के शरीर से धुआं निकलने लगा। यह धुआं अत्यंत रहस्यमय था, मानो ब्रह्मांड की गूढ़ शक्तियां माता पार्वती के भीतर से प्रकट हो रही हों। उनके शरीर का स्वरूप बदलने लगा। उनकी सुंदरता की जगह एक विकृत और उग्र रूप ने ले लिया। उनकी आंखें तेज चमकने लगीं, और उनके चेहरे पर वैराग्य का भाव उभर आया।

भगवान शिव, जो योग और माया के स्वामी हैं, ने इस स्थिति को समझा। उन्होंने अपनी माया का उपयोग करके माता पार्वती के शरीर से बाहर आने का उपाय किया। जब वे बाहर निकले, तो उन्होंने माता पार्वती के उस अद्वितीय और धूम्र से व्याप्त स्वरूप को देखा। भगवान शिव ने मुस्कुराते हुए माता से कहा:
"हे देवी, आपने मुझे निगल लिया और इस रूप को धारण किया। अब से आपका यह रूप 'धूमावती' नाम से जाना जाएगा। धुएं (धूम्र) से व्याप्त होने के कारण आपका नाम धूमावती होगा।"

उन्होंने आगे कहा:
"जब आपने मुझे निगल लिया, तब आप विधवा का रूप धारण किया। अतः अब आप इस विधवा रूप में ही पूजी जाएंगी। यह रूप दु:ख, वैराग्य, और कठिन परिस्थितियों का प्रतीक होगा।"

भगवान शिव के इन शब्दों के बाद देवी धूमावती का स्वरूप और अधिक गूढ़ और रहस्यमय हो गया। वे एक वृद्ध स्त्री के रूप में प्रकट हुईं, जो विधवा का वेश धारण किए थीं। उनके केश खुले हुए थे, और उनके वस्त्र श्वेत थे। उनके हाथ में एक फटा हुआ झंडा था, जो सांसारिक माया के विनाश का प्रतीक था। उनका वाहन कौवा बना, जो मृत्यु और रहस्यमय शक्तियों का द्योतक है।

भगवान शिव ने देवी धूमावती को यह वरदान दिया कि जो भी सच्चे हृदय से उनकी आराधना करेगा, वह अपने दु:खों से मुक्ति पाएगा। देवी का संबंध ज्येष्ठा नक्षत्र से है, इसलिए उन्हें "ज्येष्ठा" भी कहा जाता है।

ऋषि दुर्वासा, भृगु, और परशुराम जैसे तपस्वियों ने देवी धूमावती की शक्ति को अपनी साधना में पाया। वे सृष्टि के कलह और कठिन परिस्थितियों की देवी मानी जाती हैं। इस कारण उन्हें "कलहप्रिय" भी कहा जाता है।

देवी धूमावती का उग्र स्वरूप भले ही भयावह प्रतीत हो, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी हैं। उनकी पूजा से भक्तों को दु:ख, दरिद्रता, और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। वे उन साधकों को विशेष कृपा प्रदान करती हैं, जो सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर वैराग्य का मार्ग अपनाते हैं।

देवी धूमावती की कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन की कठिनाइयों और दु:खों का सामना करने के लिए धैर्य और वैराग्य का होना आवश्यक है। उनका स्वरूप हमें यह याद दिलाता है कि सांसारिक चीजें क्षणभंगुर हैं, और असली सुख आत्मा की शांति और मुक्ति में है।

यह गाथा अपने रहस्यमय और रोमांचक तत्वों से न केवल तांत्रिक परंपरा में विशेष स्थान रखती है,बल्कि यह हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों की ओर भी प्रेरित करती है..!!

19/01/2025

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