Diabetic Clinic Raipur

Diabetic Clinic Raipur Diabetologist and family physician

बहुत सुंदर! अमित शर्मा जी द्वारा साझा की गई यह तस्वीर 15 साल पहले डायबिटीज़ क्लिनिक के शुभारंभ की याद ताजा करती है। यह न...
03/05/2025

बहुत सुंदर!
अमित शर्मा जी द्वारा साझा की गई यह तस्वीर 15 साल पहले डायबिटीज़ क्लिनिक के शुभारंभ की याद ताजा करती है। यह न केवल एक उपलब्धि है, बल्कि छत्तीसगढ़ और शहर में डायबिटीज़ जागरूकता, चिकित्सा, और सामाजिक स्वास्थ्य के प्रति मित्रों के सहयोग और सक्रियता का प्रतीक है। इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सभी को बधाई!

छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा युवा विचार संगोष्ठी का आयोजनछत्तीसगढ़ी समाज के बुद्धिजीवी संघ ने आज टिकरापारा के सिद्धार्थ चौक स्...
01/05/2025

छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा युवा विचार संगोष्ठी का आयोजन

छत्तीसगढ़ी समाज के बुद्धिजीवी संघ ने आज टिकरापारा के सिद्धार्थ चौक स्थित एक सभागार में युवा विचार संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का विषय “CG YUVA 2.0: सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण” था।

मुख्य वक्ता उदयभान सिंह चौहान (वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता) ने कहा, “छत्तीसगढ़ को बने 25 वर्ष हो चुके हैं। राज्य निर्माण के साथ हमें युवाओं को सशक्त बनाकर विकसित भारत का निर्माण करना है।” आचार्य अनिमेषानंद अवधूत (प्रकाशन विभाग, एमपीएस) ने अपने संबोधन में युवाओं से आध्यात्मिक और सामाजिक कल्याण के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। छत्तीसगढ़ी समाज के रेक्टर आचार्य रितेश्वरानंद अवधूत ने स्थानीय भाषा, योजना, उद्योग, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में स्थानीय लोगों को सशक्त करने पर जोर दिया।

संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ी समाज के चेयरमैन डॉ. सत्यजीत साहू और महासचिव सुबोध देव ने भी अपने विचार साझा किए। आभार प्रदर्शन बुद्धिजीवी संघ के विकास कुमार साहू ने किया।

विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ इंजीनियर जी.पी. चंद्राकर और के.पी. सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम में रायपुर भुक्ति प्रधान यदुनाथ, संदीप चौहान, आकाश चंद्रवंशी, डॉ. दीपाली, डॉ. दोलामनी, जितेंद्र बघेल, गुलशन मानसरोवर, कांति साहू, रिया चटर्जी, सत्य प्रकाश चंद्राकर, आदर्श दीक्षित सहित बड़ी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिया।

पियाजे की पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी ऑफ कॉग्निटिव डेवलपमेंट——- स्विस मनोवैज्ञानिक जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास (कॉग्निटिव ड...
28/04/2025

पियाजे की पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी ऑफ कॉग्निटिव डेवलपमेंट
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स्विस मनोवैज्ञानिक जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास (कॉग्निटिव डेवलपमेंट) के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया। उनकी प्रसिद्ध थ्योरी ऑफ कॉग्निटिव डेवलपमेंट में चार चरणों—सेंसरीमोटर, प्री-ऑपरेशनल, कॉन्क्रीट ऑपरेशनल और फॉर्मल ऑपरेशनल—का वर्णन किया गया है।

हालांकि, पियाजे की यह थ्योरी मुख्य रूप से बचपन और किशोरावस्था तक सीमित थी।

बाद में, विद्वानों ने वयस्कता में संज्ञानात्मक विकास को समझने के लिए "पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी" की अवधारणा को विकसित किया, जो पियाजे के कार्य को और विस्तार देती है। यह लेख पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी के प्रमुख पहलुओं और इसके महत्व को समझने का प्रयास करता है।

पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी क्या है?

पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी संज्ञानात्मक विकास का एक उन्नत चरण है, जो फॉर्मल ऑपरेशनल चरण से आगे जाता है। पियाजे के अनुसार, फॉर्मल ऑपरेशनल चरण में व्यक्ति तार्किक और अमूर्त सोच विकसित करता है। हालांकि, पोस्ट-फॉर्मल सोच इससे भी जटिल है। यह वयस्कों की उस क्षमता को दर्शाती है, जिसमें वे विरोधाभासी विचारों को समायोजित करते हैं, संदर्भ के आधार पर निर्णय लेते हैं और अनिश्चितता को स्वीकार करते हैं। यह थ्योरी इस बात पर जोर देती है कि वयस्क जीवन में समस्याएं अक्सर बहुआयामी होती हैं और उनके समाधान के लिए लचीली और रचनात्मक सोच की आवश्यकता होती है।

पोस्ट-फॉर्मल सोच की विशेषताएं

1. रिलेटिविज्म (सापेक्षवाद):
पोस्ट-फॉर्मल सोच में व्यक्ति यह समझता है कि सत्य और नैतिकता संदर्भ पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, एक ही मुद्दे पर अलग-अलग दृष्टिकोण सही हो सकते हैं, जो स्थिति और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

2. विरोधाभासों का समायोजन: यह सोच व्यक्ति को परस्पर विरोधी विचारों को एक साथ स्वीकार करने में सक्षम बनाती है। जैसे, कोई व्यक्ति एक साथ करियर और परिवार को महत्व दे सकता है, भले ही दोनों के बीच तनाव हो।

3. अनिश्चितता की स्वीकृति: पोस्ट-फॉर्मल सोच वाले लोग यह स्वीकार करते हैं कि सभी सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं होते। वे अनिश्चितता के साथ सहज रहते हैं और जटिल समस्याओं के लिए अस्थायी समाधान खोजते हैं।

