Dr sandeep bhagwat orthopedic hospital

Dr sandeep bhagwat orthopedic hospital a hospital for fractures dislocations and associated injuries.

19/05/2017

अभी तक हमने ताकत बढ़ने वाली कसरतो के बारे में जाना आइये अब स्ट्रेचिंग कसरतों के बारे में जाने:
1. घुटने को पेट के पास लाइए और पैर को हाथों से पकड़कर घुटने को जितना अधिक मोड़ सकते हैं मोड़िये. इससे क्वाड्रिसेप्स मसल स्ट्रेच होगी.
२. सीधे लेटकर एक लम्बी पट्टी पैर के पंजे पर से घुमा कर दोनो हाथों में पकड़ें पैर को धीरे धीरे ऊपर उठायें पंजे को अपनी ओर पट्टी की सहायता से खीचें. इससे काफ और हेमस्ट्रिंग मसल खिचेगी.

18/05/2017

घुटने की ओस्टियो आर्थरायटिस के लिए व्यायाम:
मुख्यतया दो प्रकार के व्यायाम किये जाते हैं.
पहले तो वे व्यायाम जिनसे घुटने पर कार्य करने वाली मांसपेशियों में ताकत बढे. ये व्यायाम मांसपेशियों की ताकत बढ़ने से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ाते हैं. कार्टिलेज पर पड़ने वाले दबाव को कम करते हैं और कार्टिलेज और हड्डी का घिसना कम करते हैं.
दूसरे वो व्यायाम हैं जिन्हें स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कहते हैं. ये व्यायाम मांसपेशियों में अकडन (स्पाज्म) दूर करते हैं. जिससे दर्द में राहत मिलती है. साथ ही ये व्यायाम जोड़ की रेंज ऑफ़ मूवमेंट को बनाये रखते हैं और विकृति के स्थायी होने से बचाते हैं. केप्सूल में कांट्रेक्चर रोकते हैं.

MUSCLE STRENGTHNING EXERCISES:

जब हम घुटने के दर्द के लिए इस प्रकार के व्यायाम कर रहे हैं तो यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कार्टिलेज में खराबी प्रारंभ हो चुकी है और ये व्यायाम उसपर अधिक दबाव न डालें. वरना कार्टिलेज और अधिक डेमेज हो सकती है. इसमें ऐसी कसरते कि जा सकती हैं जिसमे घुटने का मूवमेंट कम से कम हो.

QUADRICEPS STRENGTHNING:
1. सीधे लेट जाइए और पैर को सीधा बिस्तर से बिना घुटना मोडे २ या 3 इंच उठाइए. फिर पैर को नीचे बिस्तर तक ले जाइए. यह प्रक्रिया १० बार दोहराएँ.
2. पैर को बिना उठाये भी ये कसरत की जा सकती है इसमें पैर को सीधा रख कर एक छोटा तौलिया घुटने के नीचे रख लें. जांघ की मांसपेशी को संकुचित करें. इससे घुटने कि कटोरी कुछ ऊपर की तरफ खिचेगी. कुछ क्षण रोक कर इसे ढीला छोड़ दें. यह प्रक्रिया १० तक दोहराएँ.
उपरोक्त दोनों कसरतें कार्टिलेज पर प्रभाव डाले बिना quadriceps muscle की ताकत बढाती हैं.
3. एक और व्यायाम है परन्तु यह केवल तभी किया जाना उचित होगा जब कार्टिलेज डैमेज न्यूनतम हो. इसमें किसी ऊंचे स्थान पर पैर लटका कर बैठ जाइए. घुटने को सीधा करते हुए पंजे को ऊपर उठायें, पूरा सीधा होने पर फिर नीचे ले जाएँ. इस प्रक्रिया को २० बार दोहराएँ.

उपरोक्त सभी कसरतों का असर तभी देखने को मिलेगा जब ये कसरतें लगातार कही सप्ताहों तक की जाएँगी. शुरू में १० रिपिटिशन काफी हैं. धीरे धीरे बढ़ाते हुए २० - २० के 5 से 10 सेट करना ठीक रहेगा.

17/05/2017

घुटने की ओस्टियोआर्थराईटिस में डॉक्टर आपको आपकी तकलीफ के अनुसार एक्स रे या एम् आर आई करवाने कि सलाह दे सकता है. यद्यपि ओस्टियोआर्थराईटिस में खून जांच से कुछ हासिल नहीं होता परन्तु डॉक्टर अन्य रोगों के लिए खून जांच के लिए भी कह सकते हैं. यद्यपि इस बिमारी का कोई स्थायी हल नहीं निकाला जा सका है परन्तु हमारे पास ऐसे साधन मौजूद हैं जिनसे दर्द में राहत, कार्यक्षमता में वृद्धि और बीमारी को बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है.
इलाज का उद्देश्य:
1. दर्द से राहत
2. विकृति से बचाव.
3. कार्यक्षमता में वृद्धि.
4. जोड़ को अधिक नुक्सान होने से बचाना.

