Dr. Friend life care

Dr. Friend life care All medicine available in very good prices

आगरा, मुरैना, धौलपुर, भरतपुर, किरावली, मथुरा, फ़िरोज़ाबाद, हाथरस, सादाबाद आदि आस पास के नगरवासी भी अपने अपने शहर की जलेबी,...
04/10/2024

आगरा, मुरैना, धौलपुर, भरतपुर, किरावली, मथुरा, फ़िरोज़ाबाद, हाथरस, सादाबाद आदि आस पास के नगरवासी भी अपने अपने शहर की जलेबी, कचौड़ी, मिठाई को बाकी शहरों से श्रेष्ठ की बहस मे पड़े रहते हैँ अब इस मंदबुद्धि को कौन समझाए कि हरियाणा की बासी पैक्ड जलेबी कौन खायेगा? वैसे इस मूर्ख को कोई बता दे जलेबी की शेल्फ लाइफ नहीं होती वह बासी हो जाती है घंटे भर में. जिस की बात वह कहना चाह रहा है उस को इमरती कहते हैँ. दिखती जलेबी जैसी है यानी की (जलेबी की जाति की ही है यानी कि यह मिठाइयों में OBC में आती है और हो सकता है कि चरसी को इसलिए भी इस मिठाई पर बहुत प्यार आ रहा है) पर वह होती उतनी ही अलग है जितनी राबड़ी देवी जी से इमरती देवी हैँ. दोनों एक दूसरे से विपरीत आइटम हैं।

02/10/2024

4,85,56,75,90,000.00/- ₹ की संपत्ति रखने वाले राकेश झुनझुनवाला (बिगबुल/स्टॉक ट्रेडर) के निधन से पहले के अंतिम शब्द.....

मैं व्यापार जगत में सफलता के शिखर पर पहुँच चुका हूँ। मेरा जीवन दूसरों की नज़र में एक उपलब्धि है। हालाँकि, काम के अलावा मेरे पास कोई खुशी नहीं थी। पैसे केवल एक सत्य हैं जिसका मैं उपयोग करता हूँ।

इस समय अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए और अपनी पूरी जिंदगी को याद करते हुए, मुझे एहसास होता है कि मुझे जो पहचान और पैसे पर गर्व था, वह मृत्यु से पहले झूठा और बेकार हो गया है।

आप अपनी कार चलाने या पैसे कमाने के लिए किसी को किराए पर ले सकते हैं। लेकिन, आप किसी को पीड़ित होने और मरने के लिए किराए पर नहीं ले सकते।

खोई हुई भौतिक वस्तुएँ मिल सकती हैं। लेकिन एक चीज़ है, जो खो जाने पर कभी नहीं मिलती - और वह है "जीवन"।

हम जीवन के किसी भी चरण में हों, समय के साथ हमें उस दिन का सामना करना होगा, जब दिल बंद हो जाएगा।

अपने परिवार, जीवनसाथी और दोस्तों से प्यार करें...🙏 उनके साथ अच्छा व्यवहार करें, उनके साथ धोखा न करें, बेईमानी या विश्वासघात कभी न करें।

जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं और समझदार बनते हैं, हमें धीरे-धीरे एहसास होता है कि Rs 300 या Rs 3000 या Rs 2-4 लाख की कीमत की घड़ी पहनने से - सब कुछ एक ही समय को दर्शाता है।

हमारे पास 100 का पर्स हो या 500 का - अंदर सब कुछ समान होता है।

चाहे हम 5 लाख की कार चलाएँ या 50 लाख की कार चलाएँ। रास्ता और दूरी एक ही है और हम उसी मंजिल पर पहुँचते हैं।

हम जिस घर में रहते हैं, चाहे वह 300 वर्ग फुट का हो या 3000 वर्ग फुट का - अकेलापन हर जगह समान है।

आपको एहसास होगा कि आपकी सच्ची आंतरिक खुशी इस दुनिया की भौतिक वस्तुओं से नहीं मिलती।

आप फर्स्ट क्लास या इकोनॉमी क्लास में उड़ान भरें, अगर विमान नीचे गिरता है तो आप भी उसके साथ नीचे ही जाएंगे।

इसलिए.. मैं आशा करता हूँ कि आपको एहसास होगा, आपके पास दोस्त, भाई और बहनें हैं, जिनके साथ आप बातें करते हैं, हंसते हैं, गाते हैं, सुख-दुख की बातें करते हैं,... यही सच्ची खुशी है!!