4. प्रैग्मैटिक दृष्टिकोण: इस चरण में लोग व्यावहारिक और संदर्भ-आधारित समाधानों को प्राथमिकता देते हैं। वे सैद्धांतिक शुद्धता से ज्यादा वास्तविक दुनिया की उपयोगिता पर ध्यान देते हैं।

पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी का महत्व

पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी का अध्ययन न केवल मनोविज्ञान के लिए, बल्कि शिक्षा, नेतृत्व और सामाजिक नीति के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। यह हमें वयस्कों की जटिल निर्णय-प्रक्रिया को समझने में मदद करती है। उदाहरण के लिए:

- शिक्षा: शिक्षक इस थ्योरी का उपयोग कर सकते हैं ताकि वयस्क शिक्षार्थियों को जटिल समस्याओं के समाधान के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
- कार्यस्थल: नेतृत्व और प्रबंधन में पोस्ट-फॉर्मल सोच विविध दृष्टिकोणों को एकीकृत करने और नवाचार को बढ़ावा देने में सहायक होती है।
- सामाजिक मुद्दे: यह थ्योरी हमें सामाजिक और सांस्कृतिक मतभेदों को समझने और उनसे निपटने के लिए लचीले दृष्टिकोण अपनाने में मदद करती है।

पियाजे की पोस्ट-फॉर्मल थ्योरी संज्ञानात्मक विकास (काग्निटिव डेवलपमेंट )के अध्ययन में एक नया आयाम जोड़ती है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि वयस्क कैसे जटिल और अनिश्चित परिस्थितियों में सोचते और निर्णय लेते हैं। यह थ्योरी न केवल मनोवैज्ञानिकों के लिए, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए प्रेरणादायक है। यह हमें याद दिलाती है कि मानव मस्तिष्क की विकास यात्रा कभी खत्म नहीं होती—यह उम्र के साथ और अधिक समृद्ध और लचीली होती जाती है।

इसके आगे संज्ञानात्मक विकास थ्योरी, जैसे रॉबर्ट केगन की विषय-वस्तु थ्योरी (Subject-Object Theory) या माइकल कॉमन्स की मॉडल ऑफ हायरार्किकल कॉम्प्लेक्सिटी (Model of Hierarchical Complexity) में संज्ञानात्मक विकास के कई स्तर या चरण शामिल हैं।

ये थ्योरियां पोस्ट-फॉर्मल सोच के विचारों को विस्तार देती हैं।

माइकल कॉमन्स की मॉडल ऑफ हायरार्किकल कॉम्प्लेक्सिटी पोस्ट-फॉर्मल सोच को कई स्तरों में वर्गीकृत करता है और इसमें उच्च स्तर की जटिलता शामिल है।

माइकल कॉमन्स की मॉडल ऑफ हायरार्किकल कॉम्प्लेक्सिटी , पियाजे की थ्योरी से आगे बढ़कर वयस्क संज्ञानात्मक विकास को समझने में मदद करते हैं।

यह मॉडल संज्ञानात्मक जटिलता के विभिन्न स्तरों को परिभाषित करता है, और इसके उच्च स्तर पोस्ट-फॉर्मल सोच के गुणों को दर्शाते हैं।

माइकल कॉमन्स की मॉडल ऑफ हायरार्किकल कॉम्प्लेक्सिटी: पोस्ट-फॉर्मल लेवल 8 से 14 तक

फॉर्मल स्तर (Formal Stage, Level 😎

यह स्तर पियाजे के फॉर्मल ऑपरेशनल चरण के समान है, जहां व्यक्ति तार्किक और अमूर्त सोच विकसित करता है। इस स्तर पर, लोग एकल चर (variables) के आधार पर तर्क करते हैं और औपचारिक नियमों (जैसे गणितीय या तार्किक नियम) का उपयोग करके समस्याओं को हल करते हैं। उदाहरण के लिए, वे "यदि A, तो B" जैसे कथनों को समझ सकते हैं।

- एकल कारण-प्रभाव संबंधों को समझना।
- अमूर्त अवधारणाओं (जैसे बीजगणित) को हल करना।
- नियम-आधारित तर्क और औपचारिक तर्क का उपयोग।

सिस्टमैटिक स्तर (Systematic Stage, Level 9)

- एक प्रणाली के भीतर कई कारण-प्रभाव संबंधों को समझना।
- विभिन्न चरों के बीच परस्पर क्रिया को पहचानना।
- प्रणालीगत नियमों के आधार पर निर्णय लेना।

मेटा-सिस्टमैटिक स्तर (Metasystematic Stage, Level 10)

- कई प्रणालियों के बीच साझा सिद्धांतों को पहचानना।
- प्रणालियों के गुणों और उनके अंतर्संबंधों का विश्लेषण करना।
- विरोधाभासी प्रणालियों को समझना और उनके बीच सामंजस्य स्थापित करना।

पैराडिग्मैटिक स्तर (Paradigmatic Stage, Level 11)

इस स्तर पर, व्यक्ति पूरी तरह से नए क्षेत्रों या प्रतिमानों (paradigms) को बनाने में सक्षम होता है। यह अत्यंत दुर्लभ और जटिल सोच है, जो वैज्ञानिक, दार्शनिक, या सामाजिक क्रांतियों को जन्म दे सकती है।

- मौजूदा प्रणालियों और मेटा-प्रणालियों को एक नए ढांचे में पुनर्गठित करना।
- अनिश्चितता और जटिलता को गहराई से स्वीकार करना।
- एक नए क्षेत्र या दृष्टिकोण को परिभाषित करना।

क्रॉस-पैराडिग्मैटिक स्तर (Cross-Paradigmatic Stage, Level 12)

- विभिन्न प्रतिमानों के बीच साझा सिद्धांतों को पहचानना।
- एक प्रतिमान से दूसरे में ज्ञान का स्थानांतरण करना।
- जटिल, अंतर्विषयी समस्याओं को हल करना।
उदाहरण के रूप में। एक वैज्ञानिक जो भौतिकी, जीवविज्ञान, और दर्शन को एकीकृत करके जीवन की उत्पत्ति पर एक नया सिद्धांत प्रस्तावित करता है, वह इस स्तर पर काम करता है।

