14/07/2025
۞ कैंसर गज केशरी हीरक ۞
जब कैंसर रोगी चौथे स्टेज में पहुँचता है — जहाँ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है, खून की कमी, गठानें (Tumors), मवादयुक्त घाव और असहनीय दर्द होता है — वहाँ केवल आयुर्वेदिक रसायन, विशेष भस्में और सूक्ष्म गुणधर्म वाली औषधियाँ ही रोगी को संबल दे सकती हैं।
इस वक्त में हमें रोगी की स्थिति के अनुसार कई तरह के कॉम्बिनेशन देने पड़ते हैं उसी को ध्यान में रखते हुए यह विशेष योग "कैंसर गज केशरी हीरक" बस्तर हर्बल्स में तैयार किया जाता है ।
✪ घटक :
• हीरक भस्म (Diamond Bhasma) – 1 ग्राम
⇏ तेज़ रोग-प्रतिरोधक, कोशिकाओं की पुनर्रचना, कैंसररोधी नैनो पार्टिकल्स के रूप में कार्य करता है।
• स्वर्ण भस्म (Gold Bhasma) – 1 ग्राम
⇏ इम्यून बूस्टर, धातुपोषक, रोगनाशक और रेडिएशन के दुष्प्रभाव से रक्षा करता है।
• मुक्ता पिष्टी (Pearl Calcium Pishti) – 4 ग्राम
⇏ शीतवीर्य, तिक्त-कषाय, मन को शांति देने वाली, रक्तसुद्धिकरण में सहायक।
• ताम्र भस्म (Copper Ash) – 1 ग्राम
⇏ अर्बुदशोषक, कफवातहर, यकृत-शुद्धिकारी, रस-रक्त दोषनाशक।
• माणिक्य भस्म (Ruby Bhasma) – 2 ग्राम
⇏ पित्तशामक, रक्तवर्धक, वातपित्त दोषों को संतुलित करने वाला।
• तालसिंदूर (Tal Sindoor – Red Sulphide of Mercury) – 2 ग्राम
⇏ अर्बुदहारी, सूजन-नाशक, ज्वरहर, विषनाशक।
• त्रैलोक्य चिंतामणि रस (Trailokya Chintamani Rasa – Classical Herbometallic compound) – 3 ग्राम
⇏ अत्यंत रसायन, रोगहर, सभी अर्बुदों (Tumors) के लिए शोधनकारक।
✦ निर्माण विधि :
✓ सहजन (Moringa bark), दूब (Cynodon dactylon), धमासा और तुलसी (Holy Basil) के क्वाथ से रोजाना 5-6 घंटे तक खरल करें
✓ इस तरह से सात भावना दीजिये और हर बार छाया में ही सुखाना है |
✓ खरल की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद 2-2 रत्ती (250 mg) की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें।
✓ बस्तर हर्बल्स में हम इसे सूक्ष्म औषधी कल्पना में भी बनाते हैं |
✦ मात्रा और सेवन विधि :
⇏ सामान्य खुराक: 1 गोली सुबह व शाम, खाली पेट।
⇏ अनुपान: शहद, तुलसी रस या गिलोय स्वरस के साथ चाटकर लें।
⇏ कमज़ोर रोगी: 1 गोली केवल सुबह; यदि पित्त प्रकोप हो तो मुक्तापिष्टी बढ़ाकर दें। भोजन से 1 घंटा पूर्व और साथ में "धमासा काढ़ा" 50 ml देना अनिवार्य।
✦ मुख्य लाभ :
✰ सभी प्रकार के अर्बुदों (Cancerous Tumors) में प्रभावी
✰ स्तन कैंसर (Breast Cancer), फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer), मुख-गला कैंसर में विशेष लाभ
✰ पुराने फोड़े, गलते हुए घाव और सिस्ट में तीव्र परिणाम
✰ कोशिकीय स्तर पर रोग-प्रतिरोधक क्षमता पुनः जागृत करता है
✰ जिन मरीज़ों में कीमोथैरेपी या रेडिएशन से क्षीणता हो, उनके लिए यह बल देता है, किमो के साथ भी सेवन कर सकते हैं |
✰ रक्तस्राव (bleeding) व स्रावी अर्बुदों (ulcerated tumors) में विशेष कारगर
✦ ग्रंथ प्रमाण :
✤ रसतंत्रसार-सिद्धप्रयोग:
“हीरकं सर्वरोगेषु, अर्बुदे शूलनाशनम्। रसायनं तु दिव्यं, रोगक्लेशविनाशनम्॥”
– हीरक भस्म सभी रोगों में उपयोगी है, विशेषकर अर्बुद और दर्द में। यह उत्तम रसायन है।
✤ भैषज्य रत्नावली – अर्बुद चि.:
“त्रैलोक्यचिंतामणिर्दिव्यो, अर्बुदान् नाशयेद्रणात्। सोऽयं रसायनश्रेष्ठो, क्षयं पित्तकफजं जयेत्॥”
– त्रैलोक्य चिंतामणि रस अर्बुद, फोड़े, शूल और क्षय नाशक है।
✤ रसप्रकाश सुधाकर:
“स्वर्णं रसायनं श्रेष्ठं, जीवनं बलवर्धनम्। अर्बुदं नाशयेत् शीघ्रं, रक्तपित्तहरं परम्॥”
– स्वर्ण भस्म उत्तम रसायन, जीवन वर्धक, बलदायक और अर्बुद हर है।
✦ शोध :
★ Diamond Bhasma (Hirak) –
→ Cytotoxic on cancer cells, apoptosis-inducing effect shown in vitro.
