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06/01/2025
05/01/2025

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05/01/2025

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इन 5 संकेतों से पहचानिए बढ़ चुका है थायराइड, देरी करना पड़ सकता है भारीलाइफस्टाइल डेस्कOveractive Thyroid Symptoms: आज थ...
05/01/2025

इन 5 संकेतों से पहचानिए बढ़ चुका है थायराइड, देरी करना पड़ सकता है भारी

लाइफस्टाइल डेस्क
Overactive Thyroid Symptoms: आज थायराइड बहुत कॉमन समस्या होती जा रही है और सबसे हैरानी की बात तो यह है कि ये समस्या अब सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि पुरुषों में भी तेजी से बढ़ रही है। थायराइड के कई लक्षणों (Symptoms Of An Overactive Thyroid) में से एक है शरीर में दर्द। अगर आपको भी अक्सर शरीर के किसी हिस्से में दर्द रहता है, तो ये आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। आइए जानते हैं कि थायराइड बढ़ने पर शरीर के किन-किन हिस्सों में दर्द हो सकता है।

मांसपेशियों में ऐंठन
थायराइड बढ़ने पर मांसपेशियों में दर्द एक आम लक्षण है। यह दर्द मांसपेशियों की कमजोरी और जोड़ों में दर्द के साथ भी हो सकता है। अगर आपको थायराइड की समस्या है और ये लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज से आप इसे गंभीर होने से रोक सकते हैं।

जोड़ों में दर्द
जब थायराइड ग्लैंड बढ़ जाता है, तो कई बार एक बीमारी होती है जिसे सबस्यूट थायरॉयडिटिस कहते हैं। इस बीमारी का एक बड़ा लक्षण है जोड़ों में तेज दर्द। ऐसे में, आपके घुटनों पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ता है और कई बार उठने-बैठने में भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

पैरों में दर्द
थायराइड की समस्या से पीड़ित मरीजों को अक्सर पैरों में तेज दर्द का एहसास होता है। यह दर्द इतना गंभीर हो सकता है कि रोजमर्रा के काम जैसे खड़े होना या चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, कई मरीजों को तलवों में जलन की शिकायत भी रहती है। यह दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है और पेशेंट्स की लाइफ काफी प्रभावित हो सकती है।

गर्दन में दर्द
थायराइड बढ़ने पर मरीज को अक्सर गर्दन के आसपास तेज दर्द होता है। आमतौर पर यह थायराइड के शुरुआती लक्षणों में देखा जाता है, लेकिन समय के साथ यह दर्द काफी तेज हो जाता है। चूंकि थायराइड ग्लैंड गर्दन में मौजूद होता है, इसलिए यह हिस्सा भी सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इसके अलावा, कई मरीजों को गर्दन में सूजन भी नजर आती है।

कान में दर्द
थायराइड की समस्या बढ़ने पर कई बार मरीजों को कान में बेहद तेज दर्द का एहसास होता है। यह दर्द अक्सर जबड़ों तक फैल जाता है, जिससे मरीज को असहनीय पीड़ा होती है। अगर आपको कान और जबड़े में एक साथ दर्द हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जल्दी जांच करवाना बेहद जरूरी है ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके।

Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं!
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हेल्थ और लाइफस्टाइल कोच
आशुतोष कुमार
Ashutosh Sir : Herbalife Independent Distributor

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03/01/2025

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22/05/2024

गुस्सा (Anger Issues) एक मानवीय भावना है, जो उकसावे, हताशा या धमकी के प्रति होने वाली एक प्रतिक्रिया होती है। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे कभी गुस्सा न आया हो। लोग अलग-अलग हालातों में अपनी गुस्सा जाहिर करते हैं, लेकिन गुस्सा जाहिर करने का उनका तरीका काफी अलग हो सकता है। कुछ लोग जहां बहुत जल्दी छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं, तो वहीं कुछ लंबे समय तक अपने गुस्से पर कंट्रोल कर सकते हैं।