मेटा-क्रॉस-पैराडिग्मैटिक स्तर (Meta-Cross-Paradigmatic Stage, Level 13)

- सभी प्रतिमानों के बीच गहरे अंतर्संबंधों को समझना।
- ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को एक एकीकृत दृष्टिकोण में संश्लेषित करना।
- मानव अनुभव और वास्तविकता के मूल सिद्धांतों को परिभाषित करना।

ट्रांस-मेटा-क्रॉस-पैराडिग्मैटिक स्तर (Trans-Meta-Cross-Paradigmatic Stage, Level 14)

यह मॉडल का उच्चतम स्तर है, जो मानव संज्ञान की सीमाओं से परे जाता है।

- वास्तविकता की प्रकृति को पूरी तरह से पुनर्परिभाषित करना।
- मानव चेतना और ब्रह्मांड के बीच संबंधों को समझना।
- ऐसी अवधारणाएं विकसित करना जो मौजूदा भाषा और तर्क से परे हों।

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सिस्टमैटिक और मेटा-सिस्टमैटिक स्तर-सापेक्षवाद और विरोधाभासों को समझने की क्षमता को दर्शाते हैं।
-पैराडिग्मैटिक और क्रॉस-पैराडिग्मैटिक स्तर -अनिश्चितता को स्वीकार करने और रचनात्मक समाधानों को विकसित करने की क्षमता को दिखाते हैं।
मेटा-क्रॉस और ट्रांस-मेटा स्तर -प्रैग्मैटिक और सार्वभौमिक दृष्टिकोण को अपनाने की चरम सीमा को दर्शाते हैं।

माइकल कॉमन्स की मॉडल ऑफ हायरार्किकल कॉम्प्लेक्सिटी के ये स्तर पोस्ट-फॉर्मल सोच की गहराई और जटिलता को समझने में मदद करते हैं।

ये स्तर दर्शाते हैं कि मानव मस्तिष्क कैसे सरल तार्किक सोच से लेकर अत्यंत जटिल, एकीकृत, और रचनात्मक सोच तक विकसित हो सकता है।

वाइटल ऐंगेजमेंट Vital Engagement जे नाकामुरा और मिहाली चिक्सेन्टमिहाली द्वारा विकसित "वाइटल ऐंगेजमेंट" की अवधारणा सकारात...
28/04/2025

वाइटल ऐंगेजमेंट Vital Engagement

जे नाकामुरा और मिहाली चिक्सेन्टमिहाली द्वारा विकसित "वाइटल ऐंगेजमेंट" की अवधारणा सकारात्मक मनोविज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो फ्लो और अर्थ के संयोजन पर केंद्रित है।

मिहाली चिक्सेन्टमिहाली ने "फ्लो" की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया, जो एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है जहां व्यक्ति किसी गतिविधि में पूरी तरह डूबा हुआ होता है, समय की भावना खो देता है, और प्रक्रिया में आनंद लेता है।

जे नाकामुरा, जो क्लेरमोंट ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर हैं, ने चिक्सेन्टमिहाली के साथ मिलकर इस विचार को आगे बढ़ाया और 2003 में "द कंस्ट्रक्शन ऑफ मीनिंग थ्रू वाइटल ऐंगेजमेंट" नामक शोध पत्र प्रकाशित किया। यह पत्र "फ्लोरिशिंग: पॉजिटिव साइकोलॉजी एंड द लाइफ वेल-लिव्ड" में प्रकाशित हुआ, जिसमें वाइटल ऐंगेजमेंट को "दुनिया के साथ एक संबंध" के रूप में परिभाषित किया गया, जो फ्लो (आनंदित तल्लीनता) और अर्थपूर्णता (विषयगत महत्व) दोनों से युक्त है।

नाकामुरा का कार्य सकारात्मक मनोविज्ञान, जीवन की गुणवत्ता, और वयस्कता तथा उम्र बढ़ने के संदर्भ में प्रेरणा और संलग्नता पर केंद्रित है। वह क्लेरमोंट ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी में क्वालिटी ऑफ लाइफ रिसर्च सेंटर की निदेशक भी हैं, जो सृजनात्मकता, आंतरिक प्रेरणा, और जिम्मेदारी जैसे मानवीय गुणों का अध्ययन करता है।

वाइटल ऐंगेजमेंट की परिभाषा और तत्व
वाइटल ऐंगेजमेंट को समझने के लिए, हमें इसके दो मुख्य तत्वों—फ्लो और अर्थपूर्णता Meaning —को अलग-अलग समझना होगा।

फ्लो:

फ्लो एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है जहां व्यक्ति गतिविधि में पूरी तरह डूबा हुआ होता है, समय की भावना खो देता है, और प्रक्रिया में आनंद लेता है। यह तब होता है जब कार्य की चुनौती और व्यक्ति की कौशल का स्तर संतुलित होता है। उदाहरण के लिए, एक एथलीट जो प्रतियोगिता के दौरान अपने चरम पर प्रदर्शन कर रहा है, या एक संगीतकार जो अपने वाद्ययंत्र बजाने में खो गया है, फ्लो का अनुभव कर सकता है। शोध से पता चलता है कि केवल 16% अमेरिकियों ने रोजाना तीव्र फ्लो जैसे अनुभवों की रिपोर्ट की, जबकि 42% शायद ही कभी या कभी नहीं समय की भावना खोते हैं (नाकामुरा और चिक्सेन्टमिहाली, 2003)।

अर्थ:( Meaning)