जीवन की एक निर्विवाद सच्चाई:

अपने बच्चों को केवल अमीर बनने के लिए शिक्षित न करें। उन्हें खुश रहना सिखाएँ। जब वे बड़े होंगे तो उन्हें चीज़ों की लागत नहीं, मूल्य की जानकारी होगी।

जीवन क्या है❓

जीवन को बेहतर समझने के लिए तीन स्थान हैं:
- अस्पताल
- जेल
- श्मशान

अस्पताल में आप समझेंगे कि स्वास्थ्य से अच्छा कुछ नहीं है।
जेल में आप देखेंगे कि आज़ादी कितनी अमूल्य है।
और श्मशान में आपको एहसास होगा कि जीवन कुछ भी नहीं है।

आज हम जिस ज़मीन पर चल रहे हैं, वह कल हमारी नहीं होगी।

💐जन्मदिन की बधाई💐हमारे इस "नये भारत" में  "सनातन धर्म की पताका" को विश्व पटल पर लहराने वाले,भारत की संस्कृति से विश्व को...
17/09/2024

💐जन्मदिन की बधाई💐
हमारे इस "नये भारत" में "सनातन धर्म की पताका" को विश्व पटल पर लहराने वाले,
भारत की संस्कृति से विश्व को परिचय कराने वाले,
आतंकवादियो की बैंड बजाने वाले,
देश को एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने वाले,
पाकिस्तान को बिना गोला बारूद के बर्बाद करने वाले,
आस्तीन के सांपों को एक जगह जमा करने वाले
देशविरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले
देश को समृद्ध और संपन्न बनाने वाले....

"माननीय, यशश्वी, प्रधानमंत्री जी"
🌹श्री नरेन्द्र दामोदरदासजी मोदी🌹 को आज
17 सितंबर 2024 को उनके
🎂 जन्मदिन 🎂 के उपलक्ष्य में
💐हार्दिक बधाई एवं बारम्बार शुभकामनाएं...💐
💐💐💐💐💐💐💐
आप यूं ही आगे सफलतापूर्व

26/08/2024
06/08/2024

📜 31 जुलाई 📜

अमर शहीद ऊधम सिंह बलिदान दिवस 💐

जन्म : 26 दिसंबर 1899
मृत्यु : 31 जुलाई 1940

लोगों में आम धारणा है कि ऊधम सिंह ने जनरल डायर को मारकर जलियाँवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था लेकिन भारत के इस सपूत ने डायर को नहीं बल्कि माइकल ओडवायर को मारा था जो अमृतसर में बैसाखी के दिन हुए नरसंहार के समय पंजाब प्रांत का गवर्नर था।

ओडवायर के आदेश पर ही जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग में सभा कर रहे निर्दोष लोगों पर अंधाधुँध गोलियाँ बरसाई थीं। ऊधम सिंह इस घटना के लिए ओडवायर को जिम्मेदार मानते थे।

26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में जन्मे ऊधम सिंह ने जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी जिसे उन्होंने अपने सैकड़ों देशवासियों की सामूहिक हत्या के 21 साल बाद खुद अंग्रेजों के घर में जाकर पूरा किया।

ऊधम सिंह अनाथ थे। सन् 1901 में ऊधम सिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। ऊधम सिंह का बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्ता सिंह था, जिन्हें अनाथालय में क्रमश: ऊधम सिंह और साधु सिंह के रूप में नए नाम मिले। अनाथालय में ऊधम सिंह की जिन्दगी चल ही रही थी कि 1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया और वह दुनिया में एकदम अकेले रह गए। 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए।

डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी तथा रोलट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में लोगों ने 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन एक सभा रखी जिसमें ऊधम सिंह लोगों को पानी पिलाने का काम कर रहे थे। इस सभा से तिलमिलाए पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओडवायर ने ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड डायर को आदेश दिया कि वह भारतीयों को सबक सिखा दें। इस पर जनरल डायर ने 90 सैनिकों को लेकर जलियाँवाला बाग को घेर लिया और मशीनगनों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी जिसमें सैकड़ों भारतीय मारे गए। जान बचाने के लिए बहुत से लोगों ने पार्क में मौजूद कुएँ में छलाँग लगा दी।

बाग में लगी पट्टिका पर लिखा है कि 120 शव तो सिर्फ कुएँ से ही मिले। आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या 379 बताई गई जबकि पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुसार कम से कम 1300 लोग मारे गए थे। स्वामी श्रद्धानंद के अनुसार मरने वालों की संख्या 1500 से अधिक थी, जबकि अमृतसर के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर स्मिथ के अनुसार मरने वालों की संख्या 1800 से अधिक थी।

राजनीतिक कारणों से जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई। इस घटना से वीर ऊधम सिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियाँवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओडवायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली।

ऊधम सिंह अपने काम को अंजाम देने के उद्देश्य से 1934 में लंदन पहुँचे। वहाँ उन्होंने एक कार और एक रिवाल्वर खरीदी तथा उचित समय का इंतजार करने लगे। भारत के इस योद्धा को जिस मौके का इंतजार था, वह उन्हें 13 मार्च 1940 को उस समय मिला जब माइकल ओडवायर लंदन के काक्सटन हाल में एक सभा में शामिल होने के लिए गया। ऊधम सिंह ने एक मोटी किताब के पन्नों को रिवाल्वर के आकार में काटा और उनमें रिवाल्वर छिपाकर हाल के भीतर घुसने में कामयाब हो गए।

सभा के अंत में मोर्चा संभालकर उन्होंने ओडवायर को निशाना बनाकर गोलियाँ दागनी शुरू कर दीं। ओडवायर को दो गोलियाँ लगीं और वह वहीं ढेर हो गया। अदालत में ऊधम सिंह से पूछा गया कि जब उनके पास और भी गोलियाँ बचीं थीं, तो उन्होंने उस महिला को गोली क्यों नहीं मारी जिसने उन्हें पकड़ा था। इस पर ऊधम सिंह ने जवाब दिया- हाँ ऐसा कर मैं भाग सकता था, लेकिन भारतीय संस्कृति में महिलाओं पर हमला करना पाप है।

31 जुलाई 1940 को पेंटविले जेल में ऊधम सिंह को फाँसी पर चढ़ा दिया गया जिसे उन्होंने हँसते-हँसते स्वीकार कर लिया। ऊधम सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर दुनिया को संदेश दिया कि अत्याचारियों को भारतीय वीर कभी बख्शा नहीं करते।
31 जुलाई 1974 को ब्रिटेन ने ऊधम सिंह के अवशेष भारत को सौंप दिए। ओडवायर को जहाँ ऊधम सिंह ने गोली से उड़ा दिया वहीं जनरल डायर कई तरह की बीमारियों से घिर कर तड़प तड़प कर बुरी मौत मारा गया।

05/07/2024

कभी कभी "गुस्सा", मुस्कुराहट से भी ज्यादा 'स्पेशल' होता है । क्योंकि....स्माइल तो सबके लिए होती है। मगर "गुस्सा" सिर्फ उसके लिए होता है जिसे हम कभी "खोना" नहीं चाहते!

14/06/2024

दुनिया उसी की कदर करती है, जो खुद को कीमती बनाता है! उसकी नही जो जरा सी मुसीबत देखकर हार मान जाता है!!

14/06/2024

सुख चाहते हैं तो रातों में जागना नहीं, शांति चाहते हैं तो दिन में सोना नहीं, सम्मान चाहते हैं तो व्यर्थ में बोलना नहीं, प्यार चाहते हैं तो अपनों को छोड़ना नहीं!!

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