[Ref: IJTK, CSIR-NIScPR, 2021]
★ Gold Bhasma –
→ Enhances T-cell modulation, reduces oxidative damage in cancer.
[Ref: Journal of Ayurveda and Integrative Medicine, 2022]
★ Tamra Bhasma –
→ Copper ion-based cancer cytotoxicity, especially in hepatocellular carcinoma.
[Ref: Bioinorganic Chemistry and Applications, 2020]
★ Trailokya Chintamani Ras –
→ Shows multiple organ-protective effects post chemotherapy.
[Ref: AYUSH Clinical Trials Registry, 2023 - CTRI/2023/06/002778]
✦ निर्देश :
⤷ यदि रोगी को तेज़ दर्द हो तो रसपर्पटी या गिलोय सत्व + अफीम/गांजा मिश्रण दी जा सकती है।
⤷ जिन मरीज़ों को कब्ज़ हो, उन्हें सुबह त्रिफला गुग्गुलु या गन्धर्व हरीतकी दें।
⤷ भोजन में केवल मूँग की खिचड़ी, नारियल पानी, बेल शर्बत और गौ-घृत युक्त सूप लें।
⤷ नशे का परित्याग अत्यावश्यक है – अन्यथा औषधियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं।
⤷ पित्त प्रकृति वालों को शीतल द्रव्यों के साथ दें – जैसे प्रवाल पिष्टी, शंख भस्म, गिलोय सत्व।
✦ あ याद रहे :
⇏ यह योग उन कैंसर मरीज़ों के लिए बना है जिन्हें जीवन की अंतिम उम्मीद दी जानी हो।
⇏ अगर कोई रोगी कैंसर के पता चलने पर एलोपैथी के साथ साथ यह कॉम्बिनेशन भी लेता है तो अति संभावना है की वह आजीवन कैंसर से मुक्त रहेगा |
⇏ यह रसायन, बल्य और अर्बुदहर तीनों रूपों में कार्य करता है।
⇏ सहजन, दूब और तुलसी की भावना इसे और सूक्ष्म एवं तीव्र बना देती है।
⇏ सभी कैंसर एक जैसे नहीं होते, अतः यह योग अकेले नहीं, बल्कि अन्य supportive योगों के साथ संयोजन में दिया जाना चाहिए।
⇏ हमेशा कैंसर के प्रकार, रोगी की स्थिति, रोगी की प्रकृति, कैंसर के स्टेज के अनुसार ही कॉम्बिनेशन करें |
✦A rare and high-potency herbometallic formulation, “Cancer Gaj Keshari Hirak” is ideal in terminal solid tumors, epithelial malignancies and ulcerated cancers. Not suitable for leukemia or sarcomas without modification. Shows cellular rejuvenation and inflammation resolution.
✦ विश्लेषण:
यह योग वातपित्तजन्य अर्बुदों (Tridoshic tumors with heat and pain) में सबसे अधिक लाभदायक सिद्ध होता है। जब शरीर की सातों धातुएँ दुर्बल हों, अन्नपाचन मंद हो और रोग प्रतिकारकता न्यूनतम स्तर पर हो, तब यह रसायन कोशिका स्तर पर पुनर्निर्माण करता है और रोगी में नव जीवन की आशा जगाता है।
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⟴ वैद्य मुहम्मद अख्तर
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