अर्थपूर्णता वह विषयगत महत्व है जो व्यक्ति अपनी गतिविधियों या अनुभवों में पाता है। यह व्यक्तिगत मूल्यों, लक्ष्यों, या समाज पर प्रभाव के साथ संरेखण से आ सकता है। अर्थपूर्णता Meaningful आंतरिक हो सकता है, जैसे किसी गतिविधि से स्वयं में संतुष्टि, या बाहरी, जैसे मान्यता या पुरस्कार। वाइटल ऐंगेजमेंट के लिए, अर्थ Meaningful आमतौर पर आंतरिक होता है, जो गतिविधि के निहित मूल्य से उत्पन्न होता है।

वाइटल ऐंगेजमेंट:यह फ्लो और अर्थपूर्णता Meaning का संयोजन है, जहां व्यक्ति न केवल गतिविधि में डूबा हुआ है बल्कि उसे व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण भी मानता है। उदाहरण के लिए, एक वैज्ञानिक जो शोध में गहराई से संलग्न है और मानता है कि यह समाज के लिए फायदा पहुंचाएगा, या एक शिक्षक जो पढ़ाने में आनंद लेता है और छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव देखता है, वाइटल ऐंगेजमेंट का अनुभव कर सकता है।

नाकामुरा और चिक्सेन्टमिहाली के अनुसार, वाइटल ऐंगेजमेंट दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि केवल आनंद (फ्लो के बिना अर्थपूर्णता meaning ) उबाऊ हो सकता है, और केवल अर्थपूर्णता (फ्लो के बिना) जल्दी थकान पैदा कर सकता है।

विकास और प्रभाव

वाइटल ऐंगेजमेंट का विकास शिक्षकों, साथियों, और छात्रों जैसे प्रभावों से हो सकता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो उत्साह और उद्देश्य का मॉडल प्रस्तुत करता है, छात्रों को गहरी संलग्नता विकसित करने में मदद कर सकता है। आर्थिक, राजनीतिक, और जनसंचार पर्यावरण भी वाइटल ऐंगेजमेंट के लिए अवसर प्रदान करते हैं, जैसे रचनात्मक कार्य या शौक।

शोध से पता चलता है कि वाइटल ऐंगेजमेंट कल्याण, जीवन संतुष्टि, और व्यक्तिगत विकास को बढ़ाता है। यह रचनात्मकता और उत्पादकता को भी बढ़ा सकता है, क्योंकि व्यक्ति उन गतिविधियों में संलग्न रहने के लिए प्रेरित होते हैं जो उन्हें आनंद और उद्देश्य दोनों प्रदान करते हैं।

आधुनिक जीवन और चुनौतियां

आधुनिक जीवन, विशेष रूप से डिजिटल मीडिया, वाइटल ऐंगेजमेंट के लिए चुनौतियां पेश करता है।

उदाहरण के लिए, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं के पोस्ट को स्कैन करते हैं और उन्हें प्राथमिकता देते हैं, जो जैविक बातचीत को बाधित कर सकता है और व्यक्ति- एनवायरमेंट संबंध को कमजोर कर सकता है। यह फ्लो के सकारात्मक अनुभव को कम कर सकता है और वाइटल ऐंगेजमेंट के लिए कम अवसर प्रदान करता है। फिर भी, व्यक्तिगत गतिविधियों को वाइटल ऐंगेजमेंट को बढ़ाने के लिए उपयोग में लाये जा सकते हैं।

शिक्षकों के लिए, वाइटल ऐंगेजमेंट को बढ़ावा देने के लिए सुझावों में शामिल हैं:

- छात्रों के लिए सीखने को आनंददायक और अर्थपूर्ण बनाना।

- "नाइन व्हाइज़" जैसे उपकरणों का उपयोग करना ([लिबरेटिंग स्ट्रक्चर्स]

वाइटल ऐंगेजमेंट जीवन को और अधिक पूर्ण बनाने का एक मार्ग प्रदान करता है, जो फ्लो की खुशी और अर्थ की गहराई को जोड़ता है। यह उन गतिविधियों को खोजने के बारे में है जो हमें न केवल absorb करते हैं बल्कि हमारे उद्देश्य के साथ भी गहराई से जुड़े होते हैं।

आधुनिक जीवन में, जहां ध्यान भंग और सतही संलग्नता प्रचलित है, वाइटल ऐंगेजमेंट को बढ़ाना एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है जो जीवन को आनंददायक और महत्वपूर्ण बनाता है।

जेसीआई रायपुर सिटी के शपथ ग्रहण समारोह में कीनोट स्पीकर के रूप में शामिल होना मेरे लिए गौरव का क्षण था। नवनिर्वाचित अध्य...
28/04/2025

जेसीआई रायपुर सिटी के शपथ ग्रहण समारोह में कीनोट स्पीकर के रूप में शामिल होना मेरे लिए गौरव का क्षण था। नवनिर्वाचित अध्यक्ष जेसी सेनेटर डॉ. मनीष गुप्ता, सचिव मुकेश गुप्ता और निवर्तमान अध्यक्ष धीरज अग्रवाल के नेतृत्व में आयोजित इस समारोह में जेसीआई ज़ोन 9 उपाध्यक्ष शुभ ठाकरे (नागपुर), रायपुर सिटी के प्रथम अध्यक्ष अनिल जैन, पूर्व अध्यक्ष विजय अग्रवाल, कौशल गांधी सहित विभिन्न जेसीआई चैप्टर्स के अध्यक्ष और सदस्य सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

अपने संबोधन में मैंने जेसीआई आस्था के वैश्विक महत्व, मानवता से नव्यमानवता की ओर प्रगति, और एकीकृत विकास के लिए जेसीआई की भूमिका पर प्रकाश डाला। यह अवसर सामाजिक परिवर्तन के लिए सामूहिक प्रयासों की शक्ति को रेखांकित करने वाला था।

समारोह के दौरान एमएमआई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुनील गोनियाल, वरिष्ठ लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. राजेश सिन्हा, जेसीआई मेडिको सिटी के अध्यक्ष व हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास गोयल और डॉ. मनीष गुप्ता के साथ सार्थक चर्चा हुई। हमने चिकित्सकों के सामाजिक सरोकारों को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने पर सहमति जताई जिसमें एकीकृत विकास के विभिन्न पहलुओं के साथ अध्यात्मिक विकास का विषय भी शामिल हो।

