
18/07/2025
ऋषि सुश्रुत भारतीय शल्य चिकित्सा (Surgery) के जनक माने जाते हैं। उनके द्वारा रचित ग्रंथ --
"सुश्रुत संहिता" आज भी आयुर्वेद और चिकित्सा के क्षेत्र में एक महान ग्रंथ माना जाता है l ऋषि सुश्रुत का काल लगभग 600 ईसा पूर्व या उससे भी पहले माना जाता है।
वे काशी (वाराणसी) के निवासी बताए जाते हैं, जो उस समय चिकित्सा का बड़ा केंद्र था।
"सुश्रुत संहिता" आयुर्वेद का एक प्रमुख ग्रंथ है। यह विशेष रूप से शल्य (surgery) और काय चिकित्सा (general medicine) पर केंद्रित है।
ग्रंथ की प्रमुख विशेषताएँ:
1. 120 अध्यायों में विभाजित
2. 1120 रोगों का वर्णन
3. 700 से अधिक औषधियों का उपयोग
4. 300 से अधिक शल्य क्रियाएं
5. सर्जरी के सिद्धांत, जैसे:
Rhinoplasty (नाक की प्लास्टिक सर्जरी)
Cataract surgery (मोतियाबिंद की सर्जरी)
Bone setting (हड्डियों की सर्जरी)
Wound healing (घाव भरने के उपाय)
महर्षि सुश्रुत को विश्व चिकित्सा इतिहास में "Father of Surgery" कहा गया है।
पश्चिमी चिकित्सा विश्वविद्यालयों में आज भी उनके द्वारा लिखित "सुश्रुत संहिता" का अध्ययन किया जाता है।
महर्षि सुश्रुत अपने शिष्यों को मृत शरीर पर अभ्यास कराते थे। यहीं से आधुनिक "Dissection" (शव विच्छेदन) प्रक्रिया का प्रारंभ हुआ
सर्जरी के दौरान चाकू, कैंची, अग्निकर्म (cauterization), सूत (सिलाई) आदि औजारों का उन्होंने अपने पुस्तक में विस्तृत वर्णन किया है l
सुश्रुत ने संक्रमण से बचने, स्वच्छता रखने, और औषधियों की शुद्धता पर भी जोर दिया।
UNESCO और WHO जैसे संस्थानों ने सुश्रुत संहिता को एक ऐतिहासिक चिकित्सा ग्रंथ माना है।
Surgery in Ancient India नामक कई शोधपत्रों में सुश्रुत के काम की तुलना आधुनिक सर्जरी से की गई है।
"सुश्रुत संहिता" चिकित्सा का अद्वितीय ग्रंथ है जो आज भी प्रासंगिक है। उनकी सोच, पद्धति और सिद्धांत आज के चिकित्सा विज्ञान की नींव हैं।