वर्षों की रिसर्च एवं अनुभव से यह कहा जा सकता है कि इसके उपचार के लिए जो साधन हमारे पास हैं. जिनको वैज्ञानिक रूप से असरकारक पाया गया है वे निम्नानुसार है:

1. व्यायाम:
2. फिजियोथेरेपी
3. दर्द निवारक दवाएं.
4. सपोर्ट एवं ब्रेस
5 जोड़ों के अन्दर लगाने वाले इंजेक्शन.
6. आपरेशन
हम एक एक करके इनकी समीक्षा करेंगे.

17/05/2017

लक्षण:
घुटने की ओस्टियोआर्थराईटिस के मरीज प्रायः 50 की उम्र के ऊपर के होते हैं. महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक शिकायत पाई जाती है. जैसे जैसे उम्र अधिक होती जाती है घुटना दर्द की समस्या बहुतायत में सामने आती है.

दर्द: प्रारंभ में किसी कार्य के दौरान या बाद में थोड़े समय दर्द रहता है. धीरे धीरे दर्द की तीव्रता और समय दोनों बढ़ते जाते हैं. सीढ़ी चढ़ने में या कुर्सी से उठते समय दर्द होने का कारण इन क्रियाओं में घुटने पर अधिक जोर पड़ना है. ये इसके प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. कुछ देर स्थिर रहने पर दर्द भर जाना ये भी इसी का लक्षण है. जब बीमारी बहुत बढ़ जाती है तो पूरे समय दर्द हो सकता है.
मांस पेशियों में अकडन: दर्द की वजह से घुटने के ऊपर और नीचे दोनों तरफ की मांसपेशियों में जकडन हो सकती है. जकडन अधिक होने पर मांस पेशियों में दर्द होने लगता है. यह जकडन घुटने के पूरे मूवमेंट को रोक सकती है. घुटना पूरा सीधा नहीं होता या पूरा मुड़ता नहीं है.
विकृति: यदि जकडन को कंट्रोल नहीं किया गया तो जोड़ के लिगामेंट्स और केप्सूल में स्थायी कडापन आ सकता है. जिसकी वजह से घुटने का पूरा सीधा होना और पूरा मुड़ना रुक जाता है.
एक अन्य प्रकार की विकृति हड्डियों के घिसने की वजह से होती है. इसमें घुटने के नीचे की हड्डियाँ जांघ की हड्डी की सीध में न रहकर भीतर की और मुड़ जाती है. इसे वेरस विकृति भी कहते हैं. इसमें यदि व्यक्ति दोनों पंजे जोड़ कर खडा रहे तो घुटनों के बीच काफी दूरी आ जाती है.

16/05/2017

घुटने का दर्द:
बहुत ही आम बीमारी है. 60 की उम्र के ऊपर बहुतेरे लोग इस तरह के दर्द से पीड़ित रहते हैं. इसे हम ओस्टियो आर्थराइटिस के नाम से जानते हैं. कुछ लोग इसे उम्र से होने वाले जोड़ दर्द कहते हैं.
इसका प्रारंभ जोड़ की चिकनी सतह यानि कि कार्टिलेज के घिसने की वजह से होता है. बाद में जोड़ के पास की हड्डी किनारे से बढती है. जिसे ओस्टियोफाईट के नाम से जानते हैं.
कारण:
१. बढती उम्र के साथ कार्टिलेज की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है. मामूली झटकों से या अधिक कार्य से उसकी चिकनी सतह ख़राब होने लगती है.
२. खिलाडी या अधिक मेहनती लोग जो अपने घुटने पर बार बार मामूली चोटों के शिकार होते हैं, इससे अधिक प्रभावित हो सकते हैं.
३. जिनके शरीर में पैरों में कोई विकृति होती है जिसके कारण घुटनों पर असामान्य भार वितरण होता है इसका जनक हो सकता है.
४. शरीर का भार: एक किलोग्राम वजन बढ़ने से घुटनों पर २ से ३ किलोग्राम भार बढ़ जाता है. यह भी इसको प्रभावित करता है.
५. घुटने में पहले से यदि कोई चोट या बीमारी हो तो भी उसपर ओस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है इसे सेकंडरी ओस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं.
६ यद्यपि कोई जेनेटिक फेक्टर तो पहचाना नहीं गया है परन्तु घुटने का ओस्टियोआर्थराइटिस मध्य एवं दक्षिण एशिया में ज्यादा होता है.

10/01/2017

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