सात्विकता और प्रेरणा का संगम: प्रयोग आश्रम की यात्रातिल्दा के समीप ग्राम सासाहोली में बसा ‘प्रयोग आश्रम’प्रकृति की गोद म...
24/04/2025

सात्विकता और प्रेरणा का संगम: प्रयोग आश्रम की यात्रा

तिल्दा के समीप ग्राम सासाहोली में बसा ‘प्रयोग आश्रम’प्रकृति की गोद में बिछा एक मनोरम स्वर्ग है। हमारी टीम, जिसमें डॉ. दीपाली, इंजीनियर गुलशन, डॉ. दोलामनी , और एडवोकेट संतोष ठाकुर शामिल थे, सुबह-सुबह इस सौंदर्य से सराबोर आश्रम पहुँची। स्थानीय अध्यक्ष सीताराम जी ने हमारा हार्दिक स्वागत किया।

आश्रम स्थित ‘प्राकृतिक किचन’में भोजन विभाग की प्रमुख सुरजो देवी ने ताज़ा ‘लाइव चीला’ बनाकर हमारा आतिथ्य किया, जिसने स्वाद के साथ-साथ मन को भी तृप्त कर दिया।

पहली बार आश्रम आए हमारे कुछ साथियों ने यहाँ की सात्विक ऊर्जा और शांति को गहराई से अनुभव किया। लेकिन इस यात्रा का सबसे प्रेरक क्षण था राजा जी का प्रबोधन। उनकी वाणी में छिपी गहनता और उत्साह ने हम सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

"Coordinating Goodness"की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए राजा जी ने कहा, "देश के कोने-कोने में हो रहे नेक कार्यों के बीच संवाद का सेतु बनाना होगा। धार्मिकता से आगे बढ़कर ‘सर्व धर्म ममभाव’की भावना को अध्यात्म के ज़रिए सशक्त करना आज की ज़रूरत है।" उन्होंने केरल के त्रिचुर डॉ. प्रसाद*के अस्पताल के सामाजिक कार्यों, कटनी आश्रम और बांधवगढ़ नेशनल पार्क की प्राकृतिक समृद्धि, और मैसूरके प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुश्रुता गावड़ा के योगदान की प्रेरक कहानियाँ साझा कीं। डॉ. सुश्रुता ने फ़ोन पर सामाजिक कार्यों में सक्रिय सहयोग का वादा किया, जिसने हमारी टीम को और उत्साहित किया।

इस संक्षिप्त यात्रा ने न केवल हमारी ऊर्जा को दोगुना किया, बल्कि सत्संकल्प के लिए भी प्रेरित किया। प्रयोग आश्रम की यह यात्रा हमारे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई, जो हमें मानवीय मूल्यों और अध्यात्म के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेगी।

We  confuse three things in our ordinary consciousness. We confuse thinking and paying attention and the intention of aw...
19/04/2025

We confuse three things in our ordinary consciousness.

We confuse thinking and paying attention and the intention of awareness.

We see them all as thinking, but if you learn to separate them out, thinking is slow. Thinking takes about three seconds to a half a second to think, have a thought. Paying attention is about 400 milliseconds, or somewhere between three and 400 milliseconds.

You can get paying attention down to But anything less than 200 milliseconds is the intention of awareness.

Suppose a cricketer trained himself, he stood at his batting cage, and he would have balls come in at and he couldn’t hit them. But if he trained himself to operate not out of thinking, not out of paying attention, but just to feel the operating out of the field of awareness, he could still see the position where the ball came in space at very high speeds. But if he was operating out of thinking, he wouldn’t hit the ball, he couldn’t see it. So he trained himself to operate out of awareness.

पहला स्पिरिचुअल रियलाईजेशन  तो आपके जीवन जीने के तरीके में फर्क से महसूस होता है। The true first realization is the cond...
12/04/2025

पहला स्पिरिचुअल रियलाईजेशन तो आपके जीवन जीने के तरीके में फर्क से महसूस होता है।
The true first realization is the conduct, how you live your life.

महान अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स से एक बार पूछा गया था जब उन्होंने रहस्यमय अनुभव की किस्मों पर अपनी किताब लिखी थी, आप रहस्यमय अनुभव की प्रामाणिकता का परीक्षण कैसे करते हैं? William James, the great American psychologist, was once asked when he wrote his book on the varieties of mystical experience, how do you test the authenticity of a mystical experience?

उनका उत्तर था , "उनके रिजल्ट से आप उन्हें जान लेंगे।"
He answered , “By their fruit ye shall know them.”

साधना और ध्यान के माध्यम से मन को उन्नत करने से एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जहाँ से सच्ची सेवा संभव हो सकती है। जब मन...
08/04/2025

साधना और ध्यान के माध्यम से मन को उन्नत करने से एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जहाँ से सच्ची सेवा संभव हो सकती है।

जब मन शुद्ध और संतुलित होता है, तो कर्म भी निःस्वार्थ और सार्थक बनते हैं।

साधना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने भीतर की शक्तियों को जागृत करने और आत्म-विकास के लिए निरंतर प्रयास करता है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर हो सकती है।

ध्यान इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मन को एकाग्र करता है और उसे शांत, स्पष्ट और संवेदनशील बनाता है।

जब हम नियमित रूप से ध्यान करते हैं, तो हमारी चेतना का स्तर ऊँचा उठता है, और हम अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों पर बेहतर नियंत्रण पाते हैं।

उन्नत मन एक ऐसी मानसिक स्थिति से है जो अहंकार, स्वार्थ, और नकारात्मकता से मुक्त हो। यह वह अवस्था है जहाँ व्यक्ति अपने और दूसरों के बीच के अंतर को कम महसूस करता है और करुणा, प्रेम व निःस्वार्थता जैसे गुण स्वाभाविक रूप से प्रकट होने लगते हैं।

साधना और ध्यान के अभ्यास से मन की यह उन्नति संभव होती है, क्योंकि ये प्रथाएं हमें अपने भीतर की गहराई से जोड़ती हैं और बाहरी दुनिया के प्रति हमारी संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं।

सच्ची सेवा वह नहीं है जो केवल दिखावे के लिए या व्यक्तिगत लाभ के लिए की जाए। यह वह सेवा है जो बिना किसी अपेक्षा के, पूरे हृदय से, और दूसरों के कल्याण के लिए की जाती है।

उन्नत मन के बिना, सेवा में स्वार्थ या अहंकार की छाया आ सकती है, जो इसके मूल उद्देश्य को कमजोर कर देती है। जब मन उन्नत होता है, तो सेवा स्वतः ही शुद्ध और प्रभावी बन जाती है, क्योंकि वह करुणा और समझ से प्रेरित होती है।

साधना और ध्यान के बिना, मन अशांत, बिखरा हुआ और भौतिक इच्छाओं में उलझा रह सकता है। ऐसी स्थिति में की गई सेवा अधूरी या सतही हो सकती है। लेकिन जब मन इन प्रथाओं से परिष्कृत होता है, तो व्यक्ति दूसरों की आवश्यकताओं को गहराई से समझ पाता है और उनकी मदद के लिए सही तरीके से कार्य कर पाता है।

एक साधक जो ध्यान में समय बिताता है, वह न केवल अपनी समस्याओं को बेहतर ढंग से संभाल सकता है, बल्कि दूसरों के दुख को भी महसूस कर उनकी सहायता कर सकता है।

सच्ची सेवा के लिए मन का परिष्कार अनिवार्य है, और यह परिष्कार साधना और ध्यान के बिना संभव नहीं।

यह एक आंतरिक यात्रा है जो बाहरी दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाती है।

"उन्नत मन" वस्तुतः"कॉस्मिक एकीकरण की भावना" है , जो इस विचार को एक व्यापक और गहन आयाम देता है।

कॉस्मिक एकीकरण से तात्पर्य उस भावना से है जिसमें व्यक्ति स्वयं को संपूर्ण ब्रह्मांड के साथ एकरूप अनुभव करता है।

यह वह अवस्था है जहाँ "मैं" और "दूसरे" के बीच की काल्पनिक दीवारें टूट जाती हैं, और व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह न केवल अपने शरीर या व्यक्तिगत पहचान तक सीमित है, बल्कि प्रकृति, अन्य प्राणियों और समस्त सृष्टि का एक अभिन्न अंग है।

यह एक ऐसी चेतना है जो अहंकार से परे जाती है और समग्रता (wholeness) को अपनाती है।

जब आप उन्नत मन के रूप में कॉस्मिक एकीकरण की भावना लेते हैं, तो यह संकेत देता है कि मन की उन्नति केवल व्यक्तिगत शांति या बुद्धिमत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ मन ब्रह्मांडीय चेतना के साथ संनादति (resonates) है।

साधना और ध्यान इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये अभ्यास मन को सीमित विचारों और संकुचित दृष्टिकोण से मुक्त करते हैं।

ध्यान के गहरे स्तर पर, व्यक्ति अपने भीतर और बाहर एक गहरी एकता का अनुभव कर सकता है, जो कॉस्मिक एकीकरण की नींव बनती है।

जब मन इस कॉस्मिक एकीकरण की भावना से परिपूर्ण होता है, तो सेवा स्वाभाविक रूप से निःस्वार्थ और व्यापक हो जाती है।

ऐसी स्थिति में, सेवा केवल किसी एक व्यक्ति या समूह तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह समस्त सृष्टि के कल्याण के लिए होती है।

एक व्यक्ति जो इस भावना से प्रेरित है, वह पर्यावरण की रक्षा, गरीबों की मदद, या ज्ञान के प्रसार को उसी तरह महत्व देगा जैसे अपनी निजी साधना को, क्योंकि वह सबको अपने विस्तृत "स्व" का हिस्सा मानता है।

इस अवस्था तक पहुँचने के लिए साधना और ध्यान के माध्यम से मन को लगातार परिष्कृत करना पड़ता है।

जैसे-जैसे व्यक्ति अपने भीतर की अशांति, भय, और स्वार्थ को छोड़ता है, वह ब्रह्मांड के साथ एक गहरे तालमेल में आता है। कई आध्यात्मिक परंपराओं में इसे "एकत्व" (oneness) या "अद्वैत" के रूप में वर्णित किया गया है।

यह वह बिंदु है जहाँ सेवा करना एक कर्तव्य नहीं, बल्कि स्वाभाविक अभिव्यक्ति बन जाता है—जैसे सूरज का प्रकाश देना या नदी का बहना।

जब कोई व्यक्ति गहरे ध्यान में जाता है और उसे यह अनुभव होता है कि उसका अस्तित्व पेड़ों, नदियों, और अन्य लोगों के साथ जुड़ा हुआ है।

इसके बाद, वह जो भी सेवा करता है—चाहे वह भोजन बाँटना हो या किसी को सांत्वना देना—वह इस भावना से प्रेरित होता है कि "यह मेरा ही हिस्सा है।"

यहाँ सेवा का आधार कॉस्मिक एकीकरण की वह भावना है जो उन्नत मन से उत्पन्न हुई।

उन्नत मन को कॉस्मिक एकीकरण की भावना के रूप में देखना इस विचार को और समृद्ध करता है कि सच्ची सेवा तभी संभव है जब हम अपनी सीमित पहचान से ऊपर उठकर समग्रता को अपनाते हैं। यह एक ऐसी यात्रा है जो साधना और ध्यान से शुरू होती है और ब्रह्मांड के साथ एकता में परिणति होती है।

“आत्मनो मोक्षार्थ जगत हिताय च “ भगवान सदाशिव
08/04/2025

“आत्मनो मोक्षार्थ जगत हिताय च “ भगवान सदाशिव

फ्रिटजॉफ कैप्रा की पुस्तक “द ताओ ऑफ फिजिक्स"(The Tao of Physics, Published in1975) में "द डांस ऑफ शिवा" (The Dance of Sh...
02/04/2025

फ्रिटजॉफ कैप्रा की पुस्तक “द ताओ ऑफ फिजिक्स"(The Tao of Physics, Published in1975) में "द डांस ऑफ शिवा" (The Dance of Shiva) केंद्रीय रूपक और विचार है जो पूरी पुस्तक में बार-बार आता है ।

यह विचार कैप्रा के सिद्धांत का मूल है, जो आधुनिक भौतिकी Morden Physics (विशेष रूप से क्वांटम Physics ) और पूर्वी रहस्यवाद (हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, ताओवाद) के बीच समानताओं को उजागर करता है।

"द डांस ऑफ शिवा" में पुस्तक के संदर्भ और इसके physics से संबंध interesting observation हैं ।

"द डांस ऑफ शिवा" का उल्लेख सबसे पहले introduction में आता है, जहाँ कैप्रा अपने व्यक्तिगत अनुभव का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि 1969 में कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर बैठे हुए, उन्होंने लहरों की गति को देखते हुए एक गहन अनुभूति प्राप्त की। उन्हें लगा कि वे Sub-atomic particles की गति और ऊर्जा के पैटर्न को "देख" रहे हैं, जो उनके लिए शिव के नृत्य के समान था।

यह विचार आगे चलकर पहले चैप्टर ("Modern Physics - A Path with a Heart?") और दुसरे चैप्टर ("Knowing and Seeing") में विस्तार से सामने आता है, जहाँ वे Physics और रहस्यवाद के बीच संबंध स्थापित करते हैं।

"The Dance of Shiva" एक प्रतीकात्मक अवधारणा Concept है जो पुस्तक के Narrative को रोचक और Poetic बनाती है।

कैप्रा लिखते हैं कि एक दिन समुद्र तट पर ध्यान करते समय, उन्हें लगा कि "चारों ओर की चीजें जीवंत हो उठीं" और वे "ऊर्जा के एक क्षेत्र में नृत्य करती हुई प्रतीत हुईं।" यह अनुभव उनके लिए Quantum physics के particles की गतिशीलता और हिंदू देवता शिव के नटराज (नृत्य रूप) का एक representation था।

वे नटराज को ब्रह्मांड के सृजन, संरक्षण और विनाश के चक्र के प्रतीक के रूप में देखते हैं, जो Particle physics में ऊर्जा और पदार्थ के निरंतर परिवर्तन से मेल खाता है।

कैप्रा Quantum physics के मूल सिद्धांतों—जैसे अनिश्चितता का सिद्धांत (Heisenberg’s Uncertainty Principle), कण-तरंग द्वैत (Wave-Particle Duality), और परस्पर संबद्धता (Quantum Entanglement)—को शिव के नृत्य से जोड़ते हैं।

Quantum Theory में कण स्थिर नहीं होते; वे संभावना के बादलों (probability clouds) के रूप में मौजूद होते हैं और लगातार गति में रहते हैं। यह गतिशीलता शिव के नृत्य की तरह है, जो ब्रह्मांड में ऊर्जा के प्रवाह और परिवर्तन को दर्शाता है।

कैप्रा तर्क देते हैं कि न्यूटन की Mechanical Physics, जो स्थिर और अलग-अलग वस्तुओं पर केंद्रित थी, अब Outdated है।

Quantum physics एक समग्र (holistic) दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिसमें सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, ठीक उसी तरह जैसे सनातन दर्शन में शिव का नृत्य ब्रह्मांड की एकात्मकता को व्यक्त करता है।

वे लिखते हैं: "कणों का यह नृत्य, यह ऊर्जा का प्रवाह, आधुनिक भौतिकी का आधार है।"

नटराज की मूर्ति में, शिव एक हाथ में ढोल (सृजन का प्रतीक) और दूसरे में अग्नि (विनाश का प्रतीक) लिए हुए हैं। कैप्रा इसे कणों के निर्माण और विनाश (particle creation and annihilation) से जोड़ते हैं, जो Particle physics में कामन है।

मूर्ति का वृत्त (cosmic wheel) ब्रह्मांड के चक्रीय स्वरूप को दर्शाता है, जो आधुनिक कॉस्मोलॉजी में समय और ऊर्जा के चक्र से मेल खाता है।

कैप्रा ने "द डांस ऑफ शिवा" के माध्यम से भौतिकी को एक सूखे, गणितीय विज्ञान से बाहर निकालकर इसे एक जीवंत, दार्शनिक और सांस्कृतिक संदर्भ में प्रस्तुत किया। यह आम लोगों के लिए क्वांटम भौतिकी को समझने का एक नया तरीका है ।

इस विचार ने वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को प्रेरित किया कि वे पारंपरिक लिनियर और मैकेनिकल मॉडल से हटकर एक गतिशील, नेटवर्क-आधारित दृष्टिकोण अपनाएँ।

यही बाद में उनके सिस्टम सिद्धांत (Systems Theory) के विकास का आधार बना।

"द डांस ऑफ शिवा" ने भौतिकी को सनातन दर्शन से जोड़कर पश्चिम और पूर्व के बीच एक संवाद को बढ़ावा दिया।

यह विचार इतना प्रभावशाली था कि यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (CERN) में नटराज की मूर्ति स्थापित की गई, जो Particle physics और प्राचीन प्रतीकवाद के बीच संबंध को मान्यता देती है।

“A Few Lessons from Sherlock Holmes”पीटर बेवलिन की यह किताब सर आर्थर कॉनन डॉयल के काल्पनिक जासूस शरलॉक होम्स के चरित्र स...
01/04/2025

“A Few Lessons from Sherlock Holmes”पीटर बेवलिन की यह किताब सर आर्थर कॉनन डॉयल के काल्पनिक जासूस शरलॉक होम्स के चरित्र से प्रेरणा लेकर लिखी गई है।
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"A Scandal in Bohemia" में शरलॉक होम्स एक महिला, आइरीन एडलर, से उलझते हैं। होम्स को यह पता लगाना है कि आइरीन के पास एक संवेदनशील तस्वीर कहाँ छिपी है। वे एक चाल चलते हैं: एक नकली आग का अलार्म पैदा करते हैं। जब आग लगने का शोर होता है, आइरीन तुरंत उस जगह की ओर भागती हैं जहाँ तस्वीर छिपी है, क्योंकि लोग संकट में अपनी सबसे कीमती चीज को बचाने की कोशिश करते हैं। होम्स इस व्यवहार का अवलोकन करते हैं और बिना कुछ कहे तस्वीर की जगह का पता लगा लेते हैं।

"The Adventure of the Speckled Band" में एक युवती, हेलेन स्टोनर, शरलॉक होम्स के पास मदद माँगने आती है। उसकी बहन की दो साल पहले रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हो गई थी, और अब उसे लगता है कि उसकी जान को भी खतरा है। उसकी बहन की मृत्यु से पहले उसने "स्पेकल्ड बैंड" (धब्बेदार पट्टी) जैसे रहस्यमय शब्द कहे थे। हेलेन बताती है कि उसका सौतेला पिता, डॉ. ग्रिम्सबी रॉयलॉट, एक हिंसक और रहस्यमयी व्यक्ति है, जो विदेशी जानवर पालता है।
होम्स और वॉटसन हेलेन के घर जाते हैं और उस कमरे की जाँच करते हैं जहाँ उसकी बहन मरी थी। होम्स कुछ असामान्य चीजें नोटिस करते हैं: एक बिस्तर जो दीवार से हिल नहीं सकता, एक रस्सी जो घंटी से जुड़ी नहीं है, और एक वेंटिलेटर जो बाहर नहीं, बल्कि अगले कमरे की ओर खुलता है। रात में, होम्स और वॉटसन कमरे में इंतजार करते हैं। अचानक एक साँप वेंटिलेटर से रस्सी के सहारे नीचे आता है। होम्स उसे अपनी छड़ी से मारते हैं, और साँप वापस वेंटिलेटर से डॉ. रॉयलॉट के कमरे में चला जाता है, जहाँ वह अपने ही मालिक को काटकर मार देता है।
होम्स समझाते हैं कि "स्पेकल्ड बैंड" कोई पट्टी नहीं, बल्कि एक जहरीला साँप था। डॉ. रॉयलॉट अपनी सौतेली बेटियों को इसलिए मारना चाहता था ताकि उनकी माँ की संपत्ति उसे मिल सके।

“The Hound of the Baskervilles” में, लोग मानते हैं कि एक अलौकिक कुत्ता हत्याओं का कारण है। लेकिन होम्स इस अंधविश्वास को खारिज करते हैं और साक्ष्य देखते हैं—कुत्ते के पैरों के निशान, फॉस्फोरस का इस्तेमाल—और पता लगाते हैं कि यह एक इंसान की साजिश थी।

"Silver Blaze"में, एक घोड़ा गायब हो जाता है और लोग मानते हैं कि कोई बड़ी साजिश है। लेकिन होम्स एक साधारण बात पर ध्यान देते हैं—कुत्ता उस रात नहीं भौंका। इसका मतलब चोर कोई परिचित था। यह छोटी बात रहस्य सुलझा देती है।

"A Study in Scarlet"में, होम्स शुरू में डॉ. वॉटसन को कम आँकते हैं, लेकिन बाद में उनकी मदद से प्रभावित होते हैं और उन्हें अपना साथी बनाते हैं। वे अपनी गलती से सीखते हैं।
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इन कहानियों के सबक हमें होम्स की तरह सोचने की प्रेरणा देते हैं—ध्यान से देखें, तर्क करें, और जल्दबाजी से बचें।

सावधानीपूर्वक अवलोकन (Observe Carefully):होम्स सिखाते हैं कि हमें अपने आसपास की दुनिया को सतही तौर पर नहीं, बल्कि गहराई से देखना चाहिए। लोग अक्सर स्पष्ट चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन होम्स छोटे-छोटे विवरणों से बड़े निष्कर्ष निकालते हैं। बेवलिन कहते हैं कि सच्चाई अक्सर सूक्ष्म संकेतों में छिपी होती है।

पूर्वाग्रह से बचना (Avoid Prejudice)
:होम्स पहले से कोई धारणा नहीं बनाते। वे तथ्यों को पहले इकट्ठा करते हैं और फिर निष्कर्ष निकालते हैं। बेवलिन इस बात पर जोर देते हैं कि हमें अपनी पुरानी मान्यताओं को साक्ष्यों के सामने नहीं लाना चाहिए, वरना हम गलत रास्ते पर जा सकते हैं।

तर्कसंगत अनुमान (Logical Reasoning):होम्स "डिडक्शन" का इस्तेमाल करते हैं—छोटे संकेतों से बड़े निष्कर्ष तक पहुँचते हैं—लेकिन वे हमेशा अपने अनुमानों को सत्यापित करते हैं। बेवलिन कहते हैं कि हमें हर कदम पर तर्क का सहारा लेना चाहिए और भावनाओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

सादगी पर ध्यान (Keep It Simple):होम्स जटिल समस्याओं को सरल बनाते हैं। बेवलिन सुझाव देते हैं कि हमें अनावश्यक जटिलताओं से बचना चाहिए और मूल बातों पर ध्यान देना चाहिए। कई बार सबसे आसान जवाब ही सही होता है।

लगातार सीखना (Continuous Learning):होम्स हमेशा नई चीजें सीखते हैं और अपनी गलतियों से सुधार करते हैं। बेवलिन कहते हैं कि हमें भी जिज्ञासु रहना चाहिए और हर अनुभव से सबक लेना चाहिए।

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