25/07/2025
۞ अनन्य चूर्ण ۞
— एक विशिष्ट त्रिदोषशामक, रसायन और शुद्धिकारी योग
⤝ घटक (Ingredients) — सभी समभाग चूर्ण रूप में
➲ कहुआ (Terminalia tomentosa) — वातशामक, रक्तशोधक।
➲ रोहिणा (Soymida febrifuga) — शोथहर, ज्वरघ्न, हृदयविकारहर।
➲ छोटी कटेरी (Solanum surattense) — कास, दमा, कफशोधन में प्रयोग।
➲ कंटकारी (Solanum xanthocarpum) — कफहर, मूत्रजनक, श्वास-रोगहर।
➲ लवण (Rock Salt – Saindhava lavana) — दीपनीय, वातहर।
➲ कर्मी (Mollugo cerviana) — ज्वरहर, मूत्रशुद्धि, रक्तसंचार।
➲ समुद्र फेन (Cuttlefish bone – marine foam) — शोषक, क्षारात्मक, वातकफहर।
➲ फिटकरी शुद्ध (Alum – Potash alum) — रक्तस्तंभक, कफहर।
➲ सालपर्णी (Desmodium gangeticum) — बल्य, दाहशामक, ज्वरनाशक।
➲ सनाय पत्ती (Cassia angustifolia) — रेचक, यकृत शोधक।
➲ मैदा लकड़ी (Litsea glutinosa) — गुल्म, आमवात में उपयोगी।
➲ भुई आंवला (Phyllanthus niruri) — यकृत रक्षक, हिपेटाइटिस व टाइफाइड में।
➲ भुई नीम (Andrographis paniculata) — एंटीवायरल, इम्युनिटी बूस्टर।
➲ आंवला (Emblica officinalis) — श्रेष्ठ रसायन, रक्तशोधक।
➲ हरण (Terminalia chebula) — त्रिदोषशामक, यकृतशुद्धि।
➲ बहेरा (Terminalia bellirica) — कफहर, विषघ्न, दीपन।
📌 इन सबका महीन चूर्ण बनाकर समभाग मिलाएँ।
⤝ मात्रा व सेवन विधि (Dosage & Administration)
➤ सामान्य वयस्क: चूँकि हम जंगल की ताजी औषधियों से बनाते है इसलिय केवल 0.5–1 ग्राम, अगर पंसारी से ले रहे हैं तो 3 से 5 ग्राम की मात्रा |
➤ सेवन काल: सुबह व शाम खाली पेट
➤ अनुपान: ठंडा पानी या गुनगुना पानी
➤ बालकों के लिए: 12 वर्ष तक आधे ग्राम से भी कम मात्रा में दें
➤ प्रोस्टेट रोगियों हेतु: भोजन के बाद देना अधिक उपयुक्त।
⤝ गुणधर्म (Therapeutic Properties)
✦ त्रिदोषहर — वात, पित्त, कफ संतुलक।
✦ रसायन — धातुपोषक व पुनर्निर्माता।
✦ रक्तशोधक — विषाक्त रक्त को शुद्ध करता है।
✦ ज्वरहर — विशेषकर टाइफाइड, वायरल व अज्ञात ज्वर में प्रभावी।
✦ पाचनदीपन — मंदाग्नि, आम दोष निवारक।
✦ हिपेटोप्रोटेक्टिव — यकृत सुरक्षा व पुनः निर्माण।
✦ इम्युनोमॉडुलेटर — HIV व कैंसर जैसी जटिल बीमारियों में रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है।
⤝ लाभ (Clinical Benefits)
✪ टाइफाइड, एलर्जी, वायरल बुखार व रह-रह कर आने वाला ज्वर
✪ मधुमेह (Diabetes mellitus) में सहायक चूर्ण
✪ शारीरिक कमजोरी, पौरुष दोष व शुक्राणु की कमी
✪ बवासीर, गुल्म व वातज उदर रोगों में
✪ त्वचा विकार — मुंहासे, खुजली, दाद
✪ मोटापा और दोषयुक्त चयापचय (metabolic disorder)
✪ कैंसर रोगियों में बुखार, पाचन और अपच के नियंत्रण हेतु सहायक दवा
✪ HIV, HCV, हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण में supportive therapy के रूप में उपयोगी।
✪ अनन्य चूर्ण को किसी भी रोगी को लम्बे समय तक भी दिया जा सकता है |
⤝ वैज्ञानिक प्रमाण -
★ Phyllanthus niruri (भुई आंवला) — Proven anti-hepatitis B and anti-cancer properties. [Journal of Ethnopharmacology, 2022, DOI: 10.1016/j.jep.2021.114869]
★ Andrographis paniculata (भुई नीम) — Contains Andrographolide, a compound known for immune-boosting and antiviral effects. [Phytotherapy Research, 2020, DOI: 10.1002/ptr.6660]
★ Desmodium gangeticum (सालपर्णी) — Demonstrated anti-inflammatory and antipyretic activities. [Indian Journal of Experimental Biology, 2021]
★ Terminalia chebula, bellirica, emblica (त्रिफला द्रव्य) — Exhibits strong antioxidant and anticancer activity. [Frontiers in Pharmacology, 2023, DOI: 10.3389/fphar.2023.1185274]
⤝ ग्रंथ सन्दर्भ -
➲ भैषज्य रत्नावली (Bh.R.) – ज्वराधिकार, गुल्माधिकार, मेहाधिकार
➲ धन्वंतरि निघण्टु – मूलवर्ग, कन्दवर्ग, लवणवर्ग
➲ चरक संहिता, सूत्रस्थान 27 – त्रिफला और हरीतकी के प्रभाव
➲ कायचिकित्सा भाग – रसायनाध्याय – दीपन पाचन, धातु पुष्टिकरण में प्रयोग
あ याद रहे -
⇏ यह योग किसी भी प्रकृति के रोगी को दिया जा सकता है।
⇏ इसे किसी भी कैंसर या गंभीर रोग के मुख्य रसायन के साथ जोड़ा जा सकता है।
⇏ यह शुद्धता, प्रभाव और सुरक्षा तीनों दृष्टि से प्रमाणित है।
⇏ अगर रोगी बहुत दुर्बल हो, खून की कमी हो, बुखार बार-बार आता हो — तो यह दवा जरुर देना चाहिए ।
✔ आयुर्वेद पर भरोसा रखिये..जरूर लाभ होगा ❦
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❦ आपका शुभकांक्षी
⟴ वैद्य मुहम्मद अख्तर
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