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जय श्री रामकहते हैं न कि,अगर जीवन में सबसे अच्छा समय आपको चाहिए तो आपको अपने जीवन में प्रेम रूपी रस भगवान राम और बजरंगबल...
01/07/2025

जय श्री राम
कहते हैं न कि,अगर जीवन में सबसे अच्छा समय आपको चाहिए तो आपको अपने जीवन में प्रेम रूपी रस भगवान राम और बजरंगबली महाराज की कृपा को उतारना ही होगा ,अब यह उतरेगा कैसे ,जीवन की धारा में सब लोग बह रहे है,लेकिन आपको पता है,इस जीवन धारा में एक धारा और भी है वो है ,भक्ति की धारा इस भक्ति की धारा में अपने आप को समाहित कर दे ,और अपने आप को बजरंगबली महाराज के चरणों में समर्पित कर दे ,वो आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे,बस आपके दिल में सच्ची भक्ति और मन में स्नेह होना चाहिए, बोले जय श्री राम #बालाजी #खाटूश्याम

जय श्री राम अगर जीवन में आप को कभी भी लगे कि आप जीवन में अकेले है,बस एक बार वीर बजरंगबली महाराज को पुकार लेना ,वो आपकी स...
22/06/2025

जय श्री राम अगर जीवन में आप को कभी भी लगे कि आप जीवन में अकेले है,बस एक बार वीर बजरंगबली महाराज को पुकार लेना ,वो आपकी सारी मनोरथ पूरी कर देगे ।
जय श्री राम #सोमनाथ #बालाजी #केदारनाथ

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं,परम पिता श्री राम आप सभी भक्तों पर कृपा बनाए रखे ।
06/04/2025

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं,परम पिता श्री राम आप सभी भक्तों पर कृपा बनाए रखे ।

23/03/2025

जय श्री राम ,एक बार भगवान श्री कृष्ण ने जो कि विष्णु अवतार है,उन्होंने अपने वाहन गरुड़ को आदेश दिया ,कि जाओ हनुमान जी के पास जाओ और उनको बोलो कि प्रभु ने बुलाया है,और उन्हें तुरंत आने को बोलो,भगवान गरुड़ महाराज का घमंड तोड़ना चाहते थे,क्योंकि गरुड़ महाराज ने कहा था , कि मेरे से भी तेज कौन उड़ सकता है,गरुड़ महाराज गए तो देखा कि वीर बजरंगबली महाराज राम नाप जप कर रहे थे,उन्होंने आदेश सुनाया कि प्रभु ने बुलाया है,हनुमान जी ने कहा आप चलो मैं आता हूं,गरुण महाराज ने कहा चलिए मैं अपने कंधों पर ले चलता हुं,जल्दी पहुंच जायेगे,हनुमान जी ने कहा नहीं आप चलो मैं आता हुं,गरुड़ जी जैसे ही सभा में पहुंचे तो देखे वहां पहले से ही राम भक्त हनुमान बैठे है,भगवान बोले गरुण जी आप आ गए,आइए हनुमान भी आ गए है।
कौन से काज कठिन जग माही जो न होवे तात तुम्हारे ताहि।
जय श्री राम

15/03/2025
15/03/2025

जय श्री राम

दोस्तो वैसे तो हम अपने जीवन में बहुत कुछ पाना चाहते है,हम चाहते है कि हम जीवन में वो सब प्राप्त करे जिसकी हमे अभिलाषा है,जो हमारे मनोमस्तिषक में लगातार चल रही है ,लेकिन क्या आपको पता है ,इस जगत में व्याप्त हर चीज को पाने के लिए त्याग बहुत जरूरी है,अगर आप त्यागना नहीं सीखते तो इस संसार में व्याप्त बहुत सी चीजों से आप वंचित रह जायेगे,ये संसार केवल आपकी अभिलाषाओं और आकांक्षाओं का प्यासा नहीं हैं, बल्कि जगत में व्याप्त हर उपलब्धि आपसे एक त्याग और तपस्या की वो उम्मीद रखती है ,जो उसके पल्लवन के लिए बहुत जरूरी हैं।
इस संसार में राम तभी बन सकते है जब आप हर चीज छोड़ने के लिए तैयार बैठे है,और अगर आप किसी चीज को त्याग नहीं सकते तो नई शुरुआत कभी हों नहीं सकती ।

जुड़े रहिए जय श्री राम

कहते है , कि इस जीवन में एक बार अगर आपने प्रभु श्री राम का नाम  ले लिया ,तो आपके जीवन में वीर बजरंगबली महाराज का वास अपन...
05/02/2025

कहते है , कि इस जीवन में एक बार अगर आपने प्रभु श्री राम का नाम ले लिया ,तो आपके जीवन में वीर बजरंगबली महाराज का वास अपने आप हो गया,राम नाम के सुमिरन में वो शक्ति है ,वो ताकत है जो इस ब्रह्माण्ड में सर्व शक्तिमान है,राम नाम के सुमिरन से सारे पाप दूर हों जाते है, संजीवनी शक्ति का उदय पूरे शरीर में हो जाता है,और आपकी प्राण वायु मजबूत होती है,

तो प्रेम से बोलिए जय श्री राम ,जय हनुमान

देखते ही लिखे ,जय श्री राम आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
10/12/2024

देखते ही लिखे ,जय श्री राम आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

जीवन की डोर है राधा तो जीवन के पालक है श्री कृष्णजय श्री राधे
10/12/2024

जीवन की डोर है राधा तो जीवन के पालक है श्री कृष्ण

जय श्री राधे

जय श्री राम जी जय हनुमान जी
10/12/2024

जय श्री राम जी जय हनुमान जी

आप सब को सावन के पवित्र माह की शुभकामनाएं ,यह माह भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा को प्राप्त करने का माह है,जो भी भक्त इस मह...
22/07/2024

आप सब को सावन के पवित्र माह की शुभकामनाएं ,यह माह भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा को प्राप्त करने का माह है,जो भी भक्त इस महीने श्रद्धा भाव से भगवान भोलेनाथ की आराधना करते है ,भोले नाथ उनकी सारी मनोकामना पूरी करते है,और वो इस संसार में बहुत आगे चले जाते है,
हर हर महादेव

रावण और हनुमान जी का संवाद:रावण विद्वान था जबकि हनुमान जी, बिद्यावान थे।विद्वान एवम विद्या वान में क्या अंतर है?रामचरितम...
16/11/2023

रावण और हनुमान जी का संवाद:

रावण विद्वान था जबकि हनुमान जी, बिद्यावान थे।
विद्वान एवम विद्या वान में क्या अंतर है?

रामचरितमानस के अदभुद प्रसंग से जानिए

बरसहिं जलद भूमि नियराये ।
जथा नवहिं वुध विद्या पाये ॥

जैसे बादल जल से भरने पर नीचे आ जाते हैं, वैसे विचारवान व्यक्ति विद्या पाकर विनम्र हो जाते हैं । ये विद्यावान के लक्षण है और विद्धान का आगे वर्णन किया है।

विद्वान और विद्यावान में अन्तर:

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

एक होता है विद्वान और एक विद्यावान । दोनों में आपस में बहुत अन्तर है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, रावण विद्वान है और हनुमान जी विद्यावान हैं।

रावण के दस सिर हैं मतलब, चार वेद और छह: शास्त्र दोनों मिलाकर दस हैं । इन्हीं को दस सिर कहा गया है । जिसके सिर में ये दसों भरे हों, वही दस शीश हैं।

रावण वास्तव में विद्वान था।

लेकिन विडम्बना क्या है?
सीता जी का हरण करके ले आया, कईं बार विद्वान लोग अपनी विद्वता के कारण दूसरों को शान्ति से नहीं रहने देते, उनका अभिमान दूसरों की सीता रुपी शान्ति का हरण कर लेता है और हनुमान जी उन्हीं खोई हुई सीता रुपी शान्ति को वापिस भगवान से मिला देते हैं।

हनुमान जी ने कहा

विनती करउँ जोरि कर रावन ।
सुनहु मान तजि मोर सिखावन ॥

हनुमान जी ने हाथ जोड़कर कहा कि मैं विनती करता हूँ, तो क्या हनुमान जी में बल नहीं है ?

नहीं, ऐसी बात नहीं है, विनती दोनों करते हैं, जो भय से भरा हो या भाव से भरा हो, रावण ने कहा कि तुम क्या हो, यहाँ देखो कितने लोग हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़े हैं।

कर जोरे सुर दिसिप विनीता ।
भृकुटी विलोकत सकल सभीता।।

यही विद्वान और विद्यावान में अन्तर है, हनुमान जी गये, रावण को समझाने, यही विद्वान और विद्यावान का मिलन है, रावण के दरबार में देवता और दिग्पाल भय से हाथ जोड़े खड़े हैं और भृकुटी (भौं) की ओर देख रहे हैं ।

परन्तु हनुमान जी भय से हाथ जोड़कर नहीं खड़े हैं, रावण ने कहा भी

कीधौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही ।
देखउँ अति असंक सठ तोही ॥

रावण ने कहा: तुमने मेरे बारे में सुना नहीं है ? तू बहुत निडर दिखता है।

हनुमान जी बोले: क्या यह जरुरी है कि तुम्हारे सामने जो आये, वह डरता हुआ आये ?
रावण बोला: देख लो, यहाँ जितने देवता और अन्य खड़े हैं, वे सब डरकर ही खड़े हैं।
हनुमान जी बोले: उनके डर का कारण है, वे तुम्हारी भृकुटी की ओर देख रहे हैं।

भृकुटी विलोकत सकल सभीता ।
परन्तु मैं भगवान राम की भृकुटी की ओर देखता हूँ, उनकी भृकुटी कैसी है ? बोले

भृकुटी विलास सृष्टि लय होई ।
सपनेहु संकट परै कि सोई ॥

जिनकी भृकुटी टेढ़ी हो जाये तो प्रलय हो जाए और उनकी ओर देखने वाले पर स्वप्न में भी संकट नहीं आए, मैं उन श्रीराम जी की भृकुटी की ओर देखता हूँ।

रावण बोला: यह विचित्र बात है, जब राम जी की भृकुटी की ओर देखते हो तो हाथ हमारे आगे क्यों जोड़ रहे हो ?

विनती करउँ जोरि कर रावन ।
हनुमान जी बोले: यह तुम्हारा भ्रम है, हाथ तो मैं उन्हीं को जोड़ रहा हूँ।

रावण बोला: वह यहाँ कहाँ हैं ?
हनुमान जी ने कहा: कि यही समझाने आया हूँ । मेरे प्रभु श्री राम जी ने कहा था

सो अनन्य जाकें असि मति न टरइ हनुमन्त ।
मैं सेवक सचराचर रुप स्वामी भगवन्त ॥

भगवान ने कहा है कि सबमें मुझको देखना । इसीलिए मैं तुम्हें नहीं, तुझमें भी भगवान को ही देख रहा हूँ
इसलिए हनुमान जी कहते हैं:
खायउँ फल प्रभु लागी भूखा ।
और सबके देह परम प्रिय स्वामी ॥

हनुमान जी रावण को प्रभु और स्वामी कहते हैं और रावण

मृत्यु निकट आई खल तोही ।
लागेसि अधम सिखावन मोही ॥

रावण खल और अधम कहकर हनुमान जी को सम्बोधित करता है।

यही विद्यावान का लक्षण है कि अपने को गाली देने वाले में भी जिसे भगवान दिखाई दे, वही विद्यावान है।

विद्यावान का लक्षण है
विद्या ददाति विनयं ।
विनयाति याति पात्रताम् ॥

पढ़ लिखकर जो विनम्र हो जाये, वह विद्यावान और जो पढ़ लिखकर अकड़ जाये, वह विद्वान ।

तुलसी दास जी कहते हैं:
बरसहिं जलद भूमि नियराये ।
जथा नवहिं वुध विद्या पाये ॥

जैसे बादल जल से भरने पर नीचे आ जाते हैं, वैसे विचारवान व्यक्ति विद्या पाकर विनम्र हो जाते हैं।

इसी प्रकार हनुमान जी हैं विनम्र और रावण है विद्वान

यहाँ प्रश्न उठता है कि विद्वान कौन है ? इसके उत्तर में कहा गया है, कि जिसकी दिमागी क्षमता तो बढ़ गयी, परन्तु दिल खराब हो, हृदय में अभिमान हो, वही विद्वान है

और अब प्रश्न है कि विद्यावान कौन है ? उत्तर में कहा गया है कि जिसके हृदय में भगवान हो और जो दूसरों के हृदय में भी भगवान को बिठाने की बात करे, वही विद्यावान है।

हनुमान जी ने कहा: रावण, और तो ठीक है, पर तुम्हारा दिल ठीक नहीं है, कैसे ठीक होगा ? कहा कि

राम चरन पंकज उर धरहू ।
लंका अचल राज तुम करहू ॥

अपने हृदय में राम जी को बिठा लो और फिर मजे से लंका में राज करो, यहाँ हनुमान जी रावण के हृदय में भगवान को बिठाने की बात करते हैं, इसलिए वे विद्यावान हैं।

सारांश, विद्वान ही नहीं बल्कि "विद्यावान" बनने का प्रयत्न करे
जय हो प्रभु राम की
जय हो राजाराम की

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