गुस्सा हमारी सेहत पर कई तरह से असर डालता है। शारीरिक रूप से, यह एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है, ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को बढ़ाता है, जो हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है। अकसर ऐसा माना जाता है कि हालातों के मुताबिक लोगों को गुस्सा आता है, लेकिन असल में शरीर में कुछ पोषक तत्वों की कमी इसका कारण होती है। अगर आप भी जल्दी गुस्सा करने वालों में से हैं, तो आपके अंदर भी इन न्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है।

मैग्नीशियम की कमी
मैग्नीशियम नर्व फंक्शन और मूड रेगुलेशन के लिए जरूरी है। ऐसे में इसकी कमी से चिड़चिड़ापन, चिंता और स्ट्रेस मैनेजमेंट में कठिनाई हो सकती है, जो क्रोध के रूप में दिखाई दे सकती है।

विटामिन डी की कमी
शरीर में विटामिन डी की कमी को डिप्रेशन और एंग्जायटी समेत मूड डिसऑर्डर से जोड़ा गया है। ये स्थितियां क्रोध की संवेदनशीलता को बढ़ा सकती हैं। विटामिन डी हमारे शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए जरूरी है, जिसमें फास्फोरस का सही अब्जॉर्प्शन भी शामिल है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी
फिश ऑयल और अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। ओमेगा-3 की कमी से मूड में गड़बड़ी हो सकती है, जिसकी वजह से आक्रामकता और क्रोध भी शामिल है। ओमेगा-3 मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाता है और सूजन को कम करके सकारात्मक मूड को बढ़ावा देता है।

विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी
बी विटामिन, विशेष रूप से बी 6, बी 12 और फोलेट, ब्रेन फंक्शन और न्यूरोट्रांसमीटर प्रोडक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इन विटामिन्स की कमी से मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन और गुस्सा हो सकता है। ये विटामिन भोजन को ईंधन में बदलने, सेल रिपेयरिंग में मदद करने और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करते हैं।

आयरन की कमी
आयरन हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन के लिए जरूरी है, जो मस्तिष्क तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। ऐसे में आयरन का निम्न स्तर थकान, डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन का कारण बन सकता है, जो गुस्से को उकसाने में योगदान कर सकता है।

जिंक की कमी
जिंक की कमी से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली खराब हो सकती है और मूड संबंधी डिसऑर्डर हो सकते हैं, जिनमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ना भी शामिल है। जिंक स्वस्थ मस्तिष्क कार्य का समर्थन करता है और न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोनल प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है।

Ashutosh Kumar
Health Zone
093047 12343

22/05/2024

गर्मियों में बच्चों को लेकर ये जानकारी पढ़ें और शेयर करें :

गर्मियों में बच्चे ख़ास कर नवजात शिशु काफ़ी जल्दी dehydrate हो जाते हैं। अर्थात् गर्मी की वजह से उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
ये गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है और जानलेवा भी हो सकती है।

काफ़ी ज़रूरी है कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में हर कुछ देर पर पानी पिलाते रहें।
अगर बच्चा दस्त या उल्टी से पीड़ित है तो अपने बच्चे को उल्टी करने के बाद एक घंटे तक प्रतीक्षा करें और फिर एक घंटे तक हर 10 मिनट में एक चम्मच तरल पदार्थ दें।

अगर नवजात शिशु है तो नियमित स्तनपान करायें।
अगर बच्चे को उल्टी आ रही है तो
उल्टी करने के बाद कुछ देर तक प्रतीक्षा करें और फिर सही तरीक़े से स्तनपान करायें।

अगर शिशुओं में ये सब लक्षण हैं तो सतर्क हो जायें:

❌सूखे, फटे हुए होंठ या जीभ
❌गहरे रंग का मूत्र
❌आठ घंटे तक बहुत कम या बिल्कुल पेशाब न आना
❌ठंडी या सूखी त्वचा
❌धँसी हुई आँखें या सिर पर धँसा हुआ मुलायम स्थान (शिशुओं के लिए)
❌अत्यधिक तंद्रा
❌निम्न ऊर्जा स्तर
❌रोते समय आँसू नहीं
❌अत्यधिक उतावलापन
❌तेज़ गति से साँस लेना

इन सब मामलों में अपने डॉ की सलाह लें।

और सबसे ज़रूरी बात ये कि कभी भी लगे कि बच्चा थोड़ा भी सुस्त हो रहा है तो इसे काफ़ी गंभीरता से लें और तुरंत डॉ से संपर्क करें।

20/05/2024

रेबीज को लेकर तथ्य तो हम सभी को जानना चाहिए:

1) रेबीज सिर्फ़ कुत्तों के काटने से नहीं बल्कि बिल्ली, बंदरों इत्यादि से भी हो सकता है

2) जानवरों के काटने के अलावा नोचने से भी हो सकता है

3) वैक्सीन की कोई समय सीमा नहीं है। अर्थात् अगर किसी कारणवश 24 घंटे के अंदर नहीं लगवा पाये तो बाद में भी लगवा सकते। symptom आने से पहले लग जाना चाहिये।
अगर एक साल पहले काटा है तो भी अभी लगवा सकते हैं।

4) रेबीज के symptom आने के समय में काफ़ी ज़्यादा variation है। हो सकता है 4 दिन में ही आ जाये या 25 वर्ष बाद भी।
अगर exposure हुआ है तो ना ख़ुद में symptom आने का इंतज़ार करना है और ना जानवर के मरने का। जितनी जल्दी हो सके anti rabies vaccine लेना है

5) रेबीज लाइलाज बीमारी है।वैक्सीन ही उपचार है। मरीज़ में अगर रेबीज के लक्षण आ जाये तो मृत्यु दर क़रीब 100 फ़ीसदी है।

इसीलिए सावधानी और सतर्कता बेहद ज़रूरी है। यदि किसी ऐसे जानवर के संपर्क में आएँ तो जितनी जल्दी हो anti-rabies वैक्सीन ले लेनी चाहिये।

06/05/2024

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट

हाल के दिनों में हम लोग ये दोनों शब्दों को सुनते आ रहे हैं । अक्सर लोग दोनों को एक ही चीज़ समझते हैं बल्कि दोनों बिलकुल अलग अलग चीज़ें हैं।

हम ज़्यादा टेक्निकल ना जा कर सामान्य शब्दों में समझने की कोशिश करेंगे।

चलिये समझने के लिये हम हृदय को एक पानी के पम्प की तरह मानते हैं।
पम्प को अगर देखें तो इसमें दो चीज़ें हैं। पहली की उसमें बिजली का प्रवाह आता है और उस बिजली के प्रवाह से जो ऊर्जा आती है उसकी मदद से पम्प पानी को खींच कर बाहर फेंकता है।

⭕️ अगर पम्प के नली में कुछ फँस जाए तो पम्प पानी ठीक से फेंक नहीं पाएगा |
हार्ट अटैक में यही होता है। हृदय की नली में किसी कारणवश सिकुड़ने आ जाये या कुछ फँस जाए या जम जाए तो वो शरीर में खून अच्छे से नहीं भेज पाता। हार्ट अटैक में मरीज़ अचानक से बेहोश नहीं होते।

उनमें ये लक्षण देखने को मिल सकता है

सीने में दर्द होना।
यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है कभी बायें हाथ या कंधे की तरफ जाता है कई बार जबड़े में या दांत में भी दर्द हो सकता है।
सांस लेने में तकलीफ और पसीना आना।
कुछ लोगो को गैस होने की फीलिंग आती है।

⭕️ लेकिन अगर पम्प में बिजली का प्रवाह अचानक बंद हो जाए तो पम्प बिलकुल काम करना बंद कर देगा। कार्डियक अरेस्ट में यही होता है। हृदय में करेंट का प्रवाह अचानक से बंद हो जाता है जिसके कारण हृदय अचानक से पूरी तरह रुक जाता। इसी कारणवश मरीज़ अचानक से तुरंत बेहोश हो जाता।

इसमें आप CPR दे कर कोशिश करते हैं कि हृदय वापस पम्प करना शुरू करे या प्रेशर से वो खून पम्प करता रहे। और जैसे ही मरीज़ अस्पताल पहुँचता है AED मशीन की मदद से उसे वापस से स्टार्ट करने की कोशिश की जाती है।

चाय पीने की जगह --------   पानी पियें जंक फूड की जगह--------- फ्रूट्स खाये लिफ्ट की जगह ------------सीढ़ियां लें बैठे रह...
04/05/2024

चाय पीने की जगह -------- पानी पियें
जंक फूड की जगह--------- फ्रूट्स खाये
लिफ्ट की जगह ------------सीढ़ियां लें
बैठे रहने की जगह --------- टहलें
फोन को बार-बार देखने की जगह - मेडिटेशन करे
टीवी की जगह -------------आउटडोर गेम खेले
स्ट्रेस में हो तो अपने --------- यार /परिवार से बात करे
फालतू वीडियो की जगह -हमें फॉलो करें- 😜
: 9304712343

ये छोटी बातें जिंदगी और सेहत में बड़ा रंग लाएंगी फैसला आप पर है

सेहत चुनते हैं कि हॉस्पिटल का बिल

दो मिनट का समय हो तो एक बार अवश्य पढ़ेंआपकी बीमारियों का कारण यही तो नही...आखिर 20 -35 साल के युवाओं को गंभीर बीमारी क्य...
26/04/2024

दो मिनट का समय हो तो एक बार अवश्य पढ़ें

आपकी बीमारियों का कारण यही तो नही...

आखिर 20 -35 साल के युवाओं को गंभीर बीमारी क्यों हो रही है !!

1. दस रू किलो टमाटर लेकर ताजा चटनी खा सकते हैं, मगर हम डेढ़ सौ रू किलो टमाटो साँस खाते हैं वो भी एक दो माह पहले बनी हुई बासी, कई प्रकार के केमिकल डला हुआ ।

2. पहले हम एक दिन पुराना घड़े का पानी नहीं पीते थे, घर में रोज सुबह घड़े का पानी बदलते थे, अब तीन माह पुराना बोतल का पानी बीस रू लीटर खरीद कर पी रहे हैं, केमिकल डला हुआ ।

3. पचास रू लीटर का दूध हमे महंगा लगता हैं और सत्तर रू लीटर का दो महीने पहले बना हुआ कोल्ड ड्रिंक हम पी लेते हैं।इसमें पूरा का पूरा केमिकल डला हुआ ।

4. दो सौ रू पाव मिलने वाला शरीर को ताकत देने वाला ड्राई फ्रुट हमें महंगा लगता है मगर 200 रू. का मैदे से बना पीज्जा शान से खा रहे हैं, इसमे बहुत सारे केमिकल डला हुआ ।

5. अपनी रसोई का सुबह का खाना हम शाम को खाना पसंद नहीं करते जब कि हम कई तरह के केमिकल मिले सामान हम खा रहे हैं ।

6. विगत कई माह के लाँकडाऊन में सबको संभवतः समझ आ गया होगा कि बाहर के खाने के बिना भी हमारा जीवन चल सकता हैं बल्कि बेहतर चल सकता है।

सोचने योग्य एवं गंभीर विचारणीय विषय है, क्या कारण है कि 20-35 साल के युवा को हार्ट अटैक आ रहा है।

हार्ट फेल हो रहा है ,किडनी खराब हो रही है, लिवर फेल हो रहे है ।

कही यही सब तो कारण नहीं बन रहे